गर्भावस्था

गर्भावस्था के 20वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड

गर्भ में पल रहे शिशु को एक छोटे केले जैसे आकार से लेकर पूर्ण आकार का शिशु होता देखना हर माता-पिता के लिए अविस्मरणीय होता है। एक अल्ट्रासाउंड स्कैन आपको बताता है कि भ्रूण कैसे विकसित हो रहा है और कैसे आकर ले रहा है।

गर्भावस्था के 20वें सप्ताह तक आपका पेट बाहर निकलना शुरू हो सकता है और आप अपने गर्भ में शिशु की हलचल को महसूस करेंगी। इस अवधि में अल्ट्रासाउंड जांच कराने से आपको शिशु के बारे में बहुत सारी जानकारी मिल सकती है।

क्या आप अल्ट्रासाउंड के लिए अत्यधिक चिंतित हैं? फिक्र न करें, हमें आपका खयाल है। इस लेख में बताया गया है कि गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड आवश्यक क्यों है, तथा इसके माध्यम से आप क्या देख सकती हैं ।

20वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड स्कैन की आवश्यकता क्यों होती है

वैसे देखा जाए तो गर्भावस्था के 20वें सप्ताह में आपको अल्ट्रासाउंड स्कैन की अधिक आवश्यकता नहीं है। यह पूरी तरह से आपकी सहमति पर निर्भर करता है और वैकल्पिक भी है। हालांकि फिर भी अगर आप इसके लाभों के बारे में जानना चाहती हैं, तो यहाँ कुछ जानकारी दी गई है;

  • गर्भावस्था के 20वें सप्ताह का अल्ट्रासाउंड किसी भी गुणसूत्र (क्रोमोसोम) संबंधी असामान्यताओं का पता लगाने में मदद करता है।
  • इससे डाउन सिंड्रोम के लक्षण का पता लगाया जा सकता है।
  • यह गर्भ में पल रहे शिशु के चेहरे और नाल की स्थिति को विस्तार से दिखाता है।
  • गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड के माध्यम से अन्य संरचनात्मक असामान्यताओं का भी पता लगाया जा सकता है।
  • अस्थानिक गर्भवस्था (एक्टोपिक प्रेगनेंसी) को रोकने में भी सहायक है।
  • अल्ट्रासाउंड के माध्यम से यह भी पता लगाया जा सकता है कि क्या आपके गर्भ में एक से अधिक शिशु हैं।

यद्यपि इस अल्ट्रासाउंड से शिशु के लिंग का पता भी चल जाता है लेकिन भारत में भ्रूण का लिंग निर्धारण कानूनी रूप से अवैध है ।

20वें सप्ताह के अल्ट्रासाउंड स्कैन की तैयारी कैसे करें

अल्ट्रासाउंड से पहले आपको लगभग 500-700 मिली पानी पीने की आवश्यकता है ताकि आपका मूत्राशय पूरी तरह से भर जाए। अल्ट्रासाउंड से पहले पेशाब नहीं जाने की सलाह दी जाती है और यदि आपको पेशाब लगती भी है तो आप इस प्रक्रिया के बाद जा सकती हैं। भरा हुआ मूत्राशय आपके आंतरिक प्रजनन अंगों के साथ-साथ भ्रूण की स्पष्ट छवि को उत्पन्न करने में मदद करता है।

20वें सप्ताह के अल्ट्रासाउंड स्कैन में कितना समय लगता है

20वें सप्ताह के अल्ट्रासाउंड की पूरी स्कैनिंग प्रक्रिया में लगभग 30 से 45 मिनट लगते हैं।

20वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड स्कैन की प्रक्रिया

इस प्रक्रिया को करने के लिए डॉक्टर आपको एक परीक्षण मेज पर लेटने के लिए कहेंगे। सबसे पहले आपके पेट पर जेल लगाया जाएगा और आपके पूरे पेट पर ट्रांसड्यूसर रखकर धीरे-धीरे घुमाया जाएगा। ऐसा करने से स्क्रीन पर भ्रूण की छवि दिखाई देगी जिससे शिशु की स्थिति, आकार व माप का भी पता लगाया जाता है।

