गर्भावस्था

गर्भावस्था का 5वां महीना – लक्षण, शारीरिक परिवर्तन और आहार

जैसे ही आप 5वें माह की ओर बढ़ती हैं, आप अपनी गर्भावस्था के लगभग मध्य में होती हैं। इस चरण में गर्भावस्था के लक्षण कम तकलीफदेह होते हैं, त्वचा में चमक के साथ-साथ पेट का आकार भी बढ़ता है। गर्भावस्था के 5वें महीने में भ्रूण के तेजी से विकसित होने की संभावना होती है। शिशु के विकसित होने के साथ-साथ महिलाओं का वजन भी बढ़ना शुरू हो जाता है।

इस माह में ज़्यादातर माएं गर्भ में पल रहे शिशु की गतिविधियां महसूस कर सकती हैं। कुछ मामलों में, शिशु की गतिविधियों को काफी स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है, जबकि कुछ मामलों में केवल हिलने-डुलने का अनुभव किया जाता है।

बढ़ा हुआ पेट कुछ आसनों को थोड़ा मुश्किल बना सकता है, जैसे कि पीठ के बल लेटना। निर्विघ्न गर्भावस्था को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त आराम करना, सक्रिय रहना, और पौष्टिक आहार लेना महत्वपूर्ण है।

गर्भावस्था के 5वें महीने के सामान्य लक्षण

पाँचवें माह के दौरान गर्भावस्था के लक्षण विभिन्न महिलाओं में अलग-अलग हो सकते हैं। वास्तव में, एक ही महिला के लिए अलग-अलग गर्भावस्थाओं में लक्षण भिन्न हो सकते हैं। इस समय तक गर्भावस्था के लक्षण सामान्यतः ज्यादातर महिलाओं के लिए कम हो जाते हैं। गर्भावस्था के पाँचवें माह के लक्षणों में से कुछ नीचे सूचीबद्ध हैं:

  • गर्भावस्था के 5वें माह के दौरान गर्भ में शिशु की गतिविधियों का एहसास होना एक रोमांचक व खुशनुमा अनुभव है। पहली बार माँ बनने वाली महिलाओं को उस अनुभूति का पता लगाने में थोड़ी परेशानी हो सकती है, जो सामान्यतः हल्की फड़फड़ाहट या गैस के बुलबुले की तरह महसूस होती है। अनुभवी माँओं को इन लक्षणों व गतिविधियों के बारे में अधिक जानकारी हो सकती है और उन्हें पहली बार बनी माँओं की तुलना में यह लक्षण पहले महसूस हो सकते हैं। गर्भाशय में पल रहे शिशु की स्थिति यह तय कर सकती है कि शुरूआती गतिविधियों को कितनी जल्दी महसूस किया जा सकता ।
  • गर्भावस्था के दौरान सीने में जलन की समस्या हो सकती है। जैसे-जैसे शिशु बढ़ता है, उसे अपने लिए अधिक जगह की आवश्यकता हो सकती है, और इसलिए वह आंतरिक अंगों पर दबाव डालना शुरू कर सकता है, जिससे सामग्री भोजन-नलिका में वापस चली जाती है। भोजन-नलिका और पेट को अलग करने वाली मांसपेशियों के शिथिल पड़ने के कारण पेट कीअम्ल सामग्री भोजन-नलिका में प्रवेश करती है जिससे सीने में जलन होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • स्तनों का आकार बढ़ने के साथ-साथ पीले रंग के दुग्ध का स्राव भी शुरू हो जाता है और यह स्राव माँ का पहला दुग्ध होता है जिसे पूर्व-दुग्ध भी कहा जाता है। माँ के दूध के विपरीत यह पीला स्राव कुछ बूंदों के रूप में ही बहता है, इसकी मात्रा कम ही होती है।
  • गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोन में उतार-चढ़ाव के कारण मेलनिन में वृद्धि हो सकती है और इससे कई महिलाओं के शरीर में कालापन उत्पन्न होने लगता है। माथे, नाक व गाल में काले पैच (प्रेगनेंसी मास्क) दिखाई दे सकते हैं, यह समस्या प्रेगनेंसी मास्क या मेलाज़्मा के नाम से भी प्रसिद्ध है ।
  • इस दौरान गर्भवती महिलाओं की भूख बढ़ जाती है और साथ ही उन्हें कुछ विशेष खाद्य पदार्थ का सेवन करने की तीव्र इच्छा या कुछ विशेष खाद्य पदार्थों से घृणा भी हो सकती है।

गर्भावस्था के 5वें महीने में क्या अपेक्षा करें?

