गर्भावस्था

मोटापा और गर्भावस्था – जोखिम और वजन मैनेज करने के टिप्स

हर महिला की बनावट एक समान नहीं होती है। हममें से कुछ प्राकृतिक रूप से पतले होते हैं, तो वहीं कुछ अन्य का वजन सामान्य से अधिक होता है। जब आप प्रेगनेंट होती हैं, तो आपका बॉडी टाइप चाहे जो भी हो, आपका वजन बहुत तेजी से बढ़ता है। गर्भावस्था वैसे ही काफी मुश्किल समय होता है, तो भलाई इसी में है, कि न तो ज्यादा वजन बढ़ाया जाए और न ही ज्यादा वजन घटाया जाए, क्योंकि इससे आपकी गर्भावस्था को खतरा हो सकता है। अगर प्रेगनेंसी के दौरान आपका वजन ज्यादा है या आप मोटापे की शिकार हैं, तो निराश न हों। अगर आप सही  और स्वस्थ आदतों को फॉलो करें, तो हैप्पी प्रेगनेंसी का आनंद उठा सकती हैं। सबसे महत्वपूर्ण बातें जिनका आपको ध्यान रखना है, वे हैं संतुलित भोजन लेना, नियमित एक्सरसाइज करना और अपने डॉक्टर की बात सुनना। मोटापे के मेडिकल खतरों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि इनका असर आपके बच्चे, आपकी सेहत और आप दोनों के जीवन पर पड़ता है। 

गर्भावस्था के दौरान ओवरवेट होना

मोटापा और गर्भावस्था एक खतरनाक कॉन्बिनेशन है। ओवरवेट गर्भवती महिला होने से कई तरह के खतरे जुड़े हुए हैं, खासकर लेबर और डिलीवरी के दौरान। अब आपको न्यूट्रिशन, दैनिक गतिविधि और किसी तरह के अचानक बढ़ने वाले वजन के ऊपर खास ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि, प्रेगनेंसी के दौरान मोटापे से ग्रस्त महिलाओं के लिए वजन घटाना सुरक्षित माना जाता है। अगर आप ऐसा करना चाहती हैं, तो इसके लिए डॉक्टर आपकी मदद कर सकते हैं या फिर आप एक न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह भी ले सकती हैं। बिना किसी हिचकिचाहट के अपने परिवार से मदद लें, क्योंकि यह आपके और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। 

प्रेगनेंसी के दौरान कितना वजन बढ़ना चाहिए?

गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना आपके गर्भवती होने से पहले के वजन पर निर्भर करता है। विश्व भर के ऑब्सटेट्रिशियन प्रेगनेंसी के दौरान सामान्य रूप से बढने वाले वजन के लिए रेकमेंडेशन देते हैं। रेकमेंडेशन से अधिक वजन बढ़ जाने पर, आपकी गर्भावस्था में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। वजन में होने वाली बढ़ोतरी आपके बॉडी मास इंडेक्स यानी बीएमआई पर निर्भर करती है। बीएमआई एक फॉर्मूला है, जो आपके कद और वजन के आधार पर वजन के रेंज का आंकलन करती है। आप एक ऑनलाइन बीएमआई कैलकुलेटर का इस्तेमाल करके पता कर सकती हैं, कि आप किस कैटेगरी में आती हैं। 

  • अगर आपका वजन कम है

कम वजन वाले व्यक्ति का बीएमआई 18 के नीचे होता है। अगर आप इस कैटेगरी में आती हैं, तो आप बिना किसी कॉम्प्लिकेशन की चिंता किए हुए गर्भावस्था के दौरान आपका वजन 18 किलो तक बढ़ा सकती हैं। 

  • अगर आपका वजन एक स्वस्थ वजन है

अगर आपका बीएमआई 18 से 25 के बीच है, तो आप स्वस्थ हैं और आप बिना किसी परेशानी के गर्भावस्था के दौरान 11 से 15 किलो तक का वजन बढ़ा सकती हैं। 

  • अगर आपका वजन ज्यादा है

अगर आपका बीएमआई 25 से 30 के बीच है, तो आप ओवरवेट हैं और आपको ध्यान रखना चाहिए, कि बच्चे के जन्म तक आपका वजन 7 से 11 किलो से ज्यादा ना बढ़े। 

  • अगर आप मोटापे की शिकार हैं

मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति का बीएमआई 30 के ऊपर होता है। ऐसी स्थिति में यह बहुत जरूरी हो जाता है, कि गर्भावस्था के दौरान आपका वजन 5 से 9 किलो से ज्यादा नहीं बढना चाहिए। 

