शिशु

पेरेंट्स और बच्चे के बीच जुड़ाव – शिशु से बॉन्डिंग बनाने के तरीके

माता-पिता बनने का मौका सौभाग्य से मिलता है और बच्चे का पालन-पोषण करने से जो खुशी मिलती है, वह अद्वितीय होती है। जब आप पहली बार अपने बच्चे को गोद में लेते हैं, तो भावनाओं की एक तेज लहर उठती है। उस समय हमें और कुछ भी नहीं चाहिए होता है। हम केवल एक चीज चाहते हैं और वह है, कि हमारा बच्चा स्वस्थ और सुरक्षित हो और हम बेस्ट पेरेंट्स बन सकें। जैसे-जैसे दिन और हफ्ते बीतते जाते हैं, आपके और आपके बच्चे के बीच के संबंध मजबूत बनते जाते हैं, जो कि समय के थपेड़ों के आगे भी टिके रहते हैं। 

अपने बच्चे के साथ बॉन्डिंग होना इतना जरूरी क्यों है?

बच्चे के साथ जुड़ाव होना आपके रिश्ते के साथ-साथ बच्चे के विकास के लिए भी बहुत जरूरी होता है। अध्ययन बताते हैं, कि जो बच्चे अपने माता-पिता से हेल्दी बॉन्डिंग रखते हैं, वे अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं और इन बच्चों में आत्मसम्मान भी ज्यादा होता है। कुछ पेरेंट्स बच्चे को देखने के बाद कुछ ही पलों में उनसे जुड़ जाते हैं, वहीं कुछ पैरेंट को इसमें अधिक समय लगता है। अगर आप अपने बच्चे के साथ तुरंत जुड़ाव महसूस नहीं करते हैं, तो इसके बारे में चिंतित न हों, क्योंकि अधिकतर माता-पिता जब अपने बच्चे की देखभाल करना शुरू कर देते हैं, तो उनमें यह बॉन्डिंग पैदा हो जाती है।

अगर आप तुरंत बॉन्डिंग न बना पाए तो क्या होगा?

आपके बच्चे के जन्म के बाद का समय ऐसा समय होता है, जब आपको खुद पर ज्यादा दबाव नहीं डालना चाहिए।  अधिकतर पेरेंट्स अपने बच्चे के साथ बॉन्डिंग का अनुभव तुरंत नहीं कर पाते हैं और इसमें अधिक समय लग सकता है। अगर आपके बच्चे की निश्चित जरूरतें पूरी हो रही हैं और आप उनके साथ प्यारे पल बिता रहे हैं, तो आपका बच्चा बिल्कुल ठीक रहेगा। नई माँएं अक्सर अपनी थकान को लेकर बहुत परेशान रहती हैं और ऐसे में अगर आपको अपने बच्चे के साथ बॉन्डिंग महसूस नहीं होती है, तो उन्हें अपराधबोध महसूस नहीं करना चाहिए। 

कुछ माँएं थायराइड के लो लेवल के कारण, पोस्टपार्टम डिप्रेशन से भी जूझ सकती हैं, जिससे उन्हें बच्चे के साथ जुड़ने में कठिनाई हो सकती है। अगर आप डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन महसूस कर रहे हैं या सोने में दिक्कत आ रही है, तो आपको इन लक्षणों के बारे में डॉक्टर से जरूर बात करनी चाहिए। 

पेरेंट-बच्चे की बॉन्डिंग कैसे होती है?

पेरेंट्स और उनके बच्चे के बीच की बॉन्डिंग कई छोटे-छोटे तरीकों से होती है। अपने नवजात शिशु की ओर देखना, उसकी त्वचा को छूना, उसे दूध पिलाना ये सब मिलकर जुड़ाव पैदा करते हैं। आप उन्हें प्यार से गले लगा सकते हैं, उसकी तेल मालिश कर सकते हैं या उसे झुला कर सुला सकते हैं। इन सभी तरीकों से आपको बच्चे के साथ जुड़ने में मदद मिलेगी। ऐसे कई छोटे-छोटे तरीके होते हैं, जिनसे आप बच्चे की देखभाल करते हैं और उससे बातचीत करते हैं और ये सभी मिलकर जुड़ाव के अनुभव का निर्माण करते हैं। 

बॉन्डिंग की प्रक्रिया में कितना समय लगता है?

