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जब आप प्रेग्नेंट होती हैं, तो आपको हर दिन कई तरह की चीजें खाने का मन होता है। आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि आप जो भी कुछ खाती हैं, वह आपके बच्चे के लिए भी अच्छा हो। इसी वजह से ज्यादातर प्रेग्नेंट महिलाएं अपने खाने की आदतों के बारे में बहुत सचेत रहती हैं।
अगर आपको मीट खाना बहुत पसंद है, तो इसे छोड़ना बहुत ही मुश्किल होगा। जब आप प्रेग्नेंट होती हैं, तो आप अक्सर यह सोचती होंगी, कि आपको मीट खाना चाहिए या नहीं। अपनी इस दुविधा को दूर करने के लिए इस लेख को पढ़ें।
हां, प्रेग्नेंट महिलाएं मीट खा सकती हैं। बल्कि, मीट में अधिक मात्रा में प्रोटीन होने के कारण प्रेग्नेंट महिलाओं को इसके सेवन की सलाह भी दी जाती है। फिर भी एक बात है, जिसका आपको ध्यान रखना चाहिए। अगर आप कम पका हुआ या पिसा हुआ मीट खाती हैं, तो यह आपके और आपके बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है।
प्रेगनेंसी के दौरान अधिक मात्रा में मीट खाने से या कच्चा मीट खाने से कुछ खतरे हो सकते हैं। यह आपको कैसे नुकसान पहुंचा सकता है, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
पैकेट वाले मीट में बैक्टीरिया होने की बहुत संभावना होती है, जिसके कारण लिस्टेरिया नामक इंफेक्शन हो सकता है। इस तरह की समस्याएं आगे चलकर मेनिनजाइटिस, पेट संबंधी समस्याएं या खून में इन्फेक्शन तक भी जा सकती हैं। एक अध्ययन से यह पता चला है, कि प्रेग्नेंट महिलाओं को लिस्टेरियोसिस के चपेट में आने की 17% संभावना होती है।
चाहे लैम्ब, पोर्क हो या वेनिसन मीट, अगर मीट अच्छी तरह से पका हुआ ना हो, तो टॉक्सोप्लास्मोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। कम पके हुए मीट को खाने से बचें, क्योंकि टॉक्सोप्लास्मोसिस आपके बच्चे तक भी पहुंच सकता है और यह स्थिति बिल्कुल भी सही नहीं है।
प्रेगनेंसी के दौरान जो प्रेग्नेंट महिलाएं अधिक मात्रा में रेड मीट का सेवन करती हैं, उनमें जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भकालीन मधुमेह) होने की संभावना बन जाती है। ऐसी परिस्थिति में आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। अगर आप स्वास्थ्य संबंधी इस परेशानी पर ध्यान ना दें, तो आपका बच्चा मोटापे या टाइप टू डायबिटीज से ग्रसित हो सकता है।
कुछ मछलियां ऐसी होती हैं, जिनसे फूड प्वाइजनिंग होने की संभावना हो सकती है। अगर आप प्रेग्नेंट हैं, तो आपको नन-स्मोक्ड फिश, शार्क और कच्ची शेलफिश का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
नीचे दिए गए टिप्स के द्वारा आपको स्वास्थ्य की नजर से बेहतर विकल्प को चुनने में मदद मिलेगी।
मीट, सी-फूड या पोल्ट्री को काटने से पहले या बाद में अपने हाथ धोना ना भूलें। साथ ही इस्तेमाल किए गए बर्तनों को भी अच्छी तरह से धोएं, ताकि उनमें रहने वाले बैक्टीरिया अच्छी तरह से खत्म हो जाएं।
मीट और खाने की अन्य चीजों को सही दूरी पर रखना जरूरी है। इससे किसी बैक्टीरिया को फल, सब्जियों, सलाद आदि जैसे दूसरे खाने में पहुंचने से बचाया जा सकता है। मीट को सबसे नीचे वाले शेल्फ में रखना चाहिए, ताकि उसमें से कुछ टपक कर किसी पके हुए खाने में ना जा सके।
बेहतर यह होगा, कि जब तक मीट को पकाना नहीं है, तब तक उसे फ्रिज में रखें। चाहे कुछ भी हो जाए, विपरीत परिस्थितियों से बचने के लिए यह आपको जरूर करने चाहिए।
जैसा कि पहले भी बताया गया है, कि प्रेग्नेंट महिला को कच्चा मीट खाने की बिल्कुल मनाही है। इसलिए, किसी भी तरह के मीट को अच्छी तरह से पकाएं।
मीट को काटना आरामदायक बनाने के लिए, जिन सामग्रियों का उपयोग होता है, उन्हें मैरिनेड कहते हैं। उन्हें एक से ज्यादा बार इस्तेमाल करने से बचें, क्योंकि उनमें खतरनाक बैक्टीरिया पैदा हो सकते हैं।
ताजे प्री-स्टफ़्ड पोल्ट्री में बैक्टीरिया पनपने की संभावना ज्यादा होती है और ऐसा उसमें मौजूद कच्चे मीट के रस के कारण होता है। इसलिए हमेशा बेहतर ऑप्शन चुनें, जैसे कि – फ्रोजन प्री-स्टफ़्ड पोल्ट्री।
आपका मीट अच्छी तरह से पका है या नहीं, यह जानने के लिए एक फूड थर्मामीटर का उपयोग किया जा सकता है। अगर आपका बीफ, पोर्क या लैम्ब लगभग 145 डिग्री फॉरेनहाइट के तापमान पर है, तो इतना काफी है। इसके अलावा, आप रंग देखकर भी पता कर सकते हैं, कि आपका मीट अच्छी तरह से पका है या नहीं। अगर आपका मीट बीच में से गुलाबी नहीं दिख रहा है, तो इसका मतलब वह अच्छी तरह से पक गया है।
एक प्रेग्नेंट महिला को डेली मीट या लंच मीट नहीं खाना चाहिए, जब तक कि वह 165 डिग्री फॉरेनहाइट पर अच्छी तरह से स्टीम न किया गया हो। इसी तरह से स्मोक्ड मीट और खुद क्योर किए गए मीट के साथ भी यही बात है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि ऐसे मीट में बैक्टीरिया पनपने की संभावना और भी ज्यादा होती है और फ्रिज में रखने के बाद भी ये बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं। इसलिए स्टीमिंग सबसे विश्वसनीय तरीका है।
ग्रिल्ड या ब्लैकेंड मीट कभी-कभार खाने के लिए ठीक है, पर अगर आपको ऐसे मीट बहुत ज्यादा पसंद है और आप बार-बार इसे खाती हैं, तो इससे आपको कैंसर जैसी भयानक बीमारी भी हो सकती है। क्योंकि फ्राई या ग्रिल करने से हेटेरोसाइक्लिक एमाइन्स नामक कैंसर पैदा करने वाले एसिड का निर्माण हो सकता है।
अगर आप का मीट अच्छी तरह से पका हुआ है, तो लाइवस्टॉक से मीट खाने में कोई नुकसान नहीं है, जिन्हें एंटीबायोटिक दिया गया है। नुकसान की बात सिर्फ इतनी ही है, कि इस तरह की मीट में वैसे बैक्टीरिया हो सकते हैं जिन पर एंटीबायोटिक का कोई असर नहीं होता।
आपकी प्रेगनेंसी पर मीट खाने का क्या प्रभाव पड़ सकता है, इसके बारे में जानकारी को देखते हुए अब आपको यह समझ आ गया होगा, कि आपको किस तरह का मीट खाना चाहिए।
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