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इस कहानी में एक ऐसे लकड़हारे के बारे में बताया गया है, जिसकी ईमानदारी और अच्छाई की वजह से उसे जीवन में सफलता हासिल हुई। लकड़हारे के निस्वार्थ स्वाभाव की वजह से देवता भी उससे प्रसन्न हुए और सोने की कुल्हाड़ी उपहार में दे दी। हम सभी को भी जीवन में ईमानदारी अपनानी चाहिए क्योंकि आपकी अच्छाई और निस्वार्थ स्वभाव ही जीवन में आगे सफलता की राह तक ले जाता है। यदि आपके मन में लालच नहीं होता है तो भगवान भी अपना आशीर्वाद आप पर बनाए रखते हैं। यह कहानी बच्चों को ईमानदार और अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी और भी प्रेरक कहानियों को पढ़ने के लिए हमसे इस वेबसाइट के माध्यम से जुड़े रहें।
कुछ सालों पहले की बात है एक नगर में एक गरीब लकड़हारा रहता था। वह हर दिन जंगल में लकड़ियां काटने जाता और उन्हें बेच जो पैसे मिलते उनसे अपना गुजारा करता था। लकड़हारा ये काम पिछले कई सालों से करता आ रहा था। एक दिन वह जंगल में लकड़ी काटने गया और नदी के बगल में लगे पेड़ पर चढ़कर लकड़ी काट रहा था, लेकिन अचानक से पेड़ की टहनियां काटते हुए उसकी कुल्हाड़ी नीचे नदी में गिर गई।
अपनी कुल्हाड़ी को ढूंढने के लिए लकड़हारा पेड़ से तुरंत नीचे उतरा और उसे ढूंढने लगा। उसने सोचा कुल्हाड़ी नदी के आसपास गिरी होगी लेकिन वह पेड़ से गिरकर सीधा नदी के अंदर चली गई थी। नदी बहुत गहरी थी और उसका बहाव भी बहुत तेज था।
लकड़हारा कुल्हाड़ी मिल जाने की उम्मीद में घंटों तक उसे ढूंढता रहा, लेकिन उसे जब कुल्हाड़ी नहीं मिली तो वह बेहद दुखी हो गया। लकड़हारा अच्छे से जानता था कि उसके पास इतने पैसे नहीं है जिससे वह दुबारा कुल्हाड़ी खरीद पाएगा। अपनी हालात पर वह बहुत दुखी होकर नदी किनारे बैठकर रोने लगा। उसे रोता हुआ देखकर नदी के देवता प्रकट हो गए।
देवता ने लकड़हारे से पूछा, ‘पुत्र! क्या हो गया तुम्हें? तुम इतना क्यों रो रहे हो? इस नदी में तुम्हारा कुछ खो गया है क्या? उनके सवाल पूछते के बाद लकड़हारे अपनी खोई हुई कुल्हाड़ी की बात उन्हें बताई। उसकी बात सुनने के बाद नदी के देवता ने उसकी कुल्हाड़ी को ढूंढने की बात कही और वहां से चले गए।
कुछ समय बाद देवता नदी से बाहर निकले और लकड़हारे से कहने लगे – “मुझे तम्हारी कुल्हाड़ी मिल गई है।” ये बात सुनकर लकड़हारे के चेहरे पर खुशी झलक पड़ी। तभी लकड़हारे ने देवता के हाथ में एक सुनहरे रंग की कुल्हाड़ी देखी और वह दुखी हो गया और कहने लगा, “यह सुनहरी कुल्हाड़ी मेरी नहीं है, यह जरूर किसी अमीर आदमी की होगी।” उसकी बात सुनकर देवता फिर से नदी के अंदर कुल्हाड़ी ढूंढने चले गए।
एक बार फिर नदी के देवता बाहर आएं और अब उनके हाथ में चांदी की कुल्हाड़ी थी। इस कुल्हाड़ी को देखने के बाद भी लकड़हारे के चेहरे पर मुस्कान नहीं आई और उसने कहा – “ये कुल्हाड़ी भी मेरी नहीं है। ये किसी और की कुल्हाड़ी है और उसे यह वापस दे दीजिएगा। मुझे अपनी ही कुल्हाड़ी वापस चाहिए।” ये सुनकर देवता एक बार औरु नदी के अंदर चले गए।
इस बार देवता पानी से काफी देर बाद बाहर निकले और उनके हाथ में अपनी कुल्हाड़ी देखकर लकड़हारा बहुत खुश हो गया। उसने देवता से कहा – “इस बार आप मेरी कुल्हाड़ी जैसी लोहे की कुल्हाड़ी लेकर आए हैं और ये मेरी ही कुल्हाड़ी लग रही है। ऐसी ही कुल्हाड़ी पेड़ काटते वक्त मेरे हाथ से नदी में गिर गई थी। आप ये कुल्हाड़ी मुझे दे दें और अन्य दो कुल्हाड़ियों उनके असली मालिक तक पहुंचा दें।”
लकड़हारे के सच्ची ईमानदारी को देखते हुए नदी के देवता उससे बेहद प्रसन्न हो गए और उन्हें वह अच्छा व ईमानदार इंसान लगा। उन्होंने लकड़हारे से बोला कि तुम्हारा मन बहुत साफ है और इसमें बिलकुल भी लालच नहीं भरा है। तुम्हारी जगह कोई और होता, तो शायद सोने और चांदी की कुल्हाड़ी को तुरंत ले लेता लेकिन तुमने बिलकुल मना कर दिया है। तुम्हारा मन बहुत पावन है उसमें बिलकुल भी छल नहीं है, जिसे देखकर मैं बहुत खुश हुआ। इसलिए मैं तुम्हें तुम्हारी ईमानदारी के लिए ये सोने और चांदी की कुल्हाड़ी भेंट देता हूं। इसे मेरा आशीर्वाद समझकर स्वीकार कर लो।
लकड़हारे और सुनहरी कुल्हाड़ी की इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि आपके पास दौलत हो या न हो लेकिन अगर आपका मन साफ है तो किस्मत कभी भी बदल सकती है। लालच में कभी अपना ईमान नहीं बेचना चाहिए, जितना मिलता है उतने में खुश रहना चाहिए।
लकड़हारे और सुनहरी कुल्हाड़ी नैतिक कहानियों के अंतर्गत आती है और बच्चों को बहुत अच्छी शिक्षा देती है।
इस कहानी का मकसद दुनिया को ये बताना है कि ईमानदार और सच्चाई के रास्ते पर चलने से आपका हमेशा भला होता है।
इंसान के पास कितनी भी दौलत क्यों न हो यदि वह एक ईमानदार नहीं है तो वह बहुत आगे नहीं बढ़ सकता है। ईमानदारी आपको एक अच्छा इंसान बनाती है और दूसरे लोग भी एक ईमानदार इंसान की इज्जत करते हैं।
लकड़हारे और सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी हमें लकड़हारे की ईमानदारी की प्रशंसा करना सिखाती है। इस कहानी से बच्चों को ईमानदारी और सच्चाई के बारे में सीखने को मिलता है और साथ ही उन्हें यह पढ़ने में बहुत मजा आएगा। हम उम्मीद करते हैं आपको भी इस कहानी से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा ताकि आप अपने बच्चों को बेहतर तरीके से सीखा सकें। यह कहानी आप अपने बच्चों को सोते समय भी सुना सकते हैं।
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