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महिलाओं के जीवन में गर्भावस्था एक ऐसी परिस्थिति है जो उनकी शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए इस दौरान केसर के सेवन पर जोर दिया जाता है क्योंकि यह सकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा देता है और यह ऐसे औषधीय गुणों से परिपूर्ण है जो गर्भावस्था के लक्षणों से निजात पाने में भी मदद करता है। केसर में मौजूद अनेक गुण चिंता, तनाव व पेट दर्द जैसी समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। केसर में मौजूद औषधीय गुणों के कारण अक्सर गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन की सलाह दी जाती है। हालांकि, अन्य सामग्रियों की तरह केसर का अत्यधिक मात्रा में सेवन भी आपकी गर्भावस्था में अनेक समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। केसर के लाभ, हानि व अन्य जानकारियों के लिए यह लेख पूरा पढ़ें।
क्रोकस सैटाइवस के फूल की वर्तिकाग्र जिसे स्त्रीकेशर भी कहते हैं और जिसका आकार एक धागे की तरह होता है उसे केसर कहा जाता है। प्रत्येक फूल में केवल 3 केसर पाए जाते हैं और लगभग 14,000 केसर के धागों को एकत्रित करके इसकी मात्रा 1 पाउंड (0.454 किलोग्राम) होती है। इन छोटे-छोटे केसर के धागों की खेती करने के लिए बहुत से किसानों को अत्यधिक श्रम और मेहनत की आवश्यकता होती है तब जाकर यह दुनिया का सबसे महंगा मसाला बनता है।
केसर की खेती ज्यादातर मध्य पूर्व और भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में होती है और भारत में यह फूल सिर्फ जम्मू-कश्मीर में पाया जाता है। इस अद्भुत मसाले को अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है, जैसे सैफरन, केसर, कूंग, जाफरान या कुमकुमपोवु।
केसर को ‘लाल सोना’ भी कहा जाता है क्योंकि यह सिर्फ व्यंजन में अद्भुत स्वाद व सुगंध ही नहीं जोड़ता बल्कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी ठीक करने में मदद करता है, जैसे पाचन संबंधी समस्याएं। केसर युक्त भोजन में पाया जाने वाला पीला-नारंगी रंग इसमें मौजूद कैरोटीनॉइड वर्णक क्रोकेटिन का परिणाम है।
केसर का उपयोग त्वचा के उपचार के लिए अनेक सौंदर्य क्रीम में किया जाता है क्योंकि इसमें चिकित्सीय गुण और सौम्यता प्रदान करने वाले तत्व हैं। केसर त्वचा को प्राकृतिक सुंदरता व चमक प्रदान करता है और साथ ही त्वचा को एक समान बनाए रखने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण, यह आयुवृद्धि की प्रक्रिया को भी धीमा करता है। ऐसा भी माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान केसर का सेवन करने से बच्चे का रंग गोरा होता है।
हाँ, केसर में अनेक औषधीय गुण होने के कारण गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन सुरक्षित माना जाता है। यह तनाव को दूर करता है, शरीर में दर्द, स्वभाव में उतर-चढ़ाव और गर्भावस्था से संबंधित असुविधाओं को दूर करने में मदद करता है। लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन करने पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है। यह संकुचन को प्रेरित कर सकता है और समय से पूर्व प्रसव का कारण बन सकता है। केसर को अपने आहार में शामिल करते समय ध्यान रखने योग्य कुछ सावधानियां इस प्रकार हैं:
केसर में अत्यधिक औषधीय गुण होते हैं इसलिए गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन करने की सलाह दी जाती है और यह आवश्यक भी है। इसका सबसे प्राथमिक लाभ यह है कि इसके गुण पाचन संबंधी समस्याओं को खत्म करने में मदद करता है। गर्भावस्था के दौरान केसर का सीमित मात्रा में सेवन करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
