गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस)

गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याओं में से एक अत्यधिक संवेदनशील समस्या है, ‘आँख आना’ जिसे ‘कंजंक्टिवाइटिस’ या ‘पिंक आई’ भी कहते हैं। गर्भवती महिलाओं में यह समस्या अधिक गंभीर और फैलने वाली भी हो सकती है। इस संक्रमण के होने से आँखों में लालपन व बेचैनी होती है और साथ ही यह समस्या संभोग या शारीरिक संपर्क से भी हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान कंजंक्टिवाइटिस से बचने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।

आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) क्या है

‘कंजंक्टिवाइटिस’ एक ऐसा संक्रमण है जो आपकी पलकों के निचले हिस्से के साथ-साथ आँख के सफेद भाग को भी प्रभावित करता है। यह संक्रमण गर्भवती महिलाओं को आमतौर पर होता है और इससे लंबे समय के लिए दृष्टि में कोई समस्या या आँखों पर किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचता है, इसलिए इसमें अधिक चिंता की कोई बात नहीं है। कंजंक्टिवाइटिस या आँख आना लगभग एक हफ्ते के बाद अपने आप ही ठीक होने लगता है।

गर्भावस्था के दौरान कंजक्टिवाइटिस के कारण

हालांकि, कंजंक्टिवाइटिस किसी को भी हो सकता है, किंतु एक गर्भवती महिला को अनेक असुविधाओं के साथ इससे थोड़ी गंभीर समस्याएं भी हो सकती है। इसलिए इसका कारण जानकार उपचार करना आवश्यक हो जाता है। गर्भावस्था के दौरान कंजंक्टिवाइटिस होने के निम्नलिखित कारण, इस प्रकार हैं;

१ . बैक्टीरिया

यदि आपकी आँखों में लालपन व सूजन है और साथ ही इनमें पीले रंग का स्राव होता है, तो इसका मतलब है कि आपकी आँखों में बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस हुआ है।

२. वायरस

आँखों में विभिन्न प्रकार के विशाक्तों के संक्रमण के कारण ही वायरल कंजंक्टिवाइटिस होता है। इसमें दोनों प्रभावित आँखों में खुजली व लालपन होता है और साथ ही आँखों में थोड़ा सा द्रव का रिसाव भी होता है।

३. मौसम के कारण होने वाली एलर्जी

गर्भावस्था के दौरान मौसम के कारण भी आँखों में एलर्जी हो सकती है। यह ज्यादातर वसंत ऋतू के समय आता है। इस समस्या में आपकी आँखों में खुजली होगी और आपकी आँखें लाल भी हो सकती हैं किन्तु किसी भी प्रकार का रिसाव नहीं होगा।

४. बाहरी गंदगी

यदि आपकी आँख में रेत, गंदगी, धूल या कोई भी अन्य बाहरी कण चला जाता है तो आपको इसमें दर्द के साथ चुभन, द्रव रिसाव होता है और आपकी आँखें लाल भी हो सकती हैं।

५. खुजलाना

आँखों में बहुत ज्यादा खुजली करने से भी आँखें लाल हो सकती हैं और उससे पानी आ सकता है। कंजंक्टिवाइटिस अक्सर एक बार में केवल एक आँख को ही प्रभावित करता है परन्तु यह अत्यधिक पीड़ादायक होता है।

६. यौन संचारित संक्रमण (एस.टी.आई.)

कंजंक्टिवाइटिस कभी-कभी यौन संचारित संक्रमण (एस.टी.आई.) के कारण से भी फैलता है।

७. शारीरिक संपर्क

कंजंक्टिवाइटिस की समस्या हैंड-टू-ऑय कांटेक्ट से भी फैलता है। इसका अर्थ ये है कि यह समस्या प्रभावित व्यक्ति के आँखों में देखने और उनके संपर्क में आने से भी फैल सकता है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि प्रभावित व्यक्ति के सामान का उपयोग न करें।

८. क्लैमाइडियल

यह महिलाओं में कंजंक्टिवाइटिस का एक दुर्लभ कारण है जो ‘इंट्रासेल्युलर जीव क्लैमाइडियल ट्रैकोमैटि’ से जुड़ा हुआ है। अन्य कारणों की तुलना मे इस संक्रमण से आँखें अत्यधिक लाल हो सकती हैं और आँखों के निचले हिस्से में सूजन दिखाई देती है।

कंजंक्टिवाइटिस के सामान्य लक्षण

गर्भावस्था में हर समस्या के लक्षणों की तरह ही इसके भी कुछ निम्नलिखित लक्षण दिए हुए हैं, आइए जानते हैं;

  • आँख में मवाद आना
  • आँख लाल होने के साथ-साथ पानी या पीले रंग का द्रव निकलना
  • आँखों में सूजन
  • चमकदार रौशनी के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि
  • पलक के चारों ओर पपड़ी जमना
  • आँखों में किरकिरापन
  • खुजली और दर्द

