शिशु

न्यूबॉर्न बेबी में कंजेनिटल डायाफ्रामेटिक हर्निया

डायाफ्रामेटिक हर्निया, जिसे कंजेनिटल डायाफ्रामेटिक हर्निया (सीडीएच) भी कहते हैं, एक बहुत ही दुर्लभ जन्मजात बीमारी है, जो कि लगभग 3000 बच्चों में से किसी एक को होती है। यह एक ऐसी असामान्यता है, जो कि गर्भावस्था की शुरुआत में गर्भस्थ शिशु में विकसित होती है। पेट और छाती को अलग करने वाले डायाफ्राम में एक ओपनिंग होने के कारण, एब्डोमिनल कैविटी के अंग, चेस्ट कैविटी में चले जाते हैं। जिसके कारण फेफड़े अविकसित रह जाते हैं और बच्चे में जन्म के बाद सांस लेने से संबंधित समस्याएं पैदा होती हैं। सीडीएच की पहचान जल्द हो सकती है और गर्भावस्था के दौरान या डिलीवरी के बाद इसका इलाज किया जा सकता है। 

डायाफ्रामेटिक हर्निया क्या है?

डायाफ्राम एक समतल और चौड़ी मांसपेशी होती है, जो कि पेट को छाती से अलग करती है। लगभग 8 सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान, यह पेट में पल रहे बच्चे में बनने लगती है। जब डायाफ्राम पूरी तरह से नहीं बन पाता है, तो इसमें एक छेद रह जाता है, जिससे एक दोष पैदा होता है, इसे कंजेनिटल डायाफ्रामेटिक हर्निया के नाम से जाना जाता है। सीडीएच के ज्यादातर मामले बाईं तरफ होते हैं और इस खुले हिस्से से आंतें, स्टमक, लिवर, स्प्लीन और किडनी जैसे पेट के अंग, बच्चे के छाती के हिस्से में चले जाते हैं। ये अंग जब चेस्ट कैविटी में चले जाते हैं, तब उस जगह पर कब्जा कर लेते हैं, जो जगह फेफड़ों के सामान्य विकास के लिए जरूरत होती है। इससे एक या दोनों फेफड़ों का विकास प्रभावित होता है। चूंकि, गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा के माध्यम से बेबी को ऑक्सीजन मिलती है, इसलिए उसे सांस लेने के लिए फेफड़ों की जरूरत नहीं होती है। लेकिन, जब वह सीडीएच दोष के साथ जन्म लेता है, तो फेफड़ों का आकार छोटा होने के कारण, बेबी को जीवित रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। शिशुओं में डायाफ्रामेटिक हर्निया का इलाज सर्जरी के द्वारा किया जा सकता है और उसमें रिकवरी का चांस अच्छा होता है। 

न्यूबॉर्न बच्चों में डायाफ्रामेटिक हर्निया कितना आम है?

नवजात बेबी में डायाफ्रामेटिक हर्निया, हर्निया का सबसे दुर्लभ प्रकार है। आंकड़ों के अनुसार, हर 2500 से 3000 बच्चों में से एक में जन्मजात डायफ्रामेटिक हर्निया का मामला देखा जाता है

डायाफ्रामेटिक हर्निया के प्रकार

डायाफ्रामेटिक हर्निया को दो प्रकारों में बांटा जा सकता है: 

1. बॉकडालेक हर्निया

बॉकडालेक हर्निया, लगभग 80 से 90% मामलों में देखा जाता है और इसमें डायाफ्राम के साइड और पीछे के हिस्से शामिल होते हैं। स्टमक, स्प्लीन, लिवर और इंटेस्टाइन जैसे अंग, आमतौर पर चेस्ट कैविटी में चले जाते हैं। इस प्रकार के डायाफ्रामेटिक हर्निया में, डायाफ्राम का विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता है या डायाफ्राम के निर्माण के दौरान आँतें फंस सकती हैं। 

2. मॉर्गाग्नि हर्निया

मॉर्गाग्नि हर्निया बहुत ही दुर्लभ है और यह लगभग 2% मामलों में देखा जाता है। इसमें डायाफ्राम के सामने के हिस्से में छेद होता है। इसमें लीवर और/या आँतें चेस्ट कैविटी में चली जाती हैं। 

कारण

डायाफ्रामेटिक हर्निया एक ऐसी स्थिति है, जिसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें अनुवांशिक और पर्यावरण संबंधी कारण शामिल हैं। बच्चों में डायाफ्रामेटिक हर्निया के कुछ कारण इस प्रकार हैं:

