गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के मन में कई भावनाएं आती हैं और साथ ही उनके पास बहुत सारे ऐसे सवाल होते हैं जिनके जवाब वे जानना चाहती हैं। डॉक्टर से पहली बार मिलने पर आपके पास अपनी गर्भावस्था से संबंधित बहुत सारे सवाल होंगे जो आप उनसे पूछना चाहती होंगी। यह गर्भावस्था के 8वें व 9वें सप्ताह में होता है। आपको अपने सभी सवाल अपने फोन में या एक नोटपैड में लिख लेने चाहिए ताकि अगली बार जब भी डॉक्टर से मिलने जाएं तो आपके पास सवालों की पूरी लिस्ट हो जिनके जवाब आपको मिल सकते हैं। गर्भवती महिलाओं द्वारा पूछे गए कुछ सवालों की लिस्ट निम्नलिखित है, आइए जानें;
कुछ सवालों के जवाब से आप अपनी गर्भावस्था की सभी समस्याओं को कम कर सकती हैं। यहाँ कुछ सवाल दिए हुए हैं जो आप डॉक्टर से पूछ सकती हैं, आइए जानें;
गर्भावस्था के दौरान आप जो दवा लेती हैं, या कोई नई दवा लेना चाहती हैं, उन सबके बारे में आपको डॉक्टर से जरूर पूछ लेना चाहिए। ये दवाएं विटामिन और मिनरल के सप्लीमेंट्स जैसी सरल दवाएं हो सकती हैं और थायरॉइड जैसी कॉम्प्लेक्स भी हो सकती हैं। इस दौरान डॉक्टर आपको ये दवाएं लेने से मना कर सकते हैं या इनके बजाय गर्भावस्था के लिए हेल्दी विकल्प लेने की सलाह दे सकते हैं।
महिलाओं का वजन बढ़ना विशेषतः उनकी भावनाओं से जुड़ा होता है। गर्भावस्था के लिए बीएमआई सही होना बहुत जरूरी है और इसलिए डॉक्टर हर तिमाही में आपके वजन की जांच कर सकते हैं। सामान्य तौर पर महिला का 11 से 15 किलोग्राम वजन नॉर्मल बीएमआई के साथ होना हेल्दी है। इस समय बहुत कम व ज्यादा वजन वाली महिलाओं के लिए हेल्दी वजन बढ़ाना अलग-अलग हो सकता है।
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में अक्सर महिलाएं डॉक्टर से यह सवाल करती हैं। कई महिलाएं डिलीवरी होने तक भी काम कर सकती हैं। यदि जॉब में आपको शारीरिक रूप से काम करना पड़ता है तो डॉक्टर आपको कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दे सकते हैं या बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए आपको कुछ परहेज करने के लिए भी कह सकते हैं। इसके अलावा भावनात्मक स्ट्रेस और काम के दबाव से भी आपके बच्चे पर प्रभाव पड़ सकता है इसलिए आप काम के बारे में अपने बॉस से बात जरूर करें।
ऐसा ऑब्जर्व किया गया है कि लगभग 3 महिलाओं में से एक महिला सिजेरियन डिलीवरी करवाती ही है। कई महिआलें नॉर्मल डिलीवरी करवाना ही चाहती हैं और डॉक्टर ही यह बता सकते हैं कि नॉर्मल डिलीवरी संभव है या नहीं। कुछ कारक हैं, जैसे बच्चा सामान्य से बड़ा होना, ओबेसिटी, जेस्टेशनल डायबिटीज, अधिक आयु और पहले हुई डिलीवरी की वजह से महिला और बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए सी सेक्शन करवाना जरूरी है।
कई महिलाएं गर्भावस्था की पहली तिमाही में इससे संबंधित सवाल पूछती हैं। कई कपल्स को लगता है कि सेक्स करने से कहीं बच्चे पर कोई प्रभाव न पड़े। हालांकि ज्यादातर डॉक्टर यही बताएंगे कि जब तक आपको कोई भी मेडिकल कॉम्प्लिकेशन नहीं है तब तक आप सेक्स करने के बारे में चिंता न करें और वो करें जो सबसे ज्यादा सुविधाजनक हो। गर्भावस्था आगे बढ़ने के दौरान आप अलग-अलग पोजीशन ट्राई कर सकती हैं और समझ सकती हैं कि आपके लिए कौन सी पोजीशन सही है।
चूंकि गर्भवती महिलाओं में ब्लड क्लॉटिंग बहुत जल्दी-जल्दी होने लगती है इसलिए उन्हें हर घंटे-2 घंटे में टहलने के लिए कहा जाता है। गर्भावस्था में आपको नियमित कौन सी एक्सरसाइज करनी चाहिए इस बारे में डॉक्टर आपको बता सकते हैं। आपके लिए ऐब्स पर दबाव डालनेवाली एक्सरसाइज या बहुत ज्यादा जटिल योगा पोज करने की सलाह नहीं दी जाती है। इस दौरान आप बहुत आरामदायक एक्सरसाइज करें, जैसे स्विमिंग या जोड़ों के लिए साधारण स्ट्रेचिंग करना भी बेहतर है। आप ऐसी एक्सरसाइज बिलकुल भी न करें जिससे आपकी पल्स 140 से भी ज्यादा तेजी से चलें।
