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पीसीओएस आजकल महिलाओं के लिए एक बुरे सपने जैसा बन गया है: यह सिर्फ आपके शरीर के नॉर्मल फंक्शन को ही प्रभावित नहीं करता बल्कि यह आपके व्यवहार को भी प्रभावित करता है। इसके साथ ही पीसीओएस की वजह से महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। क्या योग पीसीओएस और इसकी सभी समस्याओं को खत्म कर सकता है?
पीसीओएस क्या है?
पीसीओएस यानि पोलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम जिसमें महिला के शरीर में एंड्रोजेंस (पुरुष हार्मोन) बढ़ जाते हैं और इसके परिणामस्वरूप महिला के शरीर के आंतरिक अंगों की मॉर्फोलॉजी और फंक्शन में बदलाव होता है। एक महिला में पीसीओएस के ज्यादातर निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं, आइए जानें;
- ओवरीज में सिस्ट (फ्लूइड से भरा हुआ सैक) होना जिसे सोनोग्राफी में देखा जा सकता है।
- ओवुलेशन देर से या न होने की वजह से पीरियड्स अनियंत्रित हो जाते हैं।
- शरीर पर बहुत ज्यादा बाल आते हैं और एक्ने भी हो सकता है।
- वजन कम होने में कठिनाई होती है।
- गर्भधारण करने में कठिनाई होती है।
- अकन्थोसिस निगरिकन्स – यह एक ऐसी समस्या है जिसमें त्वचा काली, मोटी होने लगती है और इसमें विशेषकर स्किन फोल्ड्स में पैचेज पड़ने लगते हैं (जैसे बगलों में, गर्दन में, आंतरिक अंगों में)।
ऐसा कोई एक कारण नहीं बताया जा सकता जिसकी वजह से पीसीओएस होता है – यह सिर्फ हेरिडिटी और वातावरण कारकों के कॉम्बिनेशन की वजह से होता है। पीसीओएस की समस्या आमतौर पर स्ट्रेस की वजह से बढ़ती है और इसमें स्वास्थ्य संबंधी अन्य कॉम्प्लीकेशंस भी हो सकते हैं, जैसे ओबेसिटी, डायबिटीज, मूड डिसऑर्डर इत्यदि।
यद्यपि ओवरियन सिस्ट पीसीओएस का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है पर यह समस्या को बताने वाला सिर्फ एक ही लक्षण नहीं है। पीसीओएस थायरॉइड के फंक्शन को प्रभावित करने के लिए भी जाना जाता है।
चूंकि पीसीओएस का सटीक कारण नहीं बताया जा सकता इसलिए यह पूरी तरह से ठीक नहीं होता है। हालांकि लाइफस्टाइल में बदलाव करके महिलाएं पीसीओएस से प्रभावित हुए बिना भी जिंदगी जी सकती हैं और यहाँ तक कि गर्भधारण भी कर सकती हैं।
पीसीओएस को ठीक करने के लिए योग क्यों प्रभावी है
योग सिर्फ एक एक्सरसाइज नहीं है – यह आपकी पूरी जीवनशैली को बेहतर बनाता है। यदि आप इसे अपने जीवन में परिवर्तन लाने के लिए करना चाहती हैं तो इसके कुछ सिद्धांत हैं जो आपको मोक्ष के समीप ले जाते हैं।
योग के सिद्धांतों की मदद से शरीर के पाँचों सेंसेस, विभिन्न अंगों, विचार, भावनाओं और पूर्ण शरीर को शांति मिलती है।
अक्सर लोग ज्यादा से ज्यादा हठ योग करने का प्रयास करते हैं। हठ योग करने से निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं, आइए जानें;
- मिताहार यानी संतुलित आहार
- षट्कर्म यानी शरीर का शुद्धिकरण
- आसन यानी शरीर का सही पोज
- प्राणायाम यानी सांसों का सही आदान-प्रदान
