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नवजात शिशु से खाने और सोने का शेड्यूल फॉलो करवाना यानि कोई किला फतह करने जैसा है। कई माता-पिता अपने न्यूबॉर्न बेबी के कम सोने और अनियमित शेड्यूल की शिकायत करते हैं। हालांकि कुछ तरीके हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्चे के सोने और खाने के समय को निर्धारित कर सकती हैं ताकि आपको अधिक से अधिक फायदा मिल सके।
इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि बच्चों के सोने का पैटर्न उनके विकास को कैसे प्रभावित करता है और आप अपने व अपने बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए उसके सोने के पैटर्न को किस प्रकार से निर्धारित कर सकती हैं। न्यूबॉर्न बेबी के सोने के पैटर्न को समझने और स्वीकार करने से आपको मानसिक रूप से बहुत सारे फायदे मिल सकते हैं और साथ ही साथ आप उसका पूरा खयाल रखने में सक्षम भी हो सकती हैं। आपके 1 महीने के बच्चे के फीडिंग (दूध पीने) और सोने के शेड्यूल को फॉलो करना उतना आसान नहीं होगा और इसमें आपकी बहुत सारी मेहनत भी लगने वाली है।
ध्यान रखें बच्चे का पालन-पोषण अकेले करना एक कठिन कार्य है इसलिए इसमें अपने साथी, परिवार, दोस्तों और अन्य देखभाल करने वालों की मदद लेकर यह सुनिश्चित कर लें कि यह सब आपको उतना प्रभावित न करे। न्यूबॉर्न बेबी के सोने और दूध पीने के पैटर्न की आवश्यकताओं को बेहतर समझने के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
नवजात शिशु के सोने और दूध पीने का पैटर्न एक दूसरे से संबंधित नहीं है लेकिन यह एक दूसरे पर थोड़ा निर्भर करता है। हर बच्चे के सोने और खाने का शेड्यूल अलग-अलग होता है और आपका बच्चा खाने व सोने के पैटर्न की एक योजना को क्यों नहीं स्वीकार कर पा रहा है, इसके कई कारण हो सकते हैं। इस समस्या से आप कैसे निपट सकती हैं यह जानने के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
3 महीने से कम उम्र का हर बच्चा न्यूबॉर्न ही होता है। न्यूबॉर्न बेबी के सोने का पैटर्न बड़ों से बहुत अलग होता है। जैसा कि बच्चों का सर्केडियन रिद्म (24 घंटे की प्राकृतिक प्रक्रिया) अभी तक नियमित नहीं हुई होती है, आप यह देख सकती हैं कि आपका बच्चा कम समय के लिए सोता है और नींद के बीच में उठकर दूध पीता है। कुछ बच्चे बिलकुल विपरीत रिद्म के साथ जन्म लेते हैं इसलिए वे रात में ज्यादातर जागते हैं और दिन के समय में अक्सर सोते हैं।आमतौर पर बच्चों की एक नींद 30 से 45 मिनट की होती है या यहाँ तक कि यह 3-4 घंटे की भी हो सकती है। आप देखेंगी आपका बच्चा अपने जीवन के पहले दो हफ्ते में बहुत ज्यादा सोता है। यहाँ तक कि बच्चा पेट भरने के बाद दूध पीते-पीते भी सो सकता है। इस समय दूध पिलाने के लिए आपको अपने बच्चे को जगाने की आवश्यकता पड़ सकती है। हालांकि लगभग 3 सप्ताह के बाद आपका न्यूबॉर्न बेबी खुद से जाग कर दूध पीने के लिए रोना शुरू करने लगेगा।
