गर्भावस्था के दौरान पैरों में ऐंठन: कारण, लक्षण और उपचार

एक गर्भवती महिला को उसके गर्भावस्था के दौरान बहुत सारे शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है, इसलिए एक गर्भवती महिला को अच्छे से देखभाल, आराम और गर्भवस्था से जुड़ी चीजों के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। गर्भावस्था में पीठ दर्द और सिरदर्द जैसे समस्या होने के साथ पैरों में ऐंठन होना भी एक आम समस्या है। हालांकि, यह समस्या हमेशा बनी नहीं रहने वाली है।आप अकेली नहीं है जो इस अजीब से होने वाली ऐंठन के दर्द से पीड़ित हैं। इस लेख में बताए गए उपयोगी सुझाव आपको पैरों में होने वाली ऐंठन को कम करने में मदद करेंगे ।

गर्भावस्था के दौरान पैरों में ऐंठन

अचानक संकुचन या शरीर की मांसपेशियों में अचानक जकड़न होने के कारण ऐंठन होने लगती है। गर्भावस्था के दौरान पैर की मांसपेशियों में ये दर्द काफी सामान्य है। कई गर्भवती महिलाओं को उनकी दूसरी और तीसरी तिमाही में पैरों के निचले भाग में ऐंठन होती है जो प्राय: रात में होती है। लेकिन यह चिंता का विषय नहीं है, प्रसव के बाद यह सभी परेशानी खुद ब खुद खत्म हो जाती है। इस बीच, आपको कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जिन्हे आप अपनी गर्भावस्था के समय होने वाली ऐंठन को कम करने के लिए आजमा सकती हैं।

अपनी गर्भावस्था की शुरुआत में, पर्याप्त आराम करने के साथ नियमित रूप से रक्त परिसंचरण बढ़ाने वाले व्यायाम करें। लेकिन ध्यान रहें सिर्फ ऐसे व्यायाम करें जिसमे आपके पैर ऊपर विश्राम की अवस्था में रहें, यह पैरों में होने वाली ऐंठन को रोकने में मदद करता है।

दर्द एक व्यक्तिगत भाव है, इससे होने वाली परेशानी आप से बेहतर और कोई नहीं समझ सकता । यदि आप पैरों में होने वाली ऐंठन के कारण आराम नहीं कर पा रही हैं, तो आपको यह समझना होगा कि आखिर ऐंठन होने के पीछे कारण क्या है और इसका इलाज कैसे किया जाए।

गर्भाधान के ठीक बाद, यदि महिलाओं को हलकी ऐंठन या नसों में खिंचाव का अनुभव होता है। गर्भावस्था के शुरूआती समय में पैरो में ऐंठन के कुछ कारण इस प्रकार हैं:

गर्भवती महिलाओं में पैरों की ऐंठन के कारण

विशेषज्ञ भी पैरों में होने वाली ऐंठन के सही कारणों का पूरी तरह से पता नहीं लगा पाए हैं। आम भाषा में कहा जाए तो, पिडंली की मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन को “चार्ली हॉर्स” कहा जाता है, इसके कारण पैरों में बहुत दर्द होता लेकिन अच्छी बात यह है कि ये ज्यादा समय तक नहीं रहता है।

गर्भावस्था के दौरान पैरों में ऐंठन के कई सारे कारण हो सकते हैं। इसमें शामिल है :

  • अधिक वजन होना
  • भारी सामान उठाना
  • शरीर में खनिज पदार्थ का असंतुलन
  • बढ़ते हुए गर्भाशय और बच्चे के बढ़ने से पैरों की नसों और रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ना
  • गर्भावस्था के कारण वजन बढ़ना
  • पैरों में तरल पदार्थ का जमा हो जाना, जिससे सूजन आ जाती है, इसे ‘एडिमा’ के नाम से भी जाना जाता है
  • अगर आपके गर्भ में एक से ज्यादा बच्चा पल रहा है; ऐसी महिलाओं में दोनों भ्रूणों को पोषित करने के लिए ज्यादा एमनियोटिक द्रव होता है, और इसलिए उन्हें सामान्य से ज्यादा पैरों में ऐंठन और एडिमा का अनुभव हो सकता है।