गर्भावस्था के दौरान कंजंक्टिवाइटिस का इलाज कैसे करें

गर्भावस्था के दौरान कंजंक्टिवाइटिस का इलाज करने के लिए निम्नलिखित तरीकों को अपनाकर देखें;

१. सामयिक (टॉपिकल) एंटीबायोटिक

सबसे पहले डॉक्टर आपकी आँखों की जांच करके यह पता करेंगे की आपको किस प्रकार का कंजंक्टिवाइटिस हुआ है और फिर उसके बाद ही उचित दवा देंगे। डॉक्टर से जांच करवाने पर वे उचित एंटीबायोटिक्स लेने की ही सलाह देते हैं क्योंकि कुछ एंटीबायोटिक्स ऐसे भी होते हैं जो आपके गर्भ में पल रहे भ्रूण को हानि पहुँचा सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि डॉक्टर द्वारा किसी भी प्रकार की दवाई देने से पहले उन्हें यह पता होना चाहिए कि आप गर्भवती हैं।

२. आई ड्रॉप्स

आई ड्रॉप्स द्वारा बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस का उपचार किया जाता है। आईड्रॉप्स क्लैमाइडिया कंजंक्टिवाइटिस केके लिए बहुत प्रभावी नहीं है यद्यपि आप इसका उपयोग डॉक्टर से सलाह लेकर ही करें।

३. नेत्र संबंधी उपचार

गर्भावस्था के दौरान नेत्र संबंधी उपचार के जरिए कंजंक्टिवाइटिस का इलाज किया जाता है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लें क्योंकि नेत्र-संबंधी उपचार विभिन्न स्थितयों के आधार पर ही होता है।

गर्भावस्था के दौरान कंजंक्टिवाइटिस के लिए घरेलू उपचार

गर्भवती महिलाओं को किसी भी प्रकार की दवाओं के उपयोग का भ्रम हो सकता है। यदि गर्भावस्था के दौरान आपके साथ भी ऐसा है तो निश्चिंत रहें आपकी इस समस्या का हल भी हमारे पास है। कंजंक्टिवाइटिस की समस्या को ठीक करने के लिए आप निम्नलिखित घरेलू उपचारों का उपयोग कर सकती हैं, ऐसे जानते हैं;

१. गर्म सेंक

आँखों की हल्की सिकाई करने से आँखों का शुष्क होना कम होता है और साथ ही यह आँखों के आस-पास के रक्त प्रवाह में सुधार करती है। संक्रमण के समय आँखों की नियमित सिकाई करने से सूजन कम होती है और यह इस अवधि में कंजंक्टिवाइटिस का एक बेहतर घरेलू उपचार है।

२. गुलाब जल

गुलाब जल आँखों को साफ करने और ठंडक पहुँचाने के लिए जाना जाता है। आप अपनी आँखों को साफ करने और इनसे विभिन्न कणों को बाहर निकालने के लिए गुलाब जल का उपयोग कर सकती हैं। इससे आपको अपनी आँखों में किसी भी प्रकार की चुभन या जलन नहीं होगी।

३. माचा ग्रीन टी

‘माचा ग्रीन टी’ एक जापानी चाय है जो हरे रंग के पाउडर के रूप में पाया जाता है। यह चाय का शुद्ध रूप है, बाकि चाय की तरह यह चाय की पत्ती का एक्सट्रेक्ट नहीं है। इसे बनाने के लिए आपको बस उबलते पानी में माचा ग्रीन टी का बैग डालकर थोड़ी देर के लिए रखना है, और फिर ठंडा होने के बाद उस पानी को अपने प्रभावित आँखों पर लगाना है, इससे आराम मिलेगा।

४. स्वच्छता का खयाल रखें

हमेशा प्रयास करें कि आपके आस-पास उचित स्वच्छता बनाकर रखें और नियमित रूप से अपने हाथों को साफ रखें। कंजंक्टिवाइटिस को फैलने से रोकने के लिए प्रतिदिन शारीरिक सफाई करना भी आवश्यक है।

५.  दूध और शहद

एक चम्मच गर्म दूध में थोड़ा सा शहद मिलाएं और उसे ठंडा होना के बाद ड्रॉपर की मदद से अपनी प्रभावित आँख में डाल लें। दूध के गुण आपकी आँखों की जलन व चुभन और शहद के गुण संक्रमण को खत्म करते हैं।

६. होम्योपैथिक उपचार

गर्भवती महिलाओं के लिए विशेषकर होम्योपैथी की दवा लेना ही एक बेहतर विकल्प है। इस अवधि में आप यूफ्रेशिया 30 ले सकती हैं, यह गोलियों के रूप में आता है। यूफ्रेशिया 30 की गोलियां 10 दिनों तक, दिन में 2 बार लेने की सलाह दी जाती है।

७. कोलाइडल सिल्वर

गर्भावस्था के दौरान आँखों के संक्रमण का इलाज करने के लिए सिल्वर सॉल्यूशन या कोलाइडल सिल्वर का उपयोग किया जाता है। ज्यादातर मांओं में कोलाइडल सिल्वर का मरहम लोकप्रिय है और डॉक्टर भी इस मरहम के उपयोग की सलाह देते हैं।

८. आई-ब्राईट टी

आई-ब्राईट टी एक हर्बल टी होती है और यह कंजंक्टिवाइटिस का उपचार करने के लिए अत्यधिक प्रभावी है। यदि आपको चाय पीना नहीं पसंद तो आप इसके कैप्सूल का उपयोग भी कर सकती हैं।

९. नमक के पानी से आँखों को धोएं

गुनगुने पानी में हल्का नमक मिलाएं और इससे अपनी आँखों को छीटें मारकर धो लें। यह आपकी संक्रमित आँखों को प्रभावी रूप से ठीक करने में मदद करता है।

१०. कच्चा आलू

कंजंक्टिवाइटिस संक्रमण के कारण आँखों में दर्द होने पर आप ताजे आलू को काटकर एक-एक स्लाइस आँखों पे ऊपर रख सकती हैं। इससे आपको आराम मिलेगा।

११. ठंडे सिकाई

कोल्ड कंप्रेस यानि ठंडी सिकाई, कंजंक्टिवाइटिस के इलाज में प्रभावी है। इस उपचार को करते समय संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रत्येक आँख के लिए अलग-अलग कपड़े का उपयोग करें।

१२. तुलसी

तुलसी अपने चिकित्सीय गुणों के लिए विख्यात है और साथ ही यह फंगस, बैक्टीरिया और वायरल कंजक्टिवाइटिस को रोकने में अत्यधिक प्रभावी है। गुनगुने पानी में इसकी पत्तियों को 10 मिनट तक भिगोकर रखें और फिर इस पानी से अपनी आँखों को धो लें या फिर रुई की मदद से संक्रमित आँख पर लगाएं।

१३. एलोवेरा जेल

आप अपनी संक्रमित आँख व आँख के ऊपरी हिस्से में एलोवेरा जेल लगा लें। इसके एंटी-इंफ्लेमटरी गुण आपकी आँखों की सूजन को खत्म करने में मदद करते हैं।

१४. हल्दी

एक कप गुनगुने पानी में दो बड़े चम्मच हल्दी पाउडर मिलाएं और रुई के फाहे का उपयोग करके इसे अपनी आँखों पर लगा लें।

गर्भावस्था के दौरान कंजक्टिवाइटिस को कैसे रोकें?

अपनी गर्भावस्था को सुखद बनाने के लिए यदि आप कंजंक्टिवाइटिस के लक्षणों को रोकने का प्रयास कर रही हैं तो निम्नलिखित सुझाव आपकी मदद कर सकते हैं;

  • अपने आई ड्रॉप, आई वाइप्स और कॉस्मेटिक्स का उपयोग किसी और को न करने दें और न ही किसी और की यह चीजें आप उपयोग करें।
  • संक्रमित लोगों के शारीरिक संपर्क से बचें।
  • एस.टी.आई. संक्रमित लोगों से दूर रहें।
  • आँखों में धूल के कण व गंदगी को आँखों में जाने से रोकने के लिए चश्मा पहनें।
  • नियमित रूप से अपने हाथों को धोएं और उचित स्वच्छता का खयाल रखें।
  • अपनी आँखों को नियमित रूप से धोएं और आँखों के पानी को पूरी तरह से सुखा लें।

क्या कंजंक्टिवाइटिस गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है

कंजंक्टिवाइटिस को खत्म करने के लिए घरेलू उपचारों करने की ही सलाह दी जाती है क्योंकि इससे कोई भी नुकसान नहीं होता है। परंतु यदि आप अपनी आँख की समस्या को रोकने के लिए दवाओं का उपयोग करती हैं तो यह आपकी गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है, कोई भी दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें तब ही लें क्योंकि हमारे द्वारा ली जाने वाली दवाइयां भ्रूण को प्रभावित करती है।

कंजंक्टिवाइटिस चिंता का कारण नहीं है और यह कुछ समय बाद अपने आप ही ठीक हो जाता है। यदि यह एक सप्ताह से अधिक समय तक बना रहता है, तो आप अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

मिट्टी के खिलौने की कहानी | Clay Toys Story In Hindi

इस कहानी में एक कुम्हार के बारे में बताया गया है, जो गांव में मिट्टी…

3 days ago

अकबर-बीरबल की कहानी: हरा घोड़ा | Akbar And Birbal Story: The Green Horse Story In Hindi

हमेशा की तरह बादशाह अकबर और बीरबल की यह कहानी भी मनोरंजन से भरी हुई…

3 days ago

ब्यूटी और बीस्ट की कहानी l The Story Of Beauty And The Beast In Hindi

ब्यूटी और बीस्ट एक फ्रेंच परी कथा है जो 18वीं शताब्दी में गैब्रिएल-सुजैन बारबोट डी…

3 days ago

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

2 weeks ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

2 weeks ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

2 weeks ago