गर्भावस्था आपके शरीर के कई हार्मोन परिवर्तनों को प्रेरित करती है और इसका आपकी भावनाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। मनोदशा में उतार-चढ़ाव के कारण आप किसी पल में चिड़चिड़ी हो सकती हैं तो किसी पल में अत्यधिक नाराज व भावुक भी हो सकती हैं। ऐसे समय में, केसर आपकी मदद कर सकता है। यह एक डिप्रेशन-रोधी के रूप में कार्य करता है और आपके मस्तिष्क के रक्तप्रवाह को बढ़ाता है। केसर के सेवन से सेरोटोनिन हार्मोन का उत्पादन होता है जो आपकी मनोदशा को बेहतर बनाने में मदद करता है।
गर्भावस्था के दौरान एक महिला की हृदय गति 25% तक बढ़ सकती है, जिससे रक्तचाप में उतार-चढ़ाव हो सकता है। केसर में पोटेशियम और क्रोकेटिन होते हैं जो आपके रक्तचाप को कम करने में मदद करते हैं, गर्भावस्था के दौरान यह गुण फायदेमंद होते हैं।
गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस से आपको अक्सर सुस्ती और थकान महसूस होती है। गुनगुने पानी में केसर मिलाकर पीने से मतली व चक्कर से राहत मिलती है।
गर्भावस्था के दौरान अधिकांश महिलाओं के पेट में दर्द होता है, पाचन धीमा हो जाता है और इससे राहत पाने के लिए गर्भवती महिलाओं को कुछ उत्तेजक कारकों की आवश्यकता होती है। केसर को आपके पाचन तंत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है और साथ ही यह आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करता है जिसके परिणामस्वरूप बेहतर पाचन में मदद मिलती है। केसर पाचन नलिका में एक सुरक्षात्मक आवरण का गठन करता है, एसिडिटी को शांत करने में मदद करता है और सूजन के प्रभाव को भी कम करता है।
एक गर्भवती महिला शुरुआत में हल्की ऐंठन से लेकर प्रसव से पूर्व तक गंभीर ऐंठन का अनुभव करती है। गर्भावस्था के दौरान गर्भ में शिशु का स्थान बनाने के लिए हड्डियों और मांसपेशियों में खिंचाव और परिवर्तन होता है और इससे पेट व श्रोणि के जोड़ों में दर्द एवं ऐंठन हो सकती है। केसर एक प्राकृतिक दर्द निवारक है, यह उन मांसपेशियों को आराम देता है, जो पेट दर्द से राहत देने और ऐंठन को शांत करने में मदद करती हैं।
केसर हृदय रोगों के लिए चमत्कारी रूप से प्रभावी है। गर्भावस्था के दौरान एक महिला अपनी बढ़ती भूख को कम करने के लिए अत्यधिक मात्रा में वसायुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करती है। यह उनके हृदय वाहिका तंत्र को अत्यधिक प्रभावित करता है। केसर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, क्रोसेटिन और पोटैशियम शारीरिक ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं।
गर्भावस्था के दौरान उच्च मात्रा में आयरन-युक्त आहार का सेवन करने की सलाह दी जाती है क्योंकि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आयरन की अधिक आवश्यकता होती है। केसर में आयरन की अत्यधिक मात्रा होती है और यह हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने व रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है।
केसर में मौजूद एंटी-इन्फलामेट्री गुण नाक के जमाव को कम करता है और यह फेफड़ों की सूजन को कम करने में भी मदद करता है। इसके परिणामस्वरूप आपको सांस लेने में दिक्कत नहीं होगी। केसर, गर्भवती महिलाओं में अवरुद्ध फेफड़ों व वायु-नली को ठीक करके अस्थमा की समस्याओं को रोकने में मदद करता है।
गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोन में बदलावों के कारण अक्सर बाल झड़ते हैं। बालों के झड़ने को रोकने के लिए ज्यादातर गर्भवती महिलाएं केसर, मुलैठी व दूध के मिश्रित पेस्ट को लगाना पसंद करती हैं। केसर में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट के गुण बालों को पोषित करते हैं और उन्हें मजबूत बनाते हैं।
जैसे-जैसे गर्भावस्था बढ़ती है, गर्भवती महिलाओं के लिए अपने बढ़े हुए पेट के साथ सोते समय करवट लेना या हिलना भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है, बदलते हॉर्मोन के प्रभावों का सामना करना पड़ता है। इन सभी कारकों की वजह से क्रैम्प, दर्द व असुविधा होती है। ऐसे समय पर आप केसर वाली चाय ले सकती हैं। केसर में मौजूद सिडेटिव गुण आपकी नींद को बेहतर बनाते हैं और आपको आरामदायक महसूस करने में मदद करते हैं। दूध में केसर मिलाकर पीने से नींद में अत्यधिक सुधार आता है और यह हड्डियों में खिंचाव के कारण असुविधा को कम करता है।