  • क्रोमोसोम एवं आनुवंशिक असामान्यता, जिसके कारण टिशू के निर्माण के दौरान विसंगति पैदा होना।
  • न्यूट्रिशन से संबंधित समस्याएं, जिसके कारण डायाफ्राम का विकास अधूरा रह सकता है।
  • मॉर्गाग्नि हर्निया, जैसे मामलों में डायाफ्राम के बीच में मौजूद टेंडन का विकास सही तरह से नहीं होता है।
  • डायाफ्रामेटिक हर्निया से ग्रस्त लगभग 40% बच्चों में अन्य समस्याएं भी देखी जाती हैं, जैसे फेफड़ों के टिशू और उस क्षेत्र के ब्लड वेसेल्स का अधूरा विकास। यह स्पष्ट नहीं है, कि टिशू का अधूरा विकास डायाफ्रामेटिक हर्निया के कारण होता है या अन्य कारणों से

लक्षण

छोटे बच्चों में डायाफ्रामेटिक हर्निया के संकेत इस प्रकार हैं: 

  • सांस लेने में कठिनाई, सीडीएच का पहला संकेत है। चेस्ट कैविटी में जगह न होने के कारण, जन्म के बाद बच्चे के फेफड़े सही तरह से काम नहीं कर पाते हैं।
  • तेज सांसें, जिसे टेकिप्निया भी कहा जाता है, सीडीएच से ग्रस्त बच्चों में देखा जाता है। चूंकि, ऑक्सीजन का स्तर कम होता है, ऐसे में फेफड़े तेज सांसें लेकर इस कमी को पूरा करने की कोशिश करते हैं।
  • शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन की कमी के कारण, त्वचा की रंगत में भी बदलाव देखा जाता है। इससे त्वचा का रंग नीला पड़ने लगता है (साइनोसिस)।
  • चूंकि हृदय शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए जोर से पंप करता है, ऐसे में हृदय की तेज गति (टेककार्डिया) देखी जाती है।
  • सांस की आवाज न होना, सीडीएच से ग्रस्त बच्चों में आम है। चूंकि फेफड़ों का विकास अधूरा रहता है, सांस की आवाज लगभग अनुपस्थित होती है या फिर प्रभावित हिस्से पर इसे सुनना मुश्किल होता है।
  • चूंकि आंतों का एक हिस्सा छाती में होता है, ऐसे में बॉवेल साउंड चेस्ट कैविटी पर चुने जाते हैं।

पहचान और टेस्ट

कंजेनिटल डायाफ्रामेटिक हर्निया की पहचान अक्सर शिशु के जन्म के पहले हो जाती है। लगभग आधे मामले गर्भावस्था के दौरान रूटीन अल्ट्रासाउंड के दौरान पता चल जाते हैं। गर्भाशय में एमनियोटिक फ्लूइड की मात्रा अधिक होना भी, अक्सर एक संकेत होता है। यदि गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड में इसकी पहचान न हो, तो बच्चे के जन्म के बाद उसमें सीडीएच के संकेत और लक्षण दिखते हैं। लक्षणों के आधार पर डॉक्टर सीडीएच की पहचान के लिए निम्नलिखित टेस्ट कर सकते हैं: 

  • एक्स-रे
  • चेस्ट कैविटी की रियल टाइम इमेजिंग के लिए अल्ट्रासाउंड स्कैन
  • सीटी स्कैन जिससे एब्डोमिनल और चेस्ट कैविटी को सीधा देखा जा सकता है
  • एमआरआई स्कैन जिससे अंगों को देखा जा सकता है

रिस्क और कॉम्प्लीकेशन्स

  • गंभीरता के आधार पर, बच्चों में इलाज के बाद दोबारा सीडीएच हो सकता है, जिसमें आगे चलकर सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
  • सीडीएच से ग्रस्त बच्चों में रेस्पिरेटरी समस्याएं आमतौर पर देखी जाती हैं। उनमें पल्मोनरी हाइपरटेंशन (फेफड़ों में रक्त प्रवाह में रुकावट) हो सकता है और घर पर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है। उन्हें रेस्पिरेटरी सिंसिशल वायरस (आरएसवी) जैसे वायरस से इंफेक्शन का भी खतरा अधिक होता है।
  • बच्चों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं भी होती हैं, जैसे न्यूट्रिशन और ओरल एवर्जन और गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी)।
  • जब सर्जरी के माध्यम से आंतों को दोबारा एब्डोमेन में रखा जाता है, तो बॉवेल ऑब्स्ट्रक्शन और कब्ज भी हो सकता है।
  • जब बच्चे बड़े होते जाते हैं, तब उनमें स्केलेटल विकास से संबंधित समस्याएं, सुनने में और विकास संबंधी देर भी देखी जाती है।

इलाज

सीडीएच का इलाज इस बात पर निर्भर करता है, कि स्थिति कितनी गंभीर है और सबसे सुरक्षित विकल्प क्या है, जो लंबे समय तक अच्छे परिणाम दे सकें। 