न्यूबॉर्न बेबी का पेट छोटा सा होता है और उसे बार-बार न्यूट्रिशन की जरूरत होने के कारण वह ज्यादा दूध पी सकता है। यदि आप अपने बच्चे को फॉर्मूला दूध पिला रही हैं तो बच्चा ब्रेस्ट मिल्क की तुलना में यह दूध कम पिएगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि फॉर्मूला दूध को पचा पाना कठिन होता है और यह पचने में अधिक समय भी लेता है। वहीं दूसरी तरफ माँ का दूध बहुत सरलता से पच जाता है।
यदि बच्चा फॉर्मूला दूध पीता है तो उसे कितना दूध पिलाना है यह तय करने के लिए आप थंब रूल को अपना सकती हैं, यह बहुत सरल नियम है। बच्चे के वजन को 2.5 से गुणा करें और इसके परिणाम में को संख्या आती है, बच्चे को 24 घंटों में उतना ही फॉर्मूला दूध पिलाना चाहिए। यदि बच्चे का वजन 227 ग्राम है तो आपको एक दिन में अपने बच्चे को लगभग 567 ग्राम फॉर्मूला दूध पिलाना चाहिए।
यदि न्यूबॉर्न बेबी, माँ का दूध पीता है तो उसे 567 ग्राम – 851 ग्राम तक दूध पिलाना चाहिए। हालांकि शुरूआत के कुछ सप्ताह में बच्चे को उसकी आवश्यकता के अनुसार ही दूध पिलाना चाहिए क्योंकि इससे माँ के दूध की आपूर्ति होने में मदद मिलती है। इस दौरान आपका बच्चा पूरे दिन में 1-2 बार अधिक देर तक सो सकता है। इस समय उसकी नींद लगभग 4 घंटे की हो सकती है। इसलिए इस अवधि के अलावा आपको अपने बच्चे को हर 2-3 घंटे में दूध पिलाना चाहिए। ऐसा करने से बच्चे का विकास तेजी से होगा।
इस दौरान आपके बच्चे में कई विकास होंगे जिससे उसे पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रिशन की आवश्यकता हो सकती है। विकास के दौरान बच्चा अच्छी तरह से दूध पीता है इसलिए उसे आवश्यकता के अनुसार दूध पिलाना जरूरी है। बच्चे का विकास निम्नलिखित अवधि में तेजी से होगा:
बच्चे को कब भूख लगी है या उसे कब सोना है इसके संकेत वह खुद ही दे सकता है। यदि बच्चे को नींद आ रही है तो उसकी उबासी लेने, आँखों को मलने जैसे संकेतों पर ध्यान दें और उसे तुरंत सुला दें। हम यहाँ एक बच्चे के सोने और दूध पीने के एक औसत शेड्यूल की चर्चा कर रहे हैं। हो सकता है आपके बच्चे के सोने और दूध पीने का शेड्यूल इससे कुछ अलग हो। आइए जानते हैं कि एक बच्चे के सोने और दूध पीने का एवरेज शेड्यूल क्या है;
यह शेड्यूल उन न्यूबॉर्न बेबीज के लिए है जो औसत मात्रा में माँ का दूध पीते हैं। यह शेड्यूल माँ के दूध की औसतन आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए भी बनाया गया है। यहाँ लगभग 7 सप्ताह के बच्चे की नींद का शेड्यूल दिया गया है जो 2 सप्ताह से 8 सप्ताह के बच्चे में भी समान ही रहेगा, आइए जानते हैं;
सुबह 9:00 बजे | बच्चे को जगाएं और दूध पिलाएं |
सुबह 10:00 बजे | बच्चे को 30 से 60 मिनट के लिए सुला दें |
सुबह 11:00 बजे | बच्चे को जगाएं और दूध पिलाएं |
दोपहर 12:30 बजे | बच्चे को 30 से 60 मिनट के लिए सुला दें |
दोपहर 1:30 बजे | बच्चे को जगाएं और दूध पिलाएं |
दिन में 3:30 बजे | बच्चे को 30 से 60 मिनट के लिए सुला दें |
शाम 4:30 बजे | बच्चे को जगाएं और दूध पिलाएं |
शाम 6:00 बजे | बच्चे को 30 से 60 मिनट के लिए सुला दें |
शाम 6:30 बजे | बच्चे को जगाएं और दूध पिलाएं |
