In this Article
गर्भावस्था के दौरान एक महिला के शरीर में बहुत सारे बदलाव आते हैं। इन 9 महीनों में यदि महिला को इसके बारे में नहीं पता है तो उसमें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव बहुत गंभीर रूप से हो सकते हैं। इन समस्याओं से महिलाओं में हेमाटोलॉजिकल बदलाव या खून में बदलाव हो सकते हैं। यह बदलाव प्लेटलेट्स, हीमोग्लोबिन, रेड ब्लड सेल्स और वाइट ब्लड सेल्स से संबंधित होते हैं।
हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम में जो सेल्स पाए जाते हैं वो वाइट ब्लड सेल्स होते हैं। यह हमारे शरीर को बाहरी कीटाणुओं से बचाते हैं और उन सभी बैक्टीरिया या वायरस को खत्म भी करते हैं जो हमारे शरीर को नुकसान पहुँचाते हैं। वैज्ञानिक रूप में इसे ल्यूकोसाइट कहा जाता है जो पूरे शरीर में पाए जाते हैं। इसलिए इससे यह पता चलता है कि कोई शारीरिक रूप से फिट, अनफिट या बीमार कैसे है।
जो वाइट ब्लड सेल्स बोन मैरो में उत्पन्न होती हैं उनके कई फंक्शन होते हैं। सामान्य तौर पर वाइट ब्लड सेल्स इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं पर हर एक वाइट ब्लड सेल्स की कई अलग-अलग भूमिकाएं होती हैं। जो इस प्रकार है:
इसमें बहुत ज्यादा सेल्स होते हैं और यह ज्यादा जगह घेरता है। यह बैक्टीरियल और फंगल इन्फेक्शन के कीटाणुओं को खत्म करता है।
यह टॉक्सिक वेस्ट और बैक्टीरिया को बाहर निकालकर नष्ट कर देते हैं।
यह शरीर को पैरासाइट्स और एलर्जिक रिएक्शन से बचाता है।
यह सिर्फ 1% ब्लड सेल्स होते हैं पर यह खून के बहाव को रेगुलर करने और इम्यून सिस्टम की मजबूत बनाए रखने के लिए सेल्स को बढ़ाता है जिससे बीमारियां कम होती हैं।
यह बाहरी कीटाणुओं से लड़ने और उन्हें नष्ट करने के लिए एंटीबॉडीज बनाते हैं।
इन सभी पांच प्रकार के वाइट ब्लड सेल्स के बढ़ने और घटने से शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं। यह एक प्रमुख कारक है जो गर्भावस्था के दौरान हेमोलिटिक परिवर्तन के कारण असंतुलन का कारण बनता है।
यह बदलाव किसी में भी हो सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान भी कुछ ऐसे ही बदलाव होते हैं और ज्यादातर इनसे कोई भी समस्या नहीं होती है। वे बदलाव इस प्रकार हैं;
गर्भावस्था के दौरान यह सेल्स बढ़ते हैं पर यह गर्भवती महिला व बच्चे को कोई भी खतरा नहीं पहुँचाते हैं। यह सिर्फ रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन में बोन मैरो की प्रतिक्रिया की तरफ इशारा करता है।
गर्भावस्था की शुरूआत में भ्रूण पर प्रभाव डालने से बचने के लिए महिलाओं के इम्यून सिस्टम में बहुत सारे बदलाव होते हैं। इसके एक बदलाव में मोनोसाइट्स का बढ़ना ऑब्जर्व किया गया है। हालांकि इसके साइड इफेक्ट्स से गर्भावस्था में महिलाओं को प्रीक्लेम्पसिया जैसी कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती हैं। सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर मोनोसाइट्स के बढ़ने पर टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।
इसमें सेल्स के काउंट में कोई बदलाव नहीं होता है। यदि कोई बदलाव होता भी है तो वह इम्युनिटी कमजोर या इन्फेक्शन होने का संकेत हो सकता है।
बासोफिल्स में कोई भी महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होता है।
यह पहली दो तिमाही में कम होता है और आखिरी तिमाही व डिलीवरी के बाद बढ़ता है। यह बदलाव गर्भावस्था के दौरान इम्यूनोलॉजिकल एक्टिविटी कम होने के कारण होते हैं।
एक सामान्य महिला में लगभग 4500 – 11000/क्यूबिक मिलीमीटर वाइट ब्लड सेल्स होते हैं। गर्भावस्था के दौरान इसका कम से कम काउंट 6000/क्यूबिक मिलीमीटर तक रह जाता है। तीसरी तिमाही में 12000-18000/ माइक्रोलीटर वाइट सेल्स होना आम बात है।
