गर्भावस्था

गर्भावस्था का तीसरा महीना – लक्षण, शारीरिक परिवर्तन और आहार

तीसरा महीना, गर्भावस्था की यात्रा का एक महत्वपूर्ण व रोमांचक हिस्सा होता है । आप जानती हैं कि आप गर्भवती हैं, लेकिन आपके आस-पास के लोगों को आपकी गर्भावस्था का पता नहीं होता है। गर्भावस्था के तीसरे महीने में आप कैलेंडर में दिनों का हिसाब रखना, अपने आहार पर ध्यान, शरीर का फैलना या इसके वजन में वृद्धि का अनुभव करना और अपने भीतर पल रही नन्ही सी जान को महसूस करना शुरू कर देती हैं।ध्यान दें, इस दौरान भ्रूण की वृद्धि होने के कारण गर्भपात और अन्य समस्याओं का खतरा कम हो जाता है। गर्भावस्था के तीसरे महीने तक गर्भ में पनप रहा डिंब परिपक्व भ्रूण में परिवर्तित हो जाता है और आपको भी पेट में उसकी उपस्थिति महसूस होने लगती है। इस दौरान जननांगों सहित उसके शरीर के अंग विकसित होने लगते हैं,।

गर्भावस्था के तीसरे महीने के सामान्य लक्षण

गर्भावस्था के तीसरे महीने के दौरान आपके शरीर में निम्नलिखित परिवर्तन और लक्षण दिखाई देते हैं:

1. मॉर्निंग सिकनेस

गर्भावस्था के तीसरे महीने में मतली की समस्या चरम पर हो सकती है और पहली तिमाही के अंत तक अधिकांश गर्भवती महिलाओं में इसके लक्षण खत्म हो जाते हैं।

2. थकान

गर्भावस्था के हॉर्मोन में उतार-चढ़ाव के कारण आपको थकान और आलस महसूस हो सकता है। भ्रूण को आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए शरीर को अधिक रक्त की आवश्यकता होती है जिससे रक्त-शर्करा और रक्त-चाप भी प्रभावित हो सकता है।

3. मूत्राशय नियंत्रण में कमी

चूंकि शरीर गर्भावस्था के हॉर्मोन एच.सी.जी. को उत्पन्न करता है, इससे रक्त की मात्रा में वृद्धि होती है जो मूत्राशय पर दबाव डालती है। गर्भावस्था के तीसरे महीने में बढ़ता हुआ गर्भाशय भी मूत्राशय पर दबाव डालता है जिस कारण बार-बार पेशाब लगती है।

4. कब्ज़

उच्च प्रोजेस्टेरोन का स्तर पाचन प्रक्रिया को धीमा कर देता है।

5. योनि स्राव

एस्ट्रोजेन का स्तर बढ़ने और गर्भाशय ग्रीवा व योनि की दीवार फैलने से योनि से श्वेत रंग के श्लेम का स्राव होता है, जो किसी भी संक्रमण को गर्भाशय में जाने से रोकता है।

6. पैरों में ऐंठन

गर्भावस्था के तीसरे महीने में अक्सर रात को पैरों में गंभीर ऐंठन और दर्द एक आम बात हो सकती है। आपको अपने आहार में पोटेशियम और लौह तत्व शामिल करने की आवश्यकता है और कुछ हल्के व्यायाम भी इस पीड़ा को कम करने में मदद कर सकते हैं।

7. पीठ दर्द और पेट दर्द

हॉर्मोन के स्तर में परिवर्तन और गर्भाशय के बढ़ने से स्नायुबंधन में खिचाव व तनाव आता है, जिसके कारण पीठ दर्द और पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। चिकित्सक से परामर्श के बाद कुछ हल्के व्यायाम और स्ट्रेचिंग करने की कोशिश करें।

8. मनोदशा परिवर्तन

हॉर्मोनल उतार-चढ़ाव आपके शरीर में भावनात्मक परिवर्तन का कारण बनते हैं और आप इस दौरान दुःखी व निराश होने से अचानक प्रसन्न और आनंदित होने का अनुभव तक कर सकती हैं।

