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यह कहानी एक दानी राजा की है जो अपने राजमहल में होने वाले हर उत्सव में लोगोंं को दान दिया करता था और उसके इसी अच्छे कर्मों के कारण उसके भाग्य में पुत्र का सुख ना होने के बाद भी पुत्र प्राप्ति का वरदान मिलता है। इस कहानी में यह बताया गया है कि यदि हम सच्चे और अच्छे मन से किसी के लिए कुछ करते हैं तो हमारे साथ भी पलट कर अच्छा ही होता है। इस कहानी से हमें निस्वार्थ भाव से सदैव कर्म किए जाने की प्रेरणा मिलती है। ऐसी ही रोचक कहानियों को पढ़ने के लिए आप फर्स्टक्राई हिन्दी पैरेंटिंग की वेबसाइट पर जाकर बच्चों की बेहतरीन कहानियां पढ़ सकते हैं।
नीली आँखों वाली परी की कहानी के पात्र कुछ इस प्रकार हैं:
भानिया नाम का एक राज्य था जिसका राजा कर्ण हुआ करता था। वो एक दयालु राजा था जो हर उत्सव पर लोगों को दान दिया करता था। हर बार की तरह इस बार भी जब त्योहार आया तो महल में दान लेने के लिए बड़ी मात्रा में लोगोंं की भीड़ उमड़ आई। और राजा ने भी खूब खुले दिल से दान दिया।
लेकिन जब राजा सबको दान दे चुके तो अंत में एक महिला झुकी हुई कमर से उनके पास दान लेने आई, लेकिन अब राजा के पास दान देने के लिए कुछ नहीं बचा था, तो उन्होंने अपने हीरों की माला जो गले में पहन रखी थी उसे उतार कर महिला को दे दिया। हीरे की माला पा कर महिला बहुत खुश हो गई और उसने राजा को आशीर्वाद दिया और वहां से चली गई।
अगली सुबह राजा अपने बगीचे में बैठे हुए थे और सोचने लगे किसी चीज की कोई कमी नहीं है मेरे पास, हर सुख सुविधा है लेकिन मुझे मेरे जीवन में पुत्र की कमी महसूस होती है कि आखिर भगवान ने एक बेटा क्यों नहीं दिया कि तभी अचानक राजा की गोद में एक आम ऊपर से गिरता है। राजा अपनी चारों ओर देखने लगे कि आखिर यह आम आया तो आया कहां से?
कुछ ही समय बीता कि राजा को कई सारी परियां दिखाई दी, जिसमें से एक परी की आंखें नीले रंग की थी और वो राजा के पास आती है और उनसे कहती है कि यह जो आम तुम्हारे हाथ में है इसे जाकर अपनी पत्नी को दे देना। इस आम से तुम्हें पुत्र प्राप्ति होगी। इसका सेवन करने के बाद तुम्हारी पत्नी माँ बन जाएगी।
परी राजा से कहती है कि तुम्हारे भाग्य में पुत्र सुख नहीं लिखा है, लेकिन क्योंकि तुम साफ दिल के और एक दानी व्यक्ति हो तो तुम्हें यह खासतौर यह तोहफा दिया जा रहा है। लेकिन यह सुख तुम्हारे जीवन में सिर्फ 21 साल तक ही रहेगा और जैसे ही तुम्हारे पुत्र का विवाह होगा उसकी मृत्यु हो जाएगी। राजा यह सुनकर बहुत दुखी हो गया और नीली आँखों वाली परी से पुछा क्या इसका कोई उपाय नहीं है?
