गर्भावस्था

नॉन-इनवेसिव प्रसवपूर्व जांच (एनआईपीटी) – संपूर्ण जानकारी

गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में जब आप डॉक्टर से परामर्श करती हैं तो वह आपको प्रसव से पूर्व विभिन्न चरणों में अलग-अलग जांच करवाने की सलाह देते हैं। यह सभी जांच डॉक्टर को आपके व आपके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य से संबंधित आवश्यक जानकारी देती हैं। एन.आई.पी.टी. जांच शिशु में जन्म-दोष और अनुवांशिक विकार होने की संभावना के बारे में पूर्ण जानकारी देती है, ताकि आप अपने व शिशु के स्वास्थ्य संबंधित आवश्यकताओं को प्राप्त करने के लिए एक सही योजना बना सकें। आमतौर पर रक्त-जांच, पेशाब की जांच और साथ ही अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह दी जाती है।

एन.आई.पी.टी. क्या है?

नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल जांच / गैर-इनवेसिव प्रसवपूर्व जांच अर्थात प्रसव से पहले की जाने वाली जांच जो कम आघात पहुँचाने वाली होती है, एक रक्त जांच होती है जिसमें गर्भस्थ शिशु में अनुवांशिक विकारों का पता लगाने के लिए उसकी गर्भनाल (प्लेसेंटा) के डी.एन.ए. की जांच की जाती है और इसे कोशिका-मुक्त डी.एन.ए. स्क्रीनिंग भी कहा जाता है। सभी जांच से अधिक फायदा एन.आई.पी.टी. का यह है कि इसे गर्भावस्था की शुरुआत में किया जा सकता है और यह अन्य स्क्रीनिंग जांच की तुलना में ज्यादा सटीक होता है।यह पहली और दूसरी तिमाही में होने वाली स्क्रीनिंग टेस्ट से ज्यादा विशिष्ट और महत्वपूर्ण है।

एन.आई.पी.टी. स्क्रीन क्या करता है?

एन.आई.पी.टी. डाउन सिंड्रोम, एडवर्ड सिंड्रोम और पतउ सिंड्रोम का पता लगाने में मदद करता है जिसे ट्राईसोमी 21, ट्राईसोमी 18 और ट्राईसोमी 13 भी कहा जाता है। यह जांच गर्भस्थ शिशु के लिंग व रक्त में आर.एच. का प्रकार का भी पता करने में मदद करता है।

एन.आई.पी.टी. जांच किसे करवाना चाहिए?

शुरुआत में यह जांच सिर्फ उन्हीं महिलाओं के लिए थी जिन्हें क्रोमोसोमल असामान्यता वाले शिशु को जन्म देने के उच्च खतरे में थी। इसमें 35 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने माक्रोसोमिया व क्रोमोसोमल असामान्यताओं से ग्रसित शिशु को जन्म दिया है या ऐसी महिलाएं जिनके परिवार में अनुवांशिक विकारों का इतिहास है। यह भी सलाह दी जाती है कि जो लोग X लिंक्ड रिसेसिव विकारों से ग्रसित हैं, जैसे हेमोफिलिया या ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, उनका परीक्षण किया जाना चाहिए। इसके अलावा, यदि आपका ब्लड ग्रुप आर.एच.नेगेटिव है, तो यह परीक्षण निर्धारित कर सकता है कि बच्चे का आर.एच. कारक समान है या नहीं। यदि नहीं, तो कुछ मामलों में सामान्य रूप से डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने की आवश्यकता होती है। परीक्षण का निर्णय आपको और आपके डॉक्टर के परामर्श द्वारा लिया जाना चाहिए।

एन.आई.पी.टी. कब की जा सकती है?

यह जांच आपकी गर्भावस्था के दसवें सप्ताह या उसके बाद की जाती है और इसका परिणाम 2 सप्ताह के बाद आता है। इसकी सलाह उन मामलों के लिए नहीं दी जाती है जहाँ भ्रूण के विकारों को अल्ट्रासाउंड में देखा जा सकता है या जिसमें एन.आई.पी.टी. जांच के माध्यम से अनुवांशिक विकारों का पता लगाया जाता है।

एन.आई.पी.टी. जांच, क्वाड्रपल/संयुक्त जांच से किस तरह अलग है?

इन दोनों परीक्षणों में, जांच के लिए माँ के खून का नमूना लिया जाता है। एन.आई.पी.टी. माँ के रक्त में सेलमुक्त डीएनए की जांच करता है, वहीं संयुक्त और संयुक्त परीक्षण जांच महिला के हार्मोन के स्तर को दर्शाता है। इन दोनों के सटीक दर को देखते हुए, एन.आई.पी.टी. को डाउन सिंड्रोम से ग्रसित बच्चे की संभावना की जांच के लिए एक बेहतर परीक्षण माना जाता है ।

नॉनइनवेसिव प्रसवपूर्व जांच कैसे काम करता है?

एन.आई.पी.टी. इस तथ्य को ध्यान में रखता है कि क्रोमोसोम जोड़े में आते हैं, लेकिन डाउन सिंड्रोम के साथ क्रोमोसोम 21 की एक अतिरिक्त कॉपी आती है। एडवर्ड्स सिंड्रोम में, यह क्रोमोसोम 18 की एक अतिरिक्त कॉपी होती है, जबकि पतउ सिंड्रोम के साथ क्रोमोसोम की 13 अतिरिक्त कॉपी होती है।

जन्मपूर्व कोशिकामुक्त डीएनए स्क्रीनिंग के साथ जुड़े जोखिम

जन्मपूर्व कोशिकामुक्त डी.एन.. स्क्रीनिंग में कोई जोखिम नहीं है। इसको करने से आपको कुछ अन्य अत्यधिक इनवेसिव जांच को करवाने से बचने में मदद मिलती है जो आपकी गर्भावस्था को जोखिम में डाल सकते हैं, जैसे कि एम्नियोसेंटेसिस और कोरियोनिक वायलस सैंपलिंग (सी.वी.एस)

कितना सटीक है एन.आई.पी.टी. जांच?