गर्भावस्था के दौरान

  • यदि बच्चे में सीडीएच गंभीर हो, तब परक्यूटेनियस फीटल एंडॉल्यूमिनल ट्रैकिअल ऑक्लूजन (एफईटीओ) नामक एक तकनीक के माध्यम से गर्भावस्था में रहने के दौरान ही, उसका इलाज किया जा सकता है। यह एक जटिल प्रक्रिया होती है, इसलिए यह केवल कुछ विशेष मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में ही उपलब्ध होती है।
  • एफईटीओ में की-होल सर्जरी के द्वारा बच्चे के विंड पाइप में एक छोटा बलून लगाया जाता है। यह प्रक्रिया लगभग 26 से 28 सप्ताह की प्रेग्नेंसी के दौरान की जाती है और यह बलून बच्चे के फेफड़ों के विकास को स्टिमुलेट करता है। बाद में गर्भावस्था के दौरान या जन्म के दौरान इसे निकाल लिया जाता है।
  • एफईटीओ एक जटिल ऑपरेशन है। इसलिए इसमें मेंब्रेन के रप्चर होने का और प्रीमेच्योर लेबर का खतरा होता है। स्पेशलिस्ट आपको आपके विकल्पों पर सही सलाह और निर्देश दे सकते हैं।
  • यदि सीडीएच गंभीर न हो, तो बिना दखलअंदाजी किए हुए इंतजार करने को प्राथमिकता दी जाती है।

जन्म के बाद

  • जन्म के बाद डायाफ्रामेटिक हर्निया के इलाज के लिए सर्जरी पहला कदम होती है। सीडीएच में तुरंत सर्जरी की जरूरत होती है और डिलीवरी के बाद 48 से 72 घंटे के अंदर इसे किया जा सकता है।
  • सर्जरी से पहले बच्चे को नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा जाता है, क्योंकि सीडीएच जानलेवा होता है। सांस लेने में मदद के लिए उसे मेकेनिकल वेंटिलेटर नामक ब्रीदिंग अपरेटस पर रखा जाता है।
  • एक बार जब बच्चे की स्थिति स्थिर हो जाती है, तब स्टमक, इंटेस्टाइन और अन्य अंगों को वापस एब्डोमेन में डालने के लिए सर्जरी की जाती है और डायाफ्राम के छेद को रिपेयर किया जाता है।

आपका बच्चा कब डिस्चार्ज होगा?

ज्यादातर बच्चों को सर्जरी के बाद नियोनेटल इंटेंसिव केयर में रहना पड़ता है, ताकि जब तक वे खुद सांस नहीं ले सकते, तब तक सांस लेने में उनकी मदद की जाए। सीडीएच की गंभीरता के आधार पर, उन्हें 3 से 12 सप्ताह तक इंटेंसिव केयर में रहना पड़ सकता है। 

आपका बच्चा कैसे रिकवर होगा?

सर्जरी के बाद जब तक बच्चे के फेफड़े सांस लेने के योग्य, ठीक नहीं हो जाते, तब तक उन्हें वेंटिलेटर पर रहना होगा। आंतों को भी ठीक होने में और अच्छी तरह से काम शुरू करने में समय लगेगा। इस दौरान बच्चे को जरूरी भोजन और पोषण ड्रिप-फेड किया जाएगा। स्थिति बेहतर होने पर, उनके पेट में जाने वाली एक ट्यूब के द्वारा थोड़ी मात्रा में मां का दूध या फार्मूला दिया जाएगा। जब उसकी स्थिति बेहतर हो जाएगी, तब वह सीधा ब्रेस्टफीड या बोतल फीड कर सकेगा। 

क्या आप अपने बच्चे में डायाफ्रामेटिक हर्निया से बचाव कर सकते हैं?

कंजेनिटल डायाफ्रामेटिक हर्निया से बचाव के लिए कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। अगर परिवार में यह स्थिति है, तो माता-पिता जेनेटिक काउंसलिंग पर विचार कर सकते हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. क्या दूसरे बच्चे में भी डायाफ्रामेटिक हर्निया की समस्या होने की कोई संभावना होती है?

अगली गर्भावस्था में बच्चे में सीडीएच की समस्या होना लगभग नामुमकिन है। ऐसा होने की संभावना लगभग 2% होती है। 

2. क्या डायाफ्रामेटिक हर्निया भविष्य में कोई समस्या बन सकता है?

सीडीएच की गंभीरता के आधार पर, कुछ बच्चे ठीक हो सकते हैं और आने वाले वर्षों में अच्छी तरह जीवन जी सकते हैं। वहीं कुछ बच्चों को लंबे समय तक ऑक्सीजन और दवाओं की जरूरत पड़ सकती है। कुछ बच्चों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और विकास संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। 

कंजेनिटल डायाफ्रामेटिक हर्निया एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति है। लेकिन पॉजिटिव निदान और उपचार से इस जन्मजात बीमारी को इलाज के द्वारा ठीक किया जा सकता है। 

यह भी पढ़ें: 

शिशुओं में रोसियोला (सिक्स्थ डिजीज)
शिशुओं में साइटोमेगालोवायरस (सीएमवी)
शिशुओं में हाइड्रोनेफ्रोसिस: कारण, लक्षण और इलाज

पूजा ठाकुर

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

3 days ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

3 days ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

3 days ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

5 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

5 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

5 days ago