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गर्भावस्था का समय एक महिला के लिए चुनौती भरा होता है। गर्भधारण करने के ठीक बाद से आपके शरीर में बहुत से बदलाव होना शुरू हो जाते हैं, जो शायद आपको शुरूआती दो तीन महीनों में नजर न आएं। इस लेख में गर्भावस्था के दौरान भूख कम लगने जैसी समस्या पर चर्चा की गई है, जिसका सामना अधिकतर गर्भवती महिलाओं को करना पड़ता है। ठीक से खाना न खाने की वजह से आप और आपके बच्चे को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है । इस दौरान हो सकता है कि, जो खाना आपका पसंदीदा हुआ करता था शायद अब आप उसे न खा पाएं। आपके द्वारा लिए जाने वाला आहार बच्चे के स्वस्थ विकास के लिए बहुत जरूरी होता है और इसलिए आपको गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ आहार लेने की सलाह दी जाती है, लेकिन अगर आप भोजन कर ही नहीं पा रही हैं तो बच्चे को आपसे पोषण कैसे मिलेगा? आप अपने सभी सवालों के जवाब इस लेख से प्राप्त कर सकती हैं।
ऐसा हो सकता है कि पहली तिमाही में एक गर्भवती महिला के शरीर में बाहर से कोई बदलाव न दिखे, लेकिन उनके शरीर के भीतर कई सारे बदलाव होना शुरू जाते हैं क्योंकि बच्चे का विकास लगातार हो रहा होता है । इसके साथ-साथ हॉर्मोनल परिवर्तन हो रहे होते हैं जिसके कारण आपको मॉर्निंग सिकनेस जैसी समस्या पैदा होने लगती है । पहली तिमाही में, प्रति हफ्ते लगभग एक पाउंड वजन बढ़ने की उम्मीद की जाती है और भ्रूण की जरूरतों का भरण-पोषण करने के लिए यह पर्याप्त होगा।
गर्भावस्था की शुरुआती दिनों में गर्भवती महिलाओं में भूख की कमी होने का कारण मॉर्निंग सिकनेस होता है। इस समय लगभग 70 से 85% गर्भवती महिलाओं में भूख की कमी पाई जाती है। गर्भवती महिलाओं में होने वाली मॉर्निंग सिकनेस एक प्रकार से आपको उन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से रोकती हैं जो आपके लिए हानिकारक होते हैं। यह दरअसल सूक्ष्म भ्रूण की रक्षा करने के लिए एक सहज प्रणाली के रूप में विकसित होती है। यह पहली तिमाही में होने वाली माँ में भूख की कमी की वजह को स्पष्ट करता है। इसके अलावा गर्भवती महिला में एस्ट्रोजन जैसे हॉर्मोन और प्रेगनेंसी हॉर्मोन जैसे – एच.सी.जी. की वृद्धि भी भूख को कम कर देती है । इन परिवर्तनों के कारण गर्भवती महिला अपने आस-पास की गंध के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाती हैं और इससे उन्हें और भी मतली जैसा महसूस होगा । कुछ महिलाओं को इस दौरान, खाने का कोई स्वाद ही नहीं पता चलता है जिससे वे खाने के प्रति अनिच्छुक महसूस करती हैं।
हालांकि कुछ मामलों में देखा जाए तो भूख न लगना फायदेमंद है, लेकिन इससे होने वाली माँ की पोषण संबंधी जरूरतों में कमी आ सकती है । इसलिए इसका उपचार करना बहुत जरूरी है। कुछ सामान्य इलाज इस प्रकार हैं:
दूसरी तिमाही में आमतौर पर यह समस्या पहले जितनी ज्यादा नहीं होती है, क्योंकि ज्यादातर महिलाएं यह महसूस करती है कि इस अवधि में उनकी भूख वापस बढ़ने लगी है। इस चरण को बहुत सारी गर्भवती महिलाओं द्वारा सबसे अच्छी अवधि के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इस समय आपको कई सारे लाभ होते हैं जैसे भूख का बेहतर होना और त्वचा में चमक आना आदि। इसके अलावा आपका पेट भी अभी बाहर नहीं निकला होता है। हालांकि, हो सकता है कि कुछ मामलों में यह सब उतना सहज न हो, क्योंकि कई बार आपका पेट ठीक से नहीं भरा होता है और आपको बार-बार मल त्याग करने के लिए कई बार टॉयलेट के चक्कर लगाने पड़ते हैं ।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही को कई महिलाओं द्वारा सबसे महत्वपूर्ण अवधि माना जाता है, क्योंकि इस अवधि के दौरान भ्रूण का प्रमुख विकास होता है। इसलिए, भ्रूण के अच्छे स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त पोषण लेना बहुत जरूरी है। इस चरण के दौरान आपको अपने और बच्चे के स्वास्थ्य को नजर में रखते हुए दोनों के लिए खाना होगा। एक गर्भवती महिला में भूख की कमी होना कोई अच्छी बात नहीं है, क्योंकि इससे बच्चे के विकास पर सीधा असर पड़ता है । इस चरण में, आमतौर पर पाचन तंत्र की कार्य गति धीमी हो जाने के कारण भूख कम लगने लगती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बच्चे का विकास होने से आपके पेट का निचला हिस्सा बढ़ने लगता है जिसकी वजह से आपके गर्भाशय, पेट और पाचन तंत्र पर दबाव पड़ने लगता है। इस कारण कब्ज जैसी परशानी पैदा हो जाती है और आपकी भूख में कमी आने लगती है। इसके अलावा इस समय गर्भवती महिलाओं में प्रोजेस्टेरोन का स्तर भी बढ़ जाता है जिसके परिणामस्वरूप कब्ज हो जाता है और भूख नहीं लगती है।
तीसरी तिमाही यानि अंतिम तिमाही तक आप महसूस करने लगेंगी की आपका पेट काफी बढ़ रहा है और आप एक संपूर्ण गर्भावस्था में प्रवेश कर चुकी हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि आप जो चाहे वो खा सकती हैं, क्योंकि आप इस बात को महसूस करेंगी कि भले ही आपको भूख लगी हो, लेकिन आपकी खुराक काफी कम हो गई है। अच्छी बात यह है कि आमतौर पर इस समय तक मतली आना बंद हो जाती है।
गर्भावस्था के इस चरण में, आपके बढ़ते हुए पेट के कारण आपको भूख कम लगने लगती है । इस समय तक गर्भाशय काफी बड़ा हो जाता है और आसपास के अंगों के कार्य करने के लिए बहुत कम जगह छोड़ता है। यह आपके अंगों और आंतों की जगह को भी प्रभावित करता है, जिससे उन पर पड़ने वाले दबाव के कारण वे सामान्य रूप से कार्य नहीं कर पाते हैं। सीने में जलन होना भी इसका एक दुष्प्रभाव है और यह आपके अन्दर मसालेदार या खट्टे खाद्य पदार्थों के प्रति अनिच्छा पैदा कर देता है।प्रोजेस्टेरोन के बढ़ने की वजह से आपको कब्ज की परेशानी बनी रहती है, जो भूख कम होने का मुख्य कारण होता है। ये सभी कारक मिलकर ही तीसरी तिमाही के दौरान आपको आपके मन चाहे खाद्य पदार्थों को खाने से दूर रखते हैं।
प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान कम भूख लगना जितना बताया जाता है, वह उससे कहीं ज्यादा आम बात है। यह अनुभव गर्भावस्था के किसी भी समय हो सकता है और आमतौर पर गर्भधारण के चार सप्ताह के भीतर यह ज्यादा होता है। जो खाद्य पदार्थ आपको पहले बहुत ज्यादा पसंद हुआ करते थे शायद अब आप उन्हें न खा पाएं । यह गर्भावस्था के दौरान महिला शरीर के भीतर होने वाले कई हॉर्मोनल परिवर्तनों के कारण होता है। हर महिला अपनी गर्भावस्था को अलग अलग प्रकार से अनुभव करती है कुछ महिलाओं में किसी लक्षण को ज्यादा पाया जाता है, तो वहीं कुछ महिलाओं में इसे बहुत कम पाया जाता है। इसलिए किसी भी ऐसे लक्षणों के देखे जाने पर परेशान न हों और अपने डॉक्टर से मिलकर बात करें। आप से बेहतर आपके शरीर की जरूरतों को और कोई नहीं समझ सकता है, इसलिए अच्छे से अच्छा आहार खाएं और अपनी व अपने बच्चे की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करें।
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