गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान कोलेस्ट्रॉल के लेवल – नॉर्मल, हाई और लो

कोलेस्ट्रॉल, फैट से मिलने वाला एक ऑर्गेनिक मॉलिक्यूल है, जो हमारे शरीर की हर एक सेल यानी कोशिका में मौजूद होता है। ऊपर से देखने पर यह मोम के जैसा, नर्म और थोड़ा पीलापन लिए हुए होता है। बाइल साल्ट, कई हॉर्मोन्स जिनमें टेस्टोस्टरॉन और एस्ट्रोजन भी शामिल हैं, साथ ही विटामिन ‘डी’ को बनाने के लिए, कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है। यह लिपॉप्रोटीन नामक छोटे कैरियर्स द्वारा खून में ट्रांसपोर्ट होता है। लगभग 75% कोलेस्ट्रॉल शरीर में अपने-आप ही बन जाता है और बाकी का हिस्सा हमारे खाए गए भोजन से मिल जाता है। आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को अपनी डाइट के बारे में ज्यादा सावधान रहने की जरूरत होती है। इसमें शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल के संतुलन को बनाए रखना भी शामिल है। यह लेख आपको गर्भावस्था के दौरान शरीर में विभिन्न कोलेस्ट्रॉल लेवल और फीटस के विकास में कोलेस्ट्रॉल का महत्व को समझने में मदद करेगा। इसके अलावा इस लेख में आप गर्भावस्था में बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल से संबंधित खतरों को काबू में लाने के तरीके भी जान पाएंगी। 

गर्भावस्था में नॉर्मल कोलेस्ट्रॉल लेवल क्या होता है?

वयस्कों में कोलेस्ट्रॉल के रेंज नीचे दिए गए हैं: 

  • एक वयस्क में नॉर्मल कोलेस्ट्रॉल 2 मिलीग्राम/मिली से नीचे होना चाहिए, और आदर्श रूप से 1.2 और 1.9 मिलीग्राम/मिली के बीच।
  • गर्भावस्था की पहली तिमाही में कोलेस्ट्रॉल लेवल 1.4 और 2.2 मिलीग्राम/मिली के बीच हो सकता है।
  • गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में कोलेस्ट्रॉल लेवल 1.8 से 3 मिलीग्राम/मिली के बीच हो सकता है।
  • गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में कोलेस्ट्रॉल लेवल 2.2 से 3.5 मिलीग्राम/मिली के बीच रह सकता है।

क्या गर्भावस्था के दौरान कोलेस्ट्रॉल के लेवल में बदलाव आते हैं?

जैसा कि आप देख सकती हैं, आपकी गर्भावस्था जितनी आगे बढ़ती जाती है, कोलेस्ट्रॉल का भी लेवल उतना ही बढ़ता जाता है। हालांकि, इसमें चिंता करने की कोई बात नहीं है, क्योंकि, इसका बढ़ना बिल्कुल नेचुरल है और बच्चे के विकास के लिए जरूरी भी है। सामान्य स्थिति में, आपका ब्लड कोलेस्ट्रॉल डिलीवरी के बिल्कुल पहले बहुत ऊपर तक जाता है और डिलीवरी के तुरंत बाद नीचे आ जाता है। कोलेस्ट्रॉल के लेवल में यह गिरावट और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जब, आप अपने नवजात शिशु को ब्रेस्टफीड कराना शुरू करती हैं, क्योंकि दूध बनने में कोलेस्ट्रॉल की खपत हो जाती है। 

गर्भवती महिला में हाई कोलेस्ट्रॉल कितना सामान्य है?

जब बात प्रेग्नेंट महिला की हो, तब हाई कोलेस्ट्रॉल का मतलब अलग होता है। ज्यादातर वयस्कों में 2 और 3.5 मिलीग्राम/मिली के बीच कुछ भी खतरनाक माना जाता है, पर गर्भावस्था के दौरान यह नॉर्मल है। आगे चलकर फीटस अपना कोलेस्ट्रॉल खुद ही बनाने लगता है, इससे मां के खून में कोलेस्ट्रॉल का लेवल और भी बढ़ जाता है। 

गर्भावस्था के दौरान हाई कोलेस्ट्रॉल के क्या कारण होते हैं?

गर्भावस्था के दौरान, बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल फीटस के विकास में कई प्रकार की भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, कोलेस्ट्रॉल, सेक्स हॉर्मोन सिंथेसिस को रेगुलेट करता है, जो कि, गर्भावस्था की अवधि के लिए जरूरी होता है। आगे चलकर, फीटस के सेल्स, अंग, हाथ-पाँव और दिमाग के विकास के लिए कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है। 

हाई कोलेस्ट्रॉल के संकेत और लक्षण

ज्यादातर मामलों में कोई बाहरी संकेत या लक्षण नहीं दिखाई देते हैं और आपकी गर्भावस्था प्लान के मुताबिक चलती रहती है। आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल के अधिकतम लिमिट से आगे जाने पर और लंबे समय तक वैसी ही स्थिति में रहने पर कुछ बदलाव आ सकते हैं। ऐसी स्थिति में स्ट्रोक और हार्ट अटैक जैसी समस्याओं के खतरे ज्यादा होते हैं। ऐसा आर्टरी वॉल्स में कोलेस्ट्रॉल के पनपने और ब्लड सर्कुलेशन में खराबी आने के कारण होता है। ऐसी स्थिति को एथेरोसिलेरोसिस कहते हैं।

हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल को डिटेक्ट कैसे किया जा सकता है?

