मां या पिता होना कोई आसान काम नहीं होता है। ना केवल आपको अपने बच्चे के स्वास्थ्य का ध्यान रखना पड़ता है, बल्कि आप पर उसकी अच्छी परवरिश की जिम्मेदारी भी होती है। बच्चों की परवरिश इस तरह से करना, कि वे बड़े होकर अच्छी तरह से एडजस्ट कर सकें, जिम्मेदार हों और इसके साथ ही अपने आसपास की दुनिया से सही तरीके से तालमेल बिठा सकें, बहुत ही कठिन महसूस होता है। आज के युग में जहां हम डेवलपमेंटल साइकोलॉजी को लेकर अधिक जागरूक हैं, वहीं पेरेंटिंग के सही तरीके को लेकर चिंतित होना स्वाभाविक है।
पॉजिटिव पेरेंटिंग के प्रयास के दौरान आप तीन क्षेत्रों पर अपने ध्यान को केंद्रित कर सकती हैं।
अपने बच्चे के साथ रचनात्मक बातचीत जरूरी है। यहां पर कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनके माध्यम से आप अपने बच्चे के साथ सकारात्मक इंटरेक्शन को बढ़ा सकते हैं।
अगर आपके एक से अधिक बच्चे हैं, तो आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि दोनों के साथ समय बिताने के साथ-साथ हर बच्चे के साथ अलग-अलग क्वालिटी टाइम बिताना जरूरी है। हर बच्चे को अलग से समय देने से आप उसे बेहतर तरीके से समझ पाएंगे और उसके साथ अपने संबंध को और भी मजबूत बना पाएंगे। एक साथ करने के लिए आप जो भी एक्टिविटी चुनें, उस समय को अपने बच्चे को प्रोत्साहन देने के लिए इस्तेमाल करें। इस दौरान बच्चे को कुछ भी सिखाएं नहीं या उसे सही न करें, केवल एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिताने पर फोकस करें।
बच्चों को फलने-फूलने के लिए स्ट्रक्चर की जरूरत होती है। अपने बच्चे को नियम समझाएं, ताकि वो यह समझ पाए, कि आपने ये नियम क्यों तय किए हैं और नियम न होने के परिणाम भी वह जान सके। बच्चे के किसी भी सवाल का जवाब जितना हो सके धैर्य के साथ स्पष्ट रूप से दें।
जब बच्चा छोटा होता है, तो उससे सवाल पूछने से बातचीत करने का पुल तैयार होता है, जो कि उसके बड़े होने के बाद काफी मददगार साबित होता है। उसके रोज के रुटीन को लेकर उससे सवाल पूछें और उसके जवाब सुनें। इससे बातचीत आगे बढ़ पाएगी।
बच्चे बड़ों का अनुसरण करते हैं और अपने आसपास जो देखते हैं उन्हीं आदतों को अपनाते हैं। वे यह भी देखते हैं, कि उनके आसपास के लोगों में कौन सी अच्छी बातें हैं। इसलिए अगर आप “कहेंगे कुछ और करेंगे कुछ” तो बच्चा दुविधा में पड़ जाएगा और साथ ही आप पर विश्वास नहीं कर पाएगा और वह आपकी आदतों का ही अनुसरण करेगा। इसलिए बच्चों को आप जो बातें समझाते हैं उसका खुद भी पालन करें।
बच्चा आपसे जो भी पूछता है या जो भी कहता है, हर उस बात को मानना जरूरी नहीं है। पेरेंट्स होने के नाते आप अपने बच्चे को हर खुशी देना चाहते हैं, लेकिन एक सीमा तय करना और उन्हें यह समझाना जरूरी है, कि अपनी बात मनवाने के लिए कुछ खास हरकतें करना सही नहीं है। ऐसी आदतों को बढ़ावा न देने और कुछ अन्य टिप्स को अपनाने से आपको मदद मिल सकती है:
बच्चे और टीनएजर, बड़ों से रिएक्शन पाने के लिए कुछ खास हरकतों को अपनाते हैं। आपको यह कठिन लग सकता है, लेकिन आपको अपनी इरिटेशन और नाराजगी पर नियंत्रण रखना चाहिए और दृढ़तापूर्वक उत्तर देना चाहिए, वह भी सौम्यता से।
आपके बच्चे को यह समझने की जरूरत है, कि उसे बहुत कुछ सीखना है और अपना ध्यान भी रखना है। यह उसके भविष्य के लिए ही फायदेमंद है। जब आपका बच्चा कुछ नया सीखता है, तो जरूरत पड़ने पर उसे यह खुद करने दें। बच्चे को स्पेस देना आपके लिए कठिन हो सकता है, लेकिन उसके समुचित विकास के लिए यह बहुत जरूरी है।
सकारात्मक हो या नकारात्मक, जब आप किसी व्यवहार पर अधिक ध्यान देते हैं, तो वह व्यवहार बढ़ने लगता है। इसलिए किसी गलत आदत को ठीक करने के बजाय, उस पर ध्यान ही न दें। इसके बजाय, जब बच्चा कोई अच्छा काम करता है, तो उसकी तारीफ करें।
जब आपका बच्चा पेरेंटिंग के किसी तरीके या फैसले को लेकर माता-पिता को बहस करते हुए देखता है, तो वह अपने फायदे के लिए इसे एक मौके के रूप में इस्तेमाल करता है। इसलिए ऐसी बातों को आपस में अकेले में करें और बच्चे को इससे दूर रखें और ऐसे एडजस्टमेंट करें, जो आपके बच्चे के लिए फायदेमंद हो।
