बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

महाशिवरात्रि पर बच्चों के लिए शिव जी की 5 शार्ट स्टोरी

हिन्दू धर्म को मानने वाले भगवान शिव में बेहद आस्था रखते हैं और उनका स्थान सभी देवी देवताओं में सबसे उच्च माना जाता है, इसलिए उन्हें ‘देवों के देव महादेव’ भी कहा जाता है। भगवान शिव को बहुत सारे नामों से बुलाया जाता है, जिसमें से एक भोलेनाथ भी है और भोलेनाथ उन्हें इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उन्हें प्रसन्न करना बेहद आसान है, बस भक्त के मन में श्रद्धा और प्रेम होनी चाहिए और जब वे किसी से प्रसन्न हो जाते हैं तो उसका मनचाहा वरदान प्रदान करने में जरा भी विलंभ नहीं करते हैं। ठीक वैसे ही जब बच्चा किसी से खुश हो जाता है तो बिना किसी कपट भाव के अपना सब कुछ देने के लिए तैयार हो जाता है। यही कारण है कि उन्हें भोले बाबा कहा जाता है। 

हम सब ने भगवान शंकर से जुड़ी कई सारी कहानियां सुनी होंगी, उन्हें खुश करने के लिए अनुष्ठानों का पालन किया होगा, व्रत और पूजा पाठ किए होंगे। उनसे जुड़े कई त्यौहार भी मनाएं जाते हैं, जैसे सावन, महाशिवरात्रि। इतना ही नहीं कुंवारी लड़कियां मन चाहे पति की इच्छा पूरी करने के लिए सोलाह सोमवार का व्रत भी करती हैं। इन सब के बीच जब आपके बच्चे आपको इन अनुष्ठानों का पालन करते हुए देखते हैं तो उनके मन में ढ़ेरों सवाल उठने लगते हैं, फिर वो सारा दिन आपके पीछे-पीछे लगे रहते हैं। बच्चों के इस व्यवहार से अक्सर हम देखते हैं कि माता-पिता झुंझला जाते हैं, लेकिन इसमें बच्चों की कोई गलती नहीं वे हर चीज के प्रति बहुत जिज्ञासु होते हैं, उन्हें सब कुछ जानना है कि आप क्या कर रही हैं क्यों कर रही हैं? तो क्यों ना आप पहले ही उन्हें चीजों के बारे में बता दें ताकि जब वो इसे देखे तो आपकी बताई हुई बातों से खुद को जोड़ सकें। क्या हुआ! आप सोच रही हैं बच्चे भला यह सब कैसे समझेंगे? लेकिन ऐसा नहीं है बच्चे सब समझते हैं बशर्ते आप उन्हें कैसे समझा रही हैं। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि बच्चे आपको ही देखकर चीजों का महत्व समझते हैं, इसलिए उनके मन में एक अच्छी छवि बनाएं। 

आप अपने बच्चे को पहले से ही त्यौहार का महत्व समझा दें, उन्हें बताएं कि किस कारण से पर्व मनाएं जा रहे हैं। फिर वो कोई सा भी त्यौहार हो। लेकिन सवाल यह उठता है कि आप ये सभी चीजें उन्हें किस प्रकार से समझाएंगी? तो हम आपकी इस समस्या का भी समाधान कर देते हैं। बच्चों को सुपर हीरो की कहानियां सुनना बहुत पसंद होता है, उन्हें बताएं हमारे पास भी ऐसे ही एक सूपरहीरो हैं, जिन्हें हम लोग भगवान शिव के नाम से जानते हैं, लेकिन जैसे दूसरे सूपरहीरो को लोग अलग-अलग नाम से बुलाते हैं वैसे ही भगवान शिव को, देवों के देव महादेव, शंकर, नीलकंठ, गंगेश्वर, नागेश्वर आदि के नामों से बुलाया जाता है।

कहानी के रूप में उन्हें भगवान शिव से जुड़ी अलग-अलग कथाओं के बारे में जानकारी दें। यहाँ हम आपको शंकर भगवान से जुड़ी उन पाँच कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो शायद आपका बच्चा आपसे सवाल कर सकता है।

