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यह हम सभी जानते हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला के शरीर में कई सारे चेंजेस होते हैं। उन्ही चेंजेस में से एक है दिल की धड़कन का बढ़ना, दरअसल जब प्रेगनेंसी के दौरान आपके शरीर में खून का सर्कुलेशन तेजी से बढ़ने लगता है तो यह आपकी हार्टबीट को भी तेज कर देता। अगर आप पहली बार माँ बनने जा रही हैं और आपने भी इस चीज का अनुभव किया है, तो हो सकता है आप घबरा जाएं कि यह क्या हो रहा है। लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान ऐसा होना काफी कॉमन है- कभी-कभी, ब्लड ज्यादा पंप करने के कारण आपकी हार्टबीट तेज हो जाती है। हार्ट पल्पिटेशन से जुड़ी सभी बातों को जानने के लिए आप यह लेख पढ़ें और जानें कि गर्भावस्था के दौरान आप इसे कैसे कंट्रोल कर सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान शरीर में कार्डियोवस्कुलर चेंजेस के कारण आपकी हार्टबीट बढ़ जाती है। दूसरी तिमाही में यह 30 से 40 फीसदी तक बढ़ जाता है और गर्भावस्था के दौरान शरीर में रक्त की मात्रा लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। रक्त की मात्रा बढ़ने के कारण दिल की धड़कन बढ़ जाती है। यह एक ऐसी कंडीशन है जहाँ आप अपनी हार्टबीट को नॉर्मल से तेज महसूस करती हैं। आपको अपनी हार्टबीट की सेंसेशन गले में या छाती पर महसूस होगी। हालांकि, गर्भावस्था की शुरुआत में दिल की धड़कन का बढ़ना नुकसान नहीं पहुँचाता है और ज्यादातर यह अपने आप ही ठीक हो जाता है, लेकिन कभी-कभी यह किसी मेडिकल कॉम्प्लिकेशन की ओर इशारा होता है।
कई कारणों से आपको हार्ट पल्पिटेशन की कंडीशन पैदा हो सकती है और उनमें से ज्यादातर कारण गंभीर नहीं होते हैं। हार्ट पल्पिटेशन होने के कुछ मुख्य कारण आपको नीचे दिए गए हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में ब्लड लेवल बढ़ना हार्ट पल्पिटेशन का सबसे पहले कारण होता है। जैसा कि आपको ऊपर भी बताया गया है, गर्भावस्था के दौरान शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ती है। ब्लड लेवल बढ़ना मतलब ज्यादा ब्लड पंप करना, जिसकी वजह से आपकी हार्टबीट काफी तेज हो जाती है। हार्टबीट का बढ़ना इस बात का संकेत है कि आपका दिल नॉर्मल से ज्यादा काम कर रहा है और प्लेसेंटा समेत शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त पहुँचाने का काम कर रहा है।
गर्भावस्था के दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरोन लेवल भी बढ़ जाता है। प्रोजेस्टेरोन लेवल का बढ़ना हार्टबीट बढ़ाने के लिए भी जिम्मेदार होता है।
प्रेगनेंसी के दौरान आप इमोशनल चेंजेस से भी गुजरती हैं, जिसका साइड इफेक्ट आपके शरीर में हार्मोनल लेवल को प्रभावित करता है। गर्भावस्था के दौरान स्ट्रेस और एंग्जायटी भी आपके हार्टबीट को बढ़ा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान कुछ हेल्थ कंडीशन जैसे थायराइड, एनीमिया, लो ब्लड शुगर, या अन्य मेडिकल कंडीशन के कारण दिल की धड़कन बढ़ सकती है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान दिल की धड़कन का बढ़ना हानिरहित हैं, लेकिन कभी-कभी यह दूसरी बीमारी का संकेत भी हो सकता हैं।
गर्भावस्था के दौरान रक्त में कैफीन की अधिक मात्रा के कारण भी आपकी हार्टबीट तेज हो सकती है। इसलिए, यदि आप गर्भावस्था के दौरान अधिक कॉफी या चाय पीती हैं, तो इससे आपकी हार्टबीट बढ़ सकती है। यही कारण है कि ज्यादातर डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को कैफीन का सेवन सीमित मात्रा में करने की सलाह देते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान लगभग सभी महिलाओं को हार्टबीट बढ़ने का अनुभव होता है और साँस लेने में परेशानी होती है। हालांकि, हार्ट पल्पिटेशन का प्रभाव हर गर्भवती महिला पर अलग-अलग तरह से होता है। हार्ट पल्पिटेशन के मामले में गर्भवती महिलाओं में नीचे बताए गए लक्षणों का अनुभव हो सकता है
ये हार्ट पल्पिटेशन के कुछ कॉमन लक्षण हैं जिन्हें आप प्रेगनेंसी के दौरान अनुभव कर सकती हैं।
यदि आप गर्भावस्था के दौरान हार्ट पल्पिटेशन का अनुभव करती हैं, तो आप इन लक्षणों के बारे में अपने डॉक्टर को बताएं। आपके डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछ सकते हैं। यदि आपको यह समस्या पहले भी थी या आपके परिवार में किसी को हैं तो आपके डॉक्टर कुछ टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
प्रेगनेंसी के दौरान आराम करते समय या कोई काम करते समय आपको हार्ट पल्पिटेशन का अनुभव हो सकता है और इसमें कोई संदेह नहीं कि आप स्ट्रेस में आ जाएंगी। लेकिन आप सरल उपाय करके हार्ट पल्पिटेशन को नॉर्मल कर सकती हैं। यहाँ आपको कुछ टिप्स दी गई हैं, जो गर्भावस्था के दौरान हार्ट पल्पिटेशन के लक्षणों को कम करने के लिए आप मदद कर सकती है:
यदि आप पर्याप्त आराम करती हैं तो आपको हार्ट पल्पिटेशन नॉर्मल रहेगी। इसलिए अपने आप को पूरा आराम दें और एक छोटी झपकी लें। आपको काफी रिलैक्स महसूस होगा।
प्रेगनेंसी के दौरान आपको डिहाइड्रेशन की समस्या बढ़ जाती है, जिससे आपकी हार्टबीट बढ़ जाती है। इसलिए, अपने आप को हाइड्रेटेड रखें और ज्यादा से ज्यादा पानी और लिक्विड चीजे पिएं ।
प्रेगनेंसी के दौरान मूड स्विंग होना या इमोशनल होना बहुत कॉमन है और सभी महिलाएं इसका अनुभव करती हैं। इसकी वजह से आपको काफी स्ट्रेस हो सकता है और आपकी हार्टबीट बढ़ सकती है। इसके लिए आप योगा, मेडिटेशन या एक्सरसाइज करें जो आपको रिलैक्स करने में आपकी मदद करेगा। हालांकि, आपको यह सलाह दी जाती है कि इसे अपनाने से पहले आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
प्रेगनेंसी के दौरान कॉफी, चाय और अन्य कैफीन युक्त पेय पीने से हार्टबीट बढ़ सकती है। इसलिए ऐसी चीजों का सेवन कम से कम करें जिसमें कैफीन ज्यादा हो।
गर्भावस्था के दौरान आपको बहुत ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी करने की सलाह नहीं दी जाती है। यह न केवल आपको और आपके बच्चे को नुकसान पहुँचा सकता है, बल्कि इससे हार्टबीट भी बढ़ सकती है।
कॉमन कोल्ड और कफ के लिए ओवर-द-काउंटर दवाएं आपके लिए उत्तेजक हो सकती हैं। इन दवाओं का सेवन करने से आपकी हार्टबीट बढ़ सकती है। ऐसी किसी भी दवा का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
कभी-कभी कुछ कंडीशन ऐसी होती है जिसकी वजह से आपका हार्ट रेट बढ़ जाता है। इसलिए, यदि आप प्रेगनेंसी के दौरान में नियमित रूप से हार्टबीट तेज होने का अनुभव करती हैं, तो इसका संभावित कारण जानने के लिए इसे एक डायरी में ट्रैक करें और उसके अनुसार अपनी एक्टिविटी और खाने पीने में बदलाव करें, यह हार्ट पल्पिटेशन का एक बड़ा कारण हो सकता है।
हार्ट पल्पिटेशन को कंट्रोल करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप ठंडे पानी से स्नान करें। ठंडे पानी से नहाने से आपका हार्ट रेट नॉर्मल रहता है और आपको अच्छा व रिलैक्स महसूस होता है।
जैसा कि ऊपर भी बताया गया है, दूसरी तिमाही और तीसरी तिमाही के दौरान में दिल की धड़कन का बढ़ना नॉर्मल है और इसमें कोई परेशानी वाली बात नहीं है। हालांकि, यदि आपको दिल की धड़कन बढ़ने के साथ-साथ नीचे बताए गए अन्य लक्षण भी नजर आते हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए:
यदि आप गर्भावस्था के दौरान ऊपर बताए गए लक्षणों में से किसी भी लक्षण को देखती हैं, तो यह बहुत जरूरी है कि किसी भी कॉम्प्लिकेशन की जाँच करने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि आप या आपके बच्चे को इससे कोई खतरा न हो।
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