आपका बच्चा जिन दूसरे वयस्कों के साथ बातचीत करता है, उनकी मदद आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। टीचर, कोच, दादा-दादी या नाना-नानी या फिर अपने पड़ोसियों से भी बात करें। उनकी मदद से आप यह समझ पाएंगे, कि आपकी पहुंच के बाहर के क्षेत्रों में बच्चे का विकास किस तरह से हो रहा है। इससे आपको थोड़ा समय और स्पेस भी मिलेगा, ताकि आप अपने लिए चीजें कर सकें।
जब आप जानते हैं, कि दूसरों पर जिम्मेदारी कब डालनी है, तब आप आधी जंग जीत जाते हैं। बच्चे को संभालने के लिए या घर के कामों में मदद के लिए मिलने वाले ऑफर को स्वीकार करें। बच्चे को बड़ा करने के दौरान बहुत सारा काम करना पड़ता है, जिसके लिए एक अकेला इंसान काफी नहीं होता है। इस दौरान अपने माता-पिता को भी शामिल करें, इससे उन्हें भी खुशी मिलेगी।
कभी-कभी बच्चे का पालन पोषण करने में हम यह भूल जाते हैं, कि बच्चे से पहले हम भी इस दुनिया में आए थे। हर दिन अपने लिए थोड़ा समय निकालें। बच्चे को बड़ा करने में ज्यादातर पेरेंट्स थक जाते हैं। अपने आप को फिर से एक्टिव करने के लिए समय निकालें क्योंकि इससे न केवल आपका तनाव दूर होगा बल्कि आप एक बेहतर माता-पिता भी बनेंगे।
पेंटिंग के दौरान अपने मन की आवाज सुनें, क्योंकि आमतौर पर यह सही ही होती है। अच्छी पेरेंटिंग के कुछ अन्य टिप्स हैं, जिन्हें आपको बच्चे की परवरिश के दौरान याद रखना चाहिए जैसे
आपका बच्चा जो एक सबसे महत्वपूर्ण चीज सीखता है, वो यह है कि आप उससे बिना शर्त प्यार करते हैं। लेकिन ऐसा माना जा सकता है, बच्चा इस बात को स्वाभाविक रूप से समझता है। उसे यह दिखना चाहिए, कि आपका प्यार किसी पैरामीटर पर आधारित नहीं है। जब आप किसी मुद्दे पर बच्चे से बात करते हैं, गलतियां नहीं मिलने पर भी आलोचना करते हैं या आरोप लगाते हैं, तो इससे बच्चे का आत्मविश्वास कम हो सकता है। जब बच्चे को पता होता है, कि चाहे कुछ भी हो जाए, कोई उसके साथ खड़ा है, तो इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ता है।
शादी का अर्थ आपका बच्चा आपसे ही सीखता है। एक दूसरे के प्रति वास्तविक प्रेम दर्शाने से आपके बच्चे को बड़ों के रिश्तों की समझ आती है।
बच्चे के लिए एक अस्थिर वातावरण से अधिक खतरनाक कुछ भी नहीं होता है। अगर आपके नियम और व्यवहार हर दिन बदलेंगे, तो आपका बच्चा कंफ्यूज हो जाएगा और उसका गलत व्यवहार जारी रहेगा। आपको ऐसे नियम बनाने चाहिए, जो कि ज्ञान पर आधारित हों, ताकत पर नहीं। अपने बच्चे को ये नियम अच्छी तरह से समझाएं। जो नियम लगातार बने रहते हैं, उनका अनुसरण करना आसान होता है, बजाय उनके जो आपकी जरूरतों के अनुसार बदलते रहते हैं।
अधिकतर माता-पिता सोचते हैं, कि पेरेंट्स होने से ही वे बच्चों के सम्मान के हकदार हो जाते हैं। लेकिन आपका बच्चा ऐसा नहीं सोचता है और अगर आप इज्जत की मांग करेंगे, तो वह सवाल करेगा। अपने बच्चे के साथ उसी सम्मान के साथ पेश आएं और आप उसकी तरफ से भी ऐसा ही व्यवहार पाएंगे।
स्वस्थ बच्चे को जन्म देना और उसके बाद के स्वास्थ्य का ध्यान रखना, केवल आधी जंग जीतना ही है। अन्य पेरेंट्स से बात करें और इस बारे में एक स्वस्थ चर्चा करें, कि इस विषय पर कौन सी बात फायदेमंद है और कौन सी नहीं। आपको यह भी याद रखना चाहिए, कि खुद के प्रति अधिक सख्त न बनें। मां या पिता होना आसान नहीं है और आपसे गलतियां होनी स्वाभाविक है। अपने बच्चे से अच्छी बातचीत करें।
अच्छी पेरेंटिंग पर कई किताबें लिखी गई हैं और ऐसे कई लोग हैं, जो इस संदर्भ में आपको अच्छी सलाह दे सकते हैं। इन सभी बातों को लेकर अधिक परेशान न हों और अपने साथी के साथ मिलकर एक सही रास्ते का चुनाव करें। आपके आसपास के लोग क्या कहते हैं, इससे ज्यादा जरूरी यह है, कि पेरेंटिंग ऐसी होनी चाहिए, जो कि आपके बच्चे की जरूरतों के साथ फिट बैठे।
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