9. मसूड़ों से खून बहना

हॉर्मोन के स्तर में परिवर्तन से मसूड़ों में सूजन और रक्तस्राव भी होता है।

10. सीने में जलन

बढ़ता हुआ गर्भाशय पेट पर दबाव डालता है और आपका फैलता हुआ शरीर पाचन प्रक्रिया को धीमा कर देता है। पेट पर दबाव के कारण अम्ल ऊपर की ओर बढ़ता है, जिससे सीने में जलन होती है। नियमित समय पर थोड़ा-थोड़ा खाते रहने का प्रयास करें।

11. नसों में सूजन (वेरिकोज वेन्स)

जैसे-जैसे गर्भाशय बढ़ता है, रक्त वाहिकाएं संकुचित होती हैं और रक्त प्रवाह भी धीमा हो जाता है, यह आपके पैरों में नसों की सूजन का कारण बनता है। आपका बढ़ता वजन संचार प्रणाली पर दबाव डाल सकता है, जिससे नसों में सूजन आ सकतीहै।

12. बंद नाक

रक्त की मात्रा बढ़ने से नाक के अंदर सूजन आ जाती है और नाक हमेशा भरी हुई सी व बंद प्रतीत होती है।

13. विशेष खाने की इच्छा

गर्भवती माँओं में किसी विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थ को खाने की इच्छा होना या किसी अन्य पदार्थ की गंध या स्वाद के प्रति अरुचि विकसित होना बहुत आम बात है।

इन लक्षणों के बारे में अधिक चिंता करने की जरुरत नहीं है क्योंकि यह सभी लक्षण सिर्फ एक प्राकृतिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं।

गर्भावस्था के तीसरे महीने में शारीरिक परिवर्तन

गर्भावस्था के तीसरे महीने में आपका पेट धीरे-धीरे बाहर की ओर आने लगता है और आपका गर्भाशय अब एक चकोतरे (ग्रेप फ्रूट) के आकार का हो जाता है। इस माह में गर्भाशय उदर तक ऊपर उठ जाता है और पूरे श्रोणि क्षेत्र को ढक लेता है। आप निश्चित रूप से इस चरण में शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों का अनुभव करेंगी।

1. संवेदनशील स्तन

इस दौरान आपके स्तन संवेदनशील हो जाते हैं क्योंकि आपका शरीर शिशु के लिए स्तनपान की तैयारी करने लगता है। स्तनों का आकार बढ़ जाता है और निप्पल गहरे रंग का और बड़ा होने लगता है।

2. स्ट्रेच मार्क्स

गर्भावस्था के दौरान त्वचा पर खिंचाव आता है जिस कारण आप अपने पेट और स्तनों पर स्ट्रेच-मार्क्स का अनुभव कर सकती हैं ।

3. पेट पर एक गहरी रेखा

प्लेसेंटा द्वारा उत्पन्न होने वाले मेलानोसाइट-उत्तेजक हॉर्मोन की वजह से निप्पल का रंग गहरा हो जाता है और इसी कारण से आपके पेट के मध्य से नीचे जांघ की हड्डी तक एक गहरी रेखा बन जाती है।

4. मनोदशा परिवर्तन और अवसाद

इस तिमाही के दौरान मनोदशा में अत्यधिक परिवर्तन होना और अवसाद का अनुभव करना काफी आम बात है। आपका शरीर फैल रहा है, और आप इसके प्रति अधिक सचेत हो रही हैं।

5. सोने में मुश्किलें

आपकी नींद में अत्यधिक परिवर्तन आ सकता है और आप कई बार बीच रात में जाग भी सकती हैं, नींद में परिवर्तन हॉर्मोन के उतार-चढ़ाव के कारण होता है।

6. कामेच्छा में कमी

ज्यादातर महिलाओं को पहली तिमाही के दौरान उत्तेजना और रोमांस की भावना महसूस होती है। हालांकि पहली तिमाही के अंत तक उनकी सेक्स में रूचि खत्म हो जाती है। यह हॉर्मोन में वृद्धि और शारीरिक बनावट में परिवर्तन के कारण भी हो सकता है।

शिशु का विकास

किसी भी हलचल को महसूस करने के लिए यह बहुत शीघ्र समय है, लेकिन आप अपने गर्भ में शिशु की उपस्थिति का अनुभव कर सकती हैं। आप उत्साहित हैं यह जानने के लिए कि अंदर क्या चल रहा है।:

तीसरे महीने के दौरान गर्भ में पल रहा आपका शिशु लगभग 3.5 इंच लंबा होता है – उसका आकार एक पके बेर या नींबू जैसा और उसका वजन लगभग 1.5 औंस होता है। भ्रूण गर्भाशय के अंदर व्यवस्थित हो जाता है और उसके अंग भी विकसित होना शुरू कर देते हैं।

