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यदि आप गर्भवती हैं, तो अपने आप को होने वाले फिजिकल चेंजेस के लिए तैयार कर लें, जिससे आपका शरीर गुजरने वाला है। बेशक, आपका इस दौरान वजन बढ़ जाएगा, लेकिन गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना आम है। हालांकि, अगर यह वेट गेन सेल्युलाईट है, तो आपको इस पर ध्यान देने की जरूरत है। आप सोच रही होंगी कि सेल्युलाईट क्या है। तो आइए इस लेख में जानते हैं कि यह क्या है, यह कैसे होता है और इसके उपचार के लिए आप क्या कर सकती हैं।
जब आप शीशे के सामने खड़ी हो कर खुद को देखती हैं, तो आपको अपने शरीर के कुछ हिस्सों में फैट जमा हुआ दिखाई देगा। शरीर के वो हिस्से जहाँ फैट सबसे ज्यादा जमा होता है वो हैं, हिप्स, जांघ, पेट, हाथ का ऊपरी हिस्सा और घुटने आदि। इन जगहों पर जमा होने वाले फैट को सेल्युलाईट कहा जाता है। ये जमा फैट कभी-कभी स्ट्रेच होकर ब्रेकडाउन हो जाते हैं, जिसकी वजह से इन जगहों पर डिंपल पड़ने लगता है। प्रेगनेंसी के दौरान सेल्युलाईट होना काफी आम है, कुछ महिलाओं प्रेगनेंसी दौरान वजन बढ़ने कारण सेल्युलाईट का शिकार हो जाती हैं, जबकि कुछ महिलाओं को ऐसा नहीं होता है।
गर्भावस्था में सेल्युलाईट की समस्या होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं फिर चाहे यह आपका वजन बढ़ना हो, आपके लाइफस्टाइल खराब होने की वजह से हो या आपके शरीर में किसी इंटरनल फैक्टर के कारण ऐसा हो रहा हो।
प्रेगनेंसी के दौरान बेसिक एक्सरसाइज करने से आप और आपके बच्चे का हेल्थ अच्छा रहता है। जंक फूड से परहेज करें और इस दौरान अपनी क्रेविंग को मैनेज करना भी बहुत जरूरी होता है। यदि आप इन सभी चीजों पर ध्यान नहीं देती हैं तो आपके शरीर में सेल्युलाईट की समस्या पैदा हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान, एक महिला के शरीर में अत्यधिक मात्रा में शारीरिक तरल पदार्थ को स्टोर करने की टेंडेंसी होती है। इससे शरीर के विभिन्न क्षेत्रों में वाटर रिटेंशन होता है। जो इनडायरेक्टली सेल्युलाईट बढ़ाने का की दिशा में काम करता है, जिसे आप बाद में नोटिस करती हैं।
सेल्युलाईट के विकास में हार्मोन चेंजेस की एक अहम भूमिका होती है। एस्ट्रोजेन, इंसुलिन, नॉरएड्रेनालाईन, थायराइड हार्मोन और प्रोलैक्टिन आदि यह सभी सेल्युलाईट उत्पादन की प्रक्रिया का एक हिस्सा हैं।
जैसे-जैसे प्रेगनेंसी आगे बढ़ती है गर्भवती महिलाओं का वजन भी बढ़ने लगता है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा वजन बढ़ने से सेल्युलाईट की संभावना बढ़ जाती है।
उम्र के साथ त्वचा की फ्लेक्सिबिलिटी कम हो जाती है जिससे सेल्युलाईट की संभावना बढ़ जाती है।
कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट के जरिए आप सेल्युलाईट का उपचार कर सकती हैं। इससे सेल्युलाईट की समस्या को जल्द से जल्द दूर करने में मदद मिलती है और आपका शरीर जल्दी ही वैसा हो जाएगा जैसे प्रेगनेंसी एक पहले था। लेकिन इन ट्रीटमेंट से गर्भवती महिलाओं को दूर रहना चाहिए और बेहतर है कि वो इसे न अपनाएं।
ऐसे कई सारे सेल्युलाईट ट्रीटमेंट है जो माँ और बच्चे के लिए बहुत हानिकारक हो सकते हैं साथ ही इनसे लंबे समय के लिए कोई बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है।
