In this Article
- अपगर स्कोर क्या है?
- अपगर स्कोर क्यों जरूरी है?
- अपगर स्कोर क्या आकलन करता है?
- अपगर अंकों का आकलन कब किया जाता है?
- आकलन कैसे किया जाता है?
- उच्च या निम्न अंक का क्या मतलब है?
- लगातार कम अपगर अंक का क्या मतलब है?
- कम अपगर अंक के कारण क्या हैं?
- क्या अपगर अंक भविष्य में सेहत संबंधी समस्याओं का अनुमान लगाने में मददगार है?
जब बच्चा पैदा होता है, तो डॉक्टर तुरंत एक जांच करते हैं जिसे ‘अपगर स्कोर’ परीक्षण कहते हैं। इसका मकसद यह जानना होता है कि बच्चा दुनिया में आने के लिए पूरी तरह तैयार है या किसी कमी के कारण अभी उसे थोड़ी मदद और निगरानी में रखने की जरूरत है। इस जांच की मदद से डॉक्टर यह समझते हैं कि बच्चे के स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या तो नहीं है। अगर कोई समस्या होती है, तो डॉक्टर तुरंत उसका इलाज शुरू कर देते हैं ताकि बच्चा स्वस्थ और सुरक्षित रहे।
अपगर स्कोर क्या है?
अपगर स्कोर एक ऐसी जांच है जो बच्चे के जन्म के तुरंत बाद किया जाता है, ताकि यह पता चल सके कि बच्चा स्वस्थ है या उसे किसी खास देखभाल की जरूरत है। इस स्कोर को 1952 में डॉक्टर वर्जीनिया अपगर ने विकसित किया था। अपगर वास्तव में अंग्रेजी के A, P, G, A और R शब्दों से बना है। इसे हम अ, प, ग, अ और आर के रूप में समझेंगे। इस जांच का नाम उन बातों पर रखा गया है जो इन अक्षरों से शुरू होती हैं – एक्टिविटी यानी गतिविधि, पल्स यानी दिल की धड़कन, ग्रिमेस यानी प्रतिक्रिया, अपीयरेंस यानी रंग-रूप और रेस्पिरेशन यानी सांस लेना। हर पहलू को अलग-अलग अंक दिया जाता है, जहां 0 सबसे कम और 2 सबसे ज्यादा अंक होता है। सभी अंक मिलाकर कुल अंकों को देखा जाता है, जिससे डॉक्टर समझते हैं कि बच्चा कितना स्वस्थ है और क्या उसे किसी विशेष उपचार की आवश्यकता तो नहीं है।
अगर बच्चे का स्कोर 7 से 10 के बीच आता है, तो इसका मतलब है कि बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है और उसे सामान्य देखभाल की ही जरूरत है। अगर अंक 7 से कम है, तो बच्चे को थोड़ी अधिक देखभाल की आवश्यकता हो सकती है। वहीं, अगर अंक 3 से भी कम है, तो यह एक चिकित्सा आपातकाल माना जाता है और तुरंत इलाज की जरूरत होती है।
अपगर स्कोर क्यों जरूरी है?
अपगर अंक नवजात शिशु के स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए एक बहुत ही अहम जांच है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि बच्चा जन्म के बाद पूरी तरह स्वस्थ है या नहीं। इस जांच में बच्चे के कुछ मुख्य पहलुओं की जांच की जाती है, जैसे – त्वचा का रंग, दिल की धड़कन, प्रतिक्रिया, मांसपेशियों की शक्ति और सांस लेने की दर। अपगर अंक से डॉक्टर को तुरंत ये अंदाजा हो जाता है कि बच्चे को किसी खास इलाज की जरूरत है या नहीं, और भविष्य में भी बच्चे की सेहत कैसी रह सकती है। कुल मिलाकर, अपगर अंक जरूरी है ताकि डॉक्टर ये देख सकें कि बच्चा स्वस्थ है और उसे किसी तरह की अतिरिक्त चिकित्सीय सहायता की जरूरत तो नहीं है।
अपगर स्कोर क्या आकलन करता है?
जैसा कि पहले बताया गया, अपगर अंक मुख्य रूप से नवजात शिशु के सामान्य स्वास्थ्य का आकलन करता है। इसमें पांच मुख्य चीजों पर ध्यान दिया जाता है – बच्चे की त्वचा का रंग, दिल की धड़कन, प्रतिक्रिया देने की क्षमता, मांसपेशियों की ताकत और सांस लेने की दर। इन पांचों पहलुओं से डॉक्टर को बच्चे की कुल सेहत के बारे में एक संक्षिप्त जानकारी मिलती है। इससे यह भी समझ में आता है कि बच्चे को अभी या भविष्य में किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या का सामना तो नहीं करना पड़ेगा।
अपगर अंकों का आकलन कब किया जाता है?
