शिशु

न्यूबॉर्न और छोटे बच्चों में मिलिया होना – प्रकार, कारण और उपचार

छोटे बच्चों की त्वचा संवेदनशील और नाजुक होने के कारण आपने अक्सर उनकी त्वचा से संबंधित समस्याएं देखी होंगी। छोटे बच्चों की त्वचा में मिलिया नाम की एक समस्या होती है। यह समस्या बच्चे की त्वचा पर सफेद छोटे दानों के रूप में दिखती है और इसे आमतौर पर मिल्क स्पॉट्स कहते हैं। इस आर्टिकल में छोटे बच्चों की त्वचा में मिलिया की समस्या कैसे होती है, इसका कारण और उपचार सभी के बारे में बताया गया है, जानने के लिए आगे पढ़ें। 

मिलिया क्या है?

मिलिया या मिलियम सिस्ट बहुत छोटे सफेद रंग के धब्बे होते हैं जो शिशुओं की नाक, गाल या ठोढ़ी पर दिखाई देते हैं। ये धब्बे आंखों के आस-पास या माथे पर भी दिखाई दे सकते हैं और कभी-कभी बच्चे के जेनिटल में भी होते हैं। न्यूबॉर्न मिलिया आमतौर पर केराटिन से भरा हुआ सिस्ट होता है जो त्वचा में मौजूद एक एलिमेंट है। ये सिस्ट एक साथ बहुत सारे दिखाई देते हैं और इनसे कोई भी हानि नहीं होती है। इसलिए इन्हें मिलिया कहा जाता है। ये लगभग 40% – 50% न्यूबॉर्न बच्चों में होते हैं। 

कुछ बच्चों में ये थोड़ा बहुत होता है और कुछ में बहुत ज्यादा दिखाई देते हैं। आमतौर पर मिलिया जन्म के बाद एक दो दिन में ही दिखने लगते हैं पर प्रीमैच्योर बच्चे में यह कुछ दिनों व सप्ताह के बाद दिखते हैं। 

मिलिया के प्रकार

ये बंप्स बच्चे की त्वचा में 1-2 मिमी के आकार व डोम शेप के होते हैं। इनका रंग सफेद या पीला होता है पर यदि ये किसी रफ शीट या कपड़े के संपर्क में आते हैं तो लाल हो सकते हैं और इनमें इरिटेशन होने लगती है। 

मिलिया के कई प्रकार होते हैं। इस समस्या में सिस्ट की विशेषता बच्चे की उम्र के अनुसार दिखने पर ही बताई जा सकती है। हालांकि बच्चों में ज्यादातर दो प्रकार के मिलिया होते हैं जिसके बारे में यहाँ बताया गया है, आइए जानें;

1. नियोनेटल मिलिया

यह एक मुख्य समस्या है जो अक्सर न्यूबॉर्न शिशुओं में पाई जाती है और कुछ सप्ताह के बाद अपने आप ही ठीक हो जाती है। 

2. जुवेनाइल मिलिया

जुवेनाइल मिलिया बच्चे में जन्म के समाय या बाद में दिखाई देता है और यह आमतौर पर जेनेटिक होता है जिसमें कभी-कभी मेडिकल समस्याएं भी हो सकती हैं। जुवेनाइल मिलिया से संबंधित जो समस्याएं होती हैं उनमें बेसल सेल नेवस सिंड्रोम और गार्डनर सिंड्रोम भी शामिल है। 

न्यूबॉर्न बच्चों में मिलिया होने के कारण क्या हैं

नवजात बच्चे की त्वचा में ऑयल ग्लैंड्स पूरी तरह से विकसित न होने के कारण मिलिया होता है। त्वचा जो प्राकृतिक रूप से खुली होनी चाहिए वह बंद रहती है। त्वचा में मौजूद सेबेशियस ग्लैंड्स ऑयल उत्पन्न करने में मदद करते हैं जिसे सीबम कहा जाता है और यह त्वचा को फ्रेश व मुलायम बनाए रखने में मदद करता है। 

ऑयल और मृत त्वचा से बच्चे की स्किन के छिद्र बंद हो जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप सफेद रंग के स्पॉट या धब्बे आने लगते हैं। हालांकि ये धब्बे कुछ समय के बाद अपने आप गायब हो जाते हैं और मृत त्वचा हट जाती है। 

छोटे बच्चों में मिलिया के लक्षण

मिलिया में अक्सर कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं पर यदि बड़ों में यह समस्या होती है तो उन्हें खुजली का अनुभव हो सकता है। बच्चे के चेहरे पर सफेद रंग के दाग अक्सर उसकी ठोढ़ी, नाक और गाल पर दिखाई दे सकते हैं। कभी-कभी ये बंप्स मसूड़ों या मुंह के ऊपरी हिस्से में भी दिखाई दे सकते हैं। इसे एप्सटीन पर्ल्स कहते हैं। छोटे बच्चों में एक्ने की समस्या होने के परिणामस्वरूप मिलिया के लक्षण बढ़ने लगते हैं। 

छोटे बच्चों में मिलिया का टेस्ट और डायग्नोसिस

शिशुओं की त्वचा में सिस्ट के आधार पर मिलिया को आसानी से पहचाना जा सकता है। बच्चों में इस समझने के लिए किसी भी टेस्ट की जरूरत नहीं है। 

क्या मिलिया के कारण बढ़ते बच्चों में एक्ने हो सकता है?