सेल्युलाईट को दूर करने के लिए कुछ उत्तेजक पदार्थों का इस्तेमाल करके इसे बर्न आउट किया जाता है। इसी तरह सेल्युलाईट के लिए ज्यादातर ओरल मेडिसिन ऐसे ही काम करती हैं, कैफीन और अन्य पदार्थों का उपयोग करके सेल्युलाईट को कम किया जाता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान आपको इन दवाओं को लेने की सलाह नहीं दी जाती है।
सेल्युलाईट को कम करने के लिए सबसे ज्यादा जाने माने उपचारों में से एक है लेजर या थर्मल ट्रीटमेंट, इसमें लेजर बीम या दूसरे तरीकों से आपके शरीर का तापमान बढ़ाया जाता जिससे सेल्युलाईट बर्न होता है। ये काफी इफेक्टिव तरीका है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान यह काफी जोखिम भरा भी हो सकता है।
सेल्युलाईट की समस्या को दूर करने के लिए कई सारे नेचुरल तरीके हैं। ये किसी भी अन्य ट्रीटमेंट की तुलना में ज्यादा सुरक्षित होता है और गर्भावस्था के दौरान आपको इससे ज्यादा खतरा भी नहीं होता है। गर्भावस्था के दौरान सेल्युलाईट से छुटकारा पाने के लिए आप घर पर इन उपायों को आजमा सकती हैं:
यहाँ आपको कुछ टिप्स दी गई हैं जिनका आप सेल्युलाईट से बचने के लिए पालन कर सकती हैं:
अगर आप सोच रहे हैं कि गर्भावस्था के दौरान सेल्युलाईट को कैसे रोका जाए, तो कई आसान तरीके हैं जिनसे आप फिट और हेल्दी रहने का प्रयास कर सकती हैं।
कोशिश करें कि आप अपने भोजन के साथ अलग से नमक का इस्तेमाल न करें, क्योंकि यह एसिडिक होता है, जिससे आपका शरीर में डिहाइड्रेशन हो जाता है, जो सेल्युलाईट बर्न करने में मुश्किल पैदा करता है।
हाइड्रेटेड रहने से शरीर के टोक्सिन निकल जाते हैं और आपकी त्वचा में सेल्युलाईट का फार्मेशन बहुत कम होता है।
आप प्रेगनेंसी के दौरान लाइट कार्डियो जैसे चलना, लाइट एरोबिक्स आदि आपके शरीर को टोन करने में मदद करते हैं, एक्सरसाइज करने के दौरान आपके बॉडी से जो पसीना निकलता वो शरीर से टोक्सिन को बाहर करते हैं और त्वाचा को साफ करते हैं। एक्सरसाइज करने से आपके मसल्स टिश्यू टोन रहते हैं और इससे सेल्युलाईट भी कम होता है।
आप प्रेग्नेंट हो या न हों, लेकिन आपको हमेशा अपने वेट को कंट्रोल में रखना चाहिए और यह बहुत जरूरी है।
ताजे फल और सब्जियां जैसे हेल्दी फूड का सेवन करें। हेल्दी फूड खाने से आपके शरीर से वो सभी टोक्सिन बाहर निकल जाएंगे, जिससे सेल्युलाईट बनता है।
जंक फूड, माँस, बेकरी प्रोडक्ट, पनीर, आदि का सेवन करने से आपके शरीर में सेल्युलाईट की मात्रा बढ़ती है। इसलिए जितना ज्यादा हो सके इसके सेवन से बचें।
एक बार जब आप अपनी डिलीवरी से रिकवर हो जाती हैं, तो आप कुछ हफ्तों के बाद सेल्युलाईट ट्रीटमेंट शुरू कर सकती हैं। जब तक आप अपने बच्चे को स्तनपान करा रही है तब तक टॉपिकल क्रीम से बचें। सेल्युलाईट को कम करने के लिए आपको नियमित रूप से एक स्ट्रिक्ट डाइट का पालन करना पड़ेगा और साथ ही रोजाना एक्सरसाइज करनी पड़ेगी ताकि सेल्युलाईट को कम किया जा सके।
प्रेगनेंसी के बाद सेल्युलाईट आपके अंदर से सेल्फ कॉन्फिडेंस खत्म कर सकता है, लेकिन यदि आप एक हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाती हैं, तो सेल्युलाईट की समस्या समय के साथ धीरे-धीरे कम होने लगेगी। आपको इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि गर्भावस्था के दौरान सेल्युलाईट की परेशानी होना बहुत कॉमन और आपको अपनी शरीर नें सेल्युलाईट के इस फार्मेशन को रोकने के लिए कोई भी कदम उठाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
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