गर्भावस्था के दौरान ओवरवेट होने के कारण होने वाली परेशानियां

प्रेगनेंसी के दौरान ओवरवेट होने से माँ और बच्चे दोनों पर कई चुनौतियां आ सकती हैं। इनमें से कुछ यहाँ दिए गए हैं। 

माँ को होने वाले खतरे

अधिकतर ओवरवेट महिलाएं बिना किसी परेशानी के बच्चे को जन्म देती हैं, लेकिन फिर भी आपका बीएमआई जितना ज्यादा होगा परेशानियों का खतरा भी उतना ही ज्यादा होगा। आप अपने डॉक्टर से इन खतरों के बारे में जान सकती हैं, इनमें से कुछ इस प्रकार हैं: 

  • खून के थक्के

प्रेगनेंसी में वैसे भी ब्लड क्लॉट बनने की संभावना होती है और 30 के ऊपर का ईएमआई इस खतरे को और भी बढ़ा देता है। 

  • जेस्टेशनल डायबिटीज

जेस्टेशनल डायबिटीज नामक डायबिटीज के एक विशेष प्रकार के होने का खतरा, मोटापे के कारण 300% तक बढ़ जाता है। 

  • मिसकैरेज

पहली तिमाही में एक स्वस्थ महिला में मिसकैरेज का खतरा 20% होता है, वहीं मोटापे की शिकार महिला को इसका खतरा 25% तक होता है। 

  • पोस्टपार्टम हैम्रेज

यह स्वाभाविक है, कि अगर आपका बीएमआई 30 या इससे ज्यादा है, तो बच्चे के जन्म के बाद भारी ब्लड लॉस हो सकता है। इससे पोस्टपार्टम हैम्रेज का खतरा बढ़ जाता है। 

बच्चे को होने वाले खतरे

  • स्टिलबर्थ

स्वस्थ वजन वाली महिला में स्टिलबर्थ की संभावना 0.5% होती है, वहीं मोटापे की शिकार महिला में इसकी संभावना 1% होती है। 

  • विकास से संबंधित असामान्यताएं

मोटापे की शिकार महिला से पैदा होने वाले बच्चे के स्पाइना बिफिडा जैसी गंभीर जन्मजात बीमारी के साथ पैदा होने का खतरा अधिक होता है। 

  • प्रीमेच्योर बर्थ

बच्चे के, समय से पहले पैदा होने पर, बाद में उसके जीवन में गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। प्रीमेच्योर बच्चे अंडरवेट होते हैं और उन्हें जन्म के बाद अत्यधिक देखभाल की जरूरत होती है। 

  • बाद के जीवन में होने वाली समस्याएं

मोटापे की शिकार माँ से पैदा होने वाले बच्चों में दिल की बीमारियां, डायबिटीज और मोटापे से ग्रस्त होने की संभावना अधिक होती है। 

गर्भावस्था के दौरान वजन घटाने के लिए डाइटिंग –  क्या यह सही है?

अगर एक कुशल डाइटिशियन की निगरानी के अंदर प्रेगनेंसी के दौरान वजन घटाया जाए, तो यह बिल्कुल सुरक्षित है। लेकिन खुद बनाए गए वेट लॉस डाइट को फॉलो करने का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। क्योंकि, पोषक तत्वों में कमी होने से आपके गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को नुकसान पहुंच सकता है। साथ ही गर्भवती महिला का ब्लड शुगर लो होने पर उन्हें बार-बार भूख लगती है, जिससे वह ठीक तरह से डाइटिंग नहीं कर पाती है और खाने के बीच में अनहेल्दी स्नैक्स ले लेती है। इसलिए, यह जानना बहुत जरूरी है, कि खाने की कौन सी चीज खानी है और कौन सी नहीं। 

अगर आप मोटापे से ग्रस्त हैं, तो प्रेगनेंसी के दौरान वजन को नियंत्रित करने के तरीके

ओवरवेट प्रेगनेंसी के दौरान आपको बहुत सी मुश्किल चुनावों का सामना करना पड़ता है। आपको अपने और अपने बच्चे, दोनों की सुरक्षा के लिए सजग प्रयास करने पड़ेंगे। यहाँ पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जो प्रेगनेंसी के दौरान आपको बढ़ते वजन को मैनेज करने में मदद करेंगे। 

  • नियमित रूप से डॉक्टर से मिलना

डॉक्टर आपके गर्भ में पल रहे शिशु की जांच के लिए प्रीनेटल स्क्रीनिंग करेंगे। इसे नियमित रूप से करना जरूरी है, क्योंकि ओवरवेट महिला होने के कारण आपकी प्रेगनेंसी के दौरान कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं। 