- ध्यान यानी मेडिटेशन
- कुण्डलिनी, रीढ़ की हड्डी के आधार पर स्थित एनर्जी का एक रूप
जीवन को समग्र रूप से जीने से इसके हर पहलू की गुणवत्ता बढ़ जाती है – चाहे वह स्वास्थ्य संबंधी हो, विचारों से हो, मानसिक हो या सिर्फ खुश रहने के लिए हो। पीसीओएस सिर्फ एक रोग है जिसके प्रभाव को कम करने में योग सकारात्मक रूप से मदद करता है – इसके और भी बहुत सारे फायदे हैं।
पीसीओएस का उपचार करने के लिए योग के फायदे
लोग अक्सर अलग-अलग समस्याओं को ठीक करने के लिए योग करते हैं जिसमें एल्जाइमर रोग से लेकर कैंसर तक शामिल हैं। योग में ज्यादातर ध्यान या मेडिटेशन किया जाता है। पीसीओएस के प्रभाव को कम करने के लिए योग करने के बहुत सारे फायदे हैं:
- यह अन्य दवाओं व ट्रीटमेंट्स के विपरीत बहुत सस्ता है जिसकी मदद से महिलाओं में सिर्फ पीसीओएस का प्रभाव ही कम नहीं होता है बल्कि यह दूसरी परेशानियों को भी ठीक करता है।
- योग में किसी भी दवाई या डिवाइस का उपयोग नहीं किया जाता है इसलिए इसका अन्य किसी चीज पर कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
- योग करने से कोई भी साइड-इफेक्ट्स नहीं होते हैं – इसे करने के बाद आपको सिर्फ सकारात्मक, स्वस्थ और ताजगी भरा महसूस होगा। शरीर को एक्टिव करने के लिए दवाओं की जरूरत पड़ सकती है (विशेषकर तब जब ओवुलेशन होता है), इसकी ज्यादातर दवाइयां शरीर को प्रभावित करती हैं जिससे आपको साइड-इफेक्ट्स भी हो सकते हैं।
पीसीओएस के लिए 14 योगासन
यदि आप अपनी किसी भी समस्या को ठीक करने के लिए योग करना शुरू करती हैं तो यह ध्यान में रखना जरूरी है कि योग के ज्यादा से ज्यादा फायदे प्राप्त करने के लिए इसे रोजाना करना चाहिए। पीसीओएस के लिए यहाँ पर 14 योगासन बताए गए हैं, आइए जानें;
1. बद्धकोणासन या बटरफ्लाई पोज
यह पोज निजी अंगों की मांसपेशियों, जांघों के आंतरिक भाग और अब्डॉमिनल कैविटी में मौजूद अंगों को ठीक करने में मदद करता है। यह महिलाओं की ओवरीज के फंक्शन को नियंत्रित और पीरियड्स को आरामदायक करने के लिए जाना जाता है।
2. सुप्त बद्धकोणासन या रेक्लाइनिंग बटरफ्लाई पोज
यह बद्धकोणासन का ही दूसरा रूप है और इसके फायदे भी उसी के जैसे होते हैं।
3. भुजंगासन या कोबरा पोज
यह सूर्य नमस्कार का सातवां पोज है। भुजंगासन स्वाधिस्थान चक्र को प्रभावित करता है जो सैक्रम में होता है। भुजंगासन कुण्डलिनी (जीवन चक्र की मुख्य एनर्जी) को जागृत करने के लिए जाना जाता है जिससे पीसीओएस के लक्षण भी नियंत्रित होते हैं।
4. नौकासन या बोट पोज
नौकासन करने से पेट की मांसपेशियों और अब्डॉमिनल कैविटी में मौजूद अंगों को काफी मदद मिलती है। यह थायरॉइड के फंक्शन को नियंत्रित करता है जिससे पीसीओएस में प्रभाव पड़ता है।
5. धनुरासन या बो पोज
यह पोज कब्ज जैसी समस्याओं को ठीक करने के लिए बहुत जरूरी है। धनुरासन करने से पीरियड्स में हो रही असुविधाओं में भी आराम मिलता है, जैसे क्रैंप्स, कड़कपन और इत्यादि। यह रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स को भी उत्तेजित करता है और इसे ठीक से फंक्शन करने में मदद करता है।
