गर्भावस्था के दौरान शहद का सेवन – लाभ और दुष्प्रभाव

शहद न केवल चीनी का बेहतरीन विकल्प है बल्कि यह स्वादिष्ट भी होता है। इसमें विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सिडेंट और अमीनो एसिड भी पाए जाते हैं। शहद हजारों वर्षों से भोजन और चिकित्सा में उपयोग किया जाता रहा है। भारतीय व्यंजनों का यह एक आम घटक है और इसे माँ बनने वाली महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद माना जाता है।

शहद और गर्भावस्था

गर्भवती महिलाएं इस बात को लेकर अतिरिक्त सतर्क रहती हैं कि वे इस दौरान क्या खाएं व क्या न खाएं और वे विशेषकर खराब या अस्वास्थ्यकर भोजन को लेकर ज्यादा एहतियात बरतती हैं। शहद को जब एक बंद डिब्बे में संग्रहित किया जाता है, तो वह कई वर्षों तक ठीक रह सकता है, क्योंकि इसमें सूक्ष्मजीव विकसित नहीं होते हैं। इसके एंटी-माइक्रोबियल गुण हाइड्रोजन परॉक्साइड से आते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाकर संक्रमण से सुरक्षा करते हैं। इस प्रकार, गर्भावस्था के दौरान शहद का सेवन करने की पुरजोर सलाह दी जाती है।

क्या शहद का सेवन गर्भावस्था के दौरान अच्छा होता है?

क्या गर्भवती महिलाएं शहद खा सकती हैं? यह होने वाली माओं के बीच एक आम सवाल है। जवाब है ‘हाँ’, जब तक कि आपका चिकित्सक आपको इसका सेवन करने से मना नहीं करता।

गर्भावस्था के दौरान शहद का सेवन करने से संबंधित चिंता का सबसे बड़ा कारण यह है कि इससे ‘बोटुलिज़्म’ जैसी एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी होने का खतरा रहता है जो क्लाॅसट्रिडिया नामक एक हानिकारक जीवाणु के कारण दूषित शहद से होती है । तथापि इसके द्वारा प्रभावित होने की संभावना कम होती है, क्योंकि आपकी प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली इस संक्रमण से लड़ सकती है। गर्भावस्था के दौरान, गर्भनाल द्वारा जीवाणुओं को रोकने से इन जीवाणुओं या इनके विष का भ्रूण को प्रभावित करने का कोई खतरा नहीं होता। यह इन हानिकारक एंटिजन्स को बच्चे तक नहीं पहुँचने देता है और उसे किसी भी संभावित संक्रमण को होने से बचाता है।

शहद को आमतौर पर चीनी के एक बढ़िया विकल्प के रूप में अनुशंसित किया जाता है, और किसी को भी विवेकपूर्ण ढंग से इसका सेवन करने पर स्वास्थ्य पर कोई भी दुष्परिणाम होने की चिंता नहीं करनी चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान शहद के फायदे

शहद के औषधीय गुणों के कारण इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। इसके महत्व और फायदों के बारे में प्राचीन भारतीय शास्त्रों में भी लिखा गया है और यह भी बताया गया है कि गर्भावस्था के दौरान शहद का सेवन करने के कई लाभ हैं। यहाँ उसी का विस्तृत विवरण दिया गया है।

  • प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता है

इसके पोषण मूल्य, एंटीऑक्सिडेंट व एंटीबैक्टीरियल गुण संक्रमण से लड़ने और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखने के लिए मदद करते हैं। गर्भवती महिलाओं को इस नाजुक दौर में किसी भी तरह की बीमारी पैदा करने वाले घटकों को रोकने के लिए एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली की आवश्यकता होती है, क्योंकि किसी भी बड़ी जटिलता का आपके बच्चे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

  • गले की खराश और खांसी को दूर करता है

शहद, अगर अदरक या नींबू की चाय के साथ लिया जाए, तो इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण गले को आराम मिलता है। यह परंपरागत रूप से खांसी को कम करने और गले की खराश से जल्द उबरने में मदद करने के लिए जाना जाता है।

  • ठंड से लड़ता है

शहद के विषाणुरोधी और प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले गुणों के कारण इससे ठंड और बुखार बहुत जल्दी ठीक हो जाता है। गर्भवती महिलाएं विभिन्न रूपों में शहद ले सकती हैं, (जैसे चाय या गुनगुने पानी के साथ मिलाकर) ताकि उन्हें फ्लू न हो।

