गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान दाद – लक्षण, प्रभाव और उपचार

‘रिंगवर्म’ शब्द आम भाषा में थोड़ा अस्पष्ट व भ्रामक हो सकता है क्योंकि यह सुनने में कीड़े से संबंधित संक्रमण लगता है। लेकिन वास्तव में, रिंगवर्म या दाद एक फंगल इन्फेक्शन है जो फंगस (फफूंद या कवक) के द्वारा फैलता है। दाद एक अत्यधिक संक्रामक इफेक्शन है जो ज्यादातार स्काल्प अथवा सिर की त्वचा या शरीर की त्वचा पर फैलता है जो आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान हो सकता है।

चिकित्सकीय शब्दों में दाद को ‘टिनिया’ कहा जाता है। दाद कई प्रकार का हो सकता है जैसे टिनिया कैपिटिस (सिर की त्वचा), टिनिया कॉर्पोरिस (शरीर), टिनिया पेडिस (पैर), टिनिया क्रूरिस (श्रोणि), टिनिया मेनस (हाथ) और उसका प्रकार इस पर निर्भर करता है कि यह शरीर के किस भाग को प्रभावित करता है।

रिंगवर्म या दाद के लक्षण

दाद के संक्रमण के कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • त्वचा पर लाल, गोल घेरे दिखाई दे सकते है हल्के सूजन के साथ।
  • कुछ मामलों में, लाल व गोल घेरे के केंद्र में त्वचा साफ व स्पष्ट दिख सकती है।
  • त्वचा छालेदार या पपड़ीदार दिख सकती है।
  • शरीर के प्रभावित त्वचा पर अत्यंत खुजली हो सकती है।
  • यदि दाद का संक्रमण सिर की त्वचा को प्रभावित करता है तो बालों के गिरने की संभावना बढ़ सकती है।

गर्भावस्था में दाद के प्रभाव व जोखिम

गर्भवती महिलाओं की एक सामान्य चिंता यह हो सकती है कि, क्या दाद गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है? इसका उत्तर है: ज्यादातर मामलों में, यह लगभग नामुमकिन है कि दाद गर्भावस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। लेकिन कुछ चीजें जो ध्यान रखने योग्य हैं वे इस प्रकार हैं:

  • एक गर्भवती महिला में किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति के बराबर ही दाद का संक्रमण होने का खतरा होता है।
  • गर्भावस्था के दौरान दाद होने से गर्भ में पल रहे बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता है ।
  • त्वचा के संक्रमण के लिए जिम्मेदार फंगस मृत ऊतकों पर पलते हैं जो कि त्वचा की सतह पर रहते होते हैं और त्वचा की गहरी परतों में नुकसान नहीं पहुँचा सकते है।
  • यदि किसी प्रकार फंगस श्लेष्म झिल्ली में प्रवेश भी कर जाता है तो वहाँ जीवित नहीं रह सकता है।

गर्भावस्था के दौरान दाद का इलाज

आमतौर पर दाद के संक्रमण का इलाज करना आसान है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान, दवाइयाँ लेते समय सावधानी बरतना जरुरी है क्योंकि कुछ दवाएँ शिशु की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए गर्भावस्था में दाद से संक्रमित होने पर हमेशा चिकित्सक से सलाह लें। चिकित्सक संक्रमण को ठीक करने के लिए triamcinolone और nystatin युक्त क्रीम लगाने की सलाह दे सकते हैं। प्रतिदिन दो बार या चिकित्सक के निर्देशानुसार क्रीम लगाने से तकलीफ में राहत मिल सकती है।

दाद के घरेलू उपचार

दाद के इलाज में मदद करने के निम्न कुछ घरेलू उपचार हैं:

  • हल्दी

हल्दी में ‘करक्यूमिन’ होता है जो एंटीफंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी होता है। संक्रमित त्वचा पर हल्दी छिड़कने या लगाने से दाद को बढ़ने सेे रोकने में मदद मिल सकती है और यह जल्दी ठीक हो जाता है।

  • अदरक वाली चाय

अदरक वाली चाय में भी एंटीफंगल गुण होते हैं। अदरक वाली चाय पीने से दाद तेजी से ठीक होने में मदद मिलती है। प्रभावित क्षेत्र पर अदरक वाली चाय को थपथपा कर लगाने से भी होने वाली तकलीफ से राहत मिलती है।