6. बालासन या चाइल्ड पोज
बालासन से किसी भी शरीर के किसी भी अंग में सीधा प्रभाव नहीं पड़ता। हालांकि यह हिप्स की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए सबसे अच्छा आसन है। इसके अलावा पीसीओएस के लिए योगासन की लिस्ट में यह आसन सबसे बेहतरीन है क्योंकि यह एक अच्छा ‘काउंटर आसन’ है जो अलग-अलग आसन करने की वजह से स्ट्रेच्ड और एक्सटेंडेड शरीर को नॉर्मल होने में मदद करता है।
7. मार्जरी आसन या कैट पोज
कई लोग पीठ का दर्द कम करने के लिए कैट पोज करते हैं। यह रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने के लिए सबसे सही पोज है। महिलाओं में कैट पोज के कई फायदे हैं: कैट पोज महिलाओं की मुख्य मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है, बच्चे के जन्म के लिए एनर्जी देता है और पीरियड्स के समय क्रैंप्स में भी आराम देता है।
8. बीतिलासन या कैमल पोज
कैमल पोज कैट पोज से बिलकुल विपरीत होता है। यह कैट पोज को बैलेंस करने में मदद करता है और इन दोनों आसन को हमेशा एक साथ करना चाहिए।
9. प्रसारित पदोत्तासन या वाइड लेग्ड फॉरवर्ड बेंड
यह आसन भी हिप्स को लूज करने में मदद करता है और इस आसन से हिप्स की मांसपेशियां ढीली हो जाती है और बच्चे का जन्म होने में आसानी होती है। प्रसारित पदोत्तासन पेट की मांसपेशियों और शरीर के अंगों को टोन करने में मदद करता है।
10. पद्मासन या लोटस पोज
यह आसन महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए बहुत अच्छा है क्योंकि यह दोनों के ही रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स को ठीक करने में मदद करता है। पुरुषों में पद्मासन को साइटिका भी कहते हैं। महिलाओं में पद्मासन में बैठने से पीरियड्स के दौरान क्रैम्प्स को कम करने में मदद मिलती है। इस आसन से पेल्विक गर्डल पर भी प्रभाव पड़ता है।
11. सेतु बंध सर्वांगासन या ब्रिज पोज
ब्रिज पोज थायरॉइड के फंक्शन को ठीक करने में मदद करता है जो पीसीओएस का एक जरूरी पहलू है। यह आसन पेट के ऑर्गन्स को उत्तेजित करने के लिए भी जाना जाता है। इसका सबसे महत्वपूर्ण फायदा यह है कि इससे मेनोपॉज के लक्षणों में मदद मिलती है जिससे पीसीओएस में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
12. पश्चिमोत्तानासन या सीटिड फॉरवर्ड बेंड
पश्चिमोत्तानासन पीसीओएस के सबसे बड़े साइड इफेक्ट को कम करने में मदद करता है – ओबेसिटी और वजन बढ़ना। कई महिलाएं जिन्हें पीसीओएस है उन्हें वजन कम करने में कठिनाई होती है – पश्चिमोत्तानासन करने से आपको इस समस्या में मदद मिल सकती है।
13. शलभासन या लोकस्ट पोज
यह भी एक प्रकार का योगासन है जो महिलाओं में ओवरी और यूटराइन के विकारों के लिए फायदेमंद होता है। जैसा कि हम जानते हैं कि पीसीओएस ओवरीज को प्रभावित करता है और इसलिए यह पोज पीसीओएस के प्रभाव को कम करने में मदद करता है। डायबिटीज भी पीसीओएस की वजह से ही होता है और लोकस्ट पोज (या सुपरमैन पोज) डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए ही जाना जाता है (यदि इसे रोजाना किया जाए तो)।
