गर्भावस्था

गर्भावस्था में ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट (जीसीटी) और ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (जीटीटी)

In this Article

गर्भावस्था के दौरान होने वाला गर्भकालीन मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) बहुत आम है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है, जब अग्न्याशय (पैंक्रियाज) माँ और बच्चे की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त इन्सुलिन का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होता है। हालांकि बच्चे के जन्म के बाद यह फिर से सामान्य हो जाता है, लेकिन इसका इलाज जल्दी किया जाना जरूरी है ताकि भ्रूण और माँ को किसी भी हानिकारक प्रभाव से बचाने के लिए बेहतर इलाज किया जा सके ।

गर्भावस्था के दौरान ग्लूकोज स्क्रीनिंग टेस्ट क्या है

गर्भावस्था के दौरान ग्लूकोज टेस्ट कराना एक सामान्य परीक्षण के अंतर्गत आता है जिसमें रक्त शर्करा के स्तर की जांच की जाती और जेस्टेशनल डायबिटीज की उपस्थिति या अनुपस्थिति का पता लगाया जाता है । ग्लूकोज स्क्रीनिंग टेस्ट दो प्रकार के होते हैं, ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट और ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट। ये परीक्षण 24वें सप्ताह से 28वें सप्ताह के बीच कराए जाते हैं ।

ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट किसे करवाना चाहिए

यदि एक सामान्य मूत्र (रूटीन यूरिन) परीक्षण में शर्करा स्तर अधिक दिखाई देता है, तो तत्काल एक ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट किया जाता है। कुछ मामलों में, यह परीक्षण 24वें सप्ताह से पहले भी किया जाता है। महिलाएं, विशेष रूप से जिनका बी.एम.आई. (बॉडी मास इंडेक्स) अधिक है या जिनके परिवार में मधुमेह का इतिहास रहा हो, उन्हें ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट करवाने की आवश्यकता होती है। 35 वर्ष की उम्र से ऊपर सभी गर्भवती महिलाओं को ये परीक्षण करवाना चाहिए।

आपको गर्भावस्था के दौरान जीसीटी करवाने की आवश्यकता क्यों होती है

जीसीटी या ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट यह जानने के लिए करवाया जाता है कि गर्भवती महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज है या नहीं। गर्भवती महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज का होना अन्य कई जटिलताओं को जन्म दे सकता है, जैसे भ्रूण की अतिरिक्त वृद्धि या प्रीक्लेम्पसिया के नाम से जानी जाने वाली समस्या से आप पीड़ित हो सकती हैं, जो उच्च रक्तचाप और मूत्र में प्रोटीन पाए जाने के कारण होती है। यह प्रसवक्षति का कारण बन सकता है और कुछ मामलों में शल्यक्रिया द्वारा प्रसव की आवश्यकता पड़ सकती है। इसलिए यह परीक्षण कराना बहुत महत्वपूर्ण है।

ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट कैसे किया जाता है

ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट या जीसीटी, आपके शरीर में ग्लूकोज की प्रतिक्रिया को मापने के लिए किया जाता है। परीक्षण करने से पहले आपको किसी मीठे पेय या कह सकते हैं कि ग्लूकोज पेय का सेवन करने के लिए कहा जाएगा । आप इस परीक्षण के दौरान खा-पी सकती हैं, जिसका मतलब है कि आपको ये परीक्षण कराने से पहले आम डायबिटीज जांच की तरह भूखे रहने करने की कोई आवश्यकता नहीं है। आपको परीक्षण करने से पहले एक घंटे आराम करने के लिए कहा जाएगा और उसके बाद, रक्त में शर्करा के स्तर का मूल्यांकन करने के लिए एक रक्त परीक्षण किया जाएगा। परिणाम के रूप में आपको कम, सामान्य या उच्च शर्करा स्तर में से कोई एक प्राप्त होगा । शरीर में उच्च शर्करा स्तर का मतलब है कि आप जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित हैं। उस स्थिति में, उपचार की पुष्टि करने के लिए ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट किया जाता है।

परीक्षण के परिणाम को कैसे समझा जाता है

रक्त शर्करा का स्तर या तो मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर या मिलीमोल प्रति लीटर में मापा जाता है। ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट का उद्देश्य रक्त में शर्करा के स्तर को पता करना है। परीक्षण के परिणामों का मूल्यांकन सामान्य स्तर से अंतर के आधार पर किया जाता है। एक व्यक्ति में सामान्य शर्करा का स्तर 140 मिग्रा/डेली या 7.8 मिमोल/ली होता है। हालांकि यह वो सामान्य सीमा है जो हर जगह स्वीकार की जाती है, फिर भी कुछ प्रयोगशालाओं में, इस सीमा से थोड़े कम मान को भी सामान्य माना जाता है। यदि जीसीटी परीक्षण सामान्य सीमा स्तर से ऊपर होता है तो यह इस बात का संकेत है कि आपको जेस्टेशनल डायबिटीज है।

