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आजकल, अधिकांश महिलाओं को तनाव के कारण गर्भधारण करने में मुश्किल हो रही है क्योंकि वह शारीरिक स्वास्थ्य के साथ–साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 15 प्रतिशत दंपतियों को प्रजनन संबंधी समस्याओं पर मदद की ज़रूरत होती है। ऐसे दंपतियों के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं, उनमें से प्रजनन–शक्तिवर्धक योग भी तेज़ी से लोकप्रियता हासिल कर रहा है।
योग, एक 5000 साल पुरानी भारतीय साधना है जो आपके मन, शरीर और आत्मा में परिवर्तनवादी बदलाव ला सकती है।
प्रजनन–शक्तिवर्धक योग कोई भिन्न प्रकार का योग नहीं है जो गर्भावस्था की स्थिति को बढ़ा सकता है बल्कि यह कुछ विशेष आसन और मुद्राओं का एक संग्रह है जो तनाव के स्तर को कम करने और विषाक्त पदार्थों को शरीर से साफ करने में मदद करता है।
गर्भवती होने की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए ऐसे योगासनों की मुद्राएं उपयुक्त हैं, क्योंकि यह आसन, शरीर को मज़बूत बनाने और गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने में मदद करते हैं।
हार्वर्ड के एक अध्ययन ने यह साबित किया है कि जिन महिलाओं ने प्रजनन क्षमता विशेष योग का कोर्स पूर्ण किया है, उन महिलाओं में गर्भधारण करने की क्षमता उनसे ज़्यादा थी जो योग नहीं करती थीं।
आयु
महिलाओं में प्रजनन क्षमता उम्र के साथ धीरे–धीरे कम होने लगती है, खासकर अगर उनकी उम्र 30 से ज्यादा हो। ऐसा मुख्य रूप से इसलिए होता है क्योंकि एक महिला अपने जन्म के साथ ही, पूरे जीवनकाल के दौरान सभी डिंबों को उत्पन्न करती है और जैसे–जैसे महिला की उम्र बढ़ती है इन डिंबों की संख्या और गुणवत्ता कम होती जाती है।
तंबाकू
धूम्रपान, महिलाओं में प्रजनन क्षमता को प्रभावित करके गर्भाधारण की संभावना को कम कर सकता है। सिगरेट में अत्यधिक विषाक्त होते हैं जो प्रजनन प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
शराब
हालांकि, प्रजनन क्षमता पर शराब के प्रभाव के बारे में कोई सिद्ध जानकारी नहीं है, विश्व स्तर पर किए गए विभिन्न अध्ययनों से संकेत मिलता है कि शराब के नियमित सेवन से बांझपन का खतरा बढ़ जाता है।
भोजन–संबंधी विकार
गलत तरीके के खाने और निष्क्रिय जीवन शैली वाली महिलाओं में बांझपन का खतरा होता है। भोजन–संबंधी विकार महिलाओं में नियमित माहवारी को बाधित कर सकते हैं, जिसे चिकित्सकीय रूप में एमेनोरिया कहते हैं। इसके फल–स्वरूप प्रजनन क्षमता कम हो जाती है।
डिंबवाही नली या गर्भाशय को नुकसान
डिंबवाही नली आदि आवश्यक प्रजनन अंग, पुराने संक्रमण, अवरोध या किसी दीर्घ बीमारी आदि के कारण क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इसके कारण शुक्राणु को डिंब तक पहुँचने से या निषेचित डिंब के गर्भाशय में पहुँचने से रोकता है, जिससे बांझपन होता है।
तनाव
ज़्यादा काम, पारिवारिक कारण या तनाव के अन्य कारण शरीर पर प्रभाव डालते हैं और गर्भवती होने की संभावना को कम कर सकते हैं। गर्भधारण करने में असमर्थता, तनाव को और भी बढ़ा कर एक दुष्चक्र बना देती है जिससे बाहर निकलना अति–आवश्यक है।
प्रजनन शक्तिवर्धक योग आपको ऊपर बताए गए कुछ कारकों को दूर करने में मदद करता है। बांझपन की समस्याओं के लिए योग को आज़माकर, आप अपने स्वास्थ्य स्तर और गर्भवती होने की संभावनाओं को बढ़ा सकती हैं।
एक स्वस्थ शरीर और एक शांत दिमाग आपके गर्भवती होने की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए आवश्यक है। योग मुद्राएं, प्रजनन क्षमता को बढ़ाने का एक बेहतरीन तरीका है क्योंकि यह आपके शरीर को समग्रता से मज़बूत और सुचारु रखने में मदद करती हैं। यह स्वास्थ्य के दोनों पहलू, शारीरिक और मानसिक स्तर का मेल करती हैं और कुछ योग मुद्राएं एक ही बार में दोनों को बढ़ावा दे सकती हैं।
इन मुद्राओं का नियमित रूप से अभ्यास करने से प्रजनन क्षमता को बढ़ावा मिलता है।
यदि आप एक परिवार शुरू करना चाहते हैं तो योग को अपनाना काफी अच्छा रहेगा। महिलाओं में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए योग का अभ्यास करने के कुछ सबसे प्रमुख फायदे, इस प्रकार हैं:
योग से तनाव कम होता है
योग में सांस के व्यायाम से कॉर्टिसॉल नामक हॉर्मोन जो तनाव को कम करता है जिस कारण शरीर में गर्भधारण करने की क्षमता और स्वस्थ शिशु होने की संभावना बढ़ जाती है। तनाव कम होने से रात की नींद अच्छी होती है और शरीर विष–मुक्त भी होता है ।
योग से रक्त प्रवाह बढ़ता है
योग एक स्वस्थ प्रजननीय जीवन के लिए हानिकारक दीर्घकालिक बीमारियों और अन्य बाधाओं को खत्म करता है। प्रजनन शक्ति–वर्धक योग का अभ्यास आपके रक्त से सभी विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर रक्त प्रवाह में सुधार करता है।
गर्भाधान और गर्भावस्था के लिए रक्त की गुणवत्ता अति महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे भ्रूण का विकास होता है।
योग हॉर्मोनल असंतुलन को नियंत्रित रखने में मदद करता है
हॉर्मोनल असंतुलन के कारण शिशु पैदा न कर पाना काफी तनावपूर्ण हो जाता है और यह न केवल आपके शारीरिक, बल्कि भावनात्मक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। योग उन हॉर्मोन को नियंत्रित करता है जिनके कारण असंतुलन उत्पन्न होता है और दिमाग को शांत रखता है ।
गर्भ धारण के लिए योग करना सबसे अच्छा तरीका है क्योंकि वह किसी भी प्रकार के अनावश्यक हॉर्मोनल परिवर्तन को दूर रखता है जिससे गर्भावस्था में बाधा आ सकती हैं।
योग करने से अंडाशय स्वस्थ रहता है
डिंबग्रंथि के रोग, महिलाओं में बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है। चिकित्सीय उपचार के अलावा, प्राकृतिक रूप से अंडाशय संबंधित समस्याओं के इलाज के लिए योग एक सर्वोत्तम तरीका है।
योग करने से शरीर में अत्यधिक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। एक स्वस्थ शरीर पर उन दवाओं का बेहतर असर होता है जो गर्भावस्था प्रवृत्त करने के लिए उपयोग की जाती हैं।
गर्भ धारण करने के लिए इन योग मुद्राओं का अभ्यास करें और बांझपन को दूर करें। अपने शरीर को अभ्यस्त करने के लिए, इन आसनों का नियमित रूप से अभ्यास करें।
भ्रामरी प्राणायाम तनाव और चिंता को कम करने का एक शानदार तरीका है। चूंकि तनाव, बांझपन का एक प्रमुख कारण है इसलिए भ्रामरी प्राणायाम का प्रयास करना अनिवार्य है।
इसे कैसे करें:
पश्चिमोत्तानासन का अर्थ है एक ऐसा आसन जिससे पीठ में खिंचाव आता है। यह आसन आपकी पीठ के निचले हिस्से, कूल्हों और घुटनों के पीछे की बड़ी नस की मांसपेशियों को मज़बूत करता है। यह आसन, महिलाओं में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी है क्योंकि यह मानसिक तनाव को कम करते हुए अंडाशय और पेट जैसे महत्वपूर्ण अंगों को ऊर्जावान करता है।
इसे कैसे करें:
इसका अर्थ है ‘हाथ और पैरों की मुद्रा’, हस्तपादासन आपके शरीर में रक्त प्रवाह में सुधार करते हुए आपकी पीठ और पेट की सभी मांसपेशियों को मज़बूत करता है। यह योग मुद्रा आपके शरीर को लचीला और पेट के भाग को खिंचाव–मुक्त करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
इसे कैसे करें:
यह योग आसन न केवल गर्भधारण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि गर्भावस्था के दौरान भी उपयोगी है। यह बांझपन के इलाज के लिए लोकप्रिय योगासनों में से एक माना जाता है, इसका अर्थ है घुटने और मस्तक का आसन। यह पेट की मांसपेशियों को आराम पहुँचाता है और आपके शरीर की पिंडलियों और घुटनों की बड़ी नस को लचीला बनाता है।
इसे कैसे करें:
बद्धकोणासन को तितली आसन के नाम से भी जाना जाता है। इससे आपकी आंतरिक जांघों, जननांगों, कूल्हे क्षेत्र और घुटनों की मांसपेशियों में लचीलापन उतपन्न है। यह अधिक सहायक प्रजनन शक्तिवर्धक योग अभ्यासों में से एक है और समय आने पर यह सहज और कम दर्दनाक प्रसव में मदद करता है।
इसे कैसे करें:
यह योग मुद्रा आपकी आंतरिक जांघ और कमर की मांसपेशियों को मज़बूत करती है। सुप्त बद्धकोणासन, मासिक धर्म की ऐंठन, सूजन और तनाव से राहत दिलाने में भी सहायक है।
बालासन तनाव को दूर करने और रक्त के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है, जो प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। इस योगासन से आपकी पीठ, घुटनों, कूल्हों और जांघों की मांसपेशियों का खिंचाव होता है। इस आसन को करने से पहले आपका पेट खाली होना चाहिए, इसलिए भोजन के कम से कम चार से छह घंटे बाद ही योगाभ्यास करें।
यह कैसे करें:
‘कपालभाती’ सबसे लोकप्रिय योगासन में से एक है और कई विकृतियों के लिए एक निवारक के रूप में कार्य करता है। यह आप में ताज़गी बनाए रखता है ताकि आपके तनाव का स्तर बहुत कम रहे और आप हमेशा सकारात्मक सोच रखें।
इसे कैसे करें :
सर्वांगासन की मुद्रा को कंधों के सहारे किया जाता है, यह अवटुग्रंथि संबंधित समस्याओं का इलाज करने और तनाव से राहत देने में मदद करता है। यह आसन प्रजनन शक्तिवर्धक योग के अधिक प्रभावी आसनों में से एक है क्योंकि यह सीधे अवटुग्रंथि पर प्रभाव डालता है।
अवटुग्रंथि से संबधित समस्याएं महिलाओं में बांझपन का एक प्रमुख कारण हैं, अवटुग्रंथि–उत्तेजक हॉर्मोन (टी. एस. एच.) की कमी से कई स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती हैं जो आपकी गर्भधारण करने की क्षमता को बाधित करती हैं।
इसे कैसे करें :
इस आसन में शरीर सेतु या पुल कि तरह हो जाता है। यह मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और शारीरिक रक्त प्रवाह में सुधार करता है।
इसे कैसे करें:
भुजंगासन एक कोबरा कि मुद्रा जैसा दिखता है। यह लचीलापन बढ़ाता है, पेट को समरूप करता है, पीठ और कंधों को मजबूत बनाता है व रक्त प्रवाह में सुधार करता है।
इसे कैसे करें:
माना जाता है कि विपरीता–करणी आसन, आपके शरीर पर आयुर्वृद्धि विरोधक प्रभाव डालता है और आपके श्रोणि – क्षेत्र के रक्त प्रवाह में सुधार करता है। संभोग के बाद इस मुद्रा में आराम करने से आपके गर्भाधान की संभावना काफी बढ़ सकती है।
इसे कैसे करें:
इसे अनुलोम–विलोम या नासापुट बदल–बदल कर सांस लेने की प्रक्रिया के रूप में भी जाना जाता है, यह यौगिक व्यायाम आपके शरीर को नकारात्मक भावनाओं, तनाव और चिंता से दूर रखता है।
इसे कैसे करें:
उपविष्ट कोणासन एक ऐसा योगासन है जो प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। यह औदरिक क्षेत्, जांघों और रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है और मन और शरीर पर शांत करता है।
इसे कैसे करें:
सालम्ब शीर्षासन को हाथों के सहारे किया जाता है, जो प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए सबसे कठिन लेकिन अधिक प्रभावी योगासनों में से एक है।
इसे कैसे करें:
यह योगासन अपनी सरलता के कारण बहुत लोकप्रिय है। इस योग मुद्रा का नाम मृत शरीर या शव की अवस्था पर रखा गया है। यह आराम प्रदान करने के लिए, पूर्ण योग सत्र के अंत में किया जाता है।
इसे कैसे करें:
योग, आपको बांझपन के उपचार के लिए एक समग्र पद्धति अपनाने में मदद करता है। हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि आप इसे डॉक्टर द्वारा किए गए सटीक निदान और उपचार के साथ ही सम्मिलित करें। जब समस्या का निदान हो जाए और उसके उपचार की सलाह दे दी जाए, तो वह समय दूर नहीं जब आप अपने परिवार में उस बहु–प्रतीक्षित नए सदस्य का स्वागत करने के लिए तैयार होंगी।
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