In this Article
- कहानी के पात्र (Characters Of Story)
- मेंढक और बैल की कहानी | The Frog And The Ox Story In Hindi
- मेंढक और बैल की कहानी से सीख (Moral of The Frog And The Ox Hindi Story)
- मेंढक और बैल की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of The Frog And The Ox Hindi Story )
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- निष्कर्ष (Conclusion)
मेंढक और बैल की इस कहानी में बताया गया है कि कैसे एक मेंढक अपने शक्तिशाली होनी की झूठी कहानियां अपने बच्चों को सुनाता था। उसके बच्चों को भी अपने पिता दुनिया के सबसे बलवान जानवर लगते थे। लेकिन जब एक दिन उन्होंने बैल को देखा, तो उन्हें पता चला कि उनके पिता से शक्तिशाली जानवर भी है। जब ये बात मेंढक को पता चली तो उससे रहा नहीं गया और अपने अहंकार की वजह से उसने अपनी जान गवां दी।
कहानी के पात्र (Characters Of Story)
- मेंढक
- मेंढक के तीन बच्चे
- बैल
मेंढक और बैल की कहानी | The Frog And The Ox Story In Hindi
कई सालों पहले की बात है, एक घना जंगल हुआ करता था, जहां बहुत सारे मेंढक रहते थे। जिसमें से एक मेंढक अपने तीन बच्चों के साथ तालाब में रहा करता था। उस मेंढक की सेहत बहुत अच्छी थी और वह उस तालाब का सबसे बड़ा मेंढक बन गया था। उसके बच्चे भी उसे देखकर बहुत खुश हुआ करते थे। उनको लगता था कि उनके पिता दुनिया से सबसे बड़े और ताकतवर मेंढक है। मेंढक भी अपने बच्चों अपने बारे में गलत कहानियां बताया करता और ये साबित करता कि वह सबसे शक्तिशाली है। उस मेंढक को अपने बलवान होने का बहुत घमंड था, ऐसे ही काफी दिन बीत गए।
एक दिन मेंढक के बच्चे खेलते हुए कब तालाब से बाहर निकल गए पता ही नहीं चला। वो समीप के एक गांव पहुंच गए। वहां पहुंचते ही उन्होंने एक बैल को देखा और उसे देखते ही रह गए। उन्होंने आज तक इतना बड़ा जानवर नहीं देखा था। वो उसे देखकर बहुत डर गए थे। मेंढक के बच्चे बैल को देखते ही जा रहे थे और बैल अपना मजे से घास खा रहा था। घास खाते वक्त बैल ने एक हुंकार भरी, ऐसे में मेंढक के बच्चे इतना डर गए और भागकर अपने पिता के पास तालाब पहुंच गए। उनसे उनके पिता ने डर की वजह पूछी, तो उन्होंने अपने पिता को उनसे बड़े-बड़े और बलवान जानवर के बारे में बताया।
उन्हें लगने लगा कि वह दुनिया का सबसे बड़ा और शक्तिशाली जानवर है। लेकिन ये सब सुनकर मेंढक के अहंकार को बहुत छोट पहुंची और उसने तभी एक लंबी सांस ली और अपनी छाती फुला ली और कहने लगा, ‘क्या वो मुझसे बड़ा जानवर था?’ उसके बच्चों ने कहा, ‘हां, वो आप से भी बड़ा था।
मेंढक को ये बात सुनकर बहुत गुस्सा आया, उसने दोबारा से सांस भरकर अपनी छाती को फुलाया और पूछने लगा, ‘क्या अभी भी वो मुझसे बड़ा था?’ बच्चों ने बोला, ‘ये तो कुछ भी नहीं है, वो आपसे कई गुना बड़ा था।’ मेंढक से ये सब सुना नहीं जा रहा था और वह लगातार अपनी सांस भरकर खुद को फुलाए जा रहा था। लेकिन एक समय ऐसा आया कि सांस भरते हुए वो इतना फूल गया था कि फट गया और अपने अहंकार की वजह से जान से हाथ धो बैठा।
मेंढक और बैल की कहानी से सीख (Moral of The Frog And The Ox Hindi Story)
मेंढक और बैल की इस कहानी से हमें से सीख मिलती है कि हमारे पास जो है, हमें कभी भी उस चीज का घमंड नहीं करना चाहिए। आपका घमंड और अहंकार आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
मेंढक और बैल की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of The Frog And The Ox Hindi Story )
मेंढक और बैल की कहानी नैतिक कहानियों के अंतर्गत आती है, जिसमें बताया गया है कि अहंकार आपको कहीं का नहीं छोड़ता।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. मेंढक और बैल की नैतिक कहानी क्या है?
मेंढक और बैल की इस कहानी की नैतिकता ये है कि हमें कभी भी खुद को दूसरों से बड़ा नहीं समझना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी झूठी शान की वजह से आपको अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
2. हमें घमंड क्यों नहीं करना चाहिए?
घमंड व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन है, यदि आप किसी चीज को लेकर घमंड करते हैं तो एक न एक दिन वह चकनाचूर जरूर हो जाता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
मेंढक और बैल की इस कहानी से हमें ये बताने का प्रयास किया गया है कि आपका घमंड ज्यादा दिन तक नहीं टिकता है। समय आने पर आपको झुकना पड़ता है। यदि व्यक्ति सिर्फ अपने आप को ही शक्तिशाली और बलवान समझता है और उसके सामने कोई दूसरा बलवान व्यक्ति सामने आ जाए, तो उसका अहंकार सामने आ जाता है। जिसकी वजह से आपका खुद का नुकसान होता है।
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