यह परीक्षण 97% से 99% कि सटीकता के साथ यह बता सकता है कि क्या आपके बच्चे को आमतौर पर पाए जाने वाले 3 आनुवंशिक विकारों में से एक का खतरा है या नहीं। एन.आई.पी.टी. जांच के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों परिणामों के कारण निम्नानुसार हैं:

गलत पॉजिटिव परिणाम के कारण

ऐसा होने का एक कारण है वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम‘ (जुड़वां शिशुओं में किसी एक की मृत्यू हो जाना), जिसका पता एक बार स्कैन करने से चल जाएगा। एक कारण यह भी हो सकता है की बच्चे के बजाय माँ में कुछ समस्याएँ मौजूद हो या नाल में असामान्य सेल लाइन की उपस्थिति भी एक कारण है।

गलत नेगेटिव परिणाम के कारण

यदि लिए गए रक्त सैंपल में भ्रूण के डी.एन.. की मात्रा बहुत कम है, तो इसका परिणाम गलत नेगटिव हो सकता है। एक असामान्य कोशिका रेखा जो केवल बच्चे में मौजूद होती है, नाल में नहीं भी एक कारण है जिसके परिणामस्वरूप झूठी या गलत नेगेटिव हो सकती है। तकनीकी मुद्दे भी एक गलत नेगेटिव नतीजे दे सकते हैं।

एन.आई.पी.टी. के परिणाम के बारे में

एन.आई.पी.टी. के परिणाम लैब में किए हुए परीक्षण के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन आमतौर पर, नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल स्क्रीनिंग के परिणाम सकारात्मक, नकारात्मक या अनिर्णायक होने की संभावना है। प्रत्येक परीक्षण के परिणामों की वस्तृत जानकारी दी गई है, आइए जानते हैं;

सकारात्मक

कुछ असामान्यताएं हैं जिनके लिए आपको आगे इनवेसिव परीक्षण करवाने की आवश्यकता हो सकती है। इसका एक मतलब हो सकता है कि एम्नियोसेंटेसिस या सी.वी.एस. के लक्षण हैं।

नकारात्मक

किसी भी गुणसूत्र या अनुवांशिक विकारों की अन्य कोई भी संभावना नहीं है।

अनिर्णायक (अधूरा परिणाम)

सभी एन.आई.पी.टी. जांच में सिर्फ 4% अधूरे परिणाम होते हैं और यह तब होता है जब रक्त सैंपल में भ्रूण के डी.एन.. की कम मात्रा मौजूद हो। ऐसे में एन.आई.पी.टी. परीक्षण को दोहराया जा सकता है।

यदि जांच से पता चलता है कि बच्चा आरएचनेगेटिव है, तो कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन अगर बच्चा आर.एच.-पॉजिटिव निकला, तो आपके स्वास्थ्य और अन्य कारकों के आधार पर आपकी गर्भावस्था की सावधानीपूर्वक निगरानी की जानी चाहिए। आपके एन.आई.पी.टी. के नतीजों के साथसाथ किसी भी पहली तिमाही के अल्ट्रासाउंड या न्यूकल ट्रांसलूसेंसी स्क्रीनिंग के परिणामों के आधार पर, आपका डॉक्टर आगे के परीक्षण की सिफारिश कर सकता है।

एन.आई.पी.टी. और इसके जांच के नतीजों के बारे में चिंतित महसूस करना स्वाभाविक है, खासकर अगर यह पता चले कि आपके बच्चे में किसी प्रकार का गुणसूत्र समस्या हो सकती है। क्रोमोसोमल असामान्यता को दूर नहीं किया जा सकता है और न ही इसका इलाज किया जा सकता है। डॉक्टर और एक आनुवांशिक काउंसलर से बात करने से आपको मदद मिल सकती है ताकि आप भविष्य में सही निर्णय ले सकें|

डिस्क्लेमर:

यह जानकारी सिर्फ एक मार्गदर्शिका है और किसी डॉक्टर से ली हुई चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है।

यह भी पढ़ें:

गर्भावस्था के दौरान गैर-तनाव परीक्षण (नॉन-स्ट्रेस टेस्ट)
गर्भावस्था में ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट (जीसीटी) और ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (जीटीटी)

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

अं अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | Am Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

बच्चों को कोई भी भाषा सिखाते समय शुरुआत उसके अक्षरों यानी स्वर और व्यंजन की…

6 days ago

बच्चों में अपोजीशनल डिफाएंट डिसऑर्डर (ओडीडी) – Bacchon Mein Oppositional Defiant Disorder (ODD)

बच्चों का बुरा व्यवहार करना किसी न किसी कारण से होता है। ये कारण बच्चे…

6 days ago

ओ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | O Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है, अंग्रेजी का उपयोग आज लगभग हर क्षेत्र…

1 week ago

ऐ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | Ai Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी भाषा में हर अक्षर से कई महत्वपूर्ण और उपयोगी शब्द बनते हैं। ऐ अक्षर…

1 week ago

ए अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | Ee Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी भाषा में प्रत्येक अक्षर से कई प्रकार के शब्द बनते हैं, जो हमारे दैनिक…

1 week ago

ऊ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | Oo Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी की वर्णमाला में "ऊ" अक्षर का अपना एक अनोखा महत्व है। यह अक्षर न…

1 week ago