कई महिलाओं का दावा है कि केसर का सेवन करने से उन्हें त्वचा की सामान्य समस्याओं को कम करने में मदद मिलती है। इनमें फुंसी निकलना, झाइयां और मुंहासे भी शामिल हैं जो गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होते हैं। केसर ब्लड प्यूरीफायर के रूप में भी अधिक प्रभावी है और इसलिए यह रक्त में अशुद्धियों के कारण होने वाली त्वचा की समस्याओं का एक प्रभावी समाधान है।
गर्भावस्था के दौरान ज्यादातर इम्यून सिस्टम में अधिक प्रभाव पड़ता है जिस वजह से आप संक्रमण और एलर्जी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो सकती हैं। केसर में मौजूद एंटी-इन्फलामेट्री गुण व अन्य गुणों की मदद से आप खांसी, अस्थमा, एलर्जी व नाक में जमाव से निजात पा सकती हैं। इसके अलावा केसर और चंदन का पेस्ट लगाने से बुखार भी ठीक हो सकता है।
आयुर्वेदिक शोधों के अनुसार केसर आपके शारीरिक तापमान में वृद्धि भी कर सकता है। यह आपके गर्भ में पल रहे शिशु की गतिविधियों को उत्तेजित करने में मदद करता है। गर्भ में पल रहे बच्चे की गतिविधियों को महसूस करना एक आनंदमयी अनुभव है।
गर्भावस्था के दौरान हार्मोन प्रवाह अक्सर मसूड़ों में सूजन का कारण बनता है। पिसे हुए केसर से मसूड़ों की हल्की मालिश करने से अत्यधिक आराम मिलता है।यह मसूड़ों की सूजन और संवेदनशीलता को कम करने में मदद करता है।
अच्छी दृष्टि के लिए केसर को बहुत फायदेमंद माना जाता है। गर्भावस्था के दौरान केसर का सेवन अक्सर दृष्टि में सुधार करने में मदद करता है, खासकर मोतियाबिंद के मामले में।
केसर में मौजूद पोटैशियम, गुर्दे को स्वस्थ रखने में मदद करता है क्योंकि इसमें प्रयाप्त इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखता है। जो लोग पोटेशियम-युक्त आहार का सेवन करते हैं उनकी हड्डियों के घनत्व और ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करता है। गर्भवती महिलाओं के लिए केसर अत्यधिक प्रभावी हर्ब है क्योंकि इस औषधीय जड़ी-बूटी में फोलिक एसिड, नियासिन, राइबोफ्लेविन, थायमिन, विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ मौजूद हैं।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में कैल्शियम की उच्च मात्रा में कमी होती है क्योंकि उनके शरीर में मौजूद कैल्शियम की मात्रा का उपयोग शिशु की वृद्धि के लिए होता है। कैल्शियम की हानि हड्डियों के घनत्व को कम करती है और हड्डियों को नाजुक व कमजोर बनाती है। इस दौरान महिलाओं के दाँतों का कैल्शियम भी कम होने लगता है, जिससे दाँतों में सड़न उत्पन्न होने लगती है । ऐसी परिस्थितियों में हड्डियों और दाँतों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए, केसर का सेवन बहुत फायदेमंद हो सकता है।
माना जाता है कि केसर भूख बढ़ाने में मदद करता है और पाचन तंत्र को ठीक रखता है। फिर भी, यह सलाह दी जाती है कि गर्भावस्था के दौरान केसर का सेवन शुरू करने से पहले आप अपने प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ से परामर्श करें।
दूसरी तिमाही से लगभग पांचवें माह के बाद, केसर का उपयोग करने की सलाह दी जाती है और यह सुरक्षित माना जाता है। गर्भावस्था के दौरान केसर का सेवन कितना, कैसे व कब करें इस बारे में डॉक्टर आपको पूर्ण जानकारी दे सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान केसर खाने से शरीर में गर्मी बढ़ जाती है जिसके परिणामस्वरूप गर्भाशय के संकुचन की आवृत्ति बढ़ती है। इसलिए रात के समय इसे खाने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि इस समय आपके शरीर में बहुत सारी प्रक्रियाएं चलती हैं।
माना जाता है कि केसर संकुचन प्रेरित करता है और इसका गंभीर प्रभाव गर्भपात भी हो सकता है। चिकित्सक यह सलाह देते हैं कि केसर का सेवन प्रतिदिन 10 ग्राम से ज्यादा नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से केसर से अत्यधिक खतरा हो सकता है। यह गर्भ में पल रहे शिशु को प्रभावित करके पूर्व अवधि प्रसव पीड़ा या गर्भपात का कारण बन सकता है।