बच्चों के लिए भगवान शिव की 5 कहानियां

यहाँ हम आपको बच्चों के लिए भोलेबाबा से जुड़ी कुछ ऐसी कहानियां बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपके बच्चे को पता होना चाहिए: 

1. भगवान शिव की जटाओं से गंगा क्यों बहती है

शंकर भगवान से जुड़ी हर चीज के कोई न कोई मायने जरूर होते हैं, ठीक इसी प्रकार उनकी जटाओं से बहने वाली गंगा के पीछे भी एक कथा है। बच्चों आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गंगा नदी पहले पृथ्वी पर नहीं थी, वह स्वर्ग लोक में बहती थी। ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से गंगा मैया को पृथ्वी पर आना पड़ा? हम आपको बताते हैं कि आखिर इसके पीछे की कहानी क्या है। तो गंगा माँ को शास्त्रों में देवी कहा गया है। भागीरथ नाम के एक प्रतापी राजा थे और वो चाहते थे कि उनके पूर्वजों को जीवन-मरण के दोष से मुक्त कर दें और इसके लिए माँ गंगा पर धरती को आना होगा। उन्होंने अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए माँ गंगा की तपस्या की और वो उनकी तपस्या से प्रसन्न भी हो गई थी लेकिन उन्होंने बताया कि यदि वो स्वर्ग से पृथ्वी पर आएंगी, तो पृथ्वी उनके प्रवाह को बर्दाश्त नहीं कर पाएगी। यह बात सुनकर भागीरथ विचार में पड़ गए कि माँ गंगा को धरती पर लाना कैसे संभव होगा? 

फिर उन्होंने भागीरथ शिव की तपस्या की और उन्हें प्रसन्न भी कर लिया। भगवान शिव ने उनसे वरदान मांगने को कहा तो भागीरथ ने भगवान से माँ गंगा के पृथ्वी पर आने की इच्छा जताई और अपने मन की सारी बात उनके सामने व्यक्त की, फिर क्या था सबके दुखों को दूर करने वाले शंकर भगवान भागीरथ की इच्छा को कैसे न पूरा करते। जैसे ही माँ गंगा पृथ्वी पर आने लगी प्रभु ने उन्हें अपनी जटाओं में धर लिया और फिर उनकी जटाओं से गंगा मैया सात धाराओं में प्रवाहित हो गई।

बच्चों अब आप जान गए होंगे कि भगवान की जटाओं से धारा क्यों बहती है। 

2. क्यों रहता है शिव जी के सिर पर विराजमान आधा चाँद

तो हुआ कुछ ऐसा कि चंद्र जो खुद बेहद खूबसूरत थे उनका विवाह दक्ष प्रजापति की 27 नक्षत्र कन्याओं के साथ हुआ। चंद्र का स्नेह रोहिणी के प्रति ज्यादा था। इस बात प्रजापति के अन्य कन्याओं से सहन नहीं होती थी, वे सभी अपना दुख अपने पिता को बताने लगी। क्रोधी स्वभाव के प्रजापति ये सुनकर गुस्से में आ गए और उन्होंने चंद्र को यह श्राप दे दिया कि वो क्षय रोग से ग्रस्त हो जाएं। इस प्रकार चंद्र क्षय रोग से ग्रसित होने लगे, चंद्र का यह हाल देखकर नारद जी उन्हें भगवान शिव की आराधना करने के लिए कहा, उनकी आराधना को देखकर  शिव जी ने उन्हें दोबारा जीवन प्रदान करते हुए उन्हें अपने मस्तक पर विराजमान कर लिया। इस प्रकार चंद्र धीरे-धीरे ठीक होने लगे और पूर्णमासी के दिन पूर्ण चंद्र में प्रकट हुए। ऐसे ही भगवान शिव अपने उपासक को कभी खाली हाथ नहीं जाने देते।

बच्चों इसलिए कहते हैं कि जब हम सच्चे दिल से प्रभु से कुछ मांगते हैं तो वो हमारी प्रार्थना को सुनकर मृत्यु तक को टाल सकते हैं।

