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महाशिवरात्रि 2025 – कब और क्यों मनाई जाती है, व्रत के दौरान क्या खाएं

हिन्दू धर्म में अनेक त्योहार हैं और हर त्योहार को मनाने के पीछे कोई न कोई कारण है। महाशिवरात्रि या शिवरात्रि का त्योहार भी ऐसा ही है लेकिन इसके पीछे एक नहीं कई कारण माने जाते हैं। महाशिवरात्रि कब और क्यों मनाई जाती है इसके पीछे मुख्य रूप से मान्यता यह है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। वहीं यह भी कहा जाता है कि इसी दिन समुद्र मंथन में निकले हलाहल विष को पीकर भगवान शिव ने दुनिया को बचाया था। इसके अलावा एक मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही सृष्टि की रचना हुई थी। जो भी हो, इन सभी कारणों का संबंध भगवान शिव से है और महाशिवरात्रि उनके भक्तों का त्योहार है जिसे पूरे भारत के शिव मंदिरों में बड़ी धूमधाम के साथ पूजा, उपवास और रात्रि जागरण करके मनाया जाता है।

शिवरात्रि क्यों और कब मनाई जाती है?

हर साल महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। अक्सर लोग पूछते हैं कि महाशिवरात्रि कब है तो आपको बताना चाहेंगे कि हिन्दू कैलेंडर या पंचांग के अनुसार यह त्योहार फाल्गुन महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को 13वें रात या 14वें दिन मनाया जाता है। इस साल शिवरात्रि 26 फरवरी 2025, बुधवार के दिन मनाई जाएगी।

यदि आप महाशिवरात्रि के बारे में पूरी जानकारी लेना चाहते हैं या यह जानना चाहते हैं कि शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है तो यहाँ पर इस त्योहार से संबंधित कुछ कहानियां बताई गई हैं, आइए जानें;

1. भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का उत्सव

शिवरात्रि को बहुत पावन दिन माना जाता है क्योंकि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। ऐसे दिव्य प्रेम के सम्मान में अक्सर लोग शिवरात्रि के दिन व्रत रखते हैं और विवाहित लोग अपने जीवन में प्रेम व अविवाहित लोग एक बेहतरीन साथी की कामना करते हैं।

2. शिवलिंग की पूजा

पौराणिक कहानियों के अनुसार भगवान शिव ने शिवरात्रि की आधी रात को ही दिव्य शिवलिंग का रूप लिया था जिसे लिंगोभव मूर्ती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिव्य शक्ति की पूजा करने व सम्मान में भी शिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है।

3. इस दिन भगवान शिव ने दुनिया को प्रलय से बचाया था

पुराणों के अनुसार जब देवों और राक्षसों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था तब समुद्र से विष का कलश बाहर आया था। इस विष के घातक प्रभाव से पूरी दुनिया नष्ट हो सकती थी। दुनिया को विनाश से बचाने के लिए भगवान शिव ने समुद्र से निकला हुआ विष पी कर अपने कंठ में धारण किया था। इस वजह से उनका कंठ नीला हो गया और तब से भगवान शिव को नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव के इस त्याग के सम्मान में लोग शिवरात्रि का त्योहार मनाते हैं और जीवन को सुरक्षित रखने के लिए धन्यवाद देते हैं।

महाशिवरात्रि के दिन क्या जरूर करना चाहिए

महाशिवरात्रि के इस पर्व को लोग अलग-अलग तरीकों से मनाते हैं। इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए कुछ लोग निम्नलिखित कार्य करते हैं, आइए जानें;

  • हिन्दू धर्म में व्रत का एक महत्वपूर्ण स्थान है इसलिए इस दिन लोग व्रत रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि व्रत रखने से सिर्फ ध्यान व दैविक शक्ति का ही अनुभव नहीं होता है बल्कि इससे शरीर व मन को शांति भी मिलती है।
  • इस दिन लोग शिवलिंग या भगवान शिव के दिव्य चिन्ह की पूजा करते हैं।
  • शिवरात्रि के दिन लोग मंदिर जाते हैं, पूजा करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं।
  • इस दिन ग्रहों की स्थिति को भी शुभ माना जाता है क्योंकि शिवरात्रि के दिन ग्रहों का स्थान इस प्रकार से होता है जिससे शरीर को एनर्जी मिलती है। बहुत सारे लोग इस एलाइनमेंट के ज्यादा से ज्यादा फायदे पाने के लिए इस दिन मेडिटेशन भी करते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन में मेडिटेशन करने का भी एक अलग ही महत्व है क्योंकि यह भगवान शिव की पूजा करने का एक आदर्श तरीका है।

घर में महाशिवरात्रि की पूजा कैसे करें

आप घर में या मंदिर में भी यह पूजा कर सकते हैं। हालांकि यदि आप यह पूजा घर में करना चाहते हैं और इसे करने का एक सही तरीका व सही मंत्र खोज रहे हैं या यदि आप घर में महाशिवरात्रि मनाने का तरीका खोज रहे हैं तो आपको यह करना चाहिए, आइए जानें;