  • गर्भावस्था के हॉर्मोन में बदलाव की वजह से कुछ अस्थायी परिवर्तन हो सकते हैं जो आमतौर पर प्रसव के बाद गायब हो जाते हैं, 5वें माह के दौरान आप कुछ अपेक्षाएं जो आप कर सकती हैं, वे इस प्रकार हैं:
  • गर्भावस्था के दौरान, कुछ महिलाओं में गर्भकालीन उच्च रक्तदाब का विकास होता है जिसके परिणामस्वरूप उच्च रक्तचाप की समस्या भी हो सकती है।
  • कभी-कभी अत्यधिक घबराहट के कारण गर्भवती महिलाओं की हृदय धड़कन व नाड़ी की (पल्स) दर बढ़ जाती है क्योंकि इस दौरान हृदय माँ और शिशु दोनों के लिए रक्त संचार करता है।
  • गर्भावस्था के 5वें माह के दौरान श्वेताणुओं या सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ सकती है जिसके कारण हीमोग्लोबिन कम हो जाता है।
  • इस दौरान गुर्दों पर बहुत अधिक दबाव होता है इसलिए डॉक्टर इसकी जांच के लिए अल्ट्रासॉउन्ड का सुझाव दे सकते हैं ताकि गुर्दे में किसी भी संभावित परेशानी के विकास को रोका जा सके।
  • कुछ गर्भवती महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर अधिक बढ़ने के कारण मसूड़ों में सूजन (जिंजवाइटिस) की समस्या उत्पन्न हो सकती है जिससे मसूड़ों से खून भी आ सकता है।
  • प्रोजेस्टेरोन के स्तर में वृद्धि के कारण कब्ज़ हो सकता है जिससे शौच क्रिया मुश्किल या दर्दनाक हो जाती है। आहार में लौह तत्वों के सप्लीमेंट की उच्च खुराक के कारण कब्ज़ की समस्या और बढ़ सकती है।
  • प्रत्येक हफ्ते में शिशु के अधिक सक्रिय होकर गतिविधियां करने और आपके पेट के आकार में वृद्धि के कारण सही व आरामदायक अवस्था में सोना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

गर्भावस्था के 5वें महीने में शारीरिक बदलाव

गर्भावस्था के 5वें महीने में कुछ शारीरिक परिवर्तन हो सकते हैं, उनमें से कुछ निम्नलिखित परिवर्तन इस प्रकार हैं:

  • कुछ गर्भवती महिलाओं में रंजकता या झाइयां विकसित हो सकती हैं जिसके कारण त्वचा पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।
  • हार्मोनल परिवर्तन के कारण दृष्टि की स्पष्टता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
  • स्तनों के आकार में निरंतर वृद्धि हो सकती है।
  • त्वचा की सतह पर प्रमुख नसें स्पष्ट दिखाई दे सकती हैं।
  • पेट के अस्थिबंध (लिगामेंट्स) में खिंचाव के कारण खिंचाव चिह्न (स्ट्रेच मार्क) दिखाई दे सकते हैं।
  • निप्पल का रंग गहरा हो जाता है और स्तन ग्रंथियाँ भी बढ़ जाती हैं।
  • इस दौरान जघन की हड्डी से लेकर नाभि तक फैली एक गहरी रेखा विकसित हो सकती है।
  • बाल और नाखून स्वस्थ और मजबूत हो सकते हैं।

गर्भावस्था के 5वें महीने में सामान्य चिंताएं

गर्भावस्था के पाँचवें माह में शारीरिक बदलावों के कारण, कुछ महिलाओं को असुविधा का अनुभव हो सकता है। यह असुविधाएं चिंता के कुछ विषय हो सकते हैं:

  • पेट में दर्द
  • पैरों में ऐंठन
  • टखनों और पैरों में सूजन
  • पीठ दर्द (विशेष रूप से पीठ के निचले हिस्से में)
  • नाड़ी (पल्स) की दर में वृद्धि
  • कम हीमोग्लोबिन के कारण रक्त की कमी
  • स्तन ग्रंथियों से माँ के पहले दूध का संभावित स्राव
  • पैरों की नसों में सूजन
  • बवासीर या मलाशय में सूजी हुई नसें
  • योनि स्राव में वृद्धि
  • मूत्र मार्ग में संक्रमण (मूत्राशय में सूजन)

शिशु का विकास

गर्भावस्था के पाँचवें माह में, शिशु की वृद्धि तेजी से होती है। इस दौरान शिशु में प्रतिदिन कुछ नए और रोमांचक बदलाव होते हैं और उसकी लंबाई लगभग 8-12 इंच व वजन 1 पाउंड तक बढ़ सकता है। लेकिन यहाँ यह याद रखना महत्वपूर्ण है, कि हर शिशु अपनी गति से बढ़ता है। यहाँ गर्भवस्था के 5वें महीने के दौरान शिशु में निम्नलिखित विकासात्मक परिवर्तनों के बारे में बताया गया है:

