In this Article
- नवजात शिशु का वजन बढ़ना क्यों जरुरी है?
- नवजात शिशु के वजन में योगदान करने वाले कारक
- नवजात शिशु का औसत वजन कितना होता है?
- जन्म के बाद शुरुआती दिनों में शिशु का वजन कम होना
- जन्म के बाद शुरुआती कुछ दिनों में नवजात शिशु का वजन बढ़ना
- शिशु के पर्याप्त भोजन प्राप्त करने के संकेत
- यदि शिशु का वजन पर्याप्त रूप से नहीं बढ़ रहा है, तो आपको क्या करना चाहिए
- नवजात शिशु के अतिरिक्त वजन बढ़ने या घटने का प्रबंधन करना
- डॉक्टर से कब परामर्श करें
किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य को समझने का सबसे सामान्य तरीका ये जानना है कि वो कैसे विकास कर रहा है। बच्चे के स्वास्थ्य का ध्यान रखना माता-पिता के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। नवजात शिशुओं के विकास के प्रमुख संकेत में से एक है उसका लंबाई के साथ वजन का बढ़ना। इसलिए, माता-पिता के रूप में, बच्चे के वजन बढ़ने का बारीकी से निरीक्षण और विश्लेषण करना आपके लिए महत्वपूर्ण हो जाता है।
नवजात शिशु का वजन बढ़ना क्यों जरुरी है?
बच्चे का वजन बढ़ना एक प्रकार से उनके पड़ावों को सफलतापूर्वक पार करने का संकेत होता है। विश्व स्तर पर, बाल रोग विशेषज्ञ और स्वास्थ्य नर्स बच्चे के पैदा होने की बाद 24 घंटों तक उनकी करीब से निगरानी करते हैं। यह शिशु के वजन घटने या बढ़ने को निर्धारित करता है, जो आपको स्पष्ट बताता है कि आपका बच्चा सेहतमंद है या नहीं। आपको हर सप्ताह अपने बच्चे को डॉक्टर के पास जाँच के लिए ले जाना होता है। जिसमें डॉक्टर यह सुनिश्चित करता है कि आपके बच्चे का उपयुक्त मात्रा में वजन बढ़ रहा है या नहीं ।
नवजात शिशु के वजन में योगदान करने वाले कारक
यहाँ कुछ कारक दिए गए हैं जो शिशु के विकास के दौरान नवजात शिशु का वजन बढ़ाने में योगदान करते हैं।
- आपके बच्चे का वजन जन्म के बाद भी लंबे समय तक प्रभावित रहता है जैसे यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस परिवार का बच्चा है, यदि आमतौर पर आपके या साथी के माता-पिता के परिवार में बच्चे बड़े आकर या छोटे आकर के होते हैं।
- माता-पिता के गुणसूत्र बच्चे के वजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- गर्भावस्था में आपका आहार भी बच्चे के वजन को प्रभावित कर सकता है। उदाहरण के लिए, किसी एक तिमाही के दौरान भोजन के प्रति गंभीर संवेदनशीलता होने से शिशु भी प्रभावित हो सकता है।
- अनुसंधान से पता चलता है कि कम उम्र वाली माएं छोटे बच्चों को जन्म देती हैं, जबकि 30वें साल में जन्म देने वाली महिलाएं बड़े बच्चों को जन्म देती हैं।
- बच्चे के जन्म का गर्भकाल उसके जन्म के समय के वजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। समय से पहले पैदा हुआ बच्चा गर्भ में पूरे नौ महीने तक रह कर पैदा होने वाले बच्चे की तुलना में कम वजन का होगा।
- किसी महिला के पहले बच्चे का वजन उसके बाद में जन्म लेने वाले बच्चों की तुलना में कम होता है।
- जुड़वां या उससे ज्यादा बच्चों को गर्भ में पोषण बट जाने के कारण प्रत्येक बच्चे का वजन जन्म के समय कम होगा।
नवजात शिशु का औसत वजन कितना होता है?
