गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान झींगा मछली खाना चाहिए या नहीं?

मछली खाने का शौक रखने वालों का झींगा मछली एक पसंदीदा व्यंजन होता है, इसे कई नामों से जाना जाता है, जैसे प्रॉन्स, श्रिंप, चिंगड़ी मछली इत्यादि। इसके कुछ खास रेसिपीज हैं जैसे – झींगा करी, झींगा फ्राई, बटर गार्लिक झींगा, झींगा बिरयानी, पेप्पर झींगा, इसकी सूचि बहुत बड़ी है – क्या आपको भी स्वादिष्ट झींगा मछली खाने की तीव्र इच्छा हो रही है? इसे खाने से पहले यह जानना आवश्यक है कि झींगा मछली से कुछ लोगों को एलर्जी भी होती है और यदि आप गर्भवती हैं तो जरूर आप यह सोच रही होंगी कि क्या गर्भावस्था के दौरान झींगा मछली खाना चाहिए या नहीं।

गर्भावस्था के दौरान झींगा मछली खाना चाहिए?

वैसे तो गर्भावस्था के दौरान कुछ समुद्री मछलियों से परहेज करना चाहिए किंतु यदि झींगा मछली को स्वच्छ जगह से पकड़ा हो और अच्छे से पकाया गया हो तो गर्भावस्था में इसे खाना सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान अपने आहार में खाद्य पदार्थों को संयमित मात्रा में शामिल करना ही अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है। इस समय अधिक मात्रा में झींगा मछली का सेवन करना या इसे खाते समय कुछ सावधानियों का पालन न करने से आपकी गर्भावस्था में इसके कुछ प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं। संदेह में रहने से अच्छा है कि आप गर्भावस्था के दौरान कोई भी आहार खाने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें।

गर्भावस्था के दौरान झींगा मछली खाने के स्वास्थ्य लाभ

स्वादिष्ट होने के साथ साथ, गर्भवती महिलाओं के लिए झींगा मछली मिनरल और विटामिन से भरपूर खाद्य पदार्थ है, इसके अन्य कुछ स्वास्थ्य लाभ इस प्रकार हैं;

प्रोटीन से भरपूर

झींगा मछली में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है जो आपकी गर्भावस्था के लिए फायदेमंद हो सकता है। प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करते हैं और जिससे गर्भावधि मधुमेह (जेस्टेशनल डयबिटीज) भी नियंत्रण में रहती है। प्रॉन्स अर्थात झींगा मछली में कैलोरी और फैट कम होता है जिससे यह मांसपेशियों में अच्छी वृद्धि में मदद करती है।

विटामिन से भरपूर

झींगा मछली में विटामिन ‘डी’, विटामिन ‘बी12’, आयरन, जिंक, कोलिन, आयोडीन, कॉपर और फॉस्फोरस उच्च मात्रा में मौजूद होता है। यह खाद्य पदार्थ इम्युनिटी को बढ़ाने में, थाइराइड के कार्य में और मस्तिष्क विकास के साथसाथ हड्डियों और दाँतों के विकास में मदद करता है।

अन्य पोषक तत्वों से भरपूर

झींगा मछली में अन्य पोषक तत्व भी होते हैं जो हमारे शरीर में सरलता से अवशोषित हो जाते हैं और शरीर को खुद की सुरक्षा और ठीक करने के लिए आवश्यक हैं। सेलेनियम एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है जो कोशिकाओं की क्षति को कम करने में मदद करता है और कैंसर के कुछ मामलों में सुरक्षा प्रदान करता है। एमिनो एसिड नई कोशिकाओं का निर्माण करने और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को ठीक करने में मदद करता है और एसटैक्सेंथिन में एंटी-इंफ्लेमटरी और एंटी-एजिंग गुण मौजूद हैं। झींगा मछली इन सभी पोषक तत्वों से परिपूर्ण है।

कैलोरी में कम

गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ वजन बढ़ना और पर्याप्त मात्रा में पोषण प्राप्त करना आवश्यक होता है। झींगा मछली में कैलोरी की मात्रा कम होती है और इसलिए यह बिना अनावश्यक फैट का सेवन किए पोषण प्राप्त करने का स्वास्थ्यप्रद और बेहतरीन विकल्प है।

ओमेगा-3 से भरपूर

झींगा मछली में प्रचुर मात्रा में फैटी एसिड पाया जाता है। शोध के अनुसार यह भ्रूण की आँखों के विकास और तंत्रिका कनेक्शन के विकास में मदद करता है।

क्या गर्भावस्था में झींगा मछली नहीं खाना चाहिए?