14. मालासन या गारलैंड पोज
मालासन और स्क्वैट्स के फायदे एक समान होते हैं – ये दोनों आसन हिप्स व पेल्विक गर्डल को सुविधाजनक करने में मदद करते हैं जिससे महिलाओं में अनियंत्रित पीरियड्स को ठीक करने और गर्भधारण में मदद मिलती है।
पीसीओएस के लिए 4 प्राणायाम
कोई भी एक्सरसाइज करते समय सांसों का आदान-प्रदान किस प्रकार से होना चाहिए यह जानना बहुत जरूरी है। चाहे आप जिम में वेट ट्रेनिंग करती हों या फिर घर में योग करती हों – इसे करते समय सांस लेने और छोड़ने का एक पैटर्न होता है। इसके साथ योग एक्सरसाइज का एक अलग सेट है जो सिर्फ सांस लेने के अलग-अलग तरीके और तकनीक पर फोकस करता है। यहाँ पर पीसीओएस के लिए 4 प्रकार के प्राणायाम बताए गए हैं, आइए जानें;
1. योनि मुद्रा
योनि मुद्रा हाथों का एक पोस्चर है जो महिला की वजायना को दर्शाता है। इसे करने के लिए पहले आप पद्मासन में बैठकर अपने दोनों हाथों को योनि मुद्रा में जोड़ लें और साथ ही गहरी सांस लें। इससे आपको पीसीओएस को मैनेज करने में बहुत मदद मिलेगी। यह आसन विशेषकर रिप्रोडक्टिव सिस्टम के फंक्शन को नियंत्रित करने और इसमें फायदे पहुँचाने में मदद करता है।
2. नाड़ी शोधन
नाड़ी शोधन सांस लेने और सांस छोड़ने की प्रक्रिया है। यह एक साथ किया जाता है; पहले आप लगातार धीरे-धीरे दाहिने ओर से सांस लें और फिर बाएं ओर छोड़ें। इस प्राणायाम का सबसे सीधा संबंध शरीर में मेल व फीमेल एनर्जी को संतुलित करने से है जिससे पीसीओएस के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। यह प्राणायाम शरीर में अलग-अलग हॉर्मोन्स को संतुलित करने में भी मदद करता है।
3. भ्रामरी
पीसीओएस की वजह से आपकी मानसिक शांति भी खत्म हो सकती है। खुद को शांत करने के लिए सबसे बेहतरीन एक्सरसाइज भ्रामरी है जिससे आपकी एंग्जायटी और अस्थिरता कम हो सकती है। इसे करने के लिए आप अपने दोनों हाथों को कान के ऊपर रखें, आँखें बंद करें, गहरी सांस लें और सांस को धीरे-धीरे बाहर छोड़ते हुए हमिंग आवाज निकालें। यदि आपके लिए हाथों को रखना कठिन है तो आप ऊपर फोटो पर दिए अनुसार ही आँखें और कान बंद करें।
4. कपालभाति
वजन को नियंत्रित करने के लिए कपालभाति सबसे बेस्ट एक्सरसाइज है। इससे पेट की व मूल मांसपेशियों पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। कपालभाति करने से डायबिटीज भी नियंत्रित हो जाता है। इससे पीसीओएस से संबंधित दो कॉम्प्लीकेशंस कम हो सकते हैं और यह महिलाओं के लिए बेहतरीन एक्सरसाइज है।
जरूरी बात: कपालभाति सांस लेने की सबसे ज्यादा प्रभावी एक्सरसाइज है जो सिर्फ पीसीओएस ही नहीं बल्कि रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिए भी फायदेमंद है।
- इसे करने के लिए पहले आप ध्यान की अवस्था में बैठ जाएं।
- अब गहरी सांस लें और सीने को चौड़ा करें।
- फिर पेट की मांसपेशियों का उपयोग करते हुए नाक से तेजी में सांस बाहर छोड़ें।
- इस प्राणायाम को आप 10 बार दोहराएं। यह इसकी 1 साइकिल है।
- इसी प्रकार से आप इस प्राणायाम की 3 साइकिल पूरी करें। इस बात का ध्यान रखें कि हर एक साइकिल को पूरा करने के बाद आप गहरी सांस लें और इसे धीरे-धीरे छोड़ें।
सामान्य तौर पर चाहे आप पद्मासन में बैठकर गहरी सांस लें या फिर कुर्सी पर बैठकर गहरी सांस लें – इससे आपके मस्तिष्क को शांति मिलती है, विचार नियंत्रित होते हैं और स्ट्रेस में आराम मिलता है। पीसीओएस का प्रभाव अक्सर स्ट्रेस लेने से ही बढ़ता है – कई महिलाएं रोजाना अधिक से अधिक स्ट्रेस महसूस करती हैं जिसकी वजह से उन्हें पीसीओएस जैसी समस्याएं होती हैं। यदि रोजाना के 5 मिनट आपके जीवन की इस समस्या को ठीक कर सकते हैं तो आप इसे क्यों न करें।
योग के दौरान रखी जानेवाली सावधानियां
यद्यपि योग करने से स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे होते हैं पर यदि आप इसके लिए बिलकुल नई हैं तो आपको योग शुरू करते समय बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि यह बहुत ज्यादा तेजी से की जानेवाली या अधिक प्रभावी एक्सरसाइज नहीं है पर इसमें फ्लेक्सिबिलिटी की जरूरत होती है। योग करते समय आपके शरीर के सभी जोड़ व मांसपेशियां काम करना शुरू कर देती हैं इसलिए यदि आप ज्यादा नहीं टहलती हैं तो आपको दर्द हो सकता है या क्रैम्प भी आ सकता है। पीसीओएस के लिए योग करते समय निम्नलिखित सावधानियों पर ध्यान दें;
- योग करते समय योगा मैट का उपयोग करें। सभी आसन करते समय बैठने के लिए यह बहुत जरूरी है। यदि आप योगा मैट नहीं खरीदना चाहती हैं तो आप किसी कार्पेट या मोटे ब्लैंकेट पर भी बैठ सकती हैं। बस इस बात का ध्यान रखें कि वह थोड़ा मोटा हो और इधर-उधर न खिसके (गिरने या फिसलने से बचने के लिए)।
- स्ट्रेच होनेवाले कपड़ों का उपयोग करें – विशेष रूप से पैंट। योग करने से शारीरिक फ्लेक्सिबिलिटी में सुधार आता है। पर यदि आपके कपड़े स्ट्रेचेबल नहीं हैं तो आपको मुड़ने या झुकने में कठिनाई हो सकती है। इसलिए योग के दौरान कौन से कपड़े पहनने हैं इसका चयन भी ध्यान से करें।
- अपने शरीर की सुनें। यदि आप किसी आसन को ठीक से नहीं कर पा रही हैं तो खुद के साथ जबरदस्ती न करें। पहले अपनी मांसपेशियों व शरीर को सही तरीके से मूव करने, मुड़ने, स्ट्रेच करने और झुकने की आदत डालें (रोजाना अभ्यास करके) और फिर धीरे-धीरे सही पोस्चर बनाने का प्रयास करें। आप योग धीरे-धीरे और आराम से शुरू करें।
- तेज म्यूजिक चलाने के बजाय शांत और सरल म्यूजिक चलाएं। योग सिर्फ शरीर पर फोकस करना ही नहीं है बल्कि यह आपकी मानसिक व भावनात्मक स्थिति में भी सुधार लाता है। इस दौरान वाइट नॉइस या सॉफ्ट इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक चलाना ही सबसे बेस्ट होगा। योग करते समय आप मंत्र जाप का म्यूजिक भी चला सकती हैं।
