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गर्भावस्था का अनुभव हर दंपति के लिए कुछ खास ही होता है। खुशी और उत्साह के साथ, बच्चे का आना शारीरिक, आर्थिक और भावनात्मक तनाव भी ला सकता है। इस दौरान आप महसूस कर सकती हैं कि आपके साथी और आपके बीच सामान्य से अधिक विवाद होते होंगे। पति-पत्नी के बीच लड़ाई होना आम बात है, लेकिन आपको पता होना चाहिए कि आप दोनों के बीच असहमति या वाद-विवाद आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है, आइए जानते हैं कैसे;
आप यह सोचकर अधिक परेशान हो सकती हैं कि गर्भावस्था के दौरान पति से लड़ना गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत को प्रभावित कर सकता है। पति या किसी से भी लड़ाई करना चिंता व डिप्रेशन का कारण बनता है और यह आपके बच्चे को नुकसान पहुँचा सकता है। गर्भावस्था के दौरान वाद-विवाद बच्चे को उसके मस्तिष्क से लेकर इम्यून सिस्टम तक प्रभावित करता है, इसके कुछ प्रभाव इस प्रकार हैं;
गर्भावस्था के दौरान चीखना और चिल्लाना कम करें। क्रोध आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के मानसिक विकास को रोकता है। यह न केवल बच्चे के आईक्यू को ही प्रभावित करता है बल्कि जन्म के बाद भावनाओं को प्रबंधित करने की उसकी क्षमता को भी प्रभावित करता है। गर्भावस्था के दौरान अधिक तनाव होने से बच्चों में एंग्जायटी होने की संभावना होती है और उनमें एक बड़ा अमिगडल होता है, जो बच्चे के दिमाग में डर की भावनाओं को उत्तेजित करने के लिए जिम्मेदार होता है।
हाथापाई या शारीरिक रूप से लड़ाई गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान पहुँचा सकती है। इससे स्टिलबर्थ या भ्रूण की मृत्यु का खतरा सबसे ज्यादा होता है। गर्भावस्था के दौरान शारीरिक शोषण के कारण बच्चे का वजन कम हो सकता है, शारीरिक चोट लग सकती है और ब्लीडिंग भी हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान पति या किसी से भी झगड़ा करते समय या बाद में आपका तनाव बढ़ता है जिससे आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के इम्यून सिस्टम पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे उसे भविष्य में बीमारी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
गुस्सा हमारे हार्ट रेट व ब्लडप्रेशर के साथ एड्रेनालाईन व एपिनेफ्रिन को बढ़ाता है जिससे तनाव में भी वृद्धि होती है और इसके परिणामस्वरूप ब्लड वेसल सिकुड़ जाते हैं। ब्लड वेसल के सिकुड़ने से गर्भाशय में ऑक्सीजन की कमी होती है और गर्भ में पल रहे बच्चे तक खून की आपूर्ति में भी कमी हो जाती है। यह अल्सर, अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर (हाईपरटेंशन), हृदय की समस्या, सिरदर्द, त्वचा में विकार और पाचन समस्याओं का भी कारण बन सकता है।
गर्भावस्था के दौरान लड़ने के साथ-साथ अनियंत्रित क्रोध और अपराध, भावनात्मक और शारीरिक शोषण और अन्य हिंसक व्यवहारों के बीच एक सीधा संबंध है। भविष्य में ज्यादा गुस्सा करने या लड़ने वाली महिलाओं में वह सभी आदतें पड़ जाती हैं जो उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं, जैसे कि धूम्रपान, अत्यधिक शराब पीना और अधिक भोजन करना (ओवर-ईटिंग)।
वैसे तो सभी दंपति अलग होते हैं और अक्सर उनके पास लड़ने के अपने कारण भी होते हैं । ऐसे अनेक नाजुक विषय हैं जो पति और पत्नी के बीच बहस को बढ़ा सकते हैं, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं;
एक बार जब आप गर्भवती हो जाती हैं, तो सब कुछ आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के हिसाब से होता है और ऐसा होना ठीक भी है। इसलिए कई पति ऐसा महसूस करते हैं कि अब उनकी पत्नी किसी और चीज के बारे में बात ही नहीं करती हैं और यह उनके बीच लड़ाई का कारण हो सकता है। दूसरी तरफ, ऐसा भी हो सकता है कि पति को कई काम हो और वह डॉक्टर के साथ अपॉइंटमेंट जैसी आवश्यक चीजों के लिए भी समय न निकाल पाता हो जिससे दोनों के बीच वाद-विवाद हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान पति से आपकी लड़ाई पैसों के कारण भी हो सकती है। बेशक आप दोनों को ही इस बात का स्पष्ट अंदाजा नहीं होगा कि आपका खर्च कितना बढ़ चुका ह। इससे खर्च और बचत के बारे में आप दोनों की राय में बहुत बड़ा अंतर हो सकता है।
