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अगर आपका बच्चा बहुत छोटा है तो उसका रोना और चिड़चिड़ाना स्वाभाविक है। बच्चों को जब भूख लगती है, नींद आती है या फिर जब वो बीमार होते हैं तो उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन नजर आने लगता है, जिसे वो आपको नहीं समझा पाते हैं तो परेशान करने लगते हैं। हालांकि, यह एक ऐसी कंडीशन है, जो बच्चों में बहुत ज्यादा थकान के कारण होती है, और इसे ओवरटायर्डनेस के रूप में जाना जाता है। बच्चे इसकी वजह से नींद नहीं ले पाते हैं और परेशान करते हैं। कभी-कभी, बच्चे थके हुए रहते हैं, लेकिन फिर भी सोते नहीं हैं, तो इस लेख से आपको उन्हें कैसे सुलाना है यह जानने में मदद मिलेगी।
नए पेरेंट्स के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि इस कंडीशन को वे कैसे डील करें, ताकि अगर बच्चे को कोई परेशानी हो तो वो इससे अनजान न रहे। आप बताई गई कुछ टिप्स के साथ अपने बच्चे को फिर से सोने में मदद कर सकती हैं और साथ ही यह आपको भी कुछ देर रेस्ट करने में मदद करेगा कर सकता है।
ओवरटायर्डनेस एक ऐसी कंडीशन है जिसमें बच्चे को बहुत ज्यादा थकान हो जाती है। बहुत ज्यादा फिजिकल थकान के कारण बच्चा ठीक से नींद नहीं ले पाता है। वह जितना ज्यादा थका हुआ महसूस करता है, उतना ही ज्यादा उसका सोना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, चूंकि बच्चे खुद को कंट्रोल या एक्सप्रेस नहीं कर सकते हैं, इसलिए वे और भी ज्यादा परेशान हो जाते हैं।
आपको यह जानकर बहुत आश्चर्य हो सकता है कि बिना किसी फिजिकल एक्टिविटी के भी बच्चा बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस कर सकता है। पेरेंट्स के रूप में आपको यह समझना चाहिए कि आपका बच्चा कब थका हुआ महसूस कर रहा है और उसे कैसे वापस सुलाना है।
जिन बच्चों को बहुत ज्यादा थकान महसूस होती है, तो उसके पीछे जरूर कोई कारण होता है । सभी कारणों में से, सबसे कॉमन है नींद कम होना। एक बच्चे को नींद की कमी के कारण आमतौर पर थकान महसूस होती है, लेकिन कभी-कभी अन्य कारण भी हो सकते हैं:
आमतौर पर, ओवरस्टिमुलेशन के कारण बच्चे का नर्वस सिस्टम ओवरलोड हो जाता है और इसकी वजह से सेंसरी स्टिमुलेशन एक्स्ट्रा होने लगता है। बच्चे अपने आसपास की चीजों को देखकर बहुत एक्साइटेड हो जाते हैं लेकिन वे इसके बारे में बता नहीं सकते। ठीक उसी तरह जैसे बड़ों को थकावट होने पर शांति चाहिए होती है, वैसे ही बच्चों को भी कभी-कभी शांत वातावरण की जरूरत होती है ताकि वे आराम कर सकें।
बिना नींद के बच्चे रौशनी, तेज आवाज, कपड़े पहनाने, थपथपाए जाने, मालिश करने आदि के प्रति बहुत ज्यादा सेंसिटिव हो जाते हैं। न्यूबॉर्न बेबीज आमतौर पर इस सिचुएशन के प्रति ज्यादा सेंसेटिव होते हैं और अभी उनका नर्वस सिस्टम भी ठीक से मैच्योर नहीं होता है। जो बच्चे उत्तेजना के कारण बहुत थका हुआ महसूस करते हैं, वे पेरेंट्स की लाख कोशिशों के बावजूद भी शांत नहीं होते हैं।
जो बच्चे समय से पहले उठ जाते हैं या रोते हैं उनके ऐसा करने का कारण भूख हो सकती है। जिन बच्चों को भूख लगती है, उन्हें तुरंत फीड कराया जाना चाहिए, लेकिन कभी-कभी उन्हें इसका ठीक उल्टा चाहिए होता है, ताकि खाने की कमी से उनका गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट पूरी तरह से हेल्दी हो सके। बच्चे को बहुत ज्यादा ब्रेस्टफीडिंग कराने से, फॉर्मूला दूध देने से और बोतल-फीड बढ़ाने से भी यह कंडीशन पैदा हो सकती है।
न्यूबॉर्न बच्चा (3 महीने से कम) सकिंग रिफ्लेक्स के कारण ठीक से फीड नहीं कर पाता है। ज्यादातर फीडिंग प्रैक्टिस खासतौर पर बच्चे को ज्यादा दूध देना, उसके पेट के लिए परेशानी पैदा कर सकता है, जो मुख्य रूप से लैक्टोज इंटॉलरेंस या इसका अधिक मात्रा में सेवन करने के कारण होता है।
आप बच्चे की बोतल में राइस सीरियल डालकर दे सकती हैं या उन्हें सॉलिड फूड देना शुरू कर सकती हैं, ताकि उन्हें बेहतर नींद आ सके और यह टिप्स उनके लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है।
कभी-कभी, जो बच्चे लंबे समय तक ठीक से नहीं सोते हैं, वे अपने उम्र के अनुसार पर्याप्त रूप से वजन हासिल करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। पर्याप्त नींद न न ले पाने वाले बच्चे बहुत थक जाते हैं और सही रूप से भोजन नहीं कर पाते हैं। इस प्रकार उन्हें जरूरी पोषण भी नहीं मिल पाता है और वे लंबे समय तक सोते रहते हैं।
जब बच्चों की नींद पूरी नहीं होती है और इस दौरान वे ब्रेस्फीडिंग करते हैं तो ठीक से नहीं कर पाते हैं, क्योंकि वह माँ के ब्रेस्ट से दूध पीने में सक्षम नही होते हैं, जिसकी वजह से उन्हें कम दूध मिलता है।
चूंकि बच्चे अपनी बात शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते हैं, इसलिए वो फिजिकली आपको संकेत देने का प्रयास करेंगे, जो कुछ इस प्रकार है:
बच्चों के अधिक थके हुए होने के बावजूद, कुछ तरीके हैं जिनसे आप उन्हें शांत करा सकती हैं या उन्हें राहत प्रदान कर सकती हैं।
यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जहाँ आप बच्चे को वापस सोने में मदद कर सकते हैं:
हालांकि यह छोटे बच्चों के लिए काम कर सकता है, लेकिन कुछ मेथड हैं जो बड़े बच्चों के लिए भी काम करता है:
जब बच्चा बहुत थका रहता है तो कुछ अलग तरह से बिहेव करने लगता है। यहाँ कुछ संकेत बताए गए हैं जो आपको ये पता लगाने में मदद करते हैं कि आपका बच्चा थका हुआ है या नहीं।
यदि आप पेरेंट्स के रूप में इन चीजों को नजरअंदाज करते हैं, तो यह बच्चे की ग्रोथ के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
यहाँ कुछ टिप्स दी गई हैं, जिन्हें अपनाकर आप बच्चों में थकान होने के इन संकेतों को रोक सकती हैं:
थका हुआ बच्चा अपनी थकावट व्यक्त करने के लिए जोर-जोर से रोने लगता है। वो सोने के लिए ऐसा करते हैं और यह उनका अपनी बात समझाने का तरीका है।
हार्मोन बच्चों में नींद प्रेरित करने में मदद करते हैं। वह मुख्य हार्मोन जो बच्चों में नींद को प्रेरित करते हैं उनमें मेलाटोनिन और कोर्टिसोल शामिल है और उनके लेवल में पूरे दिन लगातार उतार-चढ़ाव होता रहता है। शरीर में इन हार्मोन के होने से बच्चे को सोने में आसानी होती है।
कोर्टिसोल व्यक्ति को जगाए रखता है और सुबह 8 बजे के आसपास पीक पर रहता है, हालांकि दिन के समय में धीरे-धीरे गिरने लगता है, जबकि मेलाटोनिन सोने में मदद करता है। यदि अधिक मात्रा में मेलाटोनिन का उत्पादन होता है, तो बच्चा आराम से सो पाता है।
बच्चों में बहुत ज्यादा थकान होने पर वह बिल्कुल हेल्पलेस हो जाते हैं, क्योंकि उन्हें खुद ही नहीं समझ में आ रहा होता है कि उनके साथ क्या हो रहा है। इसलिए पैरेंट को ज्यादा सावधान रहना चाहिए और इसके लक्षणों के बारे में पढ़ना चाहिए ताकि वो इस कंडीशन को बेहतर तरीके से डील कर सकें। इस प्रकार बच्चा अपनी नींद पूरी कर सकेगा और उसकी ग्रोथ भी बेहतर तरीके से ही सकेगी।
सोते हुए बच्चे पर नजर रखें, साथ ही अपने घर के जरूरी काम भी इस दौरान निपटा लें। लेकिन बच्चे की नींद को सबसे ऊपर रखें क्योंकि उनकी ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए यह बहुत जरूरी है। साथ ही हेल्थ को बनाएं रखने में भी अहम भूमिका निभाती है।
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