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बेदाग त्वचा के साथ कोई भी पैदा नहीं होता, बल्कि हमारी त्वचा पर मस्सों से लेकर तिल के निशान और मुहांसों से लेकर बर्थ मार्क्स तक, कई तरह के अनोखे निशान होते हैं और ये सब हमें सुंदर और अनोखा बनाते हैं। बर्थ मार्क्स कैसे बनते हैं, इनके खतरे क्या हैं और इनके इलाज के तरीकों के बारे में और अधिक जानकारी के लिए आगे पढ़ें।
बच्चे की त्वचा पर जन्म के समय या जन्म के बाद बनने वाले बदरंग हिस्से बर्थ मार्क्स के नाम से जाने जाते हैं। बच्चों के बर्थ मार्क्स मामूली दागों से लेकर बड़े आकार की विरूपता तक हो सकते हैं और ये शरीर पर कहीं भी मौजूद हो सकते हैं। सभी नवजात शिशुओं में से लगभग 90% बर्थ मार्क्स के साथ जन्म लेते हैं। इनमें से अधिकतर समय के साथ गायब हो जाते हैं, वहीं कुछ स्थाई होते हैं। बर्थ मार्क्स स्वास्थ्य संबंधी किसी छुपी हुई समस्या का संकेत भी हो सकते हैं, इसलिए, अगर आपको इसे लेकर चिंता हो रही है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
बर्थ मार्क्स कई आकारों, स्वरूप, टेक्सचर और रंगों के हो सकते हैं। ये मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं, वैस्कुलर बर्थ मार्क्स और पिगमेंटेड बर्थ मार्क्स। वैस्कुलर बर्थ मार्क्स त्वचा के अंदर के ब्लड वेसल्स में विकास संबंधी खराबी के कारण बन जाते हैं। ये लाल और नीले के बीच के रंगों के स्पेक्ट्रम जैसे दिखते हैं, जो कि त्वचा के अंदर ब्लड वेसल की गहराई पर निर्भर करता है। पिगमेंटेड बर्थ मार्क्स, पिग्मेंट युक्त सेल्स में होने वाली खराबी के कारण बनते हैं और इनका रंग भूरा, काला या गहरे सलेटी जैसा गहरा हो जाता है। जहाँ तक टेक्सचर और आकृति की बात है, तो ये चिकने या खुरदरे और समतल या टेढ़ेमेढ़े कुछ भी हो सकते हैं।
विशेषताओं पर आधारित बर्थ मार्क्स कई तरह के होते हैं:
जन्मजात मेलानोसाइटिक नेवस या मस्से, आमतौर पर चेहरे, पीठ और गर्दन पर बनते हैं, लेकिन ये शरीर पर कहीं भी हो सकते हैं। हल्के रंग की त्वचा वाले बच्चों में यह हल्के भूरे, आकृति रहित निशान जैसा दिखता है, जो कि चिकना या खुरदरा कुछ भी हो सकता है। गहरी त्वचा वाले शिशुओं में इनका रंग काला या गहरा भूरा होता है। इनका आकार कुछ भी हो सकता है, लेकिन आमतौर पर बच्चे के बढ़ने के साथ-साथ यह छोटा होता जाता है।
पोर्ट वाइन स्टेन जिसे नेवस फ्लेमस के नाम से भी जानते हैं, चपटे बर्थ मार्क्स होते हैं, जिनका रंग मरून होता है। ये अधिकतर बच्चे के चेहरे और सिर पर देखे जाते हैं और ये उम्र के साथ बड़े और गहरे होते जाते हैं। सभी नवजात शिशुओं में से लगभग 0.3% बच्चों के शरीर पर पोर्ट-वाइन स्टेन होता है। समय के साथ ये रूखे और मोटे हो सकते हैं।
असामान्य ब्लड वेसल्स से बने बर्थ मार्क्स के विभिन्न प्रकारों को हेमांजियोमा कहा जाता है। सभी नवजात शिशुओं में से लगभग 3% बच्चों को प्रभावित करने वाले ये बर्थ मार्क्स, आमतौर पर छोटे होते हैं और चेहरे और गर्दन पर देखे जाते हैं। हेमांजियोमा मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।
हेमांजियोमा का यह प्रकार, बच्चे के शरीर पर लाल रंग का उभरा हुआ बर्थ मार्क होता है, जिसका रंग और उभरा हुआ रुखा टेक्सचर, स्ट्रॉबेरी जैसा होता है। ये सतही और अस्थाई होते हैं और बच्चे के 10 साल की उम्र तक पहुँचने तक इनमें से अधिकतर गायब हो जाते हैं।
स्ट्रौबरी हेमांजियोमा के विपरीत यह बर्थ मार्क, त्वचा की गहराई से निकलता है, जिसके कारण यह रूखा और गहरे बैंगनी रंग का होता है। इसका विकास बहुत तेजी से होता है, लेकिन बच्चे के 5 साल के होने से पहले ही ये गायब हो जाते हैं।
मंगोलियन स्पॉट्स नीले या हरे बर्थ मार्क्स को कहते हैं, जो कुछ सेंटीमीटर तक फैले होते हैं और ये चोट के निशान जैसे दिखते हैं। आमतौर पर ये पीठ या कूल्हे पर दिखते हैं। ये चिकने होते हैं और अधिकतर पूर्वी-एशियन, अफ्रीकन, नेटिव अमेरिकन, भारतीय और लेटिनों लोगों में देखे जाते हैं। ये नुकसान रहित निशान समय के साथ हल्के पड़ जाते हैं, पर ये पूरी तरह से कभी नहीं जाते।
ये अंडाकार धब्बे, हल्के कॉफी के रंग के होते हैं। ये शिशुओं में बहुत आम होते हैं और सभी नवजात बच्चों में से लगभग आधे में एक न एक निशान देखा जाता है। ये कभी-कभी हल्के पड़ जाते हैं, लेकिन अगर बच्चा अधिक देर तक धूप में रहे, तो इनका रंग गहरा हो सकता है।