  • लहसुन

लहसुन अपने चिकित्सीय गुणों के कारण बहुत लोकप्रिय है क्योंकि इसमें ‘एजीन’ होता है। संक्रमित त्वचा पर लहसुन की कुछ कलियों को मसलकर लगाने से उपचार प्रक्रिया में तेजी आती है और यह जल्दी ठीक हो जाता है। आप लहसुन के जगह उसके तेल का भी उपयोग कर सकते हैं।

  • नारियल का तेल

आप देखेंगी कि प्रभावित त्वचा पर थोड़ा नारियल का तेल लगाने से संक्रमित त्वचा को आराम देने में मदद मिलती है क्योंकि यह एंटीफंगल और एंटी-माइक्रोबियल दोनों है।

  • आलू

प्रभावित त्वचा पर आलू के टुकड़े रखना दाद के संक्रमण को ठीक करने में उपयोगी साबित हो सकता है।

  • एप्प्ल साइडर विनेगर या सिरका

अपने एंटीफंगल गुणों के साथ एप्पल साइडर सिरका दाद के संक्रमण के लक्षणों को कम करने में एक प्रभावी औषधि साबित हो सकता है।

  • एलोवेरा

एलोवेरा एंटीफंगल संक्रमण के लिए एक सुरक्षित और प्राकृतिक औषधि है। संक्रमित त्वचा पर एलोवेरा का गूदा या जेल प्रतिदिन दो बार लगाने से जलन और खुजली से राहत मिल सकती है।

गर्भावस्था में दाद के संक्रमण को कैसे रोकें?

गर्भावस्था में स्वच्छता बनाए रखने से दाद को रोकने में मदद मिल सकती है। संक्रमित त्वचा को साफ पानी और एंटीबैक्टीरियल साबुन से धोने से संक्रमण को फैलने के रोकने में मदद मिल सकती है। प्रभावित जगह को हमेशा सूखा रखें और थपथपाकर पोंछे या सुखाएँ। कपड़े, तौलिये, कंघी और अन्य व्यक्तिगत चीजें परिवार के अन्य सदस्यों के साथ शेयर न करें। गर्भवती महिलाएँ प्रयास करें कि वे संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक संपर्क में आने से बचें। गर्भवती महिलाओं को दाद का संक्रमण किसी संक्रमित जानवर से, स्विमिंग पूल अथवा लॉकर कक्ष जैसे सार्वजनिक स्थानों पर जाने से हो सकता है, क्योंकि फंगस नमी वाले स्थानों पर फलते-फूलते हैं। इसलिए गर्भावस्था के दौरान ऐसी जगहों में जाने से बचना चाहिए।

फंगल इन्फेक्शन आमतौर पर स्वयं ठीक हो जाता है। लेकिन, यदि एक गर्भवती महिला को दाद का संक्रमण होता है, तो इस स्थिति में चिकित्सक से जांच करना अच्छा होगा। गर्भावस्था के दौरान दाद होने पर यह केवल जलन, खुजली और असुविधा पैदा करने करता है, लेकिन गर्भावस्था पर अन्य कोई हानिकार प्रभाव पैदा नहीं करता है।

जया कुमारी

Recent Posts

लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध (Essay On Lal Bahadur Shastri In Hindi)

लाल बहादुर शास्त्री एक प्रसिद्ध भारतीय नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे, जो भारत के दूसरे…

6 days ago

समय का महत्व पर निबंध (Essay On Importance Of Time In Hindi)

सालों से सभी ये कहावत सुनते आ रहे हैं कि 'समय बहुत कीमती है', 'समय…

6 days ago

कंप्यूटर पर निबंध (Essay On Computer in Hindi)

देश के कल्याण में आधुनिक चीजों का अहम योगदान रहा है और हाल के समय…

6 days ago

मंकीपॉक्स – गर्भवती महिलाएं और बच्चे रहे एमपॉक्स से सावधान

क्या आपने भी एम पॉक्स के बारे में सुना है? और सोच रहे हैं कि…

6 days ago

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay On Air Pollution In Hindi)

जीवन जीने के लिए हमारा साँस लेना जरूरी है उसके लिए वायु का शुद्ध होना…

1 week ago

बाढ़ पर निबंध (Essay On Flood In Hindi)

प्रकृति द्वारा पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों के जीवन यापन के लिए कई संसाधन…

1 week ago