  • पेट के अल्सर को ठीक करता है

शहद के नियमित सेवन से पेट में अल्सर वाले जठरशोथ के रोगियों में तेजी से सुधार होता है। जठरशोथ (गैस्ट्राइटिस) – गर्भावस्था के दौरान होने वाली एक सामान्य बात है । यह विशेष रूप से ड्यूओडेनल अल्सर (पेप्टिक अल्सर का एक प्रकार) में प्रभावी है जो एच.पाइलोरी संक्रमण के कारण होता है। पेट का अल्सर बहुत खतरनाक हो सकता है क्योंकि वह पेट के स्तर को प्रभावित करता है, जो गर्भ के काफी करीब होता है, जहाँ आपका बच्चा मौजूद होता है।

  • अनिद्रा से राहत दिलाता है

अगर सोने से ठीक पहले दूध के साथ शहद का सेवन किया जाए तो यह सोने की गुणवत्ता को सुधारने का एक सुरक्षित तरीका हो सकता है, क्योंकि इसमें तनाव से राहत देने वाले गुण भी अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं। यह तनाव और अनिद्रा से पीड़ित महिलाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी है ।

  • एलर्जी से बचाता है

शहद की कुछ स्थानीय किस्मों में पॉलेन की उपस्थिति समय के साथ मौसमी एलर्जी के प्रतिरोध में भी सुधार करती है। शहद का नियमित सेवन शरीर को एंटीजन के खिलाफ बचाव करने में मदद करता है, जो गर्भावस्था के दौरान तकलीफें पैदा कर सकते हैं। हालांकि, अगर आपको पॉलेन से एलर्जी है, तो शहद का सेवन करने से पहले आपको अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

  • सिर की त्वचा को स्वस्थ रखता है

शहद के एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों के कारण, कहीं भी कटने पर, घाव होने पर व इसे लगाने से लाभ होता है। गर्म पानी में शहद मिलाकर लगाने से रूसी और सिर की त्वचा में खुजली से आराम मिलता है।

  • औषधीय गुण

शहद के कुछ प्रकार, जैसे कि न्यूजीलैंड में उत्पादित होने वाला मनुका शहद, जो मधुमक्खियों द्वारा देसी मकुना झाड़ी के सेवन से बनाया जाता है, उसमें उच्च उपचारात्मक गुण पाए जाते है। यह प्राकृतिक रूप से घावों, कवक संक्रमण और अन्य बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

गर्भवती महिलाओं को कितना शहद खाना चाहिए?

जैसा कि किसी भी चीज को हमेशा संतुलित मात्रा में खाना चाहिए, यही बात शहद का सेवन करते समय भी लागू होती है। इस बात का ध्यान रखें कि गर्भावस्था के दौरान आप कितने चम्मच शहद का सेवन कर रही हैं। दिन में तीन से पाँच बड़े चम्मच पर्याप्त होते हैं जिससे आपको 180 से 200 कैलोरी तक प्राप्त हो जाती है जो आपके लिए काफी है ।

ऐसा इसलिए क्योंकि शहद में शर्करा, फ्रक्टोज, ग्लूकोज और माल्टोज आदि अधिक मात्रा में पाया जाता और इसका एक चम्मच सेवन आपको लगभग 60 कैलोरी प्रदान करता है। गर्भावस्था के दौरान सामान्य चीनी से मिलने वाली कैलोरी 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए, जो लगभग 1800 से 2400 कैलोरी होती है। इसलिए पाँच छोटे चम्मच का सेवन करना ठीक है ।

गर्भावस्था में शहद के दुष्प्रभाव

हालांकि इसका उपयोग करना वैसे तो सुरक्षित है, लेकिन कुछ जगहों पर शहद के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। वो महिला जो गर्भवती है, उसे गर्भकालीन मधुमेह की जांच करवानी चाहिए । कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान गर्भकालीन मधुमेह हो जाता है और इसलिए उन्हें अपने रक्त शर्करा के स्तर पर निरंतर नजर रखनी पड़ती है। चूंकि शहद में ग्लूकोज होता है, इसलिए यह कार्बोहाइड्रेट और शर्करा की सूची में शामिल होता है और यही वजह है कि आपको इससे बचना चाहिए। यह नियम उन महिलाओं के लिए भी लागू होता है जिन्हें टाइप-2 मधुमेह है या वो इंसुलिन का प्रयोग करती हैं ।

हालांकि गर्भावस्था के दौरान शहद से एलर्जी नहीं होती है, इसका ज्यादा सेवन करने से पेट में ऐंठन, जठरांत्र मार्ग (गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल ट्रैक्ट) में जलन, दस्त, पेट फूलना और पेट खराब होना आदि  हो सकता है। यह सुनिश्चित कर लें कि आप जिस शहद का सेवन करती हैं, वह शुद्ध है और एक विश्वसनीय ब्रांड है। 

असली या शुद्ध शहद कैसे चुनें?