शाम 7:30 बजे | बच्चे को 20 से 30 मिनट थोड़ी देर के लिए सुला दें |
रात 8:00 बजे | बच्चे को जगाएं और दूध पिलाएं |
रात 9:30 बजे | बच्चे को 20 से 30 मिनट थोड़ी देर के लिए सुला दें |
रात 10:00 बजे | बच्चे को जगाएं और दूध पिलाएं |
रात 11:30 बजे | बच्चे लेटकर दूध पिलाकर सुला दें |
रात 3:30 बजे | बच्चे को दूध पिलाएं और तुरंत सुला दें |
सुबह 6:30 बजे | बच्चे को दूध पिलाएं और तुरंत सुला दें |
यदि बच्चे को रिफ्लक्स होता है यानि वह दूध उलट देता है या वह कम मात्रा में दूध पीता है या माँ के दूध की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति नहीं हो रही है तो बच्चे को सही तरह से दूध कैसे पिलाएं इसके बारे में जानने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
फॉर्मूला दूध पीने वाले बच्चों के सोने का समय ज्यादा होता है और वे कम दूध पीते हैं क्योंकि फॉर्मूला दूध को पचने में समय लगता है। निम्नलिखित टेबल में 2-8 सप्ताह के बच्चे के सोने और फॉर्मूला दूध पीने का शेड्यूल बताया गया है, आइए जानते हैं;
सुबह 9:00 बजे | बच्चे को जगाएं और उसे दूध पिलाएं |
सुबह 10:00 बजे | बच्चे को 30 से 60 मिनट के लिए सुला दें |
सुबह 11:00 बजे | बच्चे को जगाएं |
दोपहर 12:30 बजे | बच्चे को दूध पिलाएं और 30 से 60 मिनट के लिए सुला दें |
दोपहर 1:30 बजे | बच्चे को जगाएं |
दिन 3:00 बजे | बच्चे को दूध पिलाएं और 30 से 60 मिनट के लिए सुला दें |
शाम 4:30 बजे | बच्चे को जगाएं और उसे दूध पिलाएं |
शाम 6:00 बजे | बच्चे को 30 से 60 मिनट के लिए सुला दें |
शाम 6:30 बजे | बच्चे को जगाएं |
शाम 7:30 बजे | बच्चे को दूध पिलाएं और 30 से 60 मिनट के लिए सुला दें |
रात 8:30 बजे | बच्चे को जगाएं |
रात 9:30 बजे | बच्चे को 30 से 60 मिनट के लिए सुला दें |
रात 10:00 बजे | बच्चे को जगाएं और उसे दूध पिलाएं |
रात 11:30 बजे | बच्चे दूध पिलाकर सुला दें |
सुबह 4:30 बजे | बच्चे को दूध पिलाएं और तुरंत सुला दें |
सुबह 7:30 बजे | बच्चे को दूध पिलाएं और तुरंत सुला दें |
जैसा कि पहले भी बताया गया है कि यह शेड्यूल न्यूबॉर्न बेबी की औसत आवश्यकताओं को दर्शाता है। अपने बच्चे की आवश्यकताओं के अनुसार आप इस शेड्यूल को बदल भी सकती हैं। बच्चे के शेड्यूल से सबंधित जानकारी के लिए आप डॉक्टर से सलाह जरूर लें। यदि आप बच्चे को फॉर्मूला दूध और ब्रेस्ट मिल्क दोनों साथ में देना चाहती हैं तो डॉक्टर से पूछें कि आप अपने और बच्चे के अच्छे के लिए फॉर्मूला दूध का सर्वोत्तम तरीके से उपयोग कैसे कर सकती हैं। कुछ समय के लिए जब आप ऑफिस जाती हैं और सोने से तुरंत पहले आप उसे फॉर्मूला दूध पिला सकती हैं क्योंकि इससे बच्चे को बार-बार ज्यादा दूध पिलाना नहीं पड़ेगा। आपको यह ध्यान रखना जरूरी है कि 2 महीने के बच्चे के सोने का शेड्यूल बहुत लंबे समय के लिए नहीं भी बदल सकता है और आपको इसके लिए मानसिक रूप से तैयार रहने की जरूरत पड़ेगी।
संसाधन और संदर्भ:
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