शिशु

माँ के दूध में फैट बढ़ाने के 6 इफेक्टिव टिप्स

माँ के दूध में वे सभी न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं जो पहले कुछ महीनों में एक बच्चे के विकास के लिए बहुत जरूरी हैं। हालांकि इसमें फैट की मात्रा पूरे दिन में अलग-अलग होती है। चूंकि आपके बच्चे के लिए फैट भी बहुत जरूरी है इसलिए इस लेख में बताया जा रहा है कि बच्चे के लिए माँ के दूध में फैट कंटेंट कैसे बढ़ाया जा सकता है। जानने के लिए यह लेख पूरा पढ़ें।

बच्चों के लिए माँ के दूध में फैट होना क्यों जरूरी है?

माँ के दूध में फैट भरपूर होता है और इसके साथ-साथ इसमें कॉम्प्लेक्स कार्ब्स, प्रोटीन, ओलिगोसैकेराइड, विटामिन्स और मिनरल भी मौजूद होते हैं जो बच्चे के लिए बहुत जरूरी हैं। इसके अलावा बच्चे के जन्म के कुछ दिन तक माँ के ब्रेस्ट में पीले रंग का फ्लूड उत्पन्न होता है जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं। कोलोस्ट्रम में एंटीबॉडीज होते हैं जो नवजात शिशु के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। यह बच्चे के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम को विकसित करने और इसके फंक्शन में मदद करता है।

माँ के दूध में फैट और कैलोरी की औसत मात्रा कितनी होती है?

नीचे दी हुई टेबल से आप जान सकती हैं कि माँ के दूध में फैट और कैलोरी की औसत मात्रा कितनी होती है, एक नजर डालिए;

एवरेज मात्रा लिमिट
कैलोरी 75 कैलोरीज प्रति 100 मिली 50-120 कैलोरीज प्रति 100 मिली
फैट 4.2 ग्राम प्रति 100 मिली 2-5 ग्राम प्रति 100 मिली
4% फैट 2-10% फैट

माँ के दूध में कितने प्रकार के फैट होते हैं?

माँ के दूध में निम्नलिखित प्रकार के फैट होते हैं, आइए जानें;

  • सैचुरेटेड फैट
  • मोनोअनसैचुरेटेड फैट
  • पॉलीअनसैचुरेटेड फैट
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड

माँ के दूध में फैट को प्रभावित करने के कारक

नीचे दिए हुए कुछ फैक्टर्स माँ के दूध में फैट कंटेंट को प्रभावित कर सकते हैं, आइए जानें;

1. ब्रेस्ट में दूध की मात्रा

महिलाओं के खाली ब्रेस्ट में भरे हुए ब्रेस्ट से ज्यादा फैट होता है। इसलिए जब आप बच्चे को दूध पिलाना शुरू करती हैं तो सबसे पहले निकलने वाला दूध थोड़ा पतला व प्रोटीन और पानी से भरपूर होता है पर उसमें फैट की मात्रा कम होती है। हालांकि बाद के दूध में फैट की मात्रा ज्यादा होती है।

2. बच्चे को दूध पिलाने के बीच का अंतराल

आप बच्चे को दिन में कितनी बार दूध पिलाती हैं इसके अनुरूप ही माँ के दूध में फैट कंटेंट होता है। यह असंभव लगता है पर ऐसा इसलिए है क्योंकि आप ब्रेस्ट में दूध की आपूर्ति से ज्यादा तेज बच्चे को दूध पिलाती हैं। इससे फीडिंग के दौरान हिंडमिल्क ब्रेस्ट में बना रहता है।

3. दिन में दूध पिलाने का समय

दिन का समय माँ के दूध में फैट को प्रभावित करता है और यह हर महिला के लिए भी अलग होता है। कुछ महिलाओं के ब्रेस्ट में सुबह के समय दूध की आपूर्ति होती है और कुछ महिलाओं में दोपहर और शाम को होती है। इसलिए आप अपने अनुभवों को लिखकर रखें ताकि आपको पता लग सके कि बच्चे को दूध पिलाने का सबसे बढ़िया समय कौन सा है।

4. न्यूट्रिशन

यद्यपि यह अक्सर माना जाता है कि डाइट में फैट शामिल करने से माँ के दूध में फैट कंटेंट की कोई वृद्धि नहीं होती है। वास्तव में इस गलत धारणा का कोई भी आधार नहीं है। यदि आपकी डाइट फैट कंटेंट से भरपूर है तो यह माँ के दूध में शमिल फैट को प्रभावित कर सकता है।

माँ के दूध में फैट बढ़ाने के टिप्स

फैट से शरीर में मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम का विकास होता है। यहाँ कुछ टिप्स दिए हैं जिनकी मदद से माँ के दूध में फैट कंटेंट को बढ़ाया जा सकता है, आइए जानते हैं;

