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आप अपनी प्रेगनेंसी का पहला स्कैन कराने जा रही है और यह आपके बहुत एक्साइटिंग भी है। इस दौरान पेट का स्कैन कराना आपके लिए बेहद खास पल होता है, क्योंकि यह आपको आपके माँ बनने का अहसास दिलाता है साथ ही आप अपने अंदर अपने बढ़ते हुए बच्चे के होने का अनुभव कर सकती हैं! सच में आप और आपके पार्टनर ने इस पल का न जाने कब से इंतजार किया होगा और अब वो घड़ी आ ही गई, जब आपको अपने बच्चे से जुड़ी जानकारी प्राप्त होगी।
पहली तिमाही एक बहुत महत्वपूर्ण समय होता है, यह जानने के लिए कि आपकी प्रेगनेंसी नॉर्मल तरीके से आगे बढ़ रही है या नहीं, इसके लिए आपको अच्छी तरह से मॉनिटर करने की आवश्यकता होती है। यह वह पीरियड है जिसके दौरान आपकी प्रेगनेंसी से जुड़ी समस्याओं की पहचान की जाती है। पहली तिमाही के दौरान होने वाले स्कैन के रिजल्ट से आपकी हेल्थ का पता चलता है साथ ही आपको क्या सावधानी बरतनी चाहिए यह भी पता चलता है, इससे माँ और बच्चा दोनों सुरक्षित और हेल्दी रहते हैं।
नॉर्मल प्रेगनेंसी में, पहली तिमाही के दौरान औसतन, चार स्कैन किए जाते हैं।
डेटिंग और वायाबिलटी स्कैन
पहला स्कैन एक डेटिंग और वायाबिलटी स्कैन होता है, जो 6वें और 9वें सप्ताह के बीच किया जाता है।
न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्कैन (एनटी)
यह पहली तिमाही के दौरान किया जाने वाला एक और अर्ली मॉर्फोलॉजी या न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्कैन
है, जो गर्भावस्था के 11वें और 13वें सप्ताह के बीच किया जाता है।
ट्रांसवेजाइनल स्कैन (टीवीएस)
गर्भावस्था के शुरुआती चरण में शिशु की क्लियर इमेज देखने के लिए टीवीएस स्कैन की आवश्यकता होती है, क्योंकि फीटस बहुत छोटा होता है और बिना इस स्कैन की मदद के वो दिखाई नहीं देता है। ट्रांसवेजाइनल स्कैन पूरी तरह से सुरक्षित हैं और प्रेगनेंसी के सभी स्टेज में इसे किया जा सकता है।
एब्डोमिनल स्कैन
यह स्कैन लगभग 10वें सप्ताह तक किया जाता है। अल्ट्रासाउंड डिवाइस की मदद से पेट के निचले हिस्से से बच्चे का व्यू लिया जाता है। डिवाइस का मूवमेंट सही से हो सके, इसके लिए आपके पेट पर जेल लगाया जाता है।
अर्ली प्रेगनेंसी स्कैन, जिसे डेटिंग और वायाबिलटी स्कैन के रूप में भी जाना जाता है, पहली तिमाही में इस स्कैन को करने के चार मुख्य कारण हैं:
पहली तिमाही के दौरान होने वाली स्क्रीनिंग बच्चे में होने वाले डाउन सिंड्रोम और ट्राइसॉमी 18 जैसी क्रोमोसोमल कंडीशन से जुड़ी जानकारी देती है।
डाउन सिंड्रोम के कारण बच्चे में जीवन भर के लिए उसका मेंटल और सोशल डेवलपमेंट प्रभावित हो सकता है, जबकि ट्राइसॉमी 18 एक खतरनाक कंडीशन है जिसमें बच्चा 1 वर्ष की आयु से ज्यादा जीवित नहीं रह पाता है।
क्योंकि पहली तिमाही में स्क्रीनिंग किसी भी अन्य प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट से काफी पहले की जाती है, इसलिए इसके आधार पर बाकी के टेस्ट किए जाते हैं, खासतौर आपकी प्रेगनेंसी में किसी तरह के कोई जोखिम देखे जाते हैं। अगर बच्चे में डाउन सिंड्रोम पाया जाता है तो पहली तिमाही के स्कैन से होने वाले माता-पिता आगे के कदम लेने में मदद मिलती है कि उन्हें बच्चे का पालन पोषण कैसे करना है।
हालांकि, पहली तिमाही में किए जाने वाले स्कैन में अन्य बर्थ डिफेक्ट का नहीं पता चलता है जैसे कि स्पाइना बिफिडा। यह बाद की प्रेगनेंसी में किया जाता है।
कुछ मामले में अर्ली स्कैन भी करवाना बहुत जरूरी होता है, जो आपको नीचे बताए गए हैं:
पहली तिमाही की स्क्रीनिंग में दो स्टेप्स शामिल हैं:
यहाँ दो तरीके बताए गए हैं जिसके आधार पर पहली तिमाही के दौरान अल्ट्रासाउंड टेस्ट किया जाता है:
टीवीएस या ट्रांसवेजाइनल स्कैन
ट्रांसवेजाइनल स्कैन आमतौर पर तब किया जाता है जब गर्भावस्था के 10वें सप्ताह में पहले स्कैन की जरूरत होती है। इसका कारण यह है कि बच्चा अभी बहुत छोटा होता है जिसकी वजह से बाहरी स्कैन या अल्ट्रासाउंड के जरिए इसका पता नहीं लगाया जा सकता है।
ट्रांसवेजाइनल स्कैन के लिए प्रोब का इस्तेमाल करते हुए इसे योनि में डाला जाता है। प्रोब से साउंड वेव निकलती हैं जो बच्चे से टकराती हैं। फिर यह वेव प्रोब में कैप्चर हो जाती है और इससे कंप्यूटर स्क्रीन पर इमेज बनती है। हालांकि टीवीएस के दौरान आपको असहज महसूस हो सकता है, लेकिन जब तक आप पर कोई तनाव नहीं पड़ता तब तक इससे आपको कोई परेशानी नहीं होगी। गहरी साँसे लें और रिलैक्स करें।
मेडिकल एक्सपर्ट ज्यादातर प्रेगनेंसी के 6ठे सप्ताह में पहला स्कैन कराने की सलाह देते हैं जो टीवीएस या ट्रांसवेजाइनल स्कैन होता है। इसके बाद, पहली तिमाही के अगले स्कैन को आमतौर पर गर्भावस्था के 11वें और 13वें सप्ताह के बीच करने की सलाह दी जाती है, जो ज्यादातर एब्डोमिनल स्कैन होता है। जिन प्रेगनेंसी में जोखिम ज्यादा होता है, ऐसे मामलों में कई स्कैन कराए जा सकते हैं। एक बात जो आपको नोट करनी चाहिए वो यह है कि पहली तिमाही में की जाने वाली स्क्रीनिंग ऑप्शनल होती है, इसका रिजल्ट सिर्फ बर्थ डिफेक्ट के बढ़ते जोखिम के बारे में बताता है, वो भी पूरी तरह से पुष्टि नहीं करते हैं।
6ठे सप्ताह में किए जाने वाले पहले स्कैन कई कारणों से किया जाता है जो आपको नीचे बताए गए हैं:
अगला स्कैन, जो आमतौर पर 11वें और 13वें सप्ताह के बीच किया जाता है, ज्यादातर एब्डोमिनल स्कैन होता है। जैसा कि हमने पहले भी बताया है कि पहली तिमाही के दौरान स्क्रीनिंग करने के दो तरीके हैं – ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड स्कैन। इसके जरिए आपको क्या पता चलता है यहाँ बताया गया है:
न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्कैन
पहली तिमाही में किए जाने वाले अल्ट्रासाउंड स्कैन के जरिए बच्चे की गर्दन के पीछे के क्षेत्र की मोटाई का पता लगाया जाता है। यदि मोटाई सीमा से ज्यादा है, तो यह डाउन सिंड्रोम का एक शुरूआती संकेत हो सकता है।
ब्लड टेस्ट
बीटा ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (बीटा-एचसीजी), जो कि प्लेसेंटा द्वारा बनने वाले हार्मोन है और गर्भावस्था से जुड़े प्लाज्मा प्रोटीन ए (पीएपीपी-ए), जो कि ब्लड टेस्ट के जरिए प्रोटीन की जानकारी देता है। बीटा-एचसीजी का हाई लेवल बर्थ डिफेक्ट का संकेत देता है जबकि पीएपीपी-ए के का लो लेवल भी यही संकेत देता है।
ऐसे कुछ मामले हैं जिनमें डॉक्टर पहली तिमाही के दौरान आपको कई स्कैन करने के लिए कह सकते हैं। जिसमे शामिल है:
5वें सप्ताह में पहला प्रेगनेंसी स्कैन
इस स्टेज पर स्कैन के दौरान ज्यादा कुछ दिखाई नहीं देता है। डॉक्टर सिर्फ एक जेस्टेशन या प्रेगनेंसी थैली को ही देखने में सक्षम हो सकते हैं, जो ब्लैक होल की तरह दिखता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह फ्लूइड से भरा होता है। इस स्टेज पर, अस्थानिक गर्भावस्था की समस्या देखी जा सकती हैं, जहाँ सैक गर्भाशय में इम्प्लांट हुआ था।
