महाभारत की कहानी: परोपकारी राजा शिवि l The Story Of Selfless King Shibi In Hindi

पुरूवंशी शिवि उशीनर राज्य के राजा थे। वे अत्यंत परोपकारी और दयालु थे। उनके यहां से कोई भी याचक कभी खाली हाथ नहीं लौटता था। उनकी ख्याति सुनकर देवराज इंद्र और अग्नि देव ने उनकी परीक्षा लेने के लिए एक बाज और कबूतर का रूप लिया। बाज अपने शिकार कबूतर को मारना चाहता था लेकिन कबूतर ने शिवि से अपने प्राणों की रक्षा करने को कहा। तब राजा शिवि ने बाज को कबूतर के बदले अपने शरीर का मांस अर्पित कर दिया।

कहानी के पात्र (Characters Of The Story)

इस प्रसिद्ध कथा के मुख्य पात्र इस प्रकार हैं –

  • राजा शिवि
  • कबूतर (अग्निदेव)
  • बाज (इंद्रदेव)

महाभारत की कहानी: परोपकारी राजा शिवि (Mahabharat – Selfless King Shibi Story In Hindi)

प्राचीन काल की बात है, उशीनगर देश में एक परोपकारी राजा थे जिनका नाम था शिवि। राजा शिवि अपनी न्यायप्रियता और वचन पालन के लिए जाने जाते थे। साथ ही वह बड़े ही दयालु और धर्मात्मा प्रवृत्ति के राजा थे। उनके दरबार से कोई याचक खाली हाथ लौट जाए ऐसा कभी संभव नहीं था। वह अपनी शरण में आए प्रत्येक प्राणी की हर संभव प्रयास कर इच्छा पूरी करते थे। इसी कारण उनकी प्रजा उनसे सदा संतुष्ट व प्रसन्न रहती थी।

धीरे-धीरे उनके परोपकार की ख्याति पृथ्वी लोक से आगे स्वर्ग लोक तक पहुंच गई। तब तब स्वर्ग लोक के राजा देवराज इंद्र ने शिवि की परीक्षा लेने की सोची। इसके लिए उन्होंने अपने साथ अग्नि देव को भी शामिल कर लिया। फिर इंद्रदेव ने एक बाज और अग्निदेव ने एक कबूतर का रूप धारण किया और पृथ्वी लोक पर उतरे। स्वांग करते कबूतर के रूप में अग्निदेव ने राजा शिवि के दरबार में प्रवेश किया और ऐसा दिखाया कि कबूतर अपनी जान बचाते हुए वहां आया है। राजा शिवि उस समय अपने दरबार में मंत्रियों के साथ बैठे हुए थे। कबूतर का पीछा करते हुए बाज भी शिवि के दरबार में जा पहुंचा। बाज को देखकर कबूतर शिवि की गोद में छिपने लगा और घबराकर मनुष्य की भाषा में बोला –

“महाराज! इस बाज से मेरे प्राणों की रक्षा करिए। मैं आपकी शरण में आया हूँ।”

राजा शिवि ने कबूतर के पंखों को सहलाते हुए उसे आश्वासन दिया कि वह उसकी रक्षा करेंगे।

तभी बाज ने इसका विरोध करते हुए कहा –

“नहीं राजन! यह मेरा आहार है और इसे खाकर मैं अपनी भूख मिटाऊंगा। इसलिए आप इसे अभयदान न दें और मुझे सौप दें।”

इस पर महाराज शिवि ने बाज से कहा –

“इस कबूतर के प्राणों की रक्षा करना अब मेरा धर्म है क्योंकि यह मेरी शरण में आ चुका है। मैं तुम्हें इसे नहीं सकता। चाहो तो इसके बदले अपनी भूख मिटाने के तुम लिए मेरे तन से मांस ले लो। मैं तुम्हें इस कबूतर के वजन जितना ही मांस दे देता हूँ।”

ऐसा कहकर शिवि ने दरबार में एक बड़ा सा तराजू मंगवाया। उसके एक पलड़े में कबूतर को रखा और दूसरे पलड़े में उन्होंने कटार से अपनी जांघ का कुछ मांस काटकर रख दिया। हालांकि पर्याप्त मांस रखने पर भी पलड़ा हिला ही नहीं। फिर राजा ने थोड़ा और मांस काटकर रख दिया लेकिन अब भी पलड़ा वहीं का वहीं रहा। राजा शिवि को घोर आश्चर्य हुआ लेकिन वह कबूतर की जान बचाने के लिए प्रतिबद्ध थे। अब उन्होंने अपनी दूसरी जांघ का मांस काटना शुरू किया। इसके बाद भी पलड़े में कोई अंतर नहीं दिखा। शिवि ने थोड़ा-थोड़ा करके अपने दोनों पैरों और एक भुजा का मांस काटकर पलड़े में रख दिया परन्तु इसके बावजूद कबूतर वाला पलड़ा जरा सा भी ऊपर नहीं उठा।