महाशिवरात्रि पूजा विधि

पूजा में हम अपने भगवान के सम्मान में विभिन्न सामग्रियां अर्पित करते हैं और प्रार्थनाएं करते हैं। इस दिन आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। कुछ भक्त काले तिल को पानी में उबालकर उस पानी से नहाते हैं। फिर स्वच्छ कपड़े पहनते हैं, कुछ लोग तो इस इन के लिए खास नए कपड़े भी खरीदते हैं। फिर पूरे दिन व्रत रखा जाता है और भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन देश के हर जगह के लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं और विभिन्न तरीकों से प्रार्थनाएं भी की जाती हैं। हालांकि प्रार्थना से अधिक यह भक्ति का एक भाव और पवित्रता का महत्व है। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने के कुछ तरीके यहाँ बताए गए हैं, आइए जानें;

  • शिवरात्रि के दिन शिवलिंग को पानी, दही, दूध और शहद से स्नान कराया जाता है। कुछ लोग दिन के चारों पहर इस प्रक्रिया को दोहराते हैं।
  • इसके बाद शिवलिंग को चंदन का तिलक लगाकर अभिषेक किया जाता है और इसके लिए रोड़ी का भी उपयोग कर सकते हैं।
  • साथ ही भगवान शिव को बहुत सारे फल चढ़ाए जाते हैं जिसे पवित्र माना जाता है या कम से कम 5 फल। फल इसलिए चढ़ाए जाते हैं क्योंकि यह कामनाओं की पूर्ती को दर्शाता है।
  • फलों के अलावा परंपराओं व संस्कृति के अनुसार कई लोग भगवान शिव को बेल पत्र, धतूरा, भांग चढ़ाना भी जरूरी मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि बेल पत्र व धतूरा चढ़ाने से संतुष्टि व आनंद का अनुभव होता है।
  • पूजा करते समय धूप व अगरबत्ती लगाई जाती है और इसे समृद्धि व प्रसिद्धि का प्रतीक माना जाता है।
  • भगवान शिव के सम्मान में लोग घी के दीए भी जलाते हैं। घी का दीया ज्ञान और खुशियों का प्रतीक है।

ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव भोले हैं और वे सिर्फ प्यार व भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसी कारण से उन्हें भोलेनाथ के नाम से भी पुकारा जाता है। यदि आपका मन पवित्र है और इरादे नेक हैं तो भगवान शिव आपकी प्रार्थना को जरूर सुनेंगे।

भगवान शिव जी के मंत्र

महाशिवरात्रि में आप शिव मंत्र जाप के महत्व को जानना न भूलें। ये मंत्र सिर्फ भक्ति की भावना को ही उजागर नहीं करते हैं बल्कि सकारात्मकता बढ़ाते हैं और बुरी भावनाओं व नकारात्मकता को दूर करते हैं। ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप सबसे ज्यादा होता है और यह ऊर्जा शक्ति को बढ़ाने में भी मदद करता है। ‘ॐ’ पूरे ब्रह्माण्ड के स्वर को उजागर करता है जो प्रेम व शांति को दर्शाता है। इस मंत्र में मौजूद अन्य शब्दांश पांच तत्वों को उजागर करते हैं। इसलिए इस मंत्र का जाप करते समय ब्रह्माण्ड की शांति व शक्ति शरीर में समाहित होती है। महाशिवरात्रि के दिन लोग 108 बार भगवान शिव का नाम जपते हैं, शिव चालीसा पढ़ते हैं और शिव जी की आरती भी करते हैं। इस उत्सव पर लोग दिन व रात में भी प्रार्थना करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं। इस अक्सर निम्नलिखित मंत्रों का जाप किया जाता है, आइए जानें;

शिव वंदना 

ॐ वन्दे देव उमापतिं सुरगुरुं, वन्दे जगत्कारणम् l
वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं, वन्दे पशूनां पतिम् ll
वन्दे सूर्य शशांक वह्नि नयनं, वन्दे मुकुन्दप्रियम् l
वन्दे भक्त जनाश्रयं च वरदं, वन्दे शिवंशंकरम् ll

शिव मूल मंत्र 

ॐ नमः शिवाय
महा मृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

महाशिवरात्रि व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए?

कुछ लोग इस पावन दिन में निर्जला व्रत रखते हैं और कुछ लोग फल और मीठा खाकर रहने हैं। यदि आप भी व्रत रखना चाहते हैं तो इस दिन आपको वही खाना चाहिए जो व्रत के दौरान खाया जाता है। इसमें फल, दूध, ड्राईफ्रूट्स आदि भी शामिल हैं। कुछ लोग व्रत में साबूदाना खीर , कुट्टू के आटे या सिंघाड़ा के आटे का हलवा और रामदाना की मिठाई बनाकर भी खाते हैं। अन्न या रोजाना आप जो भी खाते हैं वह आपको अगले दिन व्रत समाप्त होने के बाद ही खाना चाहिए।

भारतीय त्योहारों का महत्व व अर्थ समझाने के लिए कई कहानियां हैं। हालांकि इन सब कहानियों में सिर्फ भगवान शिव की महत्ता और उनके दिव्य रूप का ही वर्णन किया जाता है।

हम कई त्योहार, जैसे महाशिवरात्रि हम अपने विश्वास और भक्ति भाव के आधार पर मनाते हैं और साथ ही आध्यात्म से जुड़ने का प्रयास करते हैं। आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।

यह भी पढ़ें:

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सुरक्षा कटियार

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