गर्भावस्था

गर्भावस्था: 30वां सप्ताह

यह अवसर आपको ढेरों बधाइयाँ देने का है, आपने सफलतापूर्वक 30वें सप्ताह में कदम रख दिया है। यह तीसरी तिमाही है और आप लगातार उस लक्ष्य की तरफ बढ़ रही हैं जिसका आपको बेसब्री से इंतजार है। प्रसव के लिए ज़रूरी सभी सामान तैयार करने के लिए यह सबसे अच्छा समय है।

ऐसा करें और ऐसा न करें जैसे सलाह, डॉक्टर से मिलना और दर्द, ज़ाहिर है आप इस तरह की जानकारी से थक चुकी होंगी। बिना घबराए यह जानने की कोशिश करें कि गर्भावस्था के इस पड़ाव पर आपके साथ क्या-क्या हो सकता है।

गर्भावस्था के 30वें सप्ताह में आपके बच्चे का विकास

ऐसा लगता है जैसे गर्भ में पल रहा शिशु तेज़ी से बढ़ रहा हो। बच्चे का वज़न बढ़ने के साथ-साथ उसके चारों ओर फैला ऐमिनियॉटिक तरल पदार्थ भी सिकुड़ने लगता है। इस समय उसकी दृष्टि विकसित हो होती है साथ ही बच्चे की हड्डियों का ढांचा भी सख्त हो रहा होता है।

बच्चे का आकार क्या है?

गर्भावस्था के 30वें हफ्ते में शिशु के सिर से लेकर पैरों तक की लंबाई लगभग 16 इंच होती है। 30वें सप्ताह की गर्भवती होने पर शिशु का आकार लगभग एक पत्ता गोभी जितना बड़ा हो जाता है और उसका वज़न लगभग 1.3 किलोग्राम (3 पाउंड) के करीब होता है। शिशु का विकास और उसका वज़न उसके जन्म तक आने वाले हफ़्तों में बहुत तेज़ी से बढ़ेगा, हालांकि उसका कद धीरे ही बढ़ना शुरू होगा ।

सामान्य शारीरिक परिवर्तन

30वें सप्ताह में पेट बढ़ जाता है और आप, शिशु के जन्म की निर्धारित तारीख़ नज़दीक आने के कारण अब उसके जन्म से संबंधित विकल्पों के साथ तैयारी करने की इच्छा रखती हैं।

गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में अत्यधिक तेज़ी से शारीरिक बदलाव देखने को मिलते हैं। इस सप्ताह के अंत में आपका वज़न लगभग 8 से 13 किलोग्राम तक बढ़ जाता है। अंतिम तिमाही के दौरान वज़न बढ़ना एक बहुत ही सामान्य बात है इसलिए इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए। इस समय पर आपको अपना शरीर सामान्य से अधिक भारी लगता है और कुछ रोज़मर्रा के काम करना मुश्किल हो सकता है। चूंकि आपकी ढेर सारी खुशियाँ आने में अब कुछ ही हफ्ते बचे हैं इसलिए आप इस अवधि का भी आनंद लें।

शिशु द्वारा गर्भ में अधिकांश जगह घेरने के कारण, मूत्राशय पर दबाव बढ़ जाता है जिस वजह से आपको बार- बार बाथरूम जाने की आवश्यकता होगी। इस समय, बच्चे को दूध पिलाने के लिए आपके स्तन दूध उत्पादन की तैयारी करते हैं और इसी वजह से वे काफी संवेदनशील हो जाते हैं ।

गर्भावस्था के 30वें सप्ताह में लक्षण

  • पेट में जलन लगातार जलन इसलिए होती है क्योंकि जो वॉल्व एसिड को अन्नप्रणाली में प्रवेश करने से रोकती है उसके कार्य करने की गति धीमी हो जाती है और एसिड अन्नप्रणाली में बहना शुरू कर हो जाता है।
  • गर्भ में पल रहे शिशु द्वारा पेट के मध्य भाग (डायफ्राम) पर ज़ोर दिए जाने के कारण सांस लेने में कठिनाई होती है।
  • मांसपेशियों में शिथिलता के कारण पाचन समस्या भी उत्पन्न होती है ।
  • मांसपेशियों के कार्य करने की गति धीमी हो जाने के कारण सूजन और गैस की समस्या उत्पन्न होती है।
  • मांसपेशियों में आई शिथिलता के कारण कब्ज़ और बवासीर की समस्या लगातार जारी रहती है।
  • गुरुत्वाकर्षण केंद्र परिवर्तित होने के कारण चलते समय आपको संतुलन बनाने में कठिनाई हो सकती है।
  • बच्चे द्वारा पीठ पर दबाव डाले जाने के कारण पैरों में ऐंठन (या नसों में सूजन) हो सकती है। गर्भाशय, पैरों तक रक्त ले जाने वाली नसों पर दबाव डालता है।
  • गर्भ में पल रहे शिशु को समायोजित करने के लिए त्वचा फैलती है जिससे पेट पर खुजली की समस्या हो सकती है।
  • पेट के बहुत बढ़ जाने के कारण सोते समय बेचैनी होती है।
  • गर्भ में पल रहे शिशु द्वारा मूत्राशय पर धक्का दिए जाने के कारण बार-बार पेशाब की समस्या भीत होती है।
  • अतिरिक्त वज़न उठाने और हॉर्मोनल परिवर्तन के कारण थकान हो सकती है।

गर्भावस्था के 30वें सप्ताह में पेट

गर्भावस्था के 30वें हफ्ते में आपका पेट एक तरबूज़ के आकार का हो जाता है। आपको झुकने, चीजों को उठाने और यहाँ तक की जूते के फीते बांधने में भी मुश्किल हो सकती है। आपको ऐसा लग सकता है कि आप सीधे और स्थिर चलने में असमर्थ हैं, जो एक सामान्य बात है। जन्म के समय जब शिशु श्रोणी क्षेत्र में प्रवेश करेगा तो सांस फूलने की समस्या दूर हो जाएगी। इस हफ्ते के दौरान शिशु आपके गर्भाशय पर पूरी तरह से विकसित हो जाता है जिस कारण आप उसकी अनेकों प्रतिक्रियाएं, जैसे लातें मारना, धक्का देना महसूस कर सकती हैं। आपको भ्रमित करने वाले अवास्तविक संकुचन का अनुभव हो सकता है जिसे ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन कहा जाता है। इसलिए ऐसे समय में स्त्री रोग विशेषज्ञ से बात करें और अवास्तविक संकुचन और वास्तविक संकुचन के बीच का अंतर को समझें।

दम्पति इस अवधि के दौरान यौन संबंध बनाने में संकोच करते हैं लेकिन संभोग करना पूरी तरह से सुरक्षित है, जब तक आपके डॉक्टर ने आपको संबंध नहीं बनाने की सलाह दी हो।

गर्भावस्था के 30वें सप्ताह का अल्ट्रासाउंड

शिशु का वज़न तेज़ी से बढ़ता है और इस समय तक उसके फेफड़े व पाचन तंत्र, पूरी तरह से विकसित हो चुके होते हैं। शिशु अब रोशनी महसूस कर सकता है और अपनी पलके भी झपका सकता है, यदि आप अपने पेट पर टॉर्च की रोशनी मारेंगे तो शिशु इसे महसूस करेगा और शायद इसे छूने का भी प्रयास कर सकता है। गर्भावस्था 30वें हफ्ते में शिशु की त्वचा कोमल हो जाती है और उसके मस्तिष्क के ऊतक भी तेज़ी से विकसित भी होते हैं। अब उसके लिए अपने हाथो से उंगली पकड़ना सम्भव है।

शिशु की अस्थि मज्जा ने अपने आप लाल रक्त कोशिकाएं बनाना शुरू कर दिया है, इसलिए अब वह जन्म के बाद खुद से जीवित रहने में सक्षम है। गर्भरोम (बच्चे के शरीर को ढकने वाले मुलायम बाल) गायब होना शुरू कर देते हैं क्योंकि शरीर में मौजूद वसा और दिमाग, अब बच्चे के शरीरिक तापमान को नियंत्रित कर सकता है।

क्या खाना चाहिए?

गर्भावस्था के 30वें सप्ताह में, खाने में लौह तत्व से भरपूर आहार शामिल करें, जैसे

  • कम चर्बीयुक्त मांस और मछली
  • ब्रॉकली और अन्य पत्तेदार हरी सब्ज़ियाँ
  • साबुत अनाज
  • दाल और मटर
  • बादाम और सूखे मेवे
  • अंडे

आपकी गर्भावस्था के दौरान लौह तत्व बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी के कारण आपके शरीर में मौजूद ऑक्सीजन, रक्तवाहिनियों की मदद से नाल से होते हुए बच्चे तक पहुँचती है। ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन न करें जो लौह तत्वों के अवशोषण को रोकते हैं, इसके बजाय लौह तत्वों से परिपूर्ण भोजन को अपने नियमित आहार में शामिल करें, जैसे विटामिन सी से भरपूर भोजन। विटामिन सी से परिपूर्ण एक गिलास फलों का रस पीना भी अच्छा विकल्प है।

आपके लिए कैल्शियम भी बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन याद रखें कि कैल्शियम और लौह तत्व की पूरक दवाई को कभी भी एक साथ न लें क्योंकि कैल्शियम, लौह तत्वों के अवशोषण को कम कर सकता है। लौह तत्वों की कमी से गर्भ में पल रहे शिशु के मानसिक और मनोवैज्ञानिक विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है और होने वाली माँ में खून की कमी हो जाने के कारण गर्भावस्था से संबंधित कठिनाइयाँ भी हो सकती हैं।

सुझाव और देखभाल

गर्भावस्था के 30वें हफ्ते को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के लिए कुछ सरल उपाय

क्या करें?

  • स्टेम कोशिका को सुरक्षित रखने का निर्णय लें क्योंकि यह भविष्य में चिकित्सा के लिए उपयोगी हो सकता है।
  • गर्भ में पल रहे शिशु की गतिविधियों पर नज़र रखें।
  • हल्का व्यायाम करें।
  • लौह तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें।

क्या न करें?

  • पानी की थैली फटने या किसी भी संकुचन को नजरअंदाज न करें।
  • ज़्यादा शारीरिक मेहनत वाला काम न करें।
  • यदि शिशु सामान्य से कम हरकत कर रहा है तो घबराएं नहीं, तुरंत अस्पताल जाएं।

आपके लिए आवश्यक ख़रीददारी

कुछ चीजें जिन्हे तैयार रखना आवश्यक है:

  • कॉर्ड बैंकिंग (यदि आप स्टेम कोशिका सुरक्षित रखने करने की योजना बना रही हैं)
  • प्रसव संबंधी कपड़े और उपयुक्त नर्सिंग ब्रा
  • शिशु के लिए आवश्यक सामान (साबुन, तौलिया, लपेटने के लिए कपड़े, सफाई के लिए बेबी वाइप्स)

निष्कर्ष

गर्भावस्था के इस पड़ाव में शिशु आपकी बात सुन सकता है और बस कुछ ही हफ्तों के बाद वह आपकी गोद में खेल रहा होगा, इस अवधि में, उसके जन्म से पहले ही उससे जुड़ने की कोशिश करें। तीसरी तिमाही के दौरान, गर्भावस्था में असुविधा और हॉर्मोनल परिवर्तन के कारण होने वाली माँ मानसिक अवसाद से पीड़ित हो सकती है।यदि आपको लगता है कि आप बहुत थकी और उदास हैं तो तुरंत डॉक्टर से बात करें, वह इस समय पर आपका सही मार्गदर्शन कर सकता है। हालांकि, तीसरी तिमाही बहुत ही मुश्किल और कष्टदायक होती है मगर फिर भी यह आपके आस-पास के लोगों को आपके करीब लाती है और यह गोदभराई और एक रोमांटिक प्री-बेबी फोटो शूट का भी सही समय है।

पिछला सप्ताह: गर्भावस्था: 29वां सप्ताह

अगला सप्ताह: गर्भावस्था: 31वां सप्ताह

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

मिट्टी के खिलौने की कहानी | Clay Toys Story In Hindi

इस कहानी में एक कुम्हार के बारे में बताया गया है, जो गांव में मिट्टी…

1 day ago

अकबर-बीरबल की कहानी: हरा घोड़ा | Akbar And Birbal Story: The Green Horse Story In Hindi

हमेशा की तरह बादशाह अकबर और बीरबल की यह कहानी भी मनोरंजन से भरी हुई…

1 day ago

ब्यूटी और बीस्ट की कहानी l The Story Of Beauty And The Beast In Hindi

ब्यूटी और बीस्ट एक फ्रेंच परी कथा है जो 18वीं शताब्दी में गैब्रिएल-सुजैन बारबोट डी…

1 day ago

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

1 week ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

1 week ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

2 weeks ago