अब राजा शिवि को बहुत निराशा हुई। वह समझ गए कि यह कोई साधारण पक्षी नहीं है। उन्होंने सोचा लिया कि अब कुछ भी हो जाए इसक कबूतर के प्राण बचाने हैं। इसलिए रक्त से लथपथ शिवि स्वयं ही पलड़े में जाकर बैठ गए और इसके साथ ही पलड़ा भारी होकर भूमि को छू गया। कबूतर का पलड़ा अब ऊपर उठ चुका था। यह देखकर राजा ने बाज से कहा –

“मेरे शरीर का पूरा मांस अब तुम्हारा भोजन है। इसे ग्रहण कर लो।”

राजा शिवि के ऐसा कहते ही बाज बने इंद्रदेव और कबूतर बने अग्निदेव अपने वास्तविक स्वरूप में आ गए। दोनों देवों ने राजा शिवि की भरपूर प्रशंसा की और उन्हें बताया कि कैसे यह उनकी परीक्षा थी जिसमें वह खरे उतरे। दोनों देवों ने राजा को पहले की तरह स्वस्थ कर दिया और उन्हें आशीर्वाद दिया कि अपनी शरण में आए कबूतर के प्राणों की रक्षा करने के लिए शिवि का नाम सदा अमर रहेगा।

महाभारत की कहानी: परोपकारी राजा शिवि कहानी से सीख (Moral of Selfless King Shibi Hindi Story)

परोपकारी राजा शिवि की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों के लिए भलाई और त्याग की भावना रखने वाले को जीवन में हमेशा सम्मान मिलता है।

महाभारत की कहानी: परोपकारी राजा शिवि का कहानी प्रकार (Story Type of Selfless King Shibi Hindi Story)

परोपकारी राजा शिवि की कहानी महाभारत की कहानियों में आती है। कौरवों और पांडवों की तरह शिवि भी पुरुवंशी थे। इसके अलावा इनकी कहानी का उल्लेख जातक कथाओं में भी है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. राजा शिवि ने किसकी जान बचने के लिए अपना मांस दिया था?

राजा शिवि ने कबूतर की जान बचने के लिए अपना मांस दिया था।

2. राजा शिवि की परीक्षा किसने ली थी?

राजा शिवि की परीक्षा देवराज इंद्र और अग्नि देव ने ली थी।

निष्कर्ष (Conclusion)

हमारी संस्कृति में ऐसी कई कथाएं हैं जो बच्चों को नैतिकता के पाठ देती हैं। सदाचार, त्याग, आज्ञा पालन, जैसे सद्गुणों पर आधारित कहानियां बच्चों को सुनाने या पढ़ाने से उनमें अच्छी आदतें विकसित होने में मदद मिलती है। राजा शिवि की कथा भी ऐसी ही है। यह कहानी पढ़कर आपके बच्चा समझ सकेगा कि मनुष्यों के साथ ही जानवरों के प्रति भी सहानुभूति और दया की भावना रखना कितना महत्वपूर्ण होता है।

यह भी पढ़ें:

महाभारत की कहानी: एकलव्य की कथा (The Story Of Eklavya Guru Dakshina In Hindi)
महाभारत की कहानी: द्रौपदी का चीर हरण (The Story Of Draupadi Cheer Haran In Hindi)
महाभारत की कहानी: भीम और हिडिंबा का विवाह (The Story Of Bhim Hidimba Marriage In Hindi)

श्रेयसी चाफेकर

Recent Posts

लड़कों के लिए हनुमान जी के 120 नाम

हिंदू धर्म में, बच्चे का नामकरण करते समय माता-पिता कई बातों को ध्यान में रखते…

1 day ago

लड़कों के लिए भगवान विष्णु से प्रेरित 160 नाम

जब आप माता-पिता बनने वाले होते हैं, तो सबसे रोचक कामों में से एक होता…

2 days ago

बच्चों के लिए टीचर्स डे पर 40 बेस्ट कोट्स और मैसेजेस

एक स्टूडेंट या छात्र के जीवन में टीचर्स की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वे…

3 days ago

पिता की याद में दिल छूने वाली कविताएं, मैसेज और कोट्स l Poems, Messages And Quotes In Memory Of Father In Hindi

हमारे जीवन में पिता की जगह बेहद खास होती है। वे न सिर्फ हमारे मार्गदर्शक…

3 days ago

सास के लिए जन्मदिन की शुभकामनाएं और कोट्स l Birthday Wishes And Quotes For Mother In Law In Hindi

कुछ संबंध नोक झोंक वाले होते हैं जिन पर बरसों से कहावत चली आ रही…

3 days ago

शिक्षक दिवस 2025 पर कविता

गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम: जिसका…

4 days ago