प्रसव के बाद, अत्यधिक पसीने के द्वारा यह सूजन कुछ दिनों के भीतर खत्म हो जाती है।

पैरों में ऐंठन के लक्षण

जब आप छींकते, खांसते, खड़े या लेटते समय अपनी मुद्रा बदलती हैं तो आपको अपने पैरों में  ऐंठन का अनुभव हो सकता है। हो सकता है आपको अपनी पिडंलीयों में दिन के समय थोड़ी बहुत ऐंठन का अहसास हो, लेकिन यह ज्यादातर रात के समय में अधिक महसूस होती है जिसका कारण ज्यादा थकान और तरल पदार्थ का जमा होना है।

आप अपनी पिडंलीयों की मांसपेशियों में अचानक से होने वाली तेज ऐंठन के कारण नींद से जाग सकती हैं। ये दर्द काफी तीव्र होता है, लेकिन इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं है, जब तक कि ये दर्द लगातार न हो रहा हो और इससे आपका दैनिक जीवन प्रभावित न हो यदि आप गंभीर ऐंठन का अनुभव कर रही हैं, तो अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें। अगर आपकी आँखों के आसपास सूजन दिखाई दे या चेहरे, पैरों और टखनों पर असामान्य रूप से सूजन नजर आए है या फिर एक पैर दूसरे से अधिक सूज जाता है, तो यह ऐंठन भी रक्त के थक्के जमने (ब्लड क्लॉट) होने का संकेत हो सकते है।

वह कारक जो पैरों की ऐंठन को बढ़ा सकते हैं

वजन में अत्यधिक वृद्धि, पैरों में सूजन और थकान के कारण पैरों में ऐंठन की संभावना बढ़ जाती है। इस ऐंठन का अनुभव आपको दिन में होने के साथ-साथ रात में भी हो सकता है, जो आपकी नींद को भी प्रभावित कर सकती है, जिसके कारण तनाव या चिड़चिड़ापन महसूस कर सकती हैं।

  • वजन में वृद्धि – गर्भावस्था के दौरान और वजन बढ़ने के साथ, शरीर के निचले अंगों में अतिरिक्त दबाव के कारण तनाव हो जाता है।
  • बढ़ता हुआ गर्भाशय – गर्भाशय का बढ़ता आकार भी पैरों की नसों पर दबाव डालता जिससे ऐंठन होने लगती है।
  • हार्मोन – गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होने वाले हार्मोन, जैसे प्रोजेस्टेरोन के साथ शारीरिक कारक मांसपेशियों पर तनाव को बढ़ाते हैं, जिससे ऐंठन और शरीर में दर्द होता है।
  • पोषक तत्वों की कमी – मैग्नीशियम या कैल्शियम की कमी से भी पैरों में ऐंठन होती है। भ्रूण उसके पोषण को प्राप्त करने के लिए अपनी माँ के शरीर पर निर्भर होता है जिसके कारण माँ के रक्त में पोषक तत्व का स्तर कम हो जाता है।

पैरों में होने वाली ऐंठन के लिए उपचार

पैरों की ऐंठन गर्भवती महिलाओं में आम समस्या है और इसका विभिन्न प्रकार से उपचार किया जा सकता है, जो आपके ऐंठन को दूर कर सकते है। एक स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने के अलावा, जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण आपको इससे छुटकारा दिलाने में काफी मदद कर सकता है।

कुछ माओं के लिए पूरक आहार या मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ लेना (जैसे साबुत अनाज, फलियां, सूखे मेवे और बीज) गर्भावस्था के दौरान पैरों में ऐंठन को रोकने में मदद करते हैं। अपनी मांसपेशियों को जलयोजित रखने के लिए ठीक से पानी पिएं, इससे ऐंठन को रोका जा सकता है। गर्भावस्था में पैर की ऐंठन को रोकने के लिए व आपकी मांसपेशियों को मजबूत रखने के लिए मैग्नीशियम बहुत महत्वपूर्ण है। गर्भावस्था में पैरों की ऐंठन के लिए सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

यदि आप सोच रही हैं कि पैरों में ऐंठन होने पर उसे कम करने या रोकने के लिए क्या करें तो, इन सरल तरीकों को आजमाएं:

  • नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • अपने पैरों को ऊँचा करके आराम से बैठें।
  • अपने पैरों को आराम देने के लिए लंबे मोजे पहनें।
  • तलवे और पैरों की हलकी मालिश ऐंठन में फायदा करती है।
  • दर्द वाली जगह पर जेल पैक या गर्म पानी की बोतल से सिकाई करें।
  • ठंडी सतह पर खड़े रहने से कुछ समय के लिए ऐंठन कम हो सकती है।
  • ऐसे जूते चुनें जो आरामदायक, सहारा देने वाले और उपयोगी हों।
  • प्रभावित होने वाली मांसपेशियों की तरफ स्ट्रैच करें।
  • गुनगुने पानी से स्नान या मांसपेशियों की मालिश करने से ऐंठन दूर करने में मदद मिल सकती है।

पैरों की ऐंठन का इलाज

दुर्भाग्यवश, निम्न में से किसी भी विधि द्वारा गर्भावस्था के दौरान पैरों में ऐंठन की रोकथाम की गारंटी नहीं दी जा सकती है। लेकिन यहाँ गर्भावस्था के दौरान पैरों में ऐंठन को रोकने के लिए कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं:

  1. अपने पैरों को लम्बे समय तक मोड़कर न रखें।
  2. सोने से पहले अपने पैरों की मांसपेशियों को स्ट्रैच करें।
  3. अपने आप को जलयोजित रखने के लिए खूब पानी पिएं, क्योंकि सोडियम की कमी से मांसपेशियों में संकुचन होता है। गहरे पीले रंग का मूत्र आपके कम जल के सेवन का संकेत है।
  4. कॉफी कम पिएं क्योंकि इसमें कैफीन होता है जो मूत्र के माध्यम से जाने वाले तरल पदार्थ की मात्रा को बढ़ा सकती है।

गर्भावस्था में पैरों की ऐंठन के लिए प्राकृतिक घरेलु उपचार

तनाव, अस्वास्थ्यकर भोजन में और व्यायाम की कमी के कारण गर्भावस्था के दौरान शरीर में दर्द और पैरों में ऐंठन होने लगती है। इसलिए, यह प्राकृतिक उपचार इसे दूर करने का प्रयास करते हैं।

  • आराम: सेंधा नमक डालकर गुनगुने पानी से स्नान करने से यह पैर के दर्द को प्रभावी रूप से कम करता है। यह आपकी मांसपेशियों में तनाव को दूर करने में मदद करता है। आपकी ऐंठन वाली मांसपेशियों पर आप बर्फ से सिकाई कर सकती हैं। खुद को तनावमुक्त रखने के लिए आप पुस्तक पढ़ सकती हैं, कोई अच्छी फिल्म देख सकती है या फिर कोई ऐसा कार्य करें जो आपको खुश रखने में मदद करे।
  • पोषण: पोटैसियम / मैग्नीशियम से भरपूर आहार गर्भावस्था के दौरान आपको सक्रिय रहने में मदद करता है। व्यायाम करें, अपना ध्यान रखें और मैग्नीशियम या किसी अन्य सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें। उदाहरण के लिए, अतिरिक्त मैग्नीशियम के सेवन से आपको दस्त हो सकते हैं। पत्तेदार सब्जियां, फल और सलाद से बना एक संतुलित आहार न केवल आपका पेट भरेगा बल्कि, यह आपकी पोषण संम्बधी जरूरतों को भी पूरा करेगा और पैरों में होने वाली गंभीर ऐंठन को भी कम करेगा। सामान्य नमक और संसाधित भोजन के सेवन से बचें। ऐसे भोजन का सेवन करें जो उच्च गुणवत्ता वाले समुद्री लवणों से युक्त हो। यदि आपको आपके गर्भावस्था के दौरान मल्टीविटामिन या सप्लीमेंट की आवश्यकता है तो अपने डॉक्टर से इस विषय में बात करें ।

नीचे बताए गए खाद्य पदार्थ को अपने आहार में शामिल करने की कोशिश करें:

  • मैग्नीशियम (खजूर, अंजीर, स्वीट कॉर्न, हरी सब्जियां और सेब)
  • कैल्शियम (दूध और दूध के उत्पाद, सूरजमुखी के बीज, सेल्मन और दालें)
  • विटामिन सी (सन्तरे, अंगूर, आलू, टमाटर आदि)

व्यायाम : हल्के व्यायाम करें जैसे योग, टहलना या तैराकी भी आपके ऐंठन को कम करने में मदद कर सकती है। ज्यादा से ज्यादा टहलने  की कोशिश करें, लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का उपयोग करें, बगीचे में खुद पानी दे। यदि आपको आराम की आवश्यकता है तो आपको कुछ समय के लिए थोड़ा आराम करें । हल्का व्यायाम करने से आपके रक्त संचार में मदद मिलती है और इससे न केवल आपको पैरों की ऐंठन में आराम मिलेगा बल्कि यह आपको प्रसव के लिए भी शारीरिक रूप से तैयार करने में मदद करे।

गर्भावस्था के दौरान पैरों की ऐंठन के लिए प्रसवपूर्व कक्षाओं में जाने की सलाह दी जाती है जो आपको प्रसव के लिए शिक्षित करती हैं। उचित व्यायाम पैरों में पानी के प्रतिधारण को कम करने के लिए संचार प्रणाली को बेहतर बनाता है।

  1. नीचे बैठते समय अपने टखनों को घुमाते वक्त उँगलियों को हिलाएं ।
  2. क्योंकि कई बार ऐंठन मांसपेशियों की थकान और द्रव प्रतिधारण की वजह से होती हैं, इसलिए थोड़ा बहुत व्यायाम करना इसमें मददगार साबित हो सकता है।
  3. काम करने के बीच में थोड़ा आराम जरूर करें और विश्राम करते वक्त अपने पैरों को ऊपर उठाकर आराम करें।
  4. दिन में मोजे (कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स) पहनें।

लैवेन्डर या कैमोमाइल जैसे अरोमाथेरेपी वाले तेलों का प्रयोग करें, जो गर्भावस्था के दौरान इस्तेमाल करने के लिए सुरक्षित है, इन तेलों से और ऐंठन होने वाली जगह पर मालिश करें इससे पैरों को आराम मिलता है।

हर समय अपने शरीर की आवश्यकताओं का ध्यान रखें। बहुत अधिक व्यायाम न करें और एक दिन में लगभग 1.5 लीटर (8 गिलास) पानी पिएं।

दर्द को कम करने के लिए आप क्या कर सकती हैं

ऐंठन खत्म होने के बाद आप मांसपेशियों में कुछ समय के लिए दर्द और झनझनाहट महसूस कर सकती हैं। पेरासिटामोल को दर्दनाशक के रूप में लिया जा सकता है, हालांकि पेरासिटामोल को दर्दनाशक दवा के रूप में लिया जाना चाहिए या नहीं इस बात अभी भी विवाद जारी है। इसलिए बेहतर है कि आप गुनगुने पानी से स्नान करें। कुछ मामलों में, पैर में ऐंठन या दर्द का कारण पैर की नसों में खून के थक्के जमा होना (विनौस थ्रोम्बोएम्बोलिज़्म) भी हो सकता है। यदि ब्लड क्लॉटिंग के कारण आपको पैरों में दर्द हो रहा है तो, आपको अपने चिकित्सीय सलाह लेने की आवश्यकता है।

अपने डॉक्टर को फोन करें:

  • यदि पैर में लगातार दर्द हो रहा है
  • पिंडली में झनझनाहट या सूजन
  • देखने में धुंधलेपन के साथ लगातार सिर दर्द होना
  • साँस लेने में तकलीफ के साथ छाती में दर्द होना

गर्भावस्था आपके जीवन में बहुत सारे बदलाव लाती है। गर्भावस्था के दौरान आपको हमेशा अधिक सतर्क और जागरूक होना चाहिए। इस महत्वपूर्ण चरण के दौरान, शारीरिक रूप से सेहतमंद और भावनात्मक रूप से स्थिर रहना बहुत आवश्यक है। इसलिए, पर्याप्त आराम करें और अपने मातृत्व के इस नए अहसास का अनुभव करते हुए अपने आप को शांत और खुश रखने की कोशिश करें ।

समर नक़वी

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