- योग करने से पहले ज्यादा न खाएं। यद्यपि किसी भी वर्कआउट के लिए यही सही है पर विशेषकर योग करते समय यह बहुत जरूरी है क्योंकि बहुत सारे आसन करने से पेट पर बल पड़ता है। भरे पेट के साथ यह आसन करने से आपको क्रैम्प आ सकता है या आपको मतली, उल्टी या एसिड रिफ्लक्स भी हो सकता है।
- योग करते समय पानी पीना न भूलें। योग करने से भले पसीना न आए पर शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए पानी पीना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप बेस्ट टिप फॉलो कर सकती हैं: हर आसन करने के बाद एक घूंट पानी पिएं।
- अपना मोबाइल पास न रखें। यदि आप म्यूजिक चलाना चाहती हैं तो इसे एरोप्लेन मोड पर करके रखें। क्योंकि योग के ज्यादा से ज्यादा लाभ पाने के लिए आपको अलिप्त होने जैसी स्थिति में जाना जरूरी है।
- योग करते समय सबसे पहले आसन करें, उसके बाद प्राणायाम और फिर ध्यान करें। इस सीक्वेंस को बिलकुल भी मिक्स न करें।
अक्सर पूछे जानेवाले सवाल
1. योग से पीसीओएस की समस्या कब तक खत्म हो जाती है?
योग करने से पीसीओएस की समस्या खत्म नहीं होती है। वास्तव में पीसीओएस किसी भी दवाई से ठीक नहीं हो सकता। हालांकि योग करने से पीसीओएस के विशेष रूप से वो लक्षण काफी हद तक कम हो जाते हैं जिनसे फर्टिलिटी प्रभावित होती है और समय के साथ यह उन दवाइयों को भी कम कर देता है जो आप हॉर्मोन्स को नियंत्रित करने के लिए लेती हैं।
2. पीसीओएस के मरीज के लिए क्या ज्यादा जरूरी है? योग करना या जिम जाना?
योग करने से एक बहुत बड़ा फायदा मिलता है जो जिम में जाने से नहीं मिल सकता – इससे स्ट्रेस कम हो जाता है। हालांकि कोई भी एक्सरसाइज आपके स्ट्रेस को कम कर सकती है पर योग की मेडिटेटिव तकनीक (जिसमें सांस पर ध्यान लगाया जाता है) से स्ट्रेस पूरी तरह से खत्म भी हो सकता है और हम सभी जानते हैं कि पीसीओएस की वजह से एक महिला को कितना ज्यादा स्ट्रेस होता है। इसके साथ यह भी पाया गया है कि जिम में बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करने से एंड्रोजेंस बढ़ते हैं जो पीसीओएस पर प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकते हैं।
3. क्या योग करना अत्यधिक एक्सरसाइज करने से बेहतर है?
हाँ, पीसीओएस का सबसे बड़ा साइड-इफ्फेक्ट यह कि इसमें महिला अपना वजन कम नहीं कर पाती है। जिसकी वजह से महिलाएं जल्द से जल्द कैलोरीज कम करने की वजह से ज्यादा प्रभावी एक्सरसाइज करना शुरू कर देती हैं। हालांकि इसके लिए योग करना ज्यादा सही है क्योंकि यह सिर्फ वजन कम करने में और स्ट्रेस को नियंत्रित रखने (जैसे कि पहले भी बताया गया है) में ही मदद नहीं करता है बल्कि शरीर के विभिन्न अंगों के लिए इसके अनेक फायदे भी हैं (जो बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करने से नहीं होते हैं)। योग एक समाधान से ज्यादा है जो शरीर को पूरी तरह से ठीक रखने से भी ज्यादा मदद करता है – शरीर के जो भी अंग पीसीओएस की वजह से प्रभावित होते हैं, योग विशेष रूप से उन सभी अंगों को ठीक करता है।
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