अक्सर महिलाएं विशेषकर कॉफी पीने के बारे में जरूर पुछती हैं। गर्भावस्था के दौरान लगभग 200 मिलीग्राम कैफीन लेना ठीक है। हालांकि कैफीन अन्य खाद्य पदार्थों में भी शामिल हो सकता है, जैसे बेवरेजेस, चॉकलेट और चाय। गर्भावस्था में आपको आमतौर पर फल, डेयरी प्रोडक्ट और ग्रेन्स खाना चाहिए। इस समय आप कच्चे मीट या पैकेट वाले मीट और फ्राइड खाद्य पदार्थों से दूर रहें।
यदि एक माँ बच्चे को दूध पिलाती है तो इससे माँ व बच्चे को बहुत सारे फायदे होते हैं। यदि बच्चे को दूध पिलाने में कठिनाई होती है या वह अनियमित रूप से दूध पीता है तो डॉक्टर पहले आपको ब्रेस्ट पंप का उपयोग करने की सलाह देंगे और बच्चे को बाद में बोतल से दूध पिलाने के लिए इसे स्टोर करने के लिए भी कह सकते हैं। बच्चों को कोई अन्य सप्लीमेंट या फॉर्मूला देने से पहले आप इस बारे में डॉक्टर से चर्चा जरूर कर लें।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में अक्सर महिलाएं डॉक्टर से यह सवाल पूछती हैं क्योंकि यह लक्षण अक्सर महिलाओं को दिखाई देते हैं। इस समय शरीर में हॉर्मोनल बदलावों के कारण आपका पाचन तंत्र खराब हो सकता हो सकता है। इसकी वजह से अपच या एसिड रिफ्लक्स भी हो सकता है और यह बहुत आम बात है। आप अपने आहार में ज्यादा से ज्यादा फाइबर-युक्त खाद्य पदार्थ खाएं और एसिडिक खाद्य पदार्थों से बचें। आप ज्यादा तकियां लेकर सही पोजीशन में सोने का प्रयास करें।
बच्चे की डिलीवरी एक प्राइवेट कार्य है और इसे एक्सपर्ट डॉक्टर व नर्स की देख-रेख में ही किया जाता है। यदि डिलीवरी के समय में आपको पॉटी जैसा महसूस होता है तो इसमें आपको झिझकने या शर्माने की जरूरत नहीं है। शरीर में गर्भाशय रेक्टम के ऊपर ही स्थित होता है और भरे हुए बॉवेल की वजह से आपको ऐसा महसूस हो सकता है। इस समय आपके लिए बच्चे की डिलीवरी पर ध्यान देना ही बेहतर है और इसके बारे में डॉक्टर्स व प्रोफेशनल्स को ही चिंता करने दें।
यह सवाल थोड़ा अजीब लग सकता है पर महिलाओं को अक्सर इसका डर रहता है। आप सोच सकती हैं कि आपने पानी की थैली फटने को नोटिस ही नहीं किया है। हालांकि यदि आपको इसका पता लगता है तो आपकी पेशाब भी निकल सकती है जिससे आपको निश्चित रूप से पता चल जाता है कि पानी की थैली कब फटी है। वास्तव में डिलीवरी और संकुचन होने पर इस प्रोसेस को एक विशेष कारण की वजह से लेबर कहते हैं। इसमें आपकी पूरी मेहनत लगती है और बहुत ज्यादा खिंचाव की वजह से आपको थकान भी हो सकती है पर यह पूरा होने तक निश्चित ही आपको नींद नहीं आएगी।
कुछ डॉक्टर संभावित विकारों को जानने के लिए महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे का सामान्य टेस्ट करते हैं। यह अक्सर तभी किया जाता है जब यदि आपको या आपके परिवार में किसी को पहले कभी यह विकार हुए हो या इसका खतरा अधिक हो। सामान्यतौर पर लगभग 3% – 5% बच्चों को जन्म से ही वीआर होता है इसलिए जब तक डॉक्टर न कहें तब तक यह टेस्ट करवाने की आवश्यकता नहीं है।
गर्भावस्था जितनी खूबसूरत होती है उतना ही इसमें हेल्दी डिलीवरी और सुरक्षा के लिए चिंताएं व एंग्जायटी भी होती है। इसके बारे में पूरी जानकारी के लिए डॉक्टर से सभी सवाल बिना झिझके पूछना और उनकी सलाह लेना बहुत जरूरी है ताकि आपका अनुभव बेहतर हों और बच्चा स्वस्थ रहे।
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