हालांकि, इसमें पोषक तत्व उच्च मात्रा में मौजूद हैं और गर्भवस्था के दौरान इसके नुकसान या प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए केसर का सेवन कब करें, इसके बारे में उचित जानकारी होना आवश्यक है।
आप जानती ही हैं कि गर्भावस्था के दौरान सीमित मात्रा में केसर का सेवन करना सुरक्षित है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को केसर का सेवन करने की पूर्ण जानकारी होना अत्यधिक आवश्यक है। केसर को मुख्य रूप से दो प्रकार में लिया जा सकता है;
घर में केसर इस्तेमाल करने का यह सबसे सामान्य तरीका है। केसर के धागों को हल्का सा हाथों से मसलकर उसे पानी या दूध में मिलाकर लगभग 10 से 15 मिनट के लिए भिगोया जाता है फिर उसे किसी रेसिपी में मिलाया जाता है।
केसर का यह रूप पौष्टिक सूप और सलाद की ड्रेसिंग में उपयोग के लिए सबसे उपयुक्त है। आप अपनी हाथों से केसर के धागों को तोड़कर सीधे विभिन्न व्यंजनों में उपयोग कर सकती हैं।
यदि आप सोच रही हैं कि गर्भावस्था के दौरान केसर कैसे खाया जाए, तो चिंता न करें क्योंकि इसके सेवन के बहुत सारे तरीके हैं। केसर भारतीय व्यंजनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि इसका उपयोग कई व्यंजनों जैसे खीर, लस्सी, बिरयानी और कई अन्य पारंपरिक मिठाइयों में किया जाता है। यहाँ बताया गया है कि गर्भावस्था के दौरान केसर का सेवन कैसे करें, आइए जानते हैं;
आपके शिशु की वृद्धि और विकास के लिए कैल्शियम अत्यधिक महत्वपूर्ण है। गर्भावस्था के पांचवें महीने में प्रवेश करने के बाद आप दूध में थोड़ा सा केसर मिलाकर ले सकती हैं। अन्यथा, आप बादाम, पिस्ता और केसर के धागों को पीसकर, इसके मिश्रण को दूध में मिलाकर सुबह व शाम के समय ले सकती हैं।
स्वाद बढ़ाने के लिए सूप और चावल के व्यंजनों में केसर मिलाया जा सकता है। रंग और स्वाद प्रदान करने के लिए केसर के दो से तीन धागों का उपयोग पर्याप्त है।
आप बस एक गिलास पानी में केसर के कुछ धागों को मिलाकर ले सकती हैं, यह आपके पाचन में मदद करता है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के लिए यदि केसर अत्यधिक फायदेमंद है तो इसके बहुत से नुकसान भी है। केसर का अधिक मात्रा में सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इससे गर्भाशय में संकुचन होता है और निम्नलिखित परेशानियां हो सकती हैं:
केसर शरीर की गर्मी और तापमान को बढ़ाता है जिससे गर्भाशय संकुचन में वृद्धि होती है। इससे गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में गर्भपात हो सकता है। गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही केसर का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
कई मामलों में, गर्भवती महिलाओं को केसर का सेवन करने पर तनाव, सूखा मुँह, मतली और सिरदर्द का अनुभव होता है। यदि आप ऐसी समस्याओं का सामना कर रही हैं, तो अच्छा होगा कि आप केसर के सेवन से बचें।
गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं को केसर से उल्टी भी हो सकती है। उल्टी न केवल आपको तकलीफ देती है, बल्कि आपको और आपके शिशु को आवश्यक पोषक तत्वों से वंचित करती है। इसलिए सुनिश्चित करें कि केसर के सेवन से आप पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े । यदि आपको इससे किसी भी प्रकार की समस्या, एलर्जी या इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तो केसर का सेवन करना तुरंत बंद कर दें।
केसर का अत्यधिक सेवन करने से इससे पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है। यदि किसी ने 12 ग्राम के बराबर या उससे अधिक केसर का सेवन किया है तो केसर से पॉइजनिंग हो सकती है। केसर से पॉइजनिंग होने के विभिन्न लक्षण हो सकते हैं, जैसे त्वचा, आँखों व म्यूकस मेम्ब्रेन में पीलापन, सुन्न पड़ना, मल अथवा नाक से खून आना, होठों फटकर खून निकलना इत्यादि।