स्कैन में क्या दिख सकता है

गर्भावस्था के 20वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड स्कैन के दौरान आप भ्रूण, उसके हृदय व हड्डियों और अंगों के विकास को देख सकती हैं। यह अल्ट्रासाउंड भ्रूण के गर्भनाल की सही या गलत अवस्था और गर्भनाल द्वारा जनन मार्ग अवरुद्ध होने जैसी स्थितियों को भी दर्शाता है। स्कैन के माध्यम से इस बात की भी पुष्टि होती है कि क्या आपके गर्भ में एक से अधिक शिशु हैं ।

अल्ट्रासाउंड स्कैन मूल रूप से आपके बच्चे के संरचनात्मक विकास को भी दिखाने में सक्षम है। स्कैन में आप शिशु का हाथ व चेहरा देख सकती हैं। स्कैन में सफेद रंग का क्षेत्र हड्डियों को दर्शाता है, स्लेटी या ग्रे रंग से ऊतकों के विकास का पता चलता है और एम्नियोटिक द्रव काले रंग का दिखाई देता है।

स्कैन में कौन सी असामान्यताएं देखी जा सकती हैं

20वें सप्ताह का अल्ट्रासाउंड स्कैन सभी संभावित असामान्यताओं का पता नहीं लगा सकता है। फिर भी, गर्भावस्था के 20वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड के माध्यम से अस्थानिक गर्भावस्था, संरचनात्मक व क्रोमोसोम संबंधी असामान्यताओं का पता लगाया जा सकता है और यह परीक्षण गर्भावस्था के चरण की सिर्फ एक जांच होती है। आप इसे अपने गर्भ में पल रहे शिशु के विकास का एक पड़ाव समझें।

स्कैन में कोई असामान्यता दिखने पर क्या होगा

गर्भावस्था के 20वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड स्कैन से यदि किसी भी असामान्यता का पता चलता है, तो आप तुरंत डॉक्टर से बात करें। आमतौर पर, गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड परीक्षण सिर्फ 60% सटीक होता है। इसमें सभी संरचनात्मक असामान्यताओं या क्रोमोसोम संबंधी असामान्यताओं का पता नहीं लगाया जा सकता है। हालांकि, यदि आपके बच्चे को डाउन सिंड्रोम है तो डॉक्टर इसके बारे में आपको जानकारी देंगे।

इसके अलावा आपको स्क्रीनिंग जांच करवाने की सलाह दी जा सकती है और जन्म से ही अन्य संदिग्ध समस्याओं की जांच हेतु कोरियोनिक विलस सैंपल लेने के लिए भी कहा जा सकता है। अधिकांश असामान्यताओं का उपचार किया जा सकता है और अल्ट्रासाउंड के अनुसार डॉक्टर आपकी समस्याओं का उपयुक्त उपचार कर सकते हैं।

अल्ट्रासाउंड स्कैन का समय कई माता-पिता के लिए उत्सुकतापूर्ण व संदेह का क्षण भी हो सकता है। स्कैन या स्क्रीनिंग के माध्यम से गर्भ में भ्रूण की पुष्टि होने पर हर माता-पिता में अनेक भावनाएं उत्पन्न होती हैं। शिशु जन्म के बाद उसकी देखभाल करने व अपने जीवनशैली को संयमित करने के लिए आप अपने साथी से चर्चा कर सकती हैं।

इस चरण में आपके द्वारा अनुभव किया गया कोई भी प्रसव दबाव या दर्द सामान्य है और यदि इस दौरान आपके गर्भ में अधिक हलचल नहीं होती है, तो इस बारे में डॉक्टर से बात करें। साधारणतः इस समय आपको अधिक चिंता करने की भी आवश्यकता नहीं है। आपने अपनी गर्भवस्था का लगभग आधा सफर पहले ही तय कर लिया है, अतः बस मातृत्व का आनंद उठाने के लिए तैयार रहें।

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

मिट्टी के खिलौने की कहानी | Clay Toys Story In Hindi

इस कहानी में एक कुम्हार के बारे में बताया गया है, जो गांव में मिट्टी…

2 days ago

अकबर-बीरबल की कहानी: हरा घोड़ा | Akbar And Birbal Story: The Green Horse Story In Hindi

हमेशा की तरह बादशाह अकबर और बीरबल की यह कहानी भी मनोरंजन से भरी हुई…

2 days ago

ब्यूटी और बीस्ट की कहानी l The Story Of Beauty And The Beast In Hindi

ब्यूटी और बीस्ट एक फ्रेंच परी कथा है जो 18वीं शताब्दी में गैब्रिएल-सुजैन बारबोट डी…

2 days ago

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

1 week ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

1 week ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

2 weeks ago