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गर्भावस्था के लगभग 7वें सप्ताह में गर्भस्थ शिशु के हाथ व पैरों का निर्माण शुरू हो जाता है। इस सप्ताह में एक गर्भवती महिला अल्ट्रासाउंड के माध्यम से अपने गर्भ में पल रहे शिशु को पहली बार देख सकती है, यह अवधि उसके लिए अत्यधिक उत्साहपूर्ण होती है।
गर्भावस्था के 7वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड करवाने के निम्नलिखित लाभ हैं;
जिन महिलाओं का मासिक धर्म चक्र अनियमित होता है या जिन्हें अपने आखिरी मासिक धर्म की तारीख याद नहीं होती, उन महिलाओं की प्रसव तिथि का अनुमान लगाना कठिन होता है। साथ ही जिन महिलाओं ने गर्भनिरोधक गोलियां लेते समय गर्भधारण किया है या जो महिलाएं स्तनपान करा रही हैं, उनके गर्भधारण की तारीख का भी पता नहीं लगाया जा सकता है। इन स्थितियों में डेटिंग स्कैन के माध्यम से अनुमानित तारीख के अनुसार शिशु की गर्भकालीन आयु की गणना की जाती है और यह शिशु के विकास पर नजर रखने में भी उपयोगी होता है।
गर्भावस्था के 7वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड दो अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है। गर्भवती महिला के स्वास्थ्य की परिस्थिति के आधार पर ट्रान्सवजाईनल स्कैन या पेट का अल्ट्रासाउंड किया जाता है। ट्रान्सवजाईनल स्कैन में योनि के माध्यम से जांच की जाती है और इसमें आपको ढेर सारा पानी पीकर अपने मूत्राशय को भरने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, अगर यह पेट का अल्ट्रासाउंड है, तो भ्रूण को स्पष्ट रूप से देखने के लिए मूत्राशय का भरा होना आवश्यक है।
गर्भावस्था के 7वें सप्ताह के अल्ट्रासाउंड में कुछ मिनटों से अधिक समय नहीं लगता है। इस अल्ट्रासाउंड के माध्यम से गर्भ में पल रहे शिशु के दिल की धड़कन, गर्भकालीन आयु और उसके विकास की जांच की जाती है।
ज्यादातर गर्भवती महिलाओं को पता नहीं होता कि उन्हें अपनी गर्भावस्था के 7वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड स्कैन के माध्यम से क्या देखने की अपेक्षा करनी चाहिए, संभवतः इस दौरान अल्ट्रासाउंड में आप निम्नलिखित बदलावों को देख सकती हैं;
गर्भावस्था के 7वें सप्ताह में जुड़वां शिशुओं को भी देखा जा सकता है। वे आमतौर पर एक से अधिक भ्रूण या जेस्टेशनल सैक्स के रूप में दिखाई दे सकते हैं। हालांकि 7वां सप्ताह गर्भावस्था का शुरूआती समय होता है और इस अवधि में अल्ट्रासाउंड के दौरान एक से अधिक शिशु की उपस्थिति निर्धारित कर पाना कठिन हो सकता है।
7वें सप्ताह के अल्ट्रासाउंड में भ्रूण के हृदय की धड़कन न सुनाई देना, गर्भपात का संकेत हो सकता है। लेकिन इस निष्कर्ष पर आने से पहले कुछ कारकों पर विचार करने की आवश्यकता है। इस स्थिति में यह भी हो सकता है कि शिशु की गर्भकालीन आयु का आकलन गलत किया गया हो। इसकी जांच के लिए डॉक्टर एक सप्ताह बाद फिर से अल्ट्रासाउंड के माध्यम से भ्रूण के हृदय की जांच कर सकते हैं।
गर्भावस्था के 7वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड करवाने से अंडाशय में अल्सर या गांठ और भ्रूण की असामान्यताओं जैसी समस्याओं के बारे में पता लगाया जा सकता है।आपके डॉक्टर इस अल्ट्रासाउंड के माध्यम से भ्रूण के हृदय की धड़कन, सिर के पिछले हिस्से की लंबाई, जेस्टेशनल सैक का माप और अन्य महत्वपूर्ण मापदंडों की जांच कर सकते हैं।
कोई भी स्कैन 100% सटीक नहीं होता है। कुछ मामलों में यह अल्ट्रासाउंड भी सटीक नहीं हो सकता है, जैसे;
गर्भावस्था के 7वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड स्कैन गर्भ में पल रहे शिशु के विकास संबंधी किसी भी असामान्यता का जल्द पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे भ्रूण के हृदय की धड़कन की जानकारी लेने में मदद मिलती है और साथ ही शिशु की गर्भकालीन आयु का भी पता लगाया जा सकता है। इसलिए गर्भावस्था के 7वें सप्ताह में डॉक्टर से अल्ट्रासाउंड जांच अवश्य कराएं।
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