शरीर के अंग विकासात्मक चरण
सिर मस्तिष्क के विकास के कारण, सिर शरीर से थोड़ा बड़ा होता है।
त्वचा त्वचा पारदर्शी होती है और इसके आर-पार नसें दिखाई देती हैं। बच्चे की उंगलियों के निशान भी बनने लगते हैं।
पलकें पलकें बन जाती हैं और पूरी तरह से आँखों को ढक कर उनकी रक्षा करती हैं।
मुँह शिशु की जीभ और स्वरयंत्र विकसित होने लगते हैं; जबड़ा और ऊपरी होंठ भी बनने शुरू हो जाते हैं।
अंगूठा शिशु अंगूठा चूसना शुरू कर देता है और उसे हिचकी भी आने लगती है।
हृदय हृदय पूर्ण धड़कन के साथ विकसित होता है जिसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करके सुना जा सकता है।
अस्थिपंजर बच्चे की मांसपेशियां और हड्डियों का ढांचा बनना शुरू हो जाता है।
शिशु की गतिविधियां आपका शिशु अब पैर मारना, अंगड़ाई लेना, पलटी मारना और घूमना शुरू कर देता है। हालांकि गर्भाशय अभी भी श्रोणि से ऊपर होता है, आप इन सभी हलचलों को महसूस नहीं कर सकती हैं।
अस्थि-मज्जा अस्थि-मज्जा शिशु को स्वस्थ रखने के लिए सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को शुरू करता है।
आंतेें पाचन की सहायता के लिए आंतें सिकुड़ना और फैलना शुरू हो जाती हैं।
अग्न्याशय अग्न्याशय कार्य करना और इंसुलिन स्रावित करना शुरू कर देता है।
गुर्दे गुर्दे मूत्राशय में मूत्र का निकास शुरू कर देते हैं।
अन्य भाग नाखूनों के साथ हाथ और पैर की उंगलियां बनने लगती। स्कैन में नाक और कान देखे जा सकते हैं। बालों के रोम और निप्पल के साथ गर्दन का भी निर्माण होता है।

यदि आप जुड़वां बच्चों को जन्म देने वाली हैं, तो तीसरे महीने में जुड़वां भ्रूण के लिए विकास व वृद्धि ऊपर दिए गए बिंदुओं के अनुसार ही होगी।

गर्भावस्था के तीसरे महीने में आहार

तीसरे महीने के दौरान मॉर्निंग सिकनेस की समस्या अपने चरम पर हो सकती है। विटामिन बी6 मतली या मॉर्निंग सिकनेस से निपटने में सहायक होता है। इसलिए अंडे, रसीले फल, सोयाबीन, मेवे और अवोकाडो जैसी चीजें अपने आहार में शामिल करें। इसके अलावा शिशु के मस्तिष्क व मेरुदंड के विकास में सहायक फोलिक एसिड से भरपूर ब्रोकोली, मटर, दालें, शतावरी एवं गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्जियां भरपूर खाएं। ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ शिशु की आँखों के लिए लाभदायक होते हैं, तो इसकी आपूर्ति के लिए अखरोट, अलसी के बीज (फ्लैक्स सीड्स) व सब्जा (चिया सीड्स) का सेवन करें। ताजे फल व सब्जियां हमेशा ही गर्भवती महिला के आहार का अभिन्न अंग होने चाहिए। खरबूज, अनार, केला, अमरुद, संतरा, मोसंबी, स्ट्रॉबेरी व सेब जैसे फल तथा केल, पालक, शकरकंद, टमाटर, गाजर, पत्तागोभी, सहजन की फलियां व कद्दू जैसी सब्जियों का सूप, सलाद, करी आदि रूपों में अपने खाने में समावेश करें। इस माह में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों के कारण आपको ऊर्जा की अत्यधिक आवश्यकता होगी। प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ इस ऊर्जा व शक्ति का मुख्य स्रोत होते हैं। साबुत अनाज, विभिन्न फलियां, आलू, दालें, चिकन आदि खाने से आपको शरीर में ऊर्जा व शक्ति का अनुभव होगा। इसके अतिरिक्त दूध एवं दुग्ध उत्पादों का सेवन करें जिससे आपको व शिशु को कैल्शियम की अच्छी खुराक मिल सके। विटामिन डी रोग प्रतिरोधक क्षमता, स्वस्थ दाँत व मजबूत हड्डियों के लिए एक आवश्यक तत्व है इसलिए सामन, मैक्रेल और टूना मछली को भी अपने भोजन में शामिल करें।