ज्यादातर डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान कोलेस्ट्रॉल के लेवल पर ध्यान नहीं देते हैं। इससे आपको घबराहट हो सकती है, पर सामान्य प्रोसीजर यह है, कि डिलीवरी के कम से कम 4 से 6 हफ्ते बाद कोलेस्ट्रॉल लेवल की जांच की जाती है। हालांकि, डॉक्टर यह सुनिश्चित करेंगे, कि हाई डेंसिटी लिपॉप्रोटीन काउंट और लो डेंसिटी लिपॉप्रोटीन काउंट के साथ, आपका लिपॉप्रोटीन संतुलित है। अगर आप आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल को लेकर चिंतित हैं, या आपके परिवार में एथेरोसिलेरोसिस की हिस्ट्री रही है, तो अपने डॉक्टर से रेगुलर ब्लड टेस्ट करके नजर रखने को कह सकती हैं। 

क्या गर्भावस्था में हाई कोलेस्ट्रॉल खतरनाक हो सकता है?

गर्भावस्था के दौरान, हाई कोलेस्ट्रॉल से संबंधित खतरों में गर्भावस्था के दौरान होने वाला हाइपरटेंशन शामिल है।  जिसका अर्थ यह है, कि बढा हुआ ब्लड प्रेशर आपको और आपके बच्चे को दोनों को नुकसान पहुँचा सकता है।  हाइपरटेंशन पोस्टपार्टम स्ट्रोक, हार्ट अटैक, एथेरोसिलेरोसिस, प्री-एक्लेमप्सिया, सीजर्स, प्रीटर्म डिलीवरी और ऐसी ही कई अन्य समस्याओं की संभावना को बढ़ा सकता है। फैमिलियल हाइपर्कोलस्ट्रोलीमिया, जो कि क्रोमोसोम 19 में खराबी के कारण होता है, जैसी जेनेटिक बीमारियां शरीर से लो डेंसिटी लिपॉप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल को खून के द्वारा बाहर निकलने से रोकती हैं। यह कोलेस्ट्रॉल बेस लेवल को सामान्य से बहुत ऊपर तक पहुँचा देता है, जिससे गर्भावस्था के दौरान खतरनाक समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा कई अध्ययनों से यह पता चला है, कि जिन माँओं का गर्भावस्था के दौरान हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल था, उनके बच्चों में वयस्क होने पर कोलेस्ट्रॉल संबंधी समस्याएं पैदा होने की 5 गुना ज्यादा संभावना होती है। 

गर्भावस्था के दौरान कोलेस्ट्रॉल को ठीक करने के तरीके

गर्भावस्था के दौरान कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने वाली दवाइयां लेने की बिल्कुल मनाही होती है, क्योंकि इस प्रोसेस के लिए कोलेस्ट्रॉल बहुत जरूरी होता है। अगर आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल डिलीवरी के बाद भी कम नहीं होता है, तो ऐसे में डॉक्टर एटोरवास्टेटिन जैसी दवाओं की सलाह देते हैं। हालांकि, आपको सिर दर्द और रैशेज जैसे कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

गर्भावस्था के दौरान हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल से कैसे बचा जाए?

गर्भावस्था के दौरान हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल से बचने के कुछ सिंपल तरीके नीचे दिए गए हैं: 

1. फाइबर का सेवन

फलों, होल ग्रेन्स और सब्जियों में पाया जाने वाला फाइबर, बैलेंस डाइट में बहुत जरूरी होता है। इसके अलावा सॉल्युबल और इनसॉल्युबल दोनों ही तरह के फाइबर कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए जाने जाते हैं, फिर चाहे पेशेंट प्रेग्नेंट हो या न हो। 

2. फैट पर कंट्रोल

फैट के सेवन को कम करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। आपके बच्चे के विकास के लिए प्रतिदिन की आवश्यक फैट की मात्रा के आधार पर वे आपको सही सलाह दे सकते हैं। फैट के लिए हमेशा हेल्दी सोर्सेज चुनें, जैसे- नट्स, ऑलिव ऑयल, मछली, अलसी का तेल आदि। 