केसर का अधिक सेवन गर्भाशय को उत्तेजित करता है, जो संकुचन की आवृत्ति को बढ़ा सकता है। इससे समय से पूर्व प्रसव हो सकता है।
केसर में मौजूद सिडेटिव गुणों के कारण इसके अत्यधिक सेवन से चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
केसर को अधिक मात्रा में लेने से अक्सर शरीर में विषाक्त प्रतिक्रियाएं होती हैं जिसके परिणामस्वरूप पीलिया, रक्तस्राव और डायरिया हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के पेशाब या रल मल में रक्त, चिंताजनक समस्या हो सकती है। गर्भावस्था में आपको अधिक मात्रा में केसर का सेवन करने से यह समस्या होने की संभावना बढ़ सकती है।
बाजार में अक्सर मिलावट वाली केसर मिलती है जो गर्भवती महिलाओं व उनके शिशु के लिए अत्यधिक हानिकारक हो सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि केसर असली हो और केवल विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त किया जाए। गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित रूप से केसर का सेवन करने के लिए, कुछ निम्नलिखित बातों को ध्यान रखें:
स्थानीय दुकानें में केसर खुला हुआ भी बिकता है। गर्भावस्था के दौरान एहतियात के तौर पर, डिब्बों में पैक किया वाला ही केसर खरीदना सर्वोत्तम है।
केसर खरीदने से पहले, पैकेट की समाप्ति तिथि की जांच अवश्य करें और सुनिश्चित करें कि यह एक प्रमाणित मार्क हो।
आप केसर के रंग से ही इसकी शुद्धता व मिलावट का पता लगा सकती हैं। शुद्ध केसर रक्तिम लाल रंग का होता है और इसका अग्रभाग नर्म व नारंगी-लाल रंग का होता है। जबकि, यदि केसर पूरी तरह से गहरे लाल रंग का होता है, तो यह संभवतः नकली या मिलावटी है।
केसर का वर्गीकरण उनके रंग के आधार पर किया जाता है। उच्च कोटि के केसर का रंग गहरा होता है और इसकी कीमत अत्यधिक होती है। इसके अलावा केसर की श्रेणी जितनी उच्च होती है, उसमें सुगंध भी उतनी ही अच्छी पाई जाती है। आप विक्रेता से केसर की वर्गीकरण के बारे में पूछताछ कर सकती हैं ताकि आप उपलब्ध सर्वोत्तम केसर का चयन कर सकें।
सुनिश्चित करें कि आपके द्वारा खरीदे गए केसर में कोई भी पीले या सफेद रंग के धागे नहीं हैं। यदि ऐसा होता है, तो इसका मतलब है कि केसर में मिलावट है जिसका निर्माण फूल के अन्य भागों के साथ किया गया है।
केसर को पाउडर के बजाय इसे धागे के रूप में खरीदें क्योंकि पाउडर बनाते समय केसर में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण कम हो जाते हैं। धागों के रूप में केसर की शुद्धता हो जांचना भी सरल हो जाता है। आप केसर की शुद्धता को जांचने के लिए इसके कुछ धागों को गुनगुने पानी में डाल दें। शुद्ध केसर का रंग निकलने में 10 से 15 मिनट लगते हैं और अशुद्ध केसर का रंग पानी या भोजन की ग्रेवी में जाते ही निकलने लगता है।
केसर के पोषक तत्वों को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए इसे ठीक से स्टोर करना अत्यधिक आवश्यक है। केसर का मूल्य अत्यधिक होता है इसलिए आप इसकी गुणवत्ता को बचाए रखने के लिए इसे अच्छी तरह से स्टोर करना चाहेंगी। इसे एक एयरटाइट कंटेनर में रखकर किसी ठंडी जगह व सूर्य की किरणों से दूर रखें। यह केसर के स्वाद व गुणवत्ता को लगभग 6 महीने तक बचाए रखने में मदद करता है। केसर को सुरक्षित रखने के लिए आप इसे फॉयल में बंद कर सकती हैं। एयरटाइट कंटेनर को फ्रिज में रखना सबसे सर्वोत्तम विकल्प है। केसर को नमी के वातावरण से सुरक्षित रखने के लिए इसके नीचे थोड़ी चीनी रख दें। यदि केसर को ऊपर दिए हुए तरीके से स्टोर किया जाए तो आप इसका लगभग 3 वर्षों तक उपयोग कर सकती हैं।
विभिन्न गुणों से भरपूर केसर को गर्भावस्था के दौरान आहार में शामिल करने अत्यधिक लाभदायक है। डॉक्टर की मदद से आपको इसे कितनी मात्रा में लेना चाहिए और इसके क्या दुष्प्रभाव है, इन सबकी जानकारी प्राप्त हो सकती है। केसर का सेवन संयमित मात्रा में करें और इससे मिलने वाले लाभों का फायदा उठाएं।
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