होने वाली माँ को क्या करना चाहिए

गर्भावस्था के तीसरे महीने में आप क्या करें यह जानने के लिए नीचे दी गई सूची का अनुसरण करें । यह सूची आपको अपने स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने और प्रसव तक दुरुस्त रहने में मदद करेगी।

1. पौष्टिक भोजन

इस दौरान आपको विशेष प्रकार का भोजन करने की अत्यधिक इच्छा हो सकती है । गर्भावस्था के तीसरे महीने का उद्देश्य फलों, सब्जियों, डेयरी उत्पादों, मांस, मेवे, अनाज, चावल इत्यादि के संपूर्ण, स्वस्थ और संतुलित संयोजन को बनाए रखना है। आपके आहार में अच्छे स्वास्थ्य और शिशु की अच्छी वृद्धि के लिए आवश्यक विटामिन, खनिज और पोषक तत्व होने चाहिए।

2. पर्याप्त आराम

गर्भावस्था के दौरान थकान एक आम बात है और अगर आप ठीक महसूस नहीं कर रही हैं तो आराम करें, प्रसूति के तकिए खरीदें, ये आपके आराम को और भी सुखदायक बना सकते हैं।

3. सप्लीमेंट्स का ध्यान रखें

किसी भी जन्म दोष और अन्य समस्या से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार विटामिन व फोलिक एसिड की खुराक लें।

4. सफाई और स्वच्छता बनाए रखें

इस अवस्था में आपको संक्रमण बहुत जल्दी हो सकता है, इसलिए यह सुनिश्चित करें कि आप खाना पकाने से लेकर बागवानी तक, सभी चीजों के लिए उचित सफाई और स्वच्छता मानकों का पालन करती हैं। अपनी योनि क्षेत्र को साफ और सूखा रखें।

5. दाँतो का स्वास्थ्य

हॉर्मोन परिवर्तन के कारण मसूड़ों में खून बहने या दर्द की संभावना होती है, जांच के लिए दंत चिकित्सक से मिलें। गर्भावस्था के दौरान दाँतों की खास देखभाल करना आवश्यक है क्योंकि यह आपके शिशु के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है ।

6. प्रसव की जानकारी

चिंता, तनाव और अन्य मुद्दों से बचने के लिए, प्रसव शिक्षा कक्षाओं में दाखिला लें।

7. संवाद

यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है, सुनिश्चित करें कि आप अपने सहयोगी और करीबी दोस्तों या रिश्तेदारों के साथ किसी भी मुद्दे या आशंकाओं के बारे में पर्याप्त बातचीत करती हैं। आश्वस्त होने और अवसाद से बचने के लिए अपने प्रियजनों पर विश्वास करना महत्वपूर्ण है।

8. धूम्रपान और शराब छोड़ें

धूम्रपान और शराब से बचने की कड़े तौर पर सलाह दी जाती है क्योंकि यह आपके शिशु के लिए हानिकारक साबित हो सकता है और गर्भपात का कारण भी बन सकता है।

9. कैफीन का कम उपयोग करें

कॉफी और चाय जैसे गर्म पेय पदार्थों का सेवन कम करें क्योंकि इससे गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है और जन्म के समय शिशु का वजन कम हो सकता है।

10. व्यायाम

सैर और तैराकी जैसे सरल अभ्यासों को अपनाएं। ऐसे खेलों से बचें, जिनमें गिरने या जोड़ों पर जोर पड़ने का खतरा हो।

11. सक्रिय रहें

खुद को ऐसी गतिविधियों में व्यस्त रखने की कोशिश करें, जो आपके दिमाग को व्यस्त रखें। अपने आप को तनाव-मुक्त रखने के लिए बुनाई, चित्रकारी या स्केच करें।

गर्भावस्था के तीसरे महीने में करने योग्य व्यायाम

तीसरे महीने के दौरान, स्वस्थ रहने के लिए कुछ व्यायाम इस प्रकार हैं:

  • सुबह की सैर: यह थकान और मॉर्निंग सिकनेस को खत्म करने में मदद करती है और साथ ही आपके रक्त-प्रवाह को बढ़ाती है और आपको ताज़गी प्रदान करती है।
  • तैराकी: यह व्यायाम आपकी मांसपेशियों को टोन करता है, आपके स्नायुबंधन को फैलाता है और रक्त परिसंचरण बढ़ाता है
  • पिलेट्स: शक्ति में वृद्धि करता है और लचीलापन बढ़ाता है
  • कम प्रभाव वाला एरोबिक्स: हृदय को मजबूत और मांसपेशियों को टोन करता है और शरीर के दर्द से राहत देता है ।
  • योग: इसे किसी मार्गदर्शक के अधीन करें, यह आपके शिशु और आपके लिए चमत्कारी साबित हो सकता है।

क्या न करें

  • गर्भावस्था के तीसरे महीने में इन बातों का खयाल रखें:
  • भारी वस्तुओं को उठाने और परिश्रम वाली गतिविधियों को करने से बचें जो गर्भ पर दबाव डाल सकती हैं।
  • अपच की परेशानी से बचने के लिए मसालेदार, तैलीय भोजन से दूर रहें ।
  • ढीले-ढाले कपड़े और आरामदायक ब्रा पहनें ।
  • आरामदायक जूते पहनें जो सपाट हों।
  • शिशु के विकास पर दुष्प्रभाव डालने वाले नशीले पदार्थों, शराब व सिगरेट का सेवन न करें।

स्त्रीरोग विशेषज्ञ से मुलाकात

डॉक्टर आपकी निम्नलिखित जांच व जानकारी कर सकते हैं:

  • आपका और आपके माता-पिता के स्वास्थ्य का इतिहास ।
  • क्या पहले कभी आपकी कोई विशेष चिकित्सा संबंधित समस्या रही है ।
  • वजन और रक्तचाप की जांच।
  • आपके पेट के आकार की जांच जिससे उन्हें आपके गर्भाशय के आकार और मौलिक ऊंचाई का अनुमान लगेगा ।
  • बच्चे के दिल की धड़कन की जाँच ।

जांच व परीक्षण

गर्भावस्था के तीसरे महीने में किए गए कुछ परीक्षण इस प्रकार हैं,

1. मूत्र परीक्षण

शर्करा और प्रोटीन के स्तर को निर्धारित करने और किसी भी संक्रमण की जांच करने के लिए।

2. रक्त परीक्षण

रक्त समूह और आर.एच. कारक का पता लगाने के लिए ताकि एनीमिया की जांच हो सके।

3. द्रव प्रतिधारण परीक्षण

आपके हाथों और पैरों में सूजन की जांच करने के लिए।

4. पहली तिमाही का स्क्रीनिंग टेस्ट

भ्रूण के लिए किसी भी खतरे का पता लगाने और जन्म व आनुवंशिक दोष का पता लगाने के लिए।

5. मातृ सीरम (रक्त) परीक्षण

यह परीक्षण डाउन सिंड्रोम, एडवर्ड सिंड्रोम या किसी न्यूरल ट्यूब दोष के साथ बच्चे को जन्म देने के खतरे का पता लगाने के लिए किया जाता है।।

6. कोरियोनिक विलस सैम्पलिंग (सी.वी.एस.)

यह परीक्षण गर्भावस्था के 11वें सप्ताह में गर्भस्थ शिशु में किसी भी प्रकार के जन्मजात दोष का पता लगाने के लिए किया जाता है ।

अल्ट्रासाउंड स्कैन

न्यूकल पारभासी (एन.टी.) गर्भावस्था के तीसरे महीने का स्कैन है, जो एम्नियोटिक द्रव के मापदंडों, गर्भाशय में प्लेसेंटा की स्थिति और भ्रूण में असामान्यता के किसी भी खतरे का आकलन करने के लिए किया जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. क्या गर्भावस्था के तीसरे महीने के दौरान, न्यूरल ट्यूब दोष का पता लगाना संभव है?

स्पाइना बिफिडा या न्यूरल ट्यूब दोष एक जन्मजात विकृति है, जिसके बारे में पहली और दूसरी तिमाही के दौरान अल्ट्रासाउंड स्कैन के माध्यम से अधिक सटीक रूप से पता लगाया जा सकता है।

2. गर्भावस्था के तीसरे महीने में मेरा वजन कितना बढ़ना चाहिए?