परी ने राजा कर्ण से कहा “राजन कल जो सबसे आखिर में झुकी कमर वाली महिला तुमसे दान लेने आई थी वो कोई नहीं मैं ही थी जिसे तुमने हीरे का हार दान दिया था। तुम्हारे अच्छे स्वभाव और कर्मों के कारण मैंने तुझे पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देने आई हूँ।”
परंतु तुम्हारा पुत्र 21 वर्ष से ज्यादा जीवित नहीं रह पाएगा। और जब उसकी मृत्यु हो जाए तो उसे एक संदूक में डालकर संदूक के अंदर चार दही के घड़े रख देना और संदूक को जंगल के बीच में छोड़ देना। इतना कहने के वो परी वहां से गायब हो गई।
राजा वापस अपने महल गया और अपनी पत्नी रानी मैत्री को सारी बात बताई और उसे वो आम खाने को कहा। आम खाने के नौ महीने बाद राजा की पत्नी ने बेटे को जन्म दिया जिसका नाम ‘देव’ रखा गया। राजा बहुत खुश हुआ और खूब जश्न मनाया।
समय बीतता गया और देखते ही देखते राजकुमार देव 21 वर्ष के हो गए। उनकी शादी के लिए प्रस्ताव आना शुरू हो गया। राजा ने अपने पुत्र की शादी एक बुद्धिमान कन्या जिसका नाम वत्सला था उससे करा दी। विवाह के कुछ ही दिनों बाद राजकुमार की मृत्यु हो गई और नीली आँखों परी की बात सच साबित हो गई।
समय के साथ राजा नीली परी की बात भूल चुके थे और जब वे अपने पुत्र को श्मशान ले जा रहे थे उसी दौरान के उन्हें परी की बात याद आई और राजा ने तुरंत अपने सैनिकों से संदूक और दही से भरे घड़े लाने के लिए कहा और उसे जंगल के बीच छोड़ देने के लिए कहा। बेटे को खोने के बाद अब राजा का कहीं मन नहीं लग रहा था और कुछ समय बाद राजकुमार देव की पत्नी भी अपने मायके चली गई।
समय तेजी से बीत रहा था और राजकुमार की मृत्यु को अब एक साल होने को आया था। एक दिन राजकुमार की पत्नी
वत्सला के घर एक वृद्ध व्यक्ति खाना मांगने आया जिसे राजकुमार की पत्नी ने बड़े ही प्यार से खाना खिलाया जिसके बाद वो वृद्ध अपने हाथ धोने के लिए जैसे ही अपनी मुट्ठी खोलता है तो वो उनके हाथों में अपने पति की सोने की जंजीर देखती है।
बिना एक क्षण गवाए वो उनसे पूछती है कि यह आपको कहाँ से मिली? यह तो मेरे पति की है। भिखारी डरते हुए बोला यह मुझे जंगल के बीच रखें संदूक से मिली है। रानी ने कहा आप भयभीत न हों, आप बस मुझे उस संदूक तक पहुंचा सकते हैं।
भिखारी ने उत्तर दिया – ‘’वो एक घना जंगल है, मैं आपको वहां तक लेकर नहीं जा सकता’’। आप चाहें तो आपको उस संदूक से कुछ दूर पर छोड़ सकता हूँ।
रानी उस भिखारी के साथ जंगल की ओर बढ़ गई और कुछ दूर के बाद भिखारी ने आगे जाने से माना कर दिया। रानी अकेले ही अपने पति के संदूक को ढूंढने के लिए आगे बढ़ गई। जब रानी संदूक के कुछ पास पहुंची तो देखती है कि वहां बहुत सारी परियां मौजूद हैं यह देखकर रानी पेड़ के पीछे छुप कर देखने लगी कि आखिर हो क्या रहा है?
उसने देखा नीली आँखों वाली परी राजकुमार के सिर और पैर के पास एक लकड़ी रखती हैं। जिसके बाद राजकुमार संदूक से बाहर आ जाता है। और फिर परियां उन्हें मिठाई खिलाती हैं और फिर से राजकुमार को संदूक में डालकर उसकी स्थिति बदल देती हैं।
हर रात नीली आँखों वाली परी यही प्रक्रिया दोहराती यह सब देखकर रानी बहुत डर गई लेकिन जंगल से कुछ फल खा कर उसने तीन-चार दिन उसी जंगल में बिताए और सब देखती रही।
फिर एक दिन हिम्मत कर के रानी ने भी नीली आँखों वाली परी की तरह संदूक खोल कर लड़की की स्थिति को जैसी ही बदला राजकुमार संदूक से बाहर आ गया। जैसे ही राजकुमार ने अपनी पत्नी को देखा वो हैरान हो गया।
इससे पहले राजकुमार कुछ बोलता कि रानी ने कहा – “मैं अब आपको इस हालत में यहां नहीं रहने दूंगी आप को मेरे साथ यहां से चलना होगा”।
राजकुमार ने पत्नी से कहा तुम शायद यह नहीं जानती हो पर मैं इस दुनिया में नीली आँखों वाली परी की वजह से ही आया हूँ और मैं उनकी इच्छा के विरुद्ध कुछ नहीं कर सकता हूँ। तुम मेरे संदूक से एक दही का घड़ा अपने साथ राजमहल लेकर जाओ और वहां छुपकर रहना। तुम्हे नौ महीने बाद बेटा होगा और तब मैं तुमसे मिलने आऊंगा। जाओ अब तुम जल्दी से लड़की की स्थिति को बदल कर मुझे वापस संदूक में भेज दो।
जैसा राजकुमार ने कहा ठीक वैसे ही उसकी पत्नी ने किया और दही से भरा हुआ घड़ा लेकर वो राजमहल पहुंच गई। रानी गर्भवती है यह जानकार उसे राजमहल में रहने दिया गया।
रानी ने नौ महीने बाद पुत्र को जन्म दिया और वादे के अनुसार राजकुमार रानी से मिलने आया। इतने में राजकुमार को वहां से गुजरते देख उसकी माँ ने उसे पहचान लिया और कहने लगी कि अब मैं तुम्हें कहीं नहीं जाने दूंगी।
राजकुमार ने माँ के साथ जाने से इंकार कर दिया और कहा मैं आपके साथ नहीं आ सकता। इसका एक ही हल है कि आपको अपने पोते के लिए एक उत्सव रखना होगा और आप उस उस्तव में सारी परियों को आमंत्रित करेंगी। जब नीली आँखों वाली परी आए तो आप उसके हाथ से उसका बाजूबंद निकाल कर आग में जला दें और उसके बाद उनसे मेरे जीवन का वरदान मांग लीजिएगा।
इतना कहने के बाद राजकुमार अपनी माँ की आँखों से कहीं ओझल हो गया। जैसा राजकुमार ने कहा माँ ने वैसा ही किया और एक बड़े उत्सव का आयोजन किया और सभी परियों को भी बुलाया। सभी जश्न मना रहे थे कि अचानक बड़ी रानी का पोता रोने लगा उसे रोता देख नीली आँखों वाली परी ने उसे गोद में उठा लिया। परी के उठाते ही बच्चा शांत हो गया यह देखकर बड़ी रानी बोली इसे आपका बाजूबंद पसंद आ गया है क्या इसे कुछ देर के लिए मेरे पोते को दे सकती हैं?
परी ने अपना बाजूबंद खोल को दे दिया। और मौका मिलते ही सबके नजरों से बचते हुए बड़ी रानी ने बाजूबंद आग में फेक दिया।
बड़ी रानी को ऐसा करते देख नीली आँखों वाली परी ने उनसे पुछा यह आपने क्या किया? अब मैं आपके बेटे को अपने साथ जंगल में नहीं रख पाऊँगी। बड़ी रानी परी के सामने विनती करने लगी और कहने लगी आपके कारण मुझे पुत्र प्राप्ति हुई थी अब आप ही मुझे मेरे बेटे को वापस लौटा सकती हैं मैं आपके आगे भीख मांगती हूँ मुझ पर यह एहसान कर दें।
एक माँ का प्यार देख कर परी को उन पर दया आ गई और उन्होंने बड़ी रानी को अपना आर्शीवाद दिया जिसके बाद राजकुमार अपने महल वापस लौट आया और राजमहल की खुशियां वापस लौट आई।
हमें हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए बिना किसी लालच के और ऐसा करने से कभी-कभी भगवान हमें वो भी दे देते हैं जो हमारे भाग्य में नहीं होता है। इसलिए निस्वार्थ भाव से किया गया दान पुण्य हमारे ही पास किसी न किसी रूप में लौट कर आता है जिसकी हमने कल्पना भी न की हो।
यह एक परी की कहानी है। इस प्रकार की कहानियां बच्चों को खासकर लड़कियों को बहुत पसंद आती हैं।
राजा की तरह हम सब को अपना दिल बड़ा रखना चाहिए और निस्वार्थ होकर लोगोंं के साथ दया का भाव रखना चाहिए। यदि हम अच्छे काम करेंगे तो बदले में हमें भी अच्छा मिलेगा।
अच्छे कर्मों का फल भी अच्छा होता है जैसे राजा के अच्छे कर्मों की वजह से उन्हें पुत्र का सुख न होने के बाद भी पुत्र की प्राप्ति हुई थी।
कहानियां बच्चों के जीवन में एक अहम भूमिका निभाती है इसलिए हमें बच्चों को ऐसी कहानियां बतानी चाहिए जिससे उन्हें कुछ न कुछ सीख मिले वो जीवन में कैसे आगे बढ़ना चाहिए इसकी सीख मिल सके। उम्मीद है आपको यह कहानी बहुत पसंद आई होगी ऐसी ही बेहतरीन और मजेदार कहानियों को पढ़ने के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।
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