3. नियमित एक्सरसाइज

नई स्टडीज से यह पता चला है, कि पहली तिमाही के दौरान एक्टिव महिलाओं में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा एक्टिव न रहने वाली महिलाओं की तुलना में कम पाई गई। गर्भावस्था के पहले एक्सरसाइज करने से गर्भावस्था के दौरान भी एक्सरसाइज करने में आसानी होती है। यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए, कि आप केवल हल्की-फुल्की और संतुलित एक्सरसाइज करें, जिससे आपके हार्ट पर अनावश्यक दबाव न पड़े। इनमें ट्रेडमिल और स्टेशनरी बाईसाइकल जैसे लो इंपैक्ट कार्डियो एक्सरसाइजेज शामिल हैं। रोज टहलना, सीढ़ियां चढ़ना-उतरना,  बागवानी आदि जैसी एक्टिविटीज से भी, लो डेंसिटी लिपॉप्रोटीन को कम करने में और हाई डेंसिटी लिपॉप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद मिलती है।

4. हाइड्रेटेड रहें

भरपूर मात्रा में पानी पिएं, खासकर अगर आप रोज एक्सरसाइज कर रही हैं तो, ऐसा इसलिए है, क्योंकि डिहाइड्रेशन से लो डेंसिटी लिपॉप्रोटीन में बढ़त हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान रिफाइंड शुगर और कैफीन से दूर रहना ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को कम करने में सहायक होता है, जिससे कि कोलेस्ट्रॉल लेवल कम हो जाते हैं। 

5. हेल्दी लाइफस्टाइल

गर्भावस्था के दौरान हेल्दी लाइफस्टाइल में बैलेंस्ड डाइट के साथ-साथ तंबाकू और अल्कोहल से दूरी दोनों ही शामिल हैं। ऐसा नहीं करने से कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ सकता है और समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। सिंपल ब्रीदिंग एक्सरसाइज, ध्यान और योग करके आप तनाव मुक्त रह सकती हैं और आपकी गर्भावस्था भी स्वस्थ रह सकती है। 

गर्भावस्था के दौरान लो कोलेस्ट्रॉल लेवल

गर्भावस्था के दौरान हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल नुकसानदायक हो सकता है, इसी तरह, लो कोलेस्ट्रॉल लेवल भी  नुकसानदायक होता है। लो कोलेस्ट्रॉल लेवल यानि, 1 ग्राम/मिली से नीचे का स्तर, प्रीटर्म लेबर, प्रीमैच्योर बर्थ और ऐसी ही अन्य गर्भावस्था संबंधित समस्याएं लेकर आता है। चूंकि, स्वस्थ प्लेसेंटल टिश्यू के निर्माण के लिए कोलेस्ट्रॉल बहुत जरूरी होता है, इसलिए अगर इसकी मात्रा कम हो तो इससे शिशु के विकास में रुकावट आती है, जिसके कारण बच्चे का सिर छोटा होना, बच्चे का वजन कम होना और ऐसी ही अन्य समस्याएं हो सकती हैं। 

एक सफल गर्भावस्था के लिए हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल बहुत जरूरी है और ये डिलीवरी के बाद पहले महीने से अपने आप कम होने लगता है। हालांकि, अगर आपको कोलेस्ट्रॉल संबंधी कोई समस्या होने की संभावना है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर इसका इलाज कराना जरूरी है। अंत में, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप एक संतुलित आहार के साथ-साथ एक्सरसाइज, अच्छी नींद और हाइड्रेशन का ध्यान रखें, क्योंकि इन सभी चीजों से गर्भावस्था की ज्यादातर आवश्यकताएं पूरी होती हैं। 

यह भी पढ़ें : 

प्रेगनेंसी में ब्लड इन्फेक्शन होना: कारण, लक्षण और ट्रीटमेंट

पूजा ठाकुर

Recent Posts

भूकंप पर निबंध (Essay On Earthquake In Hindi)

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, जिसमें धरती अचानक से हिलने लगती है। यह तब होता…

1 week ago

Raising Left-Handed Child in Right-Handed World – दाएं हाथ वाली दुनिया में बाएं हाथ वाला बच्चा बड़ा करना

जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है, उसके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू उभरने लगते हैं। या…

1 week ago

माता पिता पर कविता l Poems For Parents In Hindi

भगवान के अलावा हमारे जीवन में किसी दूसरे वयक्ति को अगर सबसे ऊंचा दर्जा मिला…

1 week ago

पत्नी के लिए प्यार से बुलाने वाले नाम l Nicknames For Wife In Hindi

शादी के बाद प्यार बनाए रखना किसी भी रिश्ते की सबसे खूबसूरत बात होती है।…

1 week ago

पति के लिए प्यार से बुलाने वाले नाम l Nicknames For Husband In Hindi

शादी के बाद रिश्तों में प्यार और अपनापन बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। पति-पत्नी…

1 week ago

करण नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Karan Name Meaning In Hindi

ऐसे कई माता-पिता होते हैं जो अपने बच्चे का नाम इतिहास के वीर महापुरुषों के…

2 weeks ago