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पहली बार बने माता–पिता, बच्चे को गोद में लेने में घबराते हैं क्योंकि वे सुनिश्चित करना चाहते हैं कि बच्चे को किसी भी तरह की परेशानी न हो। हालांकि , शिशु को गोद में लेने से संबंधित इस भय और घबराहट से आसानी से उभरा जा सकता है अगर आप समझ जाएं कि शिशु किसी विशिष्ट तरीके से गोद में लेने पर किस तरह से प्रतिक्रिया दिखाएंगे और फिर आप उन्हें उसी स्थिति में गोद में लें जिसमें शिशु को आराम मिले।
शिशु को गोद में लेने से पहले, यहाँ पर कुछ बातें बताई गई हैं जिनका आपको पालन करना चाहिए :
शिशुओं में पूरी तरह से प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित नहीं होती है, और गंदे हाथों से उसको छूने से कीटाणु और बैक्टीरिया शिशु को संक्रमित कर सकते हैं। बच्चे को गोद में लेने से पहले अपने हाथों को किसी सौम्य साबुन और पानी से धोएं। माता–पिता आपात स्थिति में सैनिटाइज़र भी प्रयोग कर सकते हैं।
फिसलन या गलतियों न हों, इसके लिए खुद शारीरिक रूप से सहज रहें। आवश्यक है कि बच्चे को गोद में लेने से पहले आप आश्वस्त और शांत रहें। इसके अलावा, पहनावे से घड़ी या पिन जैसी चीजों को हटा दें जिन से बच्चे को खरोंच लग सकती है।
यदि आपको बच्चे को गोद में लेने का अनुभव नहीं है, तो सबसे पहले उस आरामदायक स्थिति को समझें, जिसमें बच्चा सही तरीके से गोद में रह सके और उसे सहारा भी मिले।
शिशुओं की गर्दन भारी होती है और उनकी गर्दन की मांसपेशियों पर उनका नियंत्रण नहीं रहता है। इसलिए, जरूरी है कि आप उन्हें पकड़ते समय उनके सिर और गर्दन को पर्याप्त सहारा दें। तीन महीने की आयु तक शिशुओं की गर्दन और सिर को तो सहारा दिया ही जाना चाहिए क्योंकि उसके बाद उन में अपनी गर्दन को संभालने की क्षमता विकसित हो जाती है।
बच्चे को गोद में लेते समय, अपना एक हाथ शिशु के सिर के नीचे और दूसरे हाथ को उनके नितंब के नीचे रखते हुए उन्हें अपने सीने तक उठाएं। जब भी आप शिशु को उठा रहे हों या उसे गोद में लिए हों हमेशा बच्चे के सिर को सहारा देना सुनिश्चित करें।
यहाँ बच्चे को गोद में लेने की कुछ सबसे उत्तम स्थितियों की सूची दी गई है।
यह शिशु को गोद में लेने की सबसे आम स्थिति है जिसमें आपका शिशु आपके दिल की धड़कन सुन सकता है।
अपने शिशु को अपने कंधे की ऊँचाई पर उठाएं जिससे शिशु की शरीर की स्थिति आपके समानांतर रहे और उसके सिर को अपने कंधे पर टिका दें। अपने बच्चे के सिर और गर्दन को एक हाथ से सहारा दें और दूसरे हाथ से उसके नितंब को सहारा दें।
कई माताओं के लिए फुटबॉल की पकड़ वाली स्थिति शिशु को दूध पिलाने के लिए पसंदीदा स्थिति होती है।
अपने बच्चे के सिर और गर्दन को एक हाथ से सहारा दें और उसी हाथ के अग्र बाहु से शिशु की पीठ को सहारा दें। अपने शरीर की ओर अपने बच्चे को घुमा लें और उसके पैरों को लटकने दें। इस स्थिति में दूध पिलाते समय उसे अपनी छाती के करीब ले जाएं और दूसरे हाथ का उपयोग उसके गर्दन और सिर को अतिरिक्त सहारा देने के लिए इस्तेमाल करें।