गर्भावस्था के दौरान जीटीटी टेस्ट क्या है

गर्भावस्था के दौरान किए जाने वाले ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (जीटीटी) को ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (ओजीटीटी) के नाम से भी जाना जाता है, यह परीक्षण ये जानने में मदद करता है कि आपका शरीर शर्करा के स्तर के प्रति कैसी प्रतिक्रिया देता है। यह परीक्षण जेस्टेशनल डायबिटीज की उपस्थिति का निदान करने के लिए किया जाता है। कुछ मामलों में, जीटीटी के साथ टाइप 2 मधुमेह का निदान भी किया जाता है।

ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट की तैयारी कैसे करें

परीक्षण से एक दिन पहले तक आप अपना सामान्य आहार ले सकती हैं। आपको परीक्षण के लिए ये कुछ चीजें करनी होंगी:

  • यह एक उपवास परीक्षण है और आप इस परीक्षण के आठ घंटे पहले कुछ भी न खाएं ।
  • आपको परीक्षण से पहले पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की आवश्यकता भी होगी।
  • चूंकि परीक्षण के लिए  मूत्र का नमूना भी मांगा जाता है, इसलिए आपको परीक्षण से कुछ समय पहले मूत्रत्याग करने से बचना चाहिए।
  • कुछ दवाएं परीक्षण के परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं, इसलिए अपने डॉक्टर से उन दवाओं के बारे में बात करें, जो आप ले रही हैं।
  • आप स्वयं को व्यस्त रखने के लिए अपने साथ कोई किताब ले जा सकती हैं क्योंकि आपको परीक्षण के लिए एक या दो घंटे इंतजार करना पड़ सकता है।
  • आप अपने साथ खाने के लिए कुछ नाश्ता ले जा सकती हैं, ताकि परीक्षण के बाद आप इसे खा सकें।
  • खुद को खुश रखें क्योंकि तनाव भी रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाने में एक भूमिका निभाता है।

गर्भावस्था में ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट कैसे किया जाता है

प्रयोगशाला या डॉक्टर की सलाह के अनुसार परीक्षण करने के तरीके में कुछ बदलाव हो सकते हैं । गर्भावस्था का रक्त शर्करा परीक्षण या जीटीटी एक उपवास परीक्षण होता है।इसलिए, आपको परीक्षण करने से पहले लगभग 8 घंटे तक उपवास करने या कोई भी ठोस आहार न लेने के लिए कहा जाएगा । यह परीक्षण आमतौर पर सुबह के समय ज्यादा किया जाता है, इसलिए आप सुबह परीक्षण कराने के लिए रात में जल्दी भोजन करें, ताकि परीक्षण से पहले 8 घंटे का अंतराल सुनिश्चित हो सके। सबसे पहले, बिना कुछ खाए रक्त परीक्षण किया जाता है। रक्त लेने के बाद, आपको एक शर्करायुक्त पेय या कोई अन्य मीठा पेय दिया जाएगा। एक घंटे के बाद, रक्त का नमूना फिर से लिया जाता है और इस प्रक्रिया को कम से कम दो बार फिर से दोहराया जा सकता है।

जीटीटी के परीक्षण परिणाम को कैसे समझा जाता है

जीटीटी के लिए परीक्षण परिणामों को तीन स्तरों पर समझा जाता है: पूर्व-मधुमेह, मधुमेह और गर्भकालीन मधुमेह। इस स्तर पर टाइप 2 मधुमेह का मूल्यांकन नहीं किया जाता है, लेकिन इसके लिए डॉक्टर आपको किसी अन्य दिन फिर से परीक्षण करवाने के लिए कह सकते हैं। रक्त शर्करा की गणना करने के लिए इसकी इकाई मिग्रा/डेली या मिलीग्राम/डेसीलिटर में होती है।

नीचे दिए गए चार्ट में आप जीटीटी के परिणाम का मतलब समझ सकती हैं:

रक्त शर्करा सीमा
सामान्य रक्त शर्करा सीमा 60-100 मिग्रा/डेली
पूर्व-मधुमेह सीमा 101-126 मिग्रा/डेली
मधुमेह सीमा 126 मिग्रा/डेली से अधिक

शर्करा स्तर उच्च होने का कारण

गर्भवती महिला में शर्करा स्तर उच्च क्यों होता है, यहाँ उसके कुछ कारण दिए गए हैं:

  • सामान्यतः गर्भनाल द्वारा उत्पन्न किए गए हॉर्मोन के कारण गर्भावस्था के दौरान शर्करा के स्तर में वृद्धि होती है। ज्यादातर मामलों में, इससे कोई बड़ी समस्या नहीं होती है क्योंकि अग्न्याशय बढ़े हुए शर्करा के स्तर को संभालने के लिए पर्याप्त इन्सुलिन स्रावित करता है।
  • गर्भकालीन मधुमेह तब होता है जब अग्न्याशय पर्याप्त इन्सुलिन स्रावित नहीं करता है।

शर्करा स्तर कम होने का कारण

गर्भवती महिला में शर्करा स्तर कम क्यों होता है, यहाँ उसके कुछ कारण दिए गए हैं:

  • अधिक परिश्रम या अपर्याप्त आहार के कारण शर्करा का स्तर कम हो सकता है।
  • यदि आप देर से खाना खाती हैं या अक्सर भोजन न करने की आदत है।
  • जो लोग अधिक व्यायाम करते हैं, उनमें भी शर्करा का स्तर कम होने का खतरा होता है।
  • मधुमेह से पीड़ित गर्भवती महिलाएं यदि अधिक मात्रा में इन्सुलिन लेती हैं, तो उनको भी कम शर्करा स्तर की समस्या हो सकती है।

ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट के जोखिम या दुष्प्रभाव

यहाँ ओजीटीटी से जुड़े कुछ जोखिम या दुष्प्रभाव दिए गए हैं, जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए:

  • कुछ महिलाएं ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट के दौरान शर्करा के स्तर में भारी कमी का अनुभव कर सकती हैं। ऐसे मामले में, वे कमजोर, बेचैन या असहज महसूस कर सकती हैं।
  • यदि तकनीशियन ने सुई को स्टरलाइज (विसंक्रमित) नहीं किया है, तो त्वचा में जिस जगह से रक्त निकाला गया है, वहाँ पर संक्रमण हो सकता है।
  • दुर्लभ मामलों में, जिस जगह से रक्त निकाला गया है वहाँ से अधिक रक्तस्राव हो सकता है, लेकिन केवल अति दुर्लभ मामलों में।
  • उस जगह पर खरोंच या सूजन भी आ सकती है।
  • अति दुर्लभ मामलों में, अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है या त्वचा के नीचे रक्त की गाँठ बन सकती है।

अगर आपके परीक्षण परिणाम असामान्य हैं तो क्या होगा

हर बार आपका रक्त लिए जाने पर परीक्षण के परिणाम अलग-अलग आने पर उसको असामान्य परिणाम समझा जाता है। यदि असामान्य परिमाणों में से केवल एक सामान्य सीमा से ऊपर है, तो फिर आपका डॉक्टर केवल भोजन की आदतों में बदलाव करने का सुझाव देगा है। हालांकि, यदि एक से अधिक असामान्य परिमाण सामान्य सीमा ऊपर हैं, तो इसका मतलब है कि आप गर्भकालीन मधुमेह से पीड़ित हैं।

अपने रक्त शर्करा के स्तर को कैसे कम करें

यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिनके द्वारा आप अपने रक्त शर्करा को प्राकृतिक रूप से कम कर सकती हैं:

  • व्यायाम से शरीर को रक्त शर्करा का अच्छी तरह से उपयोग करने में प्रशिक्षित करने में मदद मिलती है
  • कार्बोहाइड्रेट के सेवन से बचें क्योंकि वे शरीर के इन्सुलिन के कार्य में हस्तक्षेप कर सकते हैं
  • अपने आहार में घुलनशील रेशों को शामिल करने से रक्त शर्करा के स्तर को प्राकृतिक रूप से कम करने में मदद मिलती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे शरीर में शर्करा के अवशोषण को धीमा करने में मदद करते हैं।
  • अच्छी मात्रा में पानी पीने से गुर्दे को रक्त में से अतिरिक्त शर्करा हटाने में मदद मिलती है।
  • गर्भकालीन मधुमेह के लिए एक आहार योजना का पालन करना उच्च रक्त शर्करा को कम करने में मदद करता है।

जरूरी नहीं है कि गर्भावस्था के दौरान ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (जीटीटी) और ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट (जीसीटी) करवाने का यह मतलब हो कि आपको मधुमेह है। गर्भावस्था के दौरान अपने रक्त शर्करा के स्तर पर नजर रखना और गर्भावस्था के दौरान गर्भकालीन मधुमेह के कोई भी लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से इलाज के लिए परामर्श करना सबसे बेहतर विचार है ।

यह भी पढ़ें:

गर्भावस्था परीक्षण: आर.एच. कारक और प्रतिपिंड जाँच
गर्भावस्था के दौरान बच्चे का पैर मारना

समर नक़वी

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

1 day ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

1 day ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

1 day ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago