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यह कहानी एक शरारती परी की है जिसे दुनिया घूमने का बहुत शौक था। इस कहानी में बताय गया है कि कैसे वह घूमने के लिए अपना घर छोड़ देती है और दुनिया भर की नई चीजों का अनुभव करती है। ऐसी कहानियां बच्चों को बहुत पसंद आती है, खासकर लड़कियों को परियों की कहानियां सुनना और पढ़ना पसंद होता है। ऐसे अन्य मजेदार कहानियों के लिए हमारी इस वेबसाइट से जुड़े रहें।
कई सालों पहले किसी नगर में एक बहुत ही शरारती और नटखट परी रहा करती थी। उसे पूरी दुनिया घूमने का शौक था। दुनिया देखने की वजह से वह अपने घरवालों से भी अलग हो गई थी। वह रोज काफी दूर-दूर जाया करती और दुनिया भर में नई-नई चीजें देखती थी। एक दिन वह उड़ते हुए एक घर के पास पहुंची और उस घर की खिड़की के पास जाकर छिप गई। उसने खिड़की से देखा कि घर में एक बच्चा अपनी मां से परी को देखने की जिद्द कर रहा है।
लड़के की मां उसे समझा रही थी कि अभी रात हो गई है और परियां साफ आसमान में नजर आती हैं। इसलिए अभी वो सो जाए और जब सुबह उठोगे तो तुम आसमान में परी को देख सकते हो।
मां की बात मानकर लड़का सोने की तैयारी करता है, लेकिन उसकी आंखों में नींद नहीं थी। तभी उसे खिड़की पर शरारती परी दिखाई दी। लड़का परी को घर के अंदर ले आता है। उसने देखा कि ये नटखट परी बहुत छोटी सी है। फिर क्या, दोनों एक साथ खेलने लगे। परी ने उसे अपना बहुत सारा जादू दिखाया, जिससे लड़का बहुत खुश हुआ और खुशी से झूमने लगा।
लड़के की मां को अपने बेटे के कमरे से अचानक से शोर सुनाई देता है और वह कमरे में जाने लगती है। तभी लड़का नटखट परी से वहां से जाने के लिए कहता है। मेरी मां आ रही है, तुम्हें यहां से अब जाना पड़ेगा। नटखट परी वहां से उड़ जाती है और लड़का सोने का नाटक करने लगता है।
जब लड़के की मां कमरे में आती है, तो वह देखती है कमरे में कोई नहीं है और उसका बेटा भी सो रहा है। शायद उसे भ्रम हुआ होगा इसलिए वह वापस सोने के लिए चली जाती है।
इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि हर किसी में शरारत और नटकट व्यवहार छुपा होता है फिर चाहे वो बच्चा हो, बड़ा हो या फिर कोई परी ही क्यों न हो।
नटखट परी और जादुई गुफा की कहानी परी की कहानियां की आती है। परी की कहानियां काफी मजेदार होती हैं। बच्चों को सुनकर मजा आ जाती है।
इस कहानी में बताया गया है कि कैसे एक शरारती परी अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीना चाहती है, उसे दुनिया घूमने और नए अनुभवों को सीखने की ललक बनी रहती है।
बच्चे अक्सर शरारती होते हैं, नटखट और शरारती होने में कोई बुराई नहीं है जब तक हर शरारत सीमित में की जाए। इसलिए अपने बच्चों को शैतानी करने दें लेकिन उन्हें हद पार करने पर जरूर समझाएं।
इस कहानी का ये निष्कर्ष है कि हमें शैतानियां उतनी ही करनी चाहिए जिससे किसी को बुरा न लगे और न ही किसी को परेशानी हो। बच्चों को शरारत करने में कोई रोक नहीं लगनी चाहिए तब तक जब तक वह सीमा से आगे न बढ़ जाएं।
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