यह एक आरामदायक बैठने की स्थिति है और इसे शिशु को दूध पिलाते समय इस्तेमाल की जा सकती है।
अपने पैरों को जमीन पर मजबूती से रखें, बच्चे को अपनी गोद में इस तरह रखें कि शिशु का सिर आपके घुटने के पास हो और उसका चेहरा आपकी तरफ हो। अपने दोनो हाथों को बच्चे के सिर के नीचे रखें और अग्र बाहु को बच्चे के नीचे रखें।
इसे ‘हैलो–वर्ल्ड होल्ड‘ भी कहा जाता है, यह ऐसे बच्चे के लिए एकदम सही स्थिति है जो उत्सुक है और देखना चाहता है कि सामने क्या चल रहा है।
अपने बच्चे को अपने सीने पर टेक लगाने दें जिससे उसके सिर को सहारा मिल सके। एक हाथ शिशु की छाती पर रखें और दूसरा हाथ उसके नितंब पर रखते हुए उसे पर्याप्त सहारा दें।
यह बच्चे को गोद में रखने की सबसे स्वाभाविक स्थियों में से एक, इस स्थिति का उपयोग बच्चे को सुलाने के लिए किया जा सकता है।
अपने बच्चे को अपनी छाती की ऊँचाई पर क्षैतिज रखने के लिए उसके सिर और गर्दन के नीचे एक हाथ रखें और दूसरा हाथ उसके नितंब और कूल्हों के नीचे रखें। ध्यान से अपने हाथ को शिशु की गर्दन और सिर के नीचे से निकालते हुए दूसरी तरफ ले जाएं जिससे उसकी गर्दन आपकी कोहनी पर टिकी रहे और अपना वही हाथ उसके नितंब के नीचे सहारा देने के लिए रखें।
यह स्थिति केवल तीन महीने से अधिक उम्र के ऐसे बच्चे के लिए अनुशंसित है जो अपने सिर और गर्दन को बिना सहारे के सीधा रख सकते हैं।
अपने शिशु का चेहरा अपनी ओर करें और उसे बैठने की स्थिति में अपने कूल्हे की हड्डी पर बिठाएं। अपने हाथ को अपने बच्चे की कमर के चारों ओर लपेटें और बच्चे को मजबूती से पकड़ें।
यह स्थिति आपके बच्चे के साथ खेलने और उससे बातें करने के लिए बिलकुल सही स्थिति है।
अपने बच्चे के सिर और गर्दन को एक हाथ से सहारा दें और दूसरे हाथ से उसके नितंब को सहारा दें। अपने सीने से थोड़ा नीचे बच्चे को ऐसे पकड़ें कि उसका चेहरा आपके सामने हो।
बच्चे को दूध पिलाने के तुरंत बाद, बच्चे को सीधा बैठाएं और पीठ पर तब तक थपथपाएं जब तक कि वह डकार नहीं लेता। बच्चे को दूध पिलाने के बाद ज्यादा उछालें या हिलाएं नहीं क्योंकि इससे आपका बच्चा उल्टी कर सकता है।
इस बात पर ध्यान दें कि आपका शिशु गोद में लिए जाने पर क्या प्रतिक्रिया करता है और यदि आपका बच्चा परेशान हो रहा है तो स्थिति बदल दें। यहाँ कुछ सुझाव हैं जिससे आप अपने शिशु सही तरीके से पकड़ सकती हैं। यहाँ स्तनपान कराने का सही तरीका बताया गया है।
जहाँ रोने हुए सोने की प्रशिक्षण पद्धति पर बहस छिड़ी हुई है, पेसिफिक ओशन पीडियाट्रिक्स के डॉ. रॉबर्ट हैमिल्टन ने एक ऐसी स्थिति के बारे में बताया है जो शिशु को रोने से लगभग तुरंत रोक सकती है। यह स्थिति तीन महीने से कम उम्र के शिशुओं के लिए उपयुक्त है क्योंकि इसके बाद वे इसके लिए काफी भारी हो जाते हैं।
आप स्नान के समय को अपने बच्चे के लिए मज़ेदार बना सकती हैं उसे इस स्थिति में रख कर।
याद रखें कि अपने बच्चे को गोद में लेने से पहले शांत और आत्मविश्वास से भरा रहना आवश्यक है, ताकि बच्चे को आराम और चैन मिले।
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