गर्भवती महिलाएं हमेशा संसाधित या कच्चे शहद का इस्तेमाल करें या न करें इस दुविधा में रहती हैं और उनका यही सवाल होता है कि क्या गर्भावस्था के दौरान कच्चा शहद सुरक्षित है?

कच्चा शहद अपाश्चुरीकृत होता है और यह उन सभी आवश्यक एन्जाइम्स, एंटीऑक्सिडेंट्स, खनिजों और यौगिकों को बनाए रखता है जिसकी वजह से शहद इतना फायदेमंद होता है। हालांकि, अपाश्चुरीकृत शहद का सेवन करने से थोड़ा खतरा रहता है क्योंकि इसमें पॉलेन, अशुद्धियां और संभावित रूप से हानिकारक रोगाणु पाए जाते हैं इसलिए आपको इसे किसी अच्छी जगह से खरीदना चाहिए।

शुद्ध शहद पाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप इसे सीधे मधुमक्खी पालन केंद्र से ही खरीदे। यदि संभव हो तो, कहीं से मनुका शहद मंगाएं, क्योंकि यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ औषधीय गुणों से भरा होता है जो आपके लिए लाभकारी होता है।

मिलावटी शहद में कॉर्न सिरप, स्टार्च फ्लोर, शुगर सिरप और अन्य पदार्थ, जो शुद्ध शहद के समान दिखाते हैं, लेकिन असली नहीं होते, मिले होते हैं। यदि आप शहद की गुणवत्ता को लेकर अनिश्चित हैं, तो यहाँ दिए तरीकों से घर पर इसका परीक्षण कर सकती हैं:

 

शुद्ध शहद मिलावटी शहद
चिपचिपाहट : यह उंगलियों के बीच रगड़ने पर चिपचिपा नहीं होता। मिलाई गई मिठास और अतिरिक्त मिलावट के कारण काफी चिपचिपा हो जाता है।
गाढ़ापन : यह चिपचिपा होता है और जार में डालने पर चारों ओर घुमाने में समय लगता है। यह हल्का होता है और जार में डालने पर आराम से चारों ओर घूम जाता है।
पानी में घुलने में समय लेता है, और थोड़ी देर हिलाने के बाद नीचे बैठ जाता है। पानी में आसानी से घुल जाता है।
इसमें पॉलेन और अन्य अशुद्धियां पाई जाती हैं । इसमें अशुद्धियां नहीं पाई जाती हैं और यह साफ दिखता है ।
इसे ब्लॉटिंग पेपर पर डालने से यह इसे आसानी से अवशोषित नहीं करता है। यह ब्लॉटिंग पेपर पर आसानी से अवशोषित हो जाता है।

 

अच्छे ब्रांड के शहद अपाश्चुरीकृत होते हैं और हर किसी के लिए सुरक्षित होते हैं। जैविक शहद प्रसंस्कृत नहीं होता है इसलिए इसके अधिकांश पोषक तत्व बरकरार रहते हैं।

शहद का सेवन करते समय आपको ये सावधानियां बरतनी चाहिए

  • इसे गर्म पानी में मिलाने से बचें क्योंकि यह इसके कुछ उपयोगी एन्जाइम्स और पोषक तत्वों को नष्ट कर सकता है।
  • विटामिन ‘सी’ और ‘डी’ से भरपूर खाद्य पदार्थ जब शहद के साथ लिए जाते हैं, तो यह शहद में मौजूद पोषक तत्वों के असर को कम कर देते हैं।
  • बीन कर्ड के साथ शहद मिलाकर खाने से यह अपचन की समस्या पैदा कर सकता जिससे आपका पेट खराब हो सकता है इसलिए इसे एक साथ नहीं लिया जाना चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान अपने स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता किए बिना आप मीठा खाने के प्रति अपना प्रेम बनाए रख सकती हैं, बस बताई गई सावधानियों पर अमल करते हुए अपने आहार में शहद शामिल करें और इससे मिलने वाले पोषक तत्वों का लाभ उठाएं ।

समर नक़वी

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

4 days ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

4 days ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

4 days ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

6 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

6 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

6 days ago