  • एक्सरसाइज

संभवतः यह सबसे जरूरी चीजों में से एक है, जिसे आपको करना चाहिए। स्विमिंग, जॉगिंग, रनिंग और स्टेशनरी साइकिलिंग कुछ आदर्श एक्सरसाइज हैं। और कुछ नहीं, तो कम से कम हर दिन 30 से 40 मिनट वाकिंग करने की कोशिश करें, ताकि आपका कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम फिट रह सके। 

  • स्वस्थ खाना खाएं

फल, होल ग्रेन्स, लीन मीट, सब्जियां और डेयरी प्रोडक्ट्स को अपने भोजन में शामिल करें। सॉफ्ट ड्रिंक, एल्कोहल और तले-भुने खाने को डाइट से बाहर निकालें, क्योंकि इनसे आपके बच्चे में मोटापे का खतरा बहुत ज्यादा हो सकता है। आपकी पहली तिमाही के दौरान, आपको सामान्य से अधिक खाना खाने की जरूरत नहीं होती है और आपकी दूसरी और तीसरी तिमाही में केवल 300 एक्स्ट्रा कैलोरी प्रतिदिन की जरूरत होती है, जो कि केवल एक केले में ही मिल जाता है। 

  • बार-बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाना खाएं

दिन-भर में बार-बार छोटी-छोटी मात्रा में भोजन करना, एक बार में अधिक खाना खाने के तुलना में ज्यादा सुरक्षित होता है। एक बार में अधिक खाने से आपको मतली भी महसूस हो सकती है। कम मात्रा में खाना खाने से आप अपने खाने को कंट्रोल भी कर सकती हैं। 

  • अपने प्रीनेटल विटामिंस को लेना ना भूलें

गर्भवती महिलाओं को विटामिन सप्लीमेंट्स प्रिस्क्राइब किए जाते हैं, लेकिन अगर आप मोटापे की शिकार हैं, तो आपको किसी न्यूट्रिएंट को छोड़े बिना अपने वजन पर नियंत्रण रखने की जरूरत है। अगर आप इन विटामिंस की प्रिस्क्राइब की गई मात्रा से अधिक लेना चाहती हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें। 

  • अपने खान-पान पर नजर रखें

आप एक ऐप या डायरी की मदद से अपने कैलोरी इनटेक पर नजर रख सकती हैं, ताकि आप जरूरत से अधिक या जरूरत से कम खाना न खाएं। अगर आपको जरूरी लगे, तो एक डाइटिशियन हायर करें। 

  • पर्याप्त पानी पिएं

पूरी प्रेगनेंसी के दौरान हाइड्रेटेड रहना बहुत जरूरी है। साथ ही पर्याप्त पानी पीने से खाने के बीच में पेट भरा रहने का फायदा भी मिलता है। गर्भवती महिला के लिए हर दिन पानी की रेकमेंडेड मात्रा लगभग 2.5 से 3 लीटर है।

  • अपने आप को स्वीकार करें

सुनने में यह नए युग के एक मंत्र की तरह लगता सकता है, लेकिन, अपने शरीर में होने वाले बदलावों को स्वीकार करना, आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए अत्यधिक स्वास्थ्यवर्धक है। मोटापे की शिकार होने के बावजूद प्रेगनेंसी के दौरान एक्स्ट्रा वजन का बढ़ना पूरी तरह से सामान्य है। अगर आप अपने वजन को अच्छी तरह नियंत्रित करें, तो आपकी प्रेगनेंसी के सफल ना होने का कोई कारण नहीं दिखता है। 

निष्कर्ष: मोटापे की शिकार महिला का अपने अंदर एक बच्चे को कैरी करने के सबसे जरूरी पहलुओं में से एक है – तनाव। अपने बच्चे के स्वास्थ्य के लिए आप जितना ज्यादा डरेंगी, तनाव और एंग्जाइटी, इस डर को केवल बढ़ाने ही वाले हैं। साथ ही, वैज्ञानिक प्रमाण यह दर्शाते हैं, कि जो महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान तनाव से गुजरती हैं, उनसे पैदा होने वाले बच्चे, स्वास्थ्य के खतरों के साथ जन्म लेते हैं। मेडिटेशन, योग और खुद को आराम देने में समय बिताएं। यह बहुत जरूरी है, कि दो लोगों का खाना खाने वाली पुरानी कहावत पर ध्यान ना दें, क्योंकि गर्भस्थ शिशु के स्वस्थ विकास के लिए एक संतुलित और पौष्टिक आहार की जरूरत होती है, ना कि खाने की अधिक मात्रा की। आदतों में थोड़ा बदलाव करके और अच्छे सपोर्ट नेटवर्क के साथ, अपने वजन को नियंत्रित करके, आप एक स्वस्थ और खुश बच्चे की उम्मीद कर सकती हैं। 

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पूजा ठाकुर

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