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किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य को समझने का सबसे सामान्य तरीका ये जानना है कि वो कैसे विकास कर रहा है। बच्चे के स्वास्थ्य का ध्यान रखना माता-पिता के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। नवजात शिशुओं के विकास के प्रमुख संकेत में से एक है उसका लंबाई के साथ वजन का बढ़ना। इसलिए, माता-पिता के रूप में, बच्चे के वजन बढ़ने का बारीकी से निरीक्षण और विश्लेषण करना आपके लिए महत्वपूर्ण हो जाता है।
बच्चे का वजन बढ़ना एक प्रकार से उनके पड़ावों को सफलतापूर्वक पार करने का संकेत होता है। विश्व स्तर पर, बाल रोग विशेषज्ञ और स्वास्थ्य नर्स बच्चे के पैदा होने की बाद 24 घंटों तक उनकी करीब से निगरानी करते हैं। यह शिशु के वजन घटने या बढ़ने को निर्धारित करता है, जो आपको स्पष्ट बताता है कि आपका बच्चा सेहतमंद है या नहीं। आपको हर सप्ताह अपने बच्चे को डॉक्टर के पास जाँच के लिए ले जाना होता है। जिसमें डॉक्टर यह सुनिश्चित करता है कि आपके बच्चे का उपयुक्त मात्रा में वजन बढ़ रहा है या नहीं ।
यहाँ कुछ कारक दिए गए हैं जो शिशु के विकास के दौरान नवजात शिशु का वजन बढ़ाने में योगदान करते हैं।
एक नवजात शिशु का औसत वजन 2.5 किलोग्राम से 3.5 किलोग्राम के बीच होता है। इससे ज्यादा या कम होना असामान्य है और उसे नर्स द्वारा बारीकी से देखा जाएगा।
जन्म के बाद शिशु का वजन कम होना स्वाभाविक है। जन्म के पहले कुछ दिनों में शिशुओं का वजन जन्म के समय से 10% तक कम हो जाता है जिसे चिकित्सक सामान्य मानते हैं। हालांकि, दस दिनों से लेकर दो सप्ताह के भीतर वो अपना वजन दोबारा प्राप्त कर लेते हैं। स्तनपान करने वाले शिशु और समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु को अपने जन्म के वास्तविक वजन तक वापस आने में अधिक समय लगेगा।
जन्म के अगले तीन महीनों तक प्रतिदिन शिशु का औसत वजन 25 ग्राम बढ़ता है। यह अगली दो तिमाहियों में घट जाता है। जो दूसरी तिमाही में 20 ग्राम और तीसरे में 15 ग्राम हो जाता है। एक महीने में एक नवजात शिशु का औसत वजन प्रति सप्ताह 175 से 200 ग्राम तक बढ़ता है। आप इसे प्रति माह 700-800 (लगभग) ग्राम मान सकती हैं।
यदि शिशु को पर्याप्त पोषण प्राप्त हुआ है तो वो पाँच या छह महीने में अपना वजन दोगुना कर लेता है। बोतल से दूध पीने वाला बच्चा स्तनपान करने वाले बच्चे की तुलना में कम वजन प्राप्त करता है।
बच्चा अच्छी तरह से खा रहा है या नहीं, माता-पिता के लिए यह चिंता का विषय बना रहता है। बच्चे के वजन की जाँच के लिए न तो प्रतिदिन अस्पताल में जाना संभव है और न ही बच्चे के वजन की जाँच के लिए माप मशीन को घर लाना आवश्यक है। यदि बच्चे को अच्छी तरह से पोषण मिल रहा हैं तो आप इन संकेतों से जान सकती हैं जो आपको नीचे दिए गए हैं:
माता-पिता कभी-कभी बच्चे को लेकर ज्यादा सोचते हैं और कुछ ज्यादा ही चिंता करते हैं। अगर शिशु अपने विकास के पड़ाव को आराम से पार कर रहा है तो यह उसके बेहतर विकास का संकेत है। इसका मतलब है कि बच्चे को विकास के लिए पर्याप्त भोजन और पोषण प्राप्त हो रहा है। हालांकि, जन्म के शुरुआती दिनों में नवजात शिशु का वजन 10% से अधिक नहीं घटना चाहिए। यह 10% वजन का घटना आमतौर पर गर्भ में प्राप्त अतिरिक्त तरल पदार्थों के सूखने से होता है। नवजात शिशु का वजन स्तनपान की शुरुआती अवधि के दौरान या बोतल से दूध पीना सीखने के दौरान नहीं बढ़ता है। ऐसा तब होता है जब उसे चूसने या जबड़े की समन्वय संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और इस कारण वो पर्याप्त दूध नहीं पी पाते हैं, जिसकी वजह से उनका वजन घट जाता है।
यदि आप देखती हैं कि, आपके शिशु का वजन बहुत अधिक कम हो रहा है या बढ़ रहा है, तो आप इसे प्रबंधित करने के लिए निम्नलिखित चीजों को आजमा सकती हैं।
ऐसे कुछ सामान्य संकेत हैं जो विकास में असंतुलन का संकेत देते हैं:
यदि आपको इनमें से कोई संकेत नजर आएं तो बच्चे को जाँच के लिए डॉक्टर के पास जरूर ले जाएं और इसके साथ बच्चे के भोजन की आदतों और नींद की आदतों का समय निर्धारित करें। ऐसा करने से बच्चे के स्वास्थ को बेहतर तरीके से संतुलन में वापस लाया जा सकता है।
हालांकि, कभी-कभी कुछ संकेत खतरे की ओर इशारा करते हैं। आने वाले हफ्तों में किसी भी असामान्य वजन घटने से पीलिया (हाइपरबिलिरुबिनेमिया) और कम रक्त शर्करा (हाइपोग्लाइसीमिया) जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
अगर वजन बहुत ज्यादा घटता है या यदि आपको बच्चे के वजन में औसत वृद्धि नहीं दिखती है, तो आपको ये संकेतक दिखाई देंगे, जैसे:
जन्म के समय का वजन महत्वपूर्ण है, लेकिन वजन बढ़ना या कम होना बच्चे के विकास का सूचक है। शिशु कभी न कभी वजन फिर से प्राप्त कर लेगा। यदि आपको कोई समस्या नजर आ रही है तो अपने बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह लें जो आपको बच्चे के स्वास्थ से जुड़ी जानकारी बेहतर रूप दे सकते हैं ।
शिशु के असामान्य व्यवहार को लेकर माता-पिता का चिंता करना स्वाभाविक है। वजन कम होना उनमें से एक है। लेकिन, धैर्य रखें और अपने चिकित्सक से समय-समय पर परामर्श करती रहें । डॉक्टर से मिलना बिलकुल भी न टालें, भले ही आपको सब सामान्य और संतुलन नजर आ रहा हो। माता-पिता होना बड़ी जिम्मेदारी है और इसे निभाने के लिए धैर्य चाहिए होता है, बस सभी चीजों की जानकारी रखना बहुत जरूरी है और साथ भी बच्चे को पर्याप्त पोषण मिले इसका खास ख्याल रखें।
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