6ठे सप्ताह में पहला प्रेगनेंसी स्कैन
यदि आप 6ठे सप्ताह में पहला प्रेगनेंसी स्कैन कराने जा रही हैं, तो आप एक छोटे सफेद सर्किल में जेस्टेशन को देखेंगी, जो योल्क सैक होता है। यह फीटस से जुड़ा हुआ होता है और इसे पोषक तत्व प्रदान करता है। इस स्टेज पर, फीटस की लंबाई को ड्यू डेट का पता लगाने के लिए मेजर किया जाता है।
7वें सप्ताह में पहला प्रेगनेंसी स्कैन
इस समय फीटस बहुत ही छोटा लेकिन दिखाई देने लगता है और इस समय फीटस के दिल की धड़कन को सुना जा सकता है।
8वें सप्ताह में पहला प्रेगनेंसी स्कैन
इस समय तक स्कैन के जरिए साफ तौर पर फीटस को देखा जा सकता है और लगभग 1 से 2 सेमी तक बड़ा हो सकता है।
10वें सप्ताह में पहला प्रेगनेंसी स्कैन
इस दौरान बच्चा तेजी से बढ़ने लगता है और लगभग 3 सेमी तक बड़ा हो जाता है। फीटस कि दिल की धड़कन को देखा और सुना जा सकता है।
11 या 12 वें सप्ताह में पहला प्रेगनेंसी स्कैन
इस दौरान न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्कैन कराया जाता है । बच्चा सिर से पांव तक लगभग 5 से 6 सेंटीमीटर तक बड़ा हो जाता है। इसके अलावा इस स्कैन की मदद से अन्य जानकारियां भी प्राप्त होती हैं जैसे:
लगभग छह सप्ताह के बाद से जुड़वां या दो से ज्यादा गर्भ में पल रहे बच्चे का पता लगाया जा सकता है, लेकिन अर्ली स्टेज में हो सकता है कि डॉक्टर इसका पता न लगा पाएं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कभी-कभी, दिल की धड़कन सिर्फ एक ही सैक से सुनाई देती है और दूसरे में सुनाई और दिखाई देती है। कई मामलों में, जुड़वां बच्चे गर्भ में पल रहे होते हैं, लेकिन सिर्फ एक ही फीटस बढ़ता है और विकास करते हुए नजर आता है। इसे वैनिशिंग ट्विन कहा जाता जो काफी कॉमन है। जुड़वा बच्चों के मामले में, स्कैन से नहीं पता चल पाता है कि ट्विन्स एक ही प्लेसेंटा और सैक का इस्तेमाल कर रहे हैं या अलग अलग।
तो ऐसे में आपका नर्वस होना जायज है, खासकर अगर यह आपकी पहली गर्भावस्था है और आप पहली बार अपना प्रेगनेंसी टेस्ट करवाने आई हों। हालांकि, एक अर्ली स्कैन का फायदा यह है कि किसी भी समस्या के दिखाई देने पर डॉक्टर आपको तुरंत इसका समाधान बता सकता है।
कुछ मामलों में, स्कैन के जरिए बच्चे में डाउंस सिंड्रोम जैसी गंभीर कंडीशन का पता चलता है। इसके लिए डॉक्टर आपको कुछ और टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं, चाहे आपके बच्चे को क्रोमोसोमल एब्नोर्मिलिटी हो या न हो। लेकिन इन टेस्ट से मिसकैरज होने का भी थोड़ा खतरा होता है, इसलिए अल्ट्रासाउंड पहली तिमाही में कराना बेहतर होता है। यदि स्कैन के जरिए अस्थानिक गर्भावस्था का पता चला है, तो होने वाली माँ के लिए खतरा पैदा कर सकता है, जिसके लिए तुरंत सर्जरी करना बहुत जरूरी होता है।
यदि समस्या अधिक गंभीर है, तो यह बता पाना मुश्किल हो सकता है कि आगे चलकर कंडीशन कितनी खतरनाक हो सकती है और शुरुआत में ही आपकी प्रेगनेंसी को खतम करना पड़ सकता है।
हालांकि गर्भावस्था के दौरान पहला स्कैन करवाना जरूरी नहीं है, आपको यह तब कराने के लिए कहा जाता है, जब आपको बहुत ज्यादा समस्या हो रही हो। 11वें से 13वें सप्ताह के बीच का स्कैन ज्यादा महत्वपूर्ण होता है और इस दौरान आपको हर चीज अच्छे से नोट करनी चाहिए, क्योंकि इससे आपके बाचे की हेल्थ का पता चलता है।
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