गर्भ में पल रहे बच्चे में इम्यून सिस्टम अपने आप बढ़ता है इसलिए एक गर्भवती महिला में अलग-अलग समय पर वाइट ब्लड सेल्स बढ़ सकते हैं। यह बहुत आम बात है और यदि आप इसे गंभीर समस्या समझकर दवाई लेना चाहती हैं तो आपको यह करने की जरूरत नहीं है।
हालांकि यदि आपको बुखार, हाइपरटेंशन, बहुत ज्यादा चिंता या इम्युनिटी से संबंधित अन्य समस्याओं के लक्षण दिखाई देते हैं तो आप तुरंत डॉक्टर से चेक अप करवाएं।
एक गर्भवती महिला और सामान्य महिला में वाइट ब्लड सेल्स बढ़ने और घटने के कारण एक जैसे ही है। यदि बिना जाने यह अत्यधिक मात्रा में बढ़ते हैं तो इससे पैथोलॉजिकल समस्या हो सकती है और इसके लिए उन चीजों से बचें जिसके कारण वाइट ब्लड सेल्स बढ़ते हैं। वाइट ब्लड सेल्स बढ़ने के टॉप 4 कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानते हैं;
गर्भावस्था के दौरान चिंता करने से सिर्फ मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं। चिंता करने से वाइट ब्लड सेल्स सामान्य से बहुत ज्यादा बढ़ सकते हैं जो शरीर को हानि पहुँचाता है। इसलिए आपको चिंता-मुक्त होने के लिए योग और मेडिटेशन करना चाहिए।
सर्दी या यूटीआई के कारण कोई भी बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन से वाइट ब्लड सेल्स बढ़ते हैं। आपके लिए ऐसे इन्फेक्शन से बचाव करना जरूरी है। इस समय इम्यून सिस्टम आपका बचाव करता है इसलिए आप अपनी पूरी देखभाल करें।
इंफ्लेमेटरी रोग या एलर्जिक रिएक्शन से संबंधित समस्याओं के कारण भी वाइट ब्लड सेल्स बढ़ सकते हैं। शरीर में वाइट ब्लड सेल्स उस अंगों की तरफ तेजी से बढ़ते हैं जिन्हें विकास के लिए मदद की जरूरत होती है। इस दौरान ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें और ऐसी जगह पर जाने से बचें जहाँ आपको एलर्जी हो सकती है।
ऑटोइम्यून रोग जैसे क्रोहन’स रोग, ग्रेव्स रोग या ल्यूकेमिया के कारण नॉन-फंक्शनल वाइट ब्लड सेल्स बढ़ना। इन रोगों के कारण भी वाइट ब्लड सेल्स बढ़ते हैं जिससे अन्य मामलों के विपरीत इन सेल्स की मात्रा बढ़ती है इसके अलावा इससे कुछ नहीं होता है।
यद्यपि गर्भवती महिलाओं में वाइट ब्लड सेल्स का काउंट ज्यादा होता है पर फिर भी कुछ ऐसे लक्षण हैं जो चिंता का कारण बन सकते हैं और ऐसे समय पर आप तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। वे कौन से लक्षण हैं, आइए जानते हैं;
इन्फेक्शन होने से भी बुखार आता है और शरीर में दर्द होता है। ऐसे लक्षण दिखने पर आप तुरंत डॉक्टर से जांच और ठीक से इलाज करवाएं। ताकि इससे बच्चे को कोई भी समस्या न हो।
यदि आपको सांस लेने में समस्या हो रही है, जैसे सांस कम आना, घरघराहट और इत्यादि तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। यह लंग्स में एलर्जिक रिएक्शन के कारण भी हो सकता है जिसका इलाज जल्दी से जल्दी होना चाहिए।
त्वचा पर एलर्जी होने से रैशेज, खुजली या पित्त हो सकते हैं और त्वचा लाल भी हो जाती है। यह समस्या किसी इन्फेक्शन के कारण भी हो सकती है जिससे बच्चे को खतरा हो सकता है। इसलिए सुनिश्चित करें कि आप तुरंत डॉक्टर से मिलें और इसका इलाज करवाएं।
गर्भावस्था के दौरान और इसके बाद भी शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं। गर्भावस्था में वाइट ब्लड सेल्स का बढ़ना कोई बड़ी समस्या नहीं है पर यदि आपको इम्युनिटी में कमजोरी के कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। यह बदलाव अक्सर माँ के शरीर और गर्भ को मजबूत बनाते हैं। यदि इसकी वजह से आपको कोई भी असुविधा होती है तो डॉक्टर से मिलें और हमेशा पॉजिटिव रहें। क्योंकि यदि आप खुश रहेंगी तो आपकी प्रेगनेंसी भी अच्छी होगी।
यह भी पढ़ें:
प्रेगनेंसी में कौन सी दवाएं लें और किनसे बचें
प्रेगनेंसी में ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकॉकस संक्रमण होना
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…