जुड़ाव एक अदद प्रक्रिया है और इसमें हर पैरेंट का अनुभव अलग होता है। इसमें कुछ दिन, कुछ सप्ताह या कुछ महीने भी लग सकते हैं। जो जरूरी बात याद रखी जानी चाहिए वह यह है, कि अगर आपको बच्चे के साथ जुड़ाव पैदा करने में अधिक समय लग रहा है, तो अपने ऊपर दबाव न डालें। कठिन लेबर या एक मुश्किल प्रेगनेंसी के मामले में बॉन्डिंग में देरी देखी जाती है, क्योंकि ऐसे में अत्यधिक थकान हो सकती हैं। यह उन पेरेंट्स में भी देखा गया है, जिनके बच्चों में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होती हैं और लगातार देखभाल की जरूरत होती है। 

अपने बच्चे के साथ जुड़ाव पैदा करने के बेहतरीन तरीके

बच्चे के साथ जुड़ना बहुत ही दबाव भरा लग सकता है, जिसमें हर कोई आपको तुरंत बॉन्डिंग के महत्व को समझाता रहता है। अगर आप ऐसी माँओं के संपर्क में हैं, जिनकी उनके बच्चों के साथ बॉन्डिंग मजबूत नहीं हुई है, तो ऐसे में आपको भी बच्चे के साथ बॉन्डिंग बनाने में देर हो सकती है। यहाँ पर कुछ बेबी बॉन्डिंग टिप्स दिए गए हैं, जिन्हें फॉलो करके आप अपने बच्चे के करीब आ सकते हैं: 

1. ब्रेस्टफीडिंग

ब्रेस्टफीडिंग में बच्चे के साथ त्वचा से त्वचा का संपर्क होता है। आपका बच्चा आपकी धड़कनों को सुन सकता है और आपकी खुशबू ले सकता है और इन सब से बॉन्डिंग की प्रक्रिया मजबूत होती है। 

2. आई कांटेक्ट

बच्चे की आँखों में देखकर आप आपसी संबंध को मजबूत बना सकती हैं। यह आपको तब करना चाहिए, जब आपका बच्चा बहुत खुश होता है, जैसे, बोतल से दूध पिलाने के दौरान या तेल मालिश के दौरान। 

3. मालिश

यह एक्टिविटी आपके नन्हे शिशु के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान और खिलखिलाहट ले आएगी। साथ ही आप और आपका बच्चा करीब भी आएंगे। इसके अलावा बच्चे को मालिश के लिए इस्तेमाल किए गए तेल के भी अनगिनत फायदे मिलेंगे। 

4. रिलैक्स

अपने फोन और लैपटॉप से दूर रहें। इस तरह आपको अधिक खाली समय मिलेगा और आप अपने बच्चे के साथ अधिक समय बिता पाएंगे। 

5. दिल की धड़कन

अपने बच्चे के दिल की धड़कन को सुनना, जुड़ाव को मजबूत बनाने में बहुत कारगर होता है। यही कारण है, कि गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड करते समय बच्चे की दिल की धड़कन सुनाई जाती है। 

6. नींद

शुरुआती कुछ महीनों के दौरान, अच्छी नींद लेना आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है। जब आपका बच्चा सो रहा हो, तो आपको भी सोना चाहिए, ताकि आपको अच्छी नींद मिल सके। 

7. त्वचा से संपर्क

अपने बच्चे को गले लगाते हुए समय बिताएं। अध्ययन दर्शाते हैं, कि त्वचा से त्वचा का संपर्क होने से एंडोर्फिन रिलीज होते हैं और इससे बच्चे और पैरंट के बीच के संबंध प्रगाढ़ होते हैं। 

8. जर्नल

अपने बच्चे के सभी जरूरी पड़ावों के साथ एक जर्नल को मेंटेन करें। उसकी पहली मुस्कुराहट से लेकर उसका पहला ठोस आहार और उसके पहले कदम, आप इन सब बातों का रिकॉर्ड रख सकती हैं। 