3. शिव जी की तीसरी ऑंख क्यों है

महादेव के चमत्कारों और दया के किस्से अपने बहुत सुने होंगे। आइए अब जानते हैं आखिर उनकी तीसरी आँख का क्या मतलब है? शंकर भगवान की तीसरी ऑंख का जिक्र पुराणों में भी किया गया है। भगवान शिव के मस्तक पर मौजूद तीसरी आँख से वो सारे संसार की खबर रख सकते हैं, जो एक समान्य इंसान नहीं देख सकता हैं। तीन ऑंखें होने के करण उन्हें त्रिनेत्रधारी भी कहा जाता है। शंकर भगवान की तीसरी आँख का खुलना प्रलय का भी संकेत है। माना जाता है जब धरती पर पाप और अन्याय हद से ज्यादा बढ़ जाएगा तो भगवान की तीसरी आँख से निकलने वाली ये क्रोध अग्नि सभी पापियों का नाश करेगी। शिव जी की प्रत्येक ऑंख अपने अपने गुणों से जानी जाती है, जैसे दांए आँख सत्वगुण, बांए आँख रजोगुण और तीसरी आँख में तमोगुण का वास है। तीसरी आँख उनके विवेक का भी प्रतीक है, क्योंकि वे अपनी तीसरी ऑंख से समस्त ब्रमांड पर नजर रख सकते हैं, इसलिए इनसे कुछ भी छिपा नहीं है। वेदों के अनुसार, यह आँख उस जगह पर मौजूद है जहाँ इंसानी शरीर में च्आज्ञा चक्रज नाम का एक चक्र स्थित है। इस आज्ञा चक्र का मतलब है, शरीर में पॉजिटिव एनर्जी प्राप्त होना। कहा जाता है कि जो इंसान इस ऊर्जा शक्ति को प्राप्त कर लेता है, वो काफी शक्तिशाली बन जाता है और उसे तेज प्राप्त हो जाता है।  

क्यों बच्चों आप भी शिव जी के तीसरी आँख के बारे जानकर चकित रह गए न!

4. क्यों कहते हैं भगवान शिव को नीलकंठ बाबा

बच्चों आपने देखा होगा शिव की मूर्ति और तस्वीर में उनके शरीर का रंग नीला होता है, लेकिन ऐसा क्यों है? आइए हम बताते हैं कि शिव जी के इस नीले शरीर के पीछे क्या कहानी है। लोगों के दुख दूर करने वाले शंकर भगवान ने कई बार धरती का विनाश होने से बचाया है।  जैसे कि आपको पहले भी बताया गया है कि भगवान शिव के कई हैं जिसमें से उन्हें नीलकंठ के नाम से भी पुकारा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, देवता और राक्षस अमृत की खोज में निकल पड़े, और इसके लिए उन्हें  समुद्र मंथन करना था। यह मंथन हुआ क्षीरसागर में जिसे दूध का सागर कहा जाता था। इसमें से 14 रत्न निकले साथ विष भी निकला! ये विष इतना खतरनाक था कि इससे समस्त संसार खत्म हो जाता। यह जानकर देवता और राक्षस महादेव के पास पहुँचे और इसका हल निकालते हुए भगवान विष का यह पूरा घड़ा पी गए, मगर उन्होंने यह विष निगला नहीं और इसे उन्होंने अपने कंठ में ही रखा, जिसके बाद उनका कंठ नीला पड़ गया, यही करण है कि लोग उन्हें नीलकंठ बाबा के नाम से पुकारते हैं।

इस कथा को सुनने के बाद बच्चों अब आपको हमेशा यह याद रहेगा ही हम भोलेबाबा को नीलकंठ बाबा क्यों पुकारते हैं।

5. आखिर क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि का त्योहार

वैसे तो शिवरात्रि से संबंधित कई मान्यताएं हैं मगर उनमें से एक भगवान शिव और माँ पार्वती के संगम से जुड़ी हुई है। प्यारे बच्चों क्या आप जानते हैं कि शिवरात्रि के रूप में मनाएं वाले शिव पार्वती के विवाह इस जश्न के पीछे की पूरी कहानी क्या हैं? 