अपगर अंकों का आकलन दो बार किया जाता है। पहली बार बच्चे के जन्म के एक मिनट बाद और दूसरी बार पांच मिनट बाद।
आकलन कैसे किया जाता है?
अपगर स्कोर चार्ट | ||||
सूचक | 0 अंक | 1 अंक | 2 अंक | |
अ | गतिविधि
(मांसपेशी टोन) |
अनुपस्थित | लचीले अंग | सक्रिय |
प | पल्स/नाड़ी | अनुपस्थित | <100 धड़कन प्रति मिनट | > 100 धड़कन प्रति मिनट |
ग | मुंह बनाना (रिफ्लेक्स इरिटेबिलिटी) | लटका हुआ | उत्तेजना के प्रति कम प्रतिक्रिया | उत्तेजना के प्रति त्वरित प्रतिक्रिया |
अ | त्वचा का रंग | नीला/पीला | नीले हाथ-पैर लेकिन गुलाबी शरीर | गुलाबी |
आर | श्वसन | अनुपस्थित | अनियमित और धीमा | जोर-जोर से रोना |
त्वचा का रंग – अगर बच्चे का पूरा शरीर गुलाबी दिखता है, तो उसे दो अंक दिए जाते हैं। अगर उसके हाथ-पैर नीले हैं लेकिन बाकी शरीर गुलाबी है, तो उसे एक अंक मिलेगा। यदि बच्चा पूरी तरह नीला या पीला है, तो उसे शून्य अंक मिलता है।
दिल की धड़कन – एक स्वस्थ बच्चे की दिल की धड़कन 100 या उससे ज्यादा होनी चाहिए। इस पर दो अंक दिए जाते हैं। अगर धड़कन 100 से कम है, तो उसे एक अंक मिलता है। अगर दिल की धड़कन नहीं है, तो बच्चे को शून्य अंक दिया जाता है और तुरंत चिकित्सीय सहायता की जरूरत होती है।
प्रतिक्रिया – यह बच्चे की प्रतिक्रिया का आकलन करता है जब उसे हल्का सा चुटकी काटकर या थपथपा कर प्रतिक्रिया देने के लिए प्रेरित किया जाता है। अगर बच्चा जोर से रोता है, तो उसे दो अंक मिलते हैं। हल्की सी प्रतिक्रिया या कमजोर रोना एक अंक के लायक है और कोई भी प्रतिक्रिया न होने पर शून्य अंक मिलता है।
गतिविधि – इसमें बच्चे की गतिविधि का आकलन किया जाता है। अगर बच्चा हाथ-पैर हिलाता या लात मारता है, तो उसे दो अंक मिलते हैं। हल्की गतिविधि के लिए एक अंक और कोई भी हरकत न होने पर शून्य अंक मिलता है।
सांस लेना – बच्चे की सांस लेने की क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है। अगर बच्चा जन्म के तुरंत बाद रोता है, तो यह सामान्य सांस लेने का संकेत है और उसे दो अंक मिलते हैं। हल्का रोना या हांफना एक अंक के लायक है और अगर बच्चा सांस नहीं ले रहा है तो उसे शून्य अंक मिलता है।
इन सभी अंकों को जोड़कर अपगर स्कोर बनाया जाता है। 0 से 3 का स्कोर बेहद कम होता है और यह स्वास्थ्य समस्या का संकेत है। 4 से 6 के बीच का स्कोर सामान्य से कम माना जाता है और 7 से 10 का अंक बच्चे के स्वस्थ होने का संकेत देता है।
उच्च या निम्न अंक का क्या मतलब है?
अगर बच्चे का अपगर अंक उच्च (7 से 10 के बीच) आता है, तो इसका मतलब है कि बच्चा स्वस्थ है और उसे जन्म के बाद सामान्य देखभाल के अलावा किसी खास चिकित्सा की जरूरत नहीं है।
अगर बच्चे का स्कोर कम (6 या उससे कम) आता है, तो इसका मतलब है कि उसे तुरंत चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता है। ऐसे मामलों में यह स्वास्थ्य के रूप से गंभीर स्थिति मानी जाती है और डॉक्टर तुरंत इलाज शुरू कर देते हैं। बच्चे की स्थिति स्थिर होने तक उसे निगरानी में रखा जाता है ताकि किसी भी संभावित खतरे से उसे बचाया जा सके।
लगातार कम अपगर अंक का क्या मतलब है?
जैसा कि बताया गया, अपगर जांच दो बार की जाती है – पहली बार जन्म के तुरंत बाद और दूसरी बार पांच मिनट बाद। इसका मकसद यह देखना है कि बच्चे की स्थिति स्थिर है या नहीं और किसी भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का तुरंत पता लगाया जा सके।
अगर बच्चे का अंक पहली जांच में कम आता है और दूसरी जांच में भी कम ही रहता है, तो इसे ‘लगातार कम स्कोर’ कहा जाता है। इसका मतलब है कि बच्चे को विशेष चिकित्सीय मदद की जरूरत है।
कम अपगर अंक के कारण क्या हैं?
अपगर अंक में बच्चे की पांच मुख्य बातों का आकलन किया जाता है – त्वचा का रंग, दिल की धड़कन, प्रतिक्रिया, गतिविधि और सांस लेना। हर क्षेत्र में कोई समस्या होने पर बच्चा कम अंक प्राप्त कर सकता है। उदाहरण के लिए, अगर बच्चे की दिल की धड़कन कम है और सांस लेने में दिक्कत है, तो उसका कुल स्कोर छह हो सकता है, जिसे कम अंक माना जाता है और डॉक्टर को तुरंत हस्तक्षेप करने की जरूरत होती है।
कुछ मामलों में बच्चे का पहला अंक कम होता है लेकिन दूसरी जांच में अंक बेहतर हो जाता है। इसका मतलब होता है कि बच्चा खतरे से बाहर है। कम अपगर अंक के कई कारण हो सकते हैं। सबसे आम कारण ऑक्सीजन की कमी या अस्फीक्सिया (सांस लेने में दिक्कत) है। इसके अलावा और भी कई कारण हो सकते हैं जिनसे बच्चे का स्कोर कम हो सकता है।
नीचे कुछ और कारण दिए गए हैं –
- गर्भावस्था या प्रसव के समय कोई चोट लगने से बच्चे पर असर पड़ सकता है।
- जब एमनियोटिक द्रव (बच्चे के आसपास का पानी) माँ के खून में चला जाता है, तो इससे एलर्जिक प्रतिक्रिया हो सकती है जो बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
- अगर गर्भनाल में कोई समस्या होती है, तो बच्चे तक ऑक्सीजन और पोषण पहुंचने में दिक्कत हो सकती है।
- चोट या झटके के कारण अगर प्लेसेंटा गर्भाशय से अलग हो जाए, तो बच्चे की सेहत पर असर पड़ सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान अगर माँ को कोई संक्रमण होता है, तो इससे बच्चे का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
- चोट या अन्य कारणों से योनि से होने वाली ब्लीडिंग भी बच्चे पर नकारात्मक असर डाल सकती है।
क्या अपगर अंक भविष्य में सेहत संबंधी समस्याओं का अनुमान लगाने में मददगार है?
नहीं, अपगर अंक भविष्य की स्वास्थ्य समस्याओं का अनुमान नहीं लगाता है। यह आपको यह बताता है कि बच्चा कितनी आसानी से गर्भ से बाहर की दुनिया में आ रहा है। कुछ शोधों में यह बात कही गई है कि कम अपगर अंक और कुछ स्वास्थ्य समस्याओं जैसे मस्तिष्क पक्षाघात यानी सेरेब्रल पाल्सी, विकास संबंधी विकार, और बचपन के ऑटिज्म के बीच एक संबंध होता है। फिनलैंड के टुर्कु विश्वविद्यालय अस्पताल के विशेषज्ञों का मानना है कि कम अपगर अंक इन विकारों का संकेत देता है, लेकिन इस संबंध को सिद्ध नहीं किया गया है।
अपगर अंक डॉक्टर को बच्चे की शारीरिक स्थिति के बारे में जानकारी देता है, लेकिन यह परिणाम स्थायी नहीं होते। एक बच्चा जो कम अंक हासिल करता है, वह बाद में बेहतर भी हो सकता है। इसलिए, जबकि यह अंक किसी संभावित स्वास्थ्य समस्या के बारे में संकेत देता है, यह निश्चित रूप से यह नहीं बताता कि भविष्य में क्या समस्याएं हो सकती हैं। इस अंक के जरिए डॉक्टर उन समस्याओं का सामना करते हैं जो नवजात शिशु को हो सकती हैं।