बच्चे का नामकरण करना एक बहुत बड़ी बात है और अधिकांश दंपति एक ऐसा नाम चुनना चाहते हैं जो बच्चे के लिए अनोखा, सार्थक और सही हो। यदि आपके परिवार में बच्चे के नाम को लेकर कई राय और सलाह हैं तो ऐसे में उसका एक नाम निश्चित कर पाना बड़ा कार्य हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में भावनात्मक परिवर्तन और मूड स्विंग होते हैं जो पति के साथ बहस का कारण बन सकते हैं। ये परिवर्तन एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन के स्तर में तीव्र बदलाव के कारण होते हैं। एक गर्भवती महिला का चीखना, चिल्लाना या लड़ाई करना हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था में महिलाओं को तनाव से ऐंठन, सिरदर्द, मतली और स्लीप एपनिया हो सकता है। इससे समय से पहले डिलीवरी या प्री-मैच्योर डिलीवरी भी हो सकती है। गर्भवस्था की पहली तिमाही में लड़ाई करने से आपको डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन भी हो सकता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान शांति बनाए रखने के लिए अपने पति के साथ झगड़ा करने से बचें।
गर्भावस्था के दौरान एक अच्छी पार्टनरशिप होना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस अवधि में हॉर्मोनल परिवर्तन, अनिद्रा, एनर्जी की कमी और महिलाओं के शरीर के आकार में बदलाव के अलावा एक दंपति के जीवन का पूरी तरह से बदल जाता है। ये परिवर्तन मजबूत रिश्तों को भी प्रभावित करते हैं जिसके कारण पारिवारिक संबंधों में तर्क-वितर्क सामान्य से अधिक बढ़ सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान पति से झगड़ा करने से बचने के लिए यहाँ कुछ प्रभावी टिप्स दिए हुए हैं, आइए जानते हैं;
इस समय एक पति अपनी गर्भवती पत्नी की तारीफ में यह कह सकता है कि वह इतनी सारी चीजों को कितनी अच्छी तरह से व्यवस्थित (मैनेज) कर रही है या वह गर्भ में पल रहे बच्चे की देखभाल के लिए पत्नी को धन्यवाद भी दे सकता है। दूसरी ओर, पत्नी अपने पति को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी तारीफ कर सकती है। इससे लड़ाई कम होती है।
वाद-विवाद या तर्क-वितर्क करने से बचें, यह साथी को समझने में आपकी मदद कर सकता है। घर के नियमित कार्यों में एक-दूसरे की सहायता करें, ताकि आप दोनों को आराम करने का अधिक समय मिल सके।
गर्भावस्था के दौरान कई अनजान चीजों को लेकर डर लगता है। इस अवधि में अक्सर महिलाएं डिलीवरी और पेरेंटिंग के बारे में चिंतित हो सकती है। जबकि, पति को अक्सर पैसों, जिम्मेदारियों इत्यादि से जुड़ी चिंताएं हो सकती हैं। प्रेगनेंसी की प्लानिंग करने से आपको एक दूसरे को समझने में मदद मिल सकती है।
कुछ ऐसी मजेदार चीजें या कोई एक्टिविटी करें जो आपको बेहतर महसूस करने में मदद कर सकती हैं। इस दौरान आप योग या मेडिटेशन ग्रुप जॉइन कर सकती हैं जिसमें आपको अपने जैसे लोगों से मिलने, उनसे बात करने और उन्हें जानने का मौका मिल सकता है। व्यायाम करना आपको शारीरिक और मानसिक रूप से तनावमुक्त रखता है।
पति-पत्नी के बीच कभी-कभी झगड़े होना एक आम बात है और इससे कोई नुकसान भी नहीं होता है। पर गर्भावस्था के दौरान ज्यादा वाद-विवाद से बचना चाहिए क्योंकि इससे आप पर और आपके बच्चे पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान लड़ाई झगड़ों को खत्म करने और इस अवधि को शांत व सहज बनाने के लिए कुछ टिप्स और मेडिकल थेरेपी की मदद ली जा सकती है।
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