एक नवजात शिशु का औसत वजन 2.5 किलोग्राम से 3.5 किलोग्राम के बीच होता है। इससे ज्यादा या कम होना असामान्य है और उसे नर्स द्वारा बारीकी से देखा जाएगा।
जन्म के बाद शुरुआती दिनों में शिशु का वजन कम होना
जन्म के बाद शिशु का वजन कम होना स्वाभाविक है। जन्म के पहले कुछ दिनों में शिशुओं का वजन जन्म के समय से 10% तक कम हो जाता है जिसे चिकित्सक सामान्य मानते हैं। हालांकि, दस दिनों से लेकर दो सप्ताह के भीतर वो अपना वजन दोबारा प्राप्त कर लेते हैं। स्तनपान करने वाले शिशु और समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु को अपने जन्म के वास्तविक वजन तक वापस आने में अधिक समय लगेगा।
जन्म के बाद शुरुआती कुछ दिनों में नवजात शिशु का वजन बढ़ना
जन्म के अगले तीन महीनों तक प्रतिदिन शिशु का औसत वजन 25 ग्राम बढ़ता है। यह अगली दो तिमाहियों में घट जाता है। जो दूसरी तिमाही में 20 ग्राम और तीसरे में 15 ग्राम हो जाता है। एक महीने में एक नवजात शिशु का औसत वजन प्रति सप्ताह 175 से 200 ग्राम तक बढ़ता है। आप इसे प्रति माह 700-800 (लगभग) ग्राम मान सकती हैं।
यदि शिशु को पर्याप्त पोषण प्राप्त हुआ है तो वो पाँच या छह महीने में अपना वजन दोगुना कर लेता है। बोतल से दूध पीने वाला बच्चा स्तनपान करने वाले बच्चे की तुलना में कम वजन प्राप्त करता है।
शिशु के पर्याप्त भोजन प्राप्त करने के संकेत
बच्चा अच्छी तरह से खा रहा है या नहीं, माता-पिता के लिए यह चिंता का विषय बना रहता है। बच्चे के वजन की जाँच के लिए न तो प्रतिदिन अस्पताल में जाना संभव है और न ही बच्चे के वजन की जाँच के लिए माप मशीन को घर लाना आवश्यक है। यदि बच्चे को अच्छी तरह से पोषण मिल रहा हैं तो आप इन संकेतों से जान सकती हैं जो आपको नीचे दिए गए हैं:
- बच्चा खाने के बाद रोता नहीं है
- अच्छी तरह से सोता है
- उसके दूध पीने के बाद आपके स्तन हल्के महसूस होते हैं / बोतल का सारा दूध खतम करता है
- दिन में 8-12 बार दूध पीता है
- नियमित रूप से मल त्यागता है
- मल पीला होता है
- आप बच्चे के डायपर को (दिन में 6-8 बार) बदलती हैं
- प्रति सप्ताह वजन बढ़ना
यदि शिशु का वजन पर्याप्त रूप से नहीं बढ़ रहा है, तो आपको क्या करना चाहिए
माता-पिता कभी-कभी बच्चे को लेकर ज्यादा सोचते हैं और कुछ ज्यादा ही चिंता करते हैं। अगर शिशु अपने विकास के पड़ाव को आराम से पार कर रहा है तो यह उसके बेहतर विकास का संकेत है। इसका मतलब है कि बच्चे को विकास के लिए पर्याप्त भोजन और पोषण प्राप्त हो रहा है। हालांकि, जन्म के शुरुआती दिनों में नवजात शिशु का वजन 10% से अधिक नहीं घटना चाहिए। यह 10% वजन का घटना आमतौर पर गर्भ में प्राप्त अतिरिक्त तरल पदार्थों के सूखने से होता है। नवजात शिशु का वजन स्तनपान की शुरुआती अवधि के दौरान या बोतल से दूध पीना सीखने के दौरान नहीं बढ़ता है। ऐसा तब होता है जब उसे चूसने या जबड़े की समन्वय संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और इस कारण वो पर्याप्त दूध नहीं पी पाते हैं, जिसकी वजह से उनका वजन घट जाता है।
नवजात शिशु के अतिरिक्त वजन बढ़ने या घटने का प्रबंधन करना
यदि आप देखती हैं कि, आपके शिशु का वजन बहुत अधिक कम हो रहा है या बढ़ रहा है, तो आप इसे प्रबंधित करने के लिए निम्नलिखित चीजों को आजमा सकती हैं।
- संतुलित मात्रा में दूध पिलाएं: संतुलन बनाए रखने के लिए दूध पिलाने की आवृति को घटाएं। ख्याल करें कि दूध पिलाने के समय का अंतर तीन घंटे से अधिक नहीं है। इसके अलावा, सुनिश्चित करें कि बच्चा अंत के दूध का सेवन जरूर करें जिसमें वसा की मात्रा सबसे अधिक होती है।