सालमन पैचेज, चिकने, हल्के पीच कलर के निशान होते हैं, जो कि बच्चे की आँखों, माथे और गर्दन के पिछले हिस्से पर देखे जाते हैं। आमतौर पर ये एक साल के अंदर ही चले जाते हैं।
बर्थ मार्क्स का विज्ञान पूरी तरह से समझा नहीं गया है। खासकर ये कुछ शिशुओं में बनते हैं और कुछ में नहीं बनते हैं, ऐसा क्यों है, इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन, ऐसे कई संभावित कारण हैं, जिनसे बर्थ मार्क्स बन सकते हैं:
जहाँ अधिकतर बर्थ मार्क्स के मामलों में, किसी तरह के मेडिकल अटेंशन की जरूरत नहीं होती है, वहीं बर्थ मार्क्स के कुछ कॉम्प्लीकेशंस होते हैं, जिनके लिए डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह की जरूरत पड़ सकती है:
बर्थ मार्क्स को निकालने की जरूरत पड़ भी सकती है या नहीं भी पड़ सकती है, जो कि उसकी जगह पर निर्भर करता है। अधिकतर मामलों में डॉक्टर आपको सब्र रखने को कहते हैं और वे कहते हैं, कि उनके अपने आप गायब होने तक इंतजार किया जाए। वहीं, कभी-कभी शुरुआती इलाज फायदेमंद हो सकता है, खासकर वैसे बर्थ मार्क्स जिनका आकार बिगड़ता जाता है। शिशुओं में बर्थ मार्क्स को निकालने के विकल्प नीचे दिए गए हैं:
जैसा कि ऊपर बताया गया है, बर्थ मार्क्स से छुटकारा पाने के कई इलाज उपलब्ध हैं, उनमें से कुछ यहाँ दिए गए हैं:
कॉर्टिकोस्टेरॉइड के नाम से भी जानी जाने वाली, ये दवाएं त्वचा की सूजन और इन्फ्लेमेशन को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। बर्थ मार्क्स को सिकुड़ने और उनको बड़ा होने से रोकने के लिए ये दवाएं गोली या इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती हैं।
बर्थ मार्क्स के लिए लेजर ट्रीटमेंट में हाई इंटेंसिटी लेजर लाइट के छोटे पल्सेस का इस्तेमाल करके, सतही बर्थ मार्क्स को निकाला जाता है। इस तकनीक का फायदा यह है, कि इस प्रक्रिया के बाद दाग में कमी देखी जाती है।
यह कदम केवल तभी उठाया जाता है, जब दूसरे तरीकों से फायदा ना पहुँचे और बर्थ मार्क्स से सेहत को गंभीर समस्याएं हो रही हों। यह एक छोटी सी प्रक्रिया होती है और लोकल एनेस्थीसिया देकर इसे पूरा किया जाता है।
कई बर्थ मार्क्स किसी छुपी हुई बीमारी का संकेत होते हैं और उन्हें मेडिकल सलाह की जरूरत हो सकती है। इनमें से कुछ स्थितियां नीचे दी गई है:
अगर आपके बच्चे को 4-6 कैफे-औ-लाइट मार्क्स हैं, तो आपको इस वंशानुगत बीमारी की जांच करानी चाहिए। न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 1 से ग्रसित लोगों में से लगभग आधे में विकास संबंधी दिक्कतें आती हैं।
नवजात शिशु में मौजूद बड़े आकार के मेलानोसायटिक नेवी, इसके कैंसर में बदलने के खतरे का संकेत देते हैं।
चेहरे के ऊपरी भाग और आँखों के आसपास मौजूद पोर्ट वाइन स्टेन बर्थ मार्क्स के कारण होने वाली यह स्थिति, आँखों से संबंधित और गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या पैदा कर सकती हैं।
पोर्ट वाइन स्टेन की मौजूदगी के कारण, इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों में हाथ-पैरों का असामान्य विकास देखा जाता है। बर्थ मार्क्स के आसपास की मांसपेशियों के टिश्यू के दूसरे अंगों की तुलना में तेजी से बढ़ने के कारण ऐसा होता है।
बच्चे न तो मेडिकल समस्याओं को समझते हैं और न ही उनकी परवाह करते हैं। उनके लिए बस एक बात सबसे अधिक मायने रखती है, और वो है, उनके रूप-रंग पर बर्थ मार्क्स का प्रभाव। चाहे दोस्त हो या अजनबी, लोगों को बताएं, कि आपके बच्चे की तरफ घूर कर न देखें या उनके बर्थ मार्क्स के बारे में बातें न बनाएं। अपने बच्चे को यह समझने में मदद करें, कि बर्थ मार्क्स होना बिल्कुल सामान्य बात है और वह दूसरे बच्चों से अलग नहीं है। साथ ही बच्चे के स्कूल में इस बात की जानकारी देना न भूलें, ताकि हर कोई उनके बर्थ मार्क्स के प्रति उदार और दोस्ताना व्यवहार रखे।
अपने बच्चे को भद्दे निशानों से ढंका हुआ देखकर कुंठा पैदा होना स्वाभाविक है, लेकिन बर्थ मार्क्स जीवन का एक हिस्सा है और अगर स्वास्थ्य को इससे कोई परेशानी न हो, तो इसके बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं होती है। फिर भी अगर आप इसे लेकर परेशान हैं, तो अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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