जैसा कि हमने अभी चर्चा की है कि गर्भावस्था के दौरान झींगा मछली खाने से अनेक स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। हालांकि इससे पहले डॉक्टर से झींगा मछली या किसी भी सीफूड को खाने से संबंधित खतरों के बारे में चर्चा कर लें। यदि आपको अब भी संदेह है तो पहले थोड़ाथोड़ा खाएं और देखें इसके विपरीत आपका शरीर कोई प्रतिक्रिया करता है या नहीं। फिर आपका आहार इसके अनुसार ही बदला जा सकता है। किसी भी स्थिति में संयमित रूप से आहार का सेवन करने का अभ्यास करें और अत्यधिक मात्रा में बिलकुल भी न खाएं। यदि झींगा मछली खाने से आपके शरीर में कोई भी प्रतिक्रिया नहीं होती है तो यह आपके व आपके शिशु के लिए अधिक स्वास्थ्यप्रद और पौष्टिक आहार होगा।

गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं को झींगा मछली से एलर्जी होने का खतरा हो सकता है। गर्भावधि में झींगा से होने वाले कुछ खतरे निम्नलिखित दिए हुए हैं, आइए जानते हैं;

  • कोलेस्ट्रॉल: झींगा मछली में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी अधिक होती है। यदि आपके कोलेस्ट्रॉल का स्तर उच्च है तो झींगा मछली आपके और आपके गर्भस्थ शिशु के लिए सुरक्षित नहीं है।
  • एलर्जी: यदि आपको सीफूड से एलर्जी है तो झींगा मछली से दूर रहने की सलाह दी जाती है। यह पेट में दर्द, खुजली, चकत्ते और सूजन जैसी प्रतिक्रियाओं का कारण बन सकता है।
  • मरकरी (पारा) पोइजनिंग: यदि आपने गंदे जल से निकाली हुई झींगा मछली का सेवन किया है तो जल प्रदूषण और विषाक्त रसायन के बढ़ते स्तर के कारण आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। झींगा मछली अपने शरीर में प्रदूषकों को अवशोषित कर सकती है। समुद्री झींगा मछली में उच्च मात्रा में मरकरी मौजूद हो सकता है जो आपके गर्भस्थ शिशु के तंत्रिका तंत्र के विकास में प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। दूषित नदियों या झील के पानी में पॉलीक्लोरिनेटेड बाइफिनाइल का स्तर अधिक होता है जो शिशु और माँ के स्वास्थ्य खतरों को बढ़ा सकता है।
  • संक्रमण: हमेशा यह सलाह दी जाती है कि आप गर्भावस्था के दौरान पकी हुई झींगे मछली ही खाएं। कच्ची या आधी पकी हुई मछली अत्यधिक हानिकारक होती है और इससे स्वास्थ्य के प्रति अनेक खतरे हो सकते हैं, जैसे ब्लड पॉइजनिंग, फूड पॉइजनिंग या शिशु को अन्य हानिकारक संक्रमण भी हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान झींगा मछली खाने के कुछ टिप्स

झींगा मछली हमेशा भरोसेमंद और विश्वसनीय जगह से ही खरीदें। सुनिश्चित करें कि यह मछली मोटी और चिकनी हो, बेरंग या सिकुड़ी आँखों वाले झींगे न खरीदें।

  • गर्भावस्था के दौरान कच्चा सीफूड बनाने या खाने से बचें, जैसे शुशी। यदि ड्राइड झींगों को पूरी तरह से साफ करके अच्छी तरह से पकाया गया है तो गर्भावस्था के दौरान इसे खाना सुरक्षित है।
  • यदि आपके पास ताजे झींगों का विकल्प नहीं है तो अच्छी गुणवत्ता के फ्रोजन झींगों का विकल्प चुनें और पकाने से पहले डिफ्रॉस्ट कर दें।
  • सुनिश्चित करें कि आप इसे पकाने से पहले अच्छी तरह से साफ कर लें। आपके इसे इसके शेल के साथ और बिना शेल के भी पका सकती हैं।
  • इन्हें अच्छी तरह साफ करके पकाएं। अच्छी तरह से पके हुए झींगे के शेल लाल दिखते हैं और मांस सफेद और अपारदर्शी दिखते हैं। पकाने से पहले आप इसे लगभग 10 मिनट तक गुनगुने नमकीन पानी में भिगो सकती हैं और बाद में फिर अच्छी तरह से धो लें।
  • रेस्टोरेंट में सी फूड खाने से बचें।
  • झींगों को स्टीम करके भूनें और अच्छी तरह से पकाएं।

अगर झींगा मछली एक विश्वसनीय जगह से खरीदा जाता है और संयमित मात्रा में खाया जाता है तो गर्भावस्था में इससे कोई भी परेशानी नहीं आएगी। यदि इसे खाने से आप असुविधा या एलर्जी का अनुभव करती हैं तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

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सुरक्षा कटियार

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