अगर नहीं पता तो हम आपको बताते हैं! पर्वत राजा हिमवंत का राज कैलाश पर्वत के बहुत करीब था और पर्वत राजा का विवाह स्वर्ग की एक अप्सरा के साथ हुआ जिनका नाम था मेनका इन दोनों की पुत्री थी देवी पार्वती। इनका नाम पार्वती इसलिए रखा गया क्योंकि वो पर्वत राजा की पुत्री थी और वो हर चीज में बहुत कुशल थी। माता पार्वती बचपन से ही भगवान शिव से ही शादी करने की इच्छुक थी, पिता हिमवंत की लाख कोशिशों के बावजूद भी उन्होंने अपना फैसला नहीं बदला, आखिरकार हिमवंत पार्वती को भगवान शिव के पास ले गए और उन्हें कहा कि अब से पार्वती आपकी सेवा करेगी। उस दिन से पार्वती उनकी सेवा करने लगी और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करने लगी। भगवान ब्रह्मा इसके बारे में सब जानते थे, इसलिए उन्होंने शिव के दिल में पार्वती के लिए प्रेम जगाने की खातिर उन्होंने प्रेम के भगवान को शिव जी के पास कैलाश भेजा, वहाँ वो देखते हैं कि शिव जी ध्यान मग्न हैं। प्रेम के भगवान को अपना दिया हुआ कार्य भी पूरा करना था, इसलिए जिस समय पार्वती शिव जी पूजा कर रही थी उन्होंने उन पर प्रेम का बाण चला दिया, गुस्सा में शिव जी ने अपनी तीसरी आँख खोल दी और आग से प्रेम देवता भस्म हो गए। पार्वती अब समझ चुकी थी कि शिव जी को पाने का एकमात्र तरीका भक्ति ही है। उन्होंने तय कर लिया कि कठिन तपस्या करके वो शिव जी को खुश करके रहेंगी। एक दिन उस रास्ते से एक ऋषि गुजर रहे थे, उन्होंने पार्वती से सवाल किया कि हे सुंदर कन्या तुम इतनी घोर तपस्या किसे पाने के लिए कर रही हो, वो तुम्हारे लायक नहीं है। उस पर विश्वास मत करो कन्या और लौट जाओ! शिव के बारे में यह सब सुनकर पार्वती माँ क्रोध में आ जाती हैं, और कहती हैं कि उन्हें उनकी तपस्या करने दें। यह सुना ही था कि शिव जी एक ऋषि से अपने असली रूप में आ जाते हैं और पार्वती माँ अपनी परीक्षा में सफल हो जाती हैं। इस प्रकार भगवान शिव माता पार्वती से विवाह करने के लिए तैयार हो जाते हैं। दोनों का विवाह बहुत धूमधाम के साथ होता है। फिर सभी देवता शिव जी से आग्रह करते हैं कि वो प्रेम के देवता को दोबारा जीवन प्रदान करें। वो ब्रह्मा जी द्वारा दिए गए कार्य को पूरा कर रहे थे, इस तरह प्रेम के देवता को जीवनदान मिल जाता है।

तो देखा बच्चों आपने, कैसे माता पार्वती की कठिन तपस्या के बाद उनका और भगवान शिव का विवाह संभव हुआ।

यही थी शंकर भगवान से जुड़ी कुछ कहानियां, आप ऐसे ही बच्चों को कहानी के रूप से यह कथाएं सुना सकती हैं। ऐसे ही भगवान शिव को महादेव की उपाधि नहीं मिली है। उन्होंने बहुत बार पृथ्वी को विनाश से बचाया है। इस प्रकार आप भगवान शिव के गले में लिपटे सर्प, उनके डमरू कर, रुद्राक्ष, त्रिशूल और कैलाश पर्वत आदि से जुड़ी बातें कहानी के अंदाज में बताएं। 

यह भी पढ़ें:

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समर नक़वी

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