1. ब्रेस्ट को पूरा खाली करें

हाल ही में बनी मांएं अक्सर सोचती हैं कि वे अपने नवजात शिशु को दोनों ब्रेस्ट से दूध पिलाएं जो वास्तव में जरूरी नहीं है। जब बच्चा दूध पीना शुरू करता है तो इसमें मौजूद फैट कंटेंट एक दूसरे से चिपक कर मिल्क डक्ट्स की दीवार में रह जाते हैं। शुरू में पतला दूध यानी फोरमिल्क निप्पल में पहले पहुँचता है और बाद में फैट-युक्त दूध यानी हिंडमिल्क निप्पल में आता है। यदि आप बच्चे को दूसरे ब्रेस्ट से भी दूध पिलाना शुरू कर देती हैं तो बच्चे का पेट भर सकता है और ऐसे में उसे फैट-युक्त दूध नहीं मिल पाता है। इसका बेस्ट तरीका यह है कि आप अपने बच्चे को एक ब्रेस्ट से तब तक दूध पिलाएं जब तक उसका दूध पूरा खत्म न हो जाए। इसके बाद बच्चा यदि और भूखा है तो आप उसे दूसरे ब्रेस्ट से दूध पिलाना शुरू करें।

2. मालिश करें

ब्रेस्ट की मालिश करने और इसमें हल्का दबाव डालने से ब्रेस्ट मिल्क का बहाव बढ़ सकता है। आप अपने ब्रेस्ट में हल्का-हल्का दबाव डालकर भी ऐसा कर सकती हैं। इस दबाव से ब्रेस्ट में मौजूद फैट-युक्त दूध निप्पल की तरफ खिसकता है। यह तरीका तभी फायदेमंद है जब इसे करते समय बच्चा दूध पी रहा हो क्योंकि यह बच्चे तक फैट-युक्त दूध पहुँचाने में मदद करता है।

3. प्रोटीन-युक्त आहार लें

यद्यपि माँ के दूध में प्राकृतिक रूप से प्रोटीन होता है और इसमें फैट कंटेंट को बढ़ाने के लिए आप प्रोटीन-युक्त आहार खा सकती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रोटीन माँ के दूध को सिंथेसिस करने में मदद करता है और इसलिए आप अपने बच्चे के लिए डायट्री फैट भी बढ़ा सकती हैं। अंडे, ड्राईफ्रूट्स, दूध, चिकन, चीज़ और मछली में प्रोटीन की मात्रा बहुत होती है। यदि आप शाकाहारी हैं तो आप लैक्टेशन स्पेशलिस्ट की मदद से प्रोटीन के सप्लीमेंट्स भी ले सकती हैं।

4. बच्चे को ज्यादा से ज्यादा बार दूध पिलाएं

आप बच्चे को जितनी ज्यादा बार दूध पिलाएंगी उतना ज्यादा पीछे का फैट-युक्त दूध शुरूआत में ही निप्पल्स की ओर आ सकता है। लगातार ब्रेस्टफीड कराने से हिंडमिल्क आगे की ओर आता है।

5. ब्रेस्ट मिल्क को पंप से निकालें

ब्रेस्ट पंप का उपयोग करने से ब्रेस्ट मिल्क में फैट की मात्रा बढ़ सकती है। पंप से दूध निकालने से ब्रेस्ट खाली करने में मदद मिलती है। इस प्रकार से फोरमिल्क बाहर निकल जाता है और आपका बच्चा आराम से हिंडमिल्क पीता है जिससे उसे फैट मिलता है। हालांकि बच्चे के विकास और वृद्धि के लिए फोरमिल्क भी जरूरी है।

6. सप्लीमेंट्स लें

ऐसा माना जाता है कि माँ के दूध में फैट की मात्रा बढ़ाने के लिए नेचुरल हेल्थ सप्लीमेंट्स  भी प्रभावी होते हैं। इसमें से सनफ्लॉवर लेसिथिन सबसे ज्यादा लोकप्रिय है और इसका उपयोग वही महिलाएं करती हैं जिनके डक्ट्स ब्लॉक हो जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि सनफ्लॉवर लेसिथिन ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद फैट्स के चिपकने को कम करता है और दूध में इसके प्रवाह को बढ़ाता है। इससे बच्चे को दूध पिलाते समय ब्रेस्ट में पीछे मौजूद दूध आगे की तरफ आता है।

माँ के दूध में फैट बढ़ाने के लिए ऊपर दिए हुए टिप्स बहुत प्रभावी हैं। बच्चे के लिए फैट बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है और इस बात का खयाल रखें कि जब ब्रेस्ट लगभग खाली हो जाता है तभी फैट-युक्त दूध आता है। इसलिए बच्चे को दूध तब तक पिलाएं जब तक एक ब्रेस्ट पूरा खाली न हो जाए।

यह भी पढ़ें:

स्तनों में दूध की कम आपूर्ति
नवजात शिशु को स्तनपान कराने के 10 जरूरी टिप्स

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

3 days ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

3 days ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

3 days ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

5 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

5 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

5 days ago