गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान ग्लूटेन इनटोलरेंस

गर्भावस्था के दौरान एक विशाल और विस्तृत आहार शृंखला में मौजूद विभिन्न प्रकार के भोजन शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व की जरूरत को पूरा करने का एक बेहतरीन तरीका है। इसे प्लान करने के दौरान, आवश्यक है कि इसमें ऐसे खाने को दूर रखा जाए, जिससे आपको एलर्जी की संभावना हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान यदि आप ग्लूटेन के प्रति संवेदनशील हैं, तो इससे आपको कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं, क्योंकि ऐसे में ग्लूटेन के सेवन से न केवल आपको परेशानी हो सकती है, बल्कि इसका खामियाजा आपके बच्चे को भी भुगतना पड़ सकता है। 

ग्लूटेन क्या है?

ग्लूटेन एक ऐसा तत्व है, जो दो विशेष प्रोटीन के आपस में मिलने से बनता है। आमतौर पर यह उन अनाजों में बनता है जो सीरियल की श्रेणी में आते हैं। इनमें से सबसे लोकप्रिय गेहूं है। अन्य कई प्रोटीन बेस्ड मिश्रित यौगिकों के साथ-साथ ग्लूटेन की मौजूदगी के कारण ही किसी अनाज के गुंधे हुए आटे में लचीलापन आता है और इन्हें कोई भी आकार दिया जा सकता है। 

ग्लूटेन इनटोलरेंस क्या है?

कुछ लोगों का शरीर खाने में मौजूद ग्लूटेन को संश्लेषित नहीं कर पाता है, इसके कारण इसके सेवन से कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं, जिसकी शुरुआत आंतों से होती है और शुरुआती समय में पाचन तंत्र पर असर डालती है। इससे ऐसी स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं, जहां आंतों का इम्यून सिस्टम आंतों के ही स्वस्थ टिशू को नुकसान पहुंचाने लगता है। ऐसा ग्लूटेन की मौजूदगी के कारण होता है। इस स्थिति को सिलियक रोग कहा जाता है और यह काफी नुकसानदायक भी हो सकता है। 

ग्लूटेन इनटोलरेंस के संकेत और लक्षण

ग्लूटेन इनटोलरेंस के संकेत और लक्षण शरीर के अंदर तक सीमित नहीं होते हैं, बल्कि ये शरीर के विभिन्न अंगों में भी देखे जा सकते हैं। 

1. त्वचा संबंधी समस्याएं

ग्लूटेन के सेवन के बाद शरीर इसे एक नुकसानदायक बाहरी तत्व मानता है, जिसे बाहर निकालने की जरूरत है।  यह शरीर में होने वाले मुख्य रिएक्शन्स में से एक है। शरीर प्राकृतिक रूप से इसकी मौजूदगी से निपटने के लिए इम्यून सिस्टम को ट्रिगर करता है। इससे इम्यूनोग्लोबुलीन ‘ए’ या एलजी’ए’ जैसे तत्व बनते हैं। यह त्वचा की ऊपरी सतह तक पहुंचने का रास्ता ढूंढता है और यहां आकर जम जाता है। इससे त्वचा की सतह पर कई फोड़े बन जाते हैं, जिन में पानी भरा होता है और ये पिंपल जैसे दिखते हैं। 

2. थकान

शरीर में ग्लूटेन की उपस्थिति आंतरिक अलार्म बेल को चौकन्ना कर देती है और शरीर बाहरी इंफेक्शन से बचाव के लिए पूरी ऊर्जा और स्रोतों का उपयोग करती है और दूसरी प्रक्रियाओं को बरकरार रखने की पूरी कोशिश करती है। इस प्रक्रिया में बहुत ताकत लगती है, जिससे एक व्यक्ति को बिना वजह थकान और सुस्ती का अनुभव होता है। 

3. तेज सर दर्द

गर्भवती स्त्रियों में माइग्रेन जैसे सरदर्द के पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं, लेकिन इसके पीछे ग्लूटेन एलर्जी होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। कई प्रकार के अध्ययन बताते हैं, कि ग्लूटेन संवेदनशील या सीलियक बीमारी से ग्रसित कुछ अन्य महिलाओं में तेज सरदर्द देखा गया है। संवेदनशीलता का कारण चाहे जो भी हो, पर रिसर्च बताते हैं, कि जिन गर्भवती महिलाओं ने ग्लूटेन फ्री भोजन लेना शुरू किया उनके सर दर्द में कमी देखी गई। 

4. वजन में कमी

अचानक और अप्रत्याशित वेट लॉस ग्लूटेन इनटोलरेंस का एक खतरनाक नतीजा हो सकता है। ऐसा भोजन और खाने की आदतों में बदलाव के बिना भी देखा गया है। वजन में यह गिरावट शिशु के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकती है। 

5. दांत संबंधी परेशानी

अध्ययनों से यह पता चला है, कि ग्लूटेन सेंसटिविटी के कारण मुंह में अल्सर बनने की परेशानी आती है। दांत संबंधी समस्याएं, दांतों की कैविटी, दांतों की सड़न की संभावना से लेकर मुंह में बार-बार बनने वाले अल्सर तक हो सकते हैं। 

6. ऑटोइम्यून बीमारियां

अनगिनत बीमारियां हैं जो शरीर में इम्यून सिस्टम को ट्रिगर करती हैं, जो कि शरीर को ही नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती हैं। इस संबंध में ग्लूटेन संवेदनशीलता को प्रमुख कारण बताया गया है, जिसमें ग्लूटेन बेस्ड भोजन के सेवन से व्यक्ति में ऑटोइम्यून रिएक्शन हो सकता है। 

