In this Article
गर्भावस्था के दौरान कभी-कभी नींद पूरी करना मुश्किल हो जाता है। नींद न आने के कुछ कारण बहुत चिंताजनक नहीं होते हैं, लेकिन कुछ कारण गंभीर हो सकते हैं जिसमें आपको मेडिकल हेल्प लेने की आवश्यकता हो सकती है। ज्यादातर स्लीप डिसऑर्डर तब होता है जब शरीर में मेलाटोनिन लेवल का उतार-चढ़ाव देखा जाता है। मेलाटोनिन एक हार्मोन है जो मानव शरीर में पाया जाता है और यह आपको बेहतर नींद लेने में मदद करते हैं। जिन लोगों को सोते समय परेशानी