चूंकि शिशु अभी भी छोटा है, पहली तिमाही के अंत तक आपका वजन लगभग 1-2 kg बढ़ सकता है। कुछ महिलाओं कोखाने का मन न करने और मॉर्निंग सिकनेस के कारण वजन में कमी भी आ सकती है।

3. क्या अल्ट्रासाउंड से तीसरे महीने में शिशु के लिंग का पता लग सकता है?

शिशु की प्रजनन प्रणाली अभी भी विकसित हो रही है, इसलिए शिशु के लिंग का निर्धारण करना मुश्किल है। गर्भावधि के 11-14वें सप्ताह के बीच अल्ट्रासाउंड किए जाने पर परिणाम लगभग 75% सटीक होते हैं।

होने वाले पिता के लिए सुझाव

गर्भावस्था के दौरान होने वाले पिता की भी कुछ जिम्मेदारियां होती हैं और एक सर्वश्रेष्ठ पति की भूमिका निभाने के लिए यहाँ कुछ उपयोगी सुझाव दिए गए हैं :

  1. अपनी जीवन-संगिनी की थकान को कम करने के लिए घर के कामों में उनकी मदद करें।
  2. हर समय उनके लिए उपस्थित रहें, क्योंकि उनके पास सामाजिक संबंधों के लिए कोई समय नहीं होता है।
  3. जब वो मिज़ाज में परिवर्तन का अनुभव कर रही हों, तो आप समझदारी दिखाएं और उनका सहयोग करें।
  4. एक बंधन स्थापित करने के लिए गर्भ में पल रहे शिशु से बातें करें।
  5. हर बार डॉक्टर से मिलने के लिए उनके साथ जाएं, जिससे आपको भी स्थिति की जानकारी रहे।

अपनी जीवन-संगिनी के गर्भावस्था के 12वें हफ्ते के लक्षणों का अनुभव लेने का आपके पास भी एक बेहतरीन मौका है। जी हाँ, यह सही बात है! कूवेड सिंड्रोम, यह वो स्थिति है जब एक पति भी गर्भावस्था के कुछ लक्षणों का अनुभव करता है, जैसे मतली, पेट में दर्द, मामूली वजन बढ़ना और अशांत नींद। अगर आप इन लक्षणों का अनुभव करते हैं तो परेशान न हों, आप भी उन्हीं घरेलू उपचारों को अपनाएं जिनका उपयोग इन सब समस्याओं से राहत पाने के लिए आपकी पत्नी करती है।

तीसरा महीना, गर्भावस्था के दौरान एक महत्वपूर्ण अवधि होती है। अब आप मतली और उल्टी का अनुभव नहीं करती हैं और आपकी अधिक चिकित्सीय जांच होती हैं। लेकिन यह एक रोमांचक चरण होता है और आप अपने पेट पर छोटे उभार, अपनी चमकदार आँखें और चमकती त्वचा को अनदेखा नहीं कर सकती हैं। तो अब आप सभी को औपचारिक रूप से अपने गर्भधारण की खबर सुना सकती हैं।

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

करण नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Karan Name Meaning In Hindi

ऐसे कई माता-पिता होते हैं जो अपने बच्चे का नाम इतिहास के वीर महापुरुषों के…

6 days ago

डॉ. भीमराव अंबेडकर पर निबंध (Essay On Bhimrao Ambedkar In Hindi)

भारत में कई समाज सुधारकों ने जन्म लिया है, लेकिन उन सभी में डॉ. भीमराव…

1 week ago

राम नवमी पर निबंध (Essay On Ram Navami In Hindi)

राम नवमी हिंदू धर्म का एक अहम त्योहार है, जिसे भगवान श्रीराम के जन्मदिन के…

1 week ago

रियान नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल – Riyan Name Meaning in Hindi

आज के समय में माता-पिता अपने बच्चों के लिए कुछ अलग और दूसरों से बेहतर…

2 weeks ago

राजीव नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल – Rajeev Name Meaning In Hindi

लगभग हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चे का नाम सबसे अलग और…

2 weeks ago

35+ पति के जन्मदिन पर विशेस, कोट्स और मैसेज | Birthday Wishes, Quotes And Messages For Husband in Hindi

एक अच्छा और सच्चा साथी जिसे मिल जाए उसका जीवन आसान हो जाता है। कहते…

2 weeks ago