  • गर्भ में पल रहे शिशु की त्वचा एक मोटे और चिपचिपे आवरण से सुरक्षित ढकी होती है जिसे वर्निक्स भी कहा जाता है। यह शिशु के चारों ओर फैले ऐमिनियॉटिक द्रव से त्वचा को सुरक्षित रखता है ।
  • इस दौरान शिशु की मांसपेशियां व हड्डियां मजबूत होती हैं और साथ ही उसकी बाजुएं, पंजा, पाँव, हाथ-पैर व उंगलियां स्पष्ट होने लगते हैं ।
  • शिशु की भौहें, दृष्टिपत, पलकें, रोएं, कान और नाखून बन चुके होते हैं।
  • शिशु का चेहरा साफ़ नज़र आने लगता है।
  • इस दौरान आपका शिशु गर्भ में अंगड़ाई ले सकता है, अपनी आँखों को थोड़ा सा खोल सकता है, जम्हाई ले सकता है, अंगूठे को चूस सकता है, लात मार सकता है और चारों ओर घूम सकता है।
  • इस दौरान गर्भ में पल रहा शिशु मुड़ने और पलटने में भी सक्षम होता है।
  • 5वें सप्ताह में शिशु के नन्हे नैन-नक्श चेहरे के भाव उत्पन्न कर सकते हैं।
  • गर्भ में पल रहा शिशु नियमित रूप से सोने और जागने के समय का पालन कर सकता है। शिशु की नींद का चक्र उसकी माँ के सोने और जागने के चक्र से अलग हो सकता है।
  • इस दौरान शिशु की उंगलियों के अनूठे निशान विकसित हो सकते हैं।
  • इस अवस्था में आपके शिशु के गुप्तांग भी विकसित होने लगते हैं।
  • गर्भावस्था के इस पड़ाव में आपके गर्भ में पल रहे नन्ही सी जान की सुनने की क्षमता बढ़ जाती है और बाहरी शोर उसे परेशान भी कर सकता है। यह वह समय है जब आप अपने शिशु से संवाद कर सकती हैं और वह आपकी बातों पर प्रतिक्रिया भी कर सकता है।
  • शिशु का मस्तिष्क अधिक मजबूत व विकसित होता है।
  • 18वें सप्ताह तक शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली भी परिपक्व हो जाती है। शिशु का शरीर उन पदार्थों को संश्लेषित कर सकता है जो उसे संक्रमण से बचने में मदद कर सकते हैं।
  • 19वें-20वें सप्ताह तक तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) कार्य करना शुरू कर देता है।
  • गर्भ में शिशु की अवस्था सीधी होना शुरू हो जाती है अर्थात शिशु, सिरहाने से घूमकर नीचे की ओर आने लगता है।
  • इस दौरान आपके शिशु में प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता विकसित हो जाती है।
  • उसकी स्वादकलिका (टेस्ट बड) का निर्माण होना भी शुरू हो सकता है। गर्भ में पल रहा 5 माह का शिशु, नमकीन और मीठे के बीच का अंतर महसूस करने में सक्षम हो सकता है।

गर्भावस्था के 5वें महीने में अल्ट्रासाउन्ड

5वें महीने में चिकित्सक आपकी और गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य की जांच के लिए गर्भावस्था के मध्य स्कैन करने का सुझाव दे सकता है। इस व्यापक स्कैन को विसंगति स्कैन भी कहा जाता है क्योंकि स्कैन का एक उद्देश्य भ्रूण में संरचनात्मक असामान्यताओं को देखना है। आप चिकित्सक की मदद से गर्भ में पल रहे शिशु का चेहरा, हाथ, पैर और अन्य प्रमुख अंग स्कैन में देख सकती हैं ।

यदि अल्ट्रासाउंड में किसी असामान्यता का पता चलता है, तो आपका चिकित्सक उसकी जटिलता व संभावित उपचार के लिए अतिरिक्त स्कैन करने की सलाह दे सकता है।

क्या करें व क्या न करें

गर्भावस्था के 5वें महीने के दौरान, आपकी असुविधा को कम करने और किसी भी संभावित खतरे से बचने के लिए निम्नलिखित सुझावों पर ध्यान दें और इनका अनुसरण करें। इस दौरान आपको क्या करना चाहिए, क्या नहीं उसकी सूची कुछ इस प्रकार है:

क्या करें?