9. एक साथ पढ़ें

बच्चों को पढ़कर सुनाना, उनके साथ संबंध को गहरा बनाने के सबसे बेहतरीन तरीकों में से एक है। इसकी शुरुआत कभी भी हो सकती है और आपको बच्चे की आयु के अनुसार सही सामग्री ढूंढने चाहिए, जिससे कि बच्चे को आनंद आए। हर किरदार के लिए मजेदार चेहरे बनाएं और आवाजें निकालें और अपने बच्चे की आँखों को खुशी से चमकता हुआ देखें। 

10. गाना

बच्चे को गाना सुनाने के लिए आपको बहुत अच्छा गायक होने की जरूरत नहीं है। कुछ धुनों को चुनें और अपने बच्चे को गाकर सुनाएं, खासकर उन्हें सुलाने के दौरान आप ऐसा कर सकते हैं। ये गाने हमेशा के लिए आपके खास गाने बन जाएंगे। 

क्या बच्चे के साथ जुड़ाव महसूस करने में कठिनाई होना असामान्य है?

इसका एक सीधा सा जवाब है, नहीं। कई माता-पिता कई कारणों से बच्चे के साथ संबंध को गहरा बनाने में कठिनाई महसूस करते हैं। आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि समय के साथ यह समस्या अपने आप ही सुलझ जाएगी। इसका एक बेहतरीन जरिया है, नए माता-पिता के किसी फोरम या ग्रुप का हिस्सा बनना, जहाँ पर आप कहानियां शेयर कर सकते हैं और सपोर्ट ढूंढ सकते हैं। अन्य माता-पिताओं के अपने शिशु के साथ बॉन्डिंग में आने वाली समस्याओं को देखकर आपको अधिक अकेलापन महसूस नहीं होगा। 

ऐसी कई बातें हैं, जिनसे बच्चे के साथ रिश्ते मजबूत बनाने में देर हो सकती है। माँओं की सी-सेक्शन डिलीवरी, उनका कठिन रिकवरी पीरियड, प्रीमेच्योर लेबर या फिर पोस्टपार्टम डिप्रेशन जैसी स्थितियों में बच्चे से जुड़ाव मुश्किल हो जाता है। ऐसे में, अपराधबोध महसूस न करें, ठीक होने के लिए और बच्चे के साथ संबंध मजबूत बनाने के लिए खुद को समय दें। 

चिंता कब करनी चाहिए?

शुरुआती दो हफ्तों के बाद अपने बच्चे के लिए आपको हल्का सा भी लगाव महसूस होना चाहिए। अगर आपके साथ ऐसा न हो, तो आपको अपने प्राथमिक हेल्थ केयर प्रोवाइडर और अपने बच्चे के डॉक्टर से बात करनी चाहिए। 

बच्चे के साथ लगाव महसूस करने में मुश्किलें आने के प्रमुख कारणों में से एक है, पोस्टपार्टम डिप्रेशन। यह स्थिति बहुत आम है और यह सभी डिलीवरी में से लगभग 10% में देखी जाती है। अगर नीचे दिए गए लक्षणों में से कम से कम पाँच लक्षण आपको दिखें, तो आपको मदद लेनी चाहिए: 

  • निराशा या अत्यधिक उदासी
  • रोने पर अनियंत्रण
  • आमतौर पर पसंदीदा गतिविधियों में दिलचस्पी की कमी
  • भूख में बदलाव
  • वजन का अत्यधिक घटना या बढ़ना
  • सुस्ती या बेचैनी
  • नींद आने में समस्या
  • ध्यान लगाने में या फैसले लेने में मुश्किल
  • अपराध बोध या बेकार महसूस होना

अगर सही तरह से इलाज न किया जाए, तो बाद में पोस्टपार्टम डिप्रेशन के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। ऐसे में आपको मदद लेनी चाहिए, क्योंकि आपके और आपके बच्चे के लिए यही बेहतर है। 

बच्चे के साथ गहरे संबंध होना कोई विज्ञान नहीं है और इस मामले में हर पैरेंट का अनुभव अलग होता है। हर पैरेंट के अपने बच्चे से जुड़ाव महसूस करने की अपनी एक अलग कहानी होती है। अगर आप अपने बच्चे के साथ तुरंत लगाव महसूस न करें, तो खुद पर दोष ना डालें। खुद को समय दें और इसे प्राकृतिक रूप से बढ़ने दें। 

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पूजा ठाकुर

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