- समन्वय : यदि बच्चा स्तनपान में असमर्थ है और इस प्रकार बहुत कम भोजन प्राप्त कर रहा है, तो स्तनपान कराने वाली कक्षाओं में नामांकन कराएं। ये कक्षाएं माँ और बच्चे दोनों को स्तनपान की प्रक्रिया को समन्वयित करने में मदद करेंगी जिससे बच्चे को दूध पिलाने का सही तरीका मालूम होगा और बच्चा ठीक से दूध पी सकेगा। बोतल द्वारा दूध पिलाना स्तनपान कराने का एक अन्य विकल्प है।
- भोजन के समय चुसनी न दें : बच्चे चुसनी लेकर अपने आप को आराम में पाते हैं, इसिलिए भोजन के समय या भोजन के समय के आसपास इसके प्रयोग से बचें नहीं तो फिर वह ठीक से दूध नहीं पिएगा।
- आपका पोषण और स्वास्थ्य : सुनिश्चित करें कि आप पर्याप्त मात्रा में दूध पिएं। अच्छी तरह से खाएं और पूरी नींद लें। दूध का उत्पादन ज्यादा हो इसके लिए आप पंप का उपयोग कर सकती हैं। शोध बताते हैं कि पंप का इस्तेमाल करके दूध निकालने से स्तन के दूध में वृद्धि होती है।
- ज्यादा वजन बढ़ाने से बचें : यदि आपको लगता है कि बच्चे का वजन असामान्य रूप से बढ़ रहा है तो ध्यान रखें की क्या वो अतिरिक्त भोजन का सेवन कर रहा है। यदि वह सिर को दूर करता है, या निपल को बाहर निकाल देता है तथा जब दूध पीना बंद कर देता है, तो ऐसे संकेतों पर ध्यान दें, इससे यह साबित होता है कि बच्चे का पेट भर चुका है।
डॉक्टर से कब परामर्श करें
ऐसे कुछ सामान्य संकेत हैं जो विकास में असंतुलन का संकेत देते हैं:
- बच्चे की नींद की कमी
- दो सप्ताह के भीतर जन्म के समय का वजन दोबारा नहीं प्राप्त होना
- बच्चा लगातार रो रहा हो और उसे शांत करने में मुश्किल हो
यदि आपको इनमें से कोई संकेत नजर आएं तो बच्चे को जाँच के लिए डॉक्टर के पास जरूर ले जाएं और इसके साथ बच्चे के भोजन की आदतों और नींद की आदतों का समय निर्धारित करें। ऐसा करने से बच्चे के स्वास्थ को बेहतर तरीके से संतुलन में वापस लाया जा सकता है।
हालांकि, कभी-कभी कुछ संकेत खतरे की ओर इशारा करते हैं। आने वाले हफ्तों में किसी भी असामान्य वजन घटने से पीलिया (हाइपरबिलिरुबिनेमिया) और कम रक्त शर्करा (हाइपोग्लाइसीमिया) जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
अगर वजन बहुत ज्यादा घटता है या यदि आपको बच्चे के वजन में औसत वृद्धि नहीं दिखती है, तो आपको ये संकेतक दिखाई देंगे, जैसे:
- बच्चे का बहुत कम डायपर बदलना
- सूखे होंठ या त्वचा
- लगातार चिड़चिड़ा होना
- ढीली त्वचा
- उसके सिर का नरम हिस्सा धंसा हुआ होना
जन्म के समय का वजन महत्वपूर्ण है, लेकिन वजन बढ़ना या कम होना बच्चे के विकास का सूचक है। शिशु कभी न कभी वजन फिर से प्राप्त कर लेगा। यदि आपको कोई समस्या नजर आ रही है तो अपने बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह लें जो आपको बच्चे के स्वास्थ से जुड़ी जानकारी बेहतर रूप दे सकते हैं ।
शिशु के असामान्य व्यवहार को लेकर माता-पिता का चिंता करना स्वाभाविक है। वजन कम होना उनमें से एक है। लेकिन, धैर्य रखें और अपने चिकित्सक से समय-समय पर परामर्श करती रहें । डॉक्टर से मिलना बिलकुल भी न टालें, भले ही आपको सब सामान्य और संतुलन नजर आ रहा हो। माता-पिता होना बड़ी जिम्मेदारी है और इसे निभाने के लिए धैर्य चाहिए होता है, बस सभी चीजों की जानकारी रखना बहुत जरूरी है और साथ भी बच्चे को पर्याप्त पोषण मिले इसका खास ख्याल रखें।
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