  1. विटामिन सी के सेवन को बढ़ाएं: गर्भावस्था के पाँचवें माह के आहार में ब्रोकोली, संतरे, टमाटर जैसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें जो आपको पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी प्रदान करते हैं।
  2. प्राकृतिक सप्लीमेंट: खजूर, बादाम, पिस्ता, अखरोट जैसे सूखे मेवों का सेवन गर्भावस्था के दौरान बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।
  3. फाइबर-युक्त भोजन: कब्ज़ से बचने के लिए अपने आहार में पर्याप्त फाइब-युक्त भोजन शामिल करने का प्रयास करें। फाइबर से परिपूर्ण भोजन भी बवासीर को रोकने में मदद कर सकता है।
  4. उचित आसन: इस दौरान, बढ़े हुए पेट के साथ, बैठने और खड़े होने की सही अवस्था को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। बैठने का उचित आसन गर्भावस्था के दौरान होने वाली तकलीफ और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
  5. ठंडे पानी से स्नान: स्तनों के नीचे, बगलों में या जननांग जैसे क्षेत्रों में होने वाले चकत्तों से निजात पाने के लिए ठंडे पानी से स्नान करें। इस दौरान आरामदायक, ढीले सूती कपड़े पहनने से भी मदद मिल सकती है।
  6. लंबे समय तक एक ही अवस्था में न रहें: रक्त संचार में सुधार, ऐंठन और दर्द से बचने के लिए लंबे समय तक बैठने या खड़े होने से परहेज करें, इस दौरान नियमित अंतराल पर उठने और आसपास घूमने का ध्यान रखें।
  7. पर्याप्त आराम: गर्भावस्था से संबंधित तनाव व थकान से बचने के लिए पर्याप्त आराम करें और पूरी नींद लें। आप चाहें तो बीच-बीच में भी थोड़ी देर के लिए नींद ले सकती हैं, खुद को तनाव से बचाए रखें ।
  8. पौष्टिक आहार: हरी पत्तेदार सब्जी, फल, मछली से युक्त संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करने से इस दौरान आपको अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त हो सकती है ।
  9. निद्रा आसन: बढ़ा हुआ पेट नींद के कुछ आसनों को असहज बना सकता है। अपनी बाईं ओर करवट लेने और पैरों के बीच तकिया रखकर सोने से आपको काफी आराम मिल सकता है।
  10. आरामदायक जूते: आप ऊँची एड़ी के जूतों की बजाय समतल जूते पहनना पसंद कर सकती हैं, इस दौरान आपके जूते का नाप भी थोड़ा बड़ा हो सकता है। लेकिन आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि शिशु के जन्म के बाद यह नाप सामान्य हो जाएगा ।

क्या न करें?

  1. अस्वास्थ्यकर (जंक फ़ूड) भोजन से दूर रहें: गर्भावस्था के दौरान अस्वास्थ्यकर भोजन से दूर रहें क्योंकि इससे जठरशोथ और मतली की समस्या हो सकती है। इसके अलावा तले हुए भोजन, मिठाइयों का सेवन भी सीमित करें।
  2. पालथी मारकर बैठने से बचें: गर्भावस्था के दौरान पालथी मारकर बैठना उचित नहीं है क्योंकि यह रक्त संचार को बाधित कर सकता है।
  3. मूत्र-त्याग में देर न करें: गर्भावस्था के दौरान, मूत्राशय में संक्रमण होने का अधिक खतरा होता है। इसलिए पेशाब करने में बिलकुल भी देरी न करें।
  4. जल्दबाजी में न उठें: यदि आप जल्दबाज़ी में शीघ्रता से खड़े होने का प्रयास करती हैं तो इससे आपको चक्कर आ सकता है या आप बेहोश भी हो सकती हैं।
  5. वजन में वृद्धि की जांच करवाएं: गर्भावस्था के 5वें महीने में आपकी भूख बढ़ने की संभावना है इसलिए आवश्यक है कि आप इस दौरान अपने वजन की वृद्धि पर ध्यान दें, अस्वस्थ आहार के अधिक सेवन को नियंत्रित करें ।

गर्भावस्था के दौरान सक्रिय जीवनशैली अपनाएं, जैसे सुखदायक संगीत सुनें, थोड़ी देर टहलने जाएं, सकारात्मक और तनाव-मुक्त रहने के लिए ध्यान व योग की तकनीक सीखें। शिशु के आगमन की योजना बनाकर आप अपने समय का सदुपयोग कर सकती हैं! गर्भावस्था के 5वें माह में गर्भपात का खतरा होता है इसलिए अगर आपको स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी तरह का संदेह हो तो बिना किसी देरी के डॉक्टर की सलाह लेना ही समझदारी है।

सुरक्षा कटियार

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