बढ़ते बच्चों में मिलिया और एक्ने होने का कोई भी संबंध नहीं है। बड़ों में एक्ने होने का एक कारण जेनेटिक्स भी होता है।

छोटे बच्चों में मिलिया का ट्रीटमेंट

मिलिया के लिए कोई भी ट्रीटमेंट नहीं है क्योंकि इसके धब्बे अक्सर खुद ही 2 से 4 सप्ताह में बिना किसी ट्रीटमेंट के गायब हो जाते हैं। हालांकि यदि ये धब्बे वयस्कों में होते हैं तो इसे खत्म करने के लिए माइनर सर्जिकल प्रोसीजर कराने की जरूरी पड़ती है। 

यदि इससे इरिटेशन होती है तो आप एक तरीके का उपयोग कर सकती हैं। एक माइल्ड क्लींजर व गुनगुने पानी से बच्चे का चेहरा रोजाना धोएं और इसे सुखाने के लिए हल्के-हल्के पोंछ लें। 

सिस्ट को रगड़ें या इसमें खुजली कभी न करें क्योंकि इससे इंफेक्शन हो सकता है। इसके अलावा छोटे बच्चों के चेहरे पर कोई भी तेल न लगाएं। 

मिलिया से बचने के लिए होम रेमेडीज का उपयोग कैसे करें

इन धब्बों को ठीक करने का कोई भी तरीका नहीं है और ये अपने आप ही गायब हो जाते हैं। पर फिर भी आप कुछ होम रेमेडीज का उपयोग कर सकती हैं जो बच्चे की त्वचा के लिए बेहतर हैं, आइए जानें;

  • गुनगुने पानी में एक सॉफ्ट कपड़ा डालें और इसे निचोड़ लें। बेबी की त्वचा पर इसे रखने से पहले चेक कर लें कि कपड़ा बच्चे की त्वचा के लिए बहुत ज्यादा या कम गर्म न हो। कपड़े को तब तक रखें जब तक यह पूरी तरह से ठंडा न हो जाए और इस प्रोसेस को एक सप्ताह तक हर रोज दिन में तीन बार करें। बच्चे की त्वचा से सफेद रंग के धब्बे अपने आप ही गायब हो जाएंगे। कभी-कभी इसे ठीक होने में एक सप्ताह से ज्यादा समय भी लग सकता है। इस बात का ध्यान रखें कि पानी इतना ज्यादा गर्म न हो कि इससे बच्चे की त्वचा में जलन होने लगे।
  • आप बच्चे के चेहरे में धीरे-धीरे होम मेड स्क्रब की मालिश भी कर सकती हैं। इस स्क्रब को बनाने के लिए आप बादाम को पानी में लगभग 3 से 4 घंटों तक भिगोएं और थोड़े से दूध में पीस कर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट से धब्बों पर हल्के हाथों से मालिश करें और आपको फर्क नजर आएगा।

नोट: इस बात का ध्यान रखें कि ट्रीटमेंट के लिए इन उपायों के इस्तेमाल से पहले आप डॉक्टर की सलाह जरूर लें। 

मिलिया से बचाव के टिप्स

न्यूबॉर्न और छोटे बच्चों को मिलिया से बचाया नहीं जा सकता है पर आप सिर्फ इस बात का ध्यान रखें कि ट्रीटमेंट के दौरान इससे बच्चे के शरीर में इरिटेशन न हो। 

डॉक्टर से कब मिलें

मिलिया की समस्या बहुत गंभीर नहीं होती है और इससे बच्चा इरिटेट भी नहीं होता है। हालांकि यदि बच्चे के शरीर में धब्बे बढ़ रहे हैं या आसपास की त्वचा में सूजन व दर्द है या ये समय के साथ खत्म नहीं होते हैं तो आप डॉक्टर से मिलें। 

मिलिया एक सौम्य लक्षण है जो कुछ समय के बाद अपने आप ही ठीक हो जाता है। हालंकि यदि यह खुद से ठीक नहीं होता है तो इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाएं। 

यह भी पढ़ें:

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सुरक्षा कटियार

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