7. जोड़ों का दर्द

कई फिजियोथैरेपिस्ट और हड्डियों के विशेषज्ञों ने एक ही व्यक्ति के अंदर अर्थराइटिस जैसे दिखने वाले जोड़ों के दर्द और ग्लूटेन सेंसटिविटी के बीच परस्पर संबंधों को पाया है। ग्लूटेन इनटोलरेंस के कारण जोड़ों में सूजन और दर्द हो सकता है। 

8. कन्फ्यूजन

कन्फ्यूजन की उपस्थिति शरीर को एलजी’जी’ या इम्यूनोग्लोबुलीन ‘जी’ को बनाने के लिए ट्रिगर करती है। पहले तो यह एंटीबॉडीज की तरह काम करते हैं, फिर ये व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालते हैं। इसलिए ग्लूटेन इनटोलरेंस वाले कई लोग कन्फ्यूजन या सही तरीके से ना सोच पाने की शिकायत करते हैं। 

9. डिप्रेशन

ग्लूटेन इनटोलरेंस से ग्रसित व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाला यह असर व्यक्ति में मूड स्विंग, एंजाइटी और यहां तक की डिप्रेशन के लक्षण के रूप में भी दिख सकता है। 

गर्भावस्था के दौरान ग्लूटेन इनटोलरेंस से होने वाली समस्याएं

गर्भावस्था के दौरान ग्लूटेन सेंसटिविटी की अवस्था में ग्लूटेन के सेवन से होने वाली समस्याएं गंभीर हो सकती हैं और इससे बहुत ज्यादा कमजोरी भी आ सकती है। 

  • शिशु को सिजोफ्रेनिया जैसी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आने की संभावना बहुत ज्यादा होती है।
  • समय पूर्व प्रसव भी हो सकता है, मृत बच्चे पैदा हो सकते हैं या एक एनीमिक बच्चा जन्म ले सकता है जिसका वजन बहुत कम हो।
  • सीलियक बीमारी की मौजूदगी में खाने से पोषक तत्वों का अवशोषण मुश्किल हो सकता है, जिससे गर्भस्थ शिशु के विकास में कमी आ सकती है।
  • लगातार सेवन से पाचन नली के ट्रैक में लगातार तकलीफ रह सकती है।
  • छोटी आंत की सतह पूरी तरह से खराब हो सकती है, इसके कारण गर्भावस्था में दिक्कतें आ सकती हैं।
  • ग्लूटेन संबंधी समस्याओं के लगातार ट्रिगर होने से गर्भपात तक हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान ग्लूटेन-फ्री डाएट

ग्लूटेन-फ्री डाइट लेना मुश्किल नहीं है और कुछ चीजों की देर-बदल करके इसे अपनाया जा सकता है।  

1. लो फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट

ऐसे डेयरी प्रोडक्ट का सेवन आपके शरीर में ग्लूटेन के प्रवेश की संभावना को कम करता है और बच्चे के विकास के लिए जरूरी कैल्शियम और प्रोटीन उपलब्ध कराता है। 

2. मीट और अन्य मांसाहारी खाना

चिकन, अंडे, मीट, फिश और अन्य अनगिनत भोजन में ग्लूटेन नहीं होता है और ये जिंक और आइरन जैसे अनगिनत मिनरल और पोषक तत्व प्रदान करते हैं, जो कि माँ और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं। 

3. फल और सब्जियाँ

हरी पत्तेदार सब्जियों का चुनाव करें, क्योंकि इनमें आइरन और विटामिन ‘ए’ भरपूर मात्रा में होता है। फलों के सेवन से भी आपके शरीर के लिए आवश्यक विटामिन मिल जाते हैं। 

4. बीज और नट्स

अखरोट, बादाम और कई अन्य बीज ग्लूटेन रहित होते हैं, पर इनमें ओमेगा-3 एसिड होते हैं, जिन्हें शिशु के विकास के लिए अच्छा माना जाता है। इनमें मौजूद फाइबर कब्ज से राहत भी दिलाता है। 

5. साबुत अनाज

सबूत अनाज ग्लूटेन फ्री होते हैं और चावल, मक्का, सोया, सोरघूम एवं अन्य अनाज आपको गर्भावस्था के लिए जरूरी ताकत देते हैं। 

स्वस्थ गर्भावस्था के लिए टिप्स

जिन महिलाओं को ग्लूटेन सेंसिटिविटी की समस्या है, वे कुछ बातों को ध्यान में रख कर, बिना किसी फिक्र के स्वस्थ गर्भावस्था पा सकती हैं: 

  • शराब और सिगरेट से बिलकुल दूर रहें।
  • मानसिक शांति बनाए रखें और तनाव को कम करें।
  • हर प्रकार के सॉस और डिप से दूर रहें।
  • पेट साफ रखने के लिए पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें।
  • ग्लूटेन से मिलने वाले पोषक तत्वों को संतुलित रखने के लिए प्राकृतिक खाने का चुनाव करें।
  • गर्भावस्था की क्रेविंग को शांत करने के लिए ग्लूटेन-फ्री विकल्पों को चुनें।
  • फॉलिक एसिड और अन्य सप्लीमेंट्स को डॉक्टर के परामर्श के बाद ही लें।
  • ग्लूटेन-बेस्ड खाने से दूरी के प्रति बिलकुल स्ट्रिक्ट रहें।

ग्लूटेन के रिएक्शन के नतीजे किसी व्यक्ति को डराने के लिए काफी हैं, और शिशु के ऊपर इसके दुष्प्रभाव और भी ज्यादा खतरनाक हैं। ग्लूटेन-फ्री गर्भावस्था मील प्लान बनाना आपका सबसे पहला कदम होना चाहिए। इसे फॉलो करके आप गर्भावस्था के दौरान संभावित ज्यादातर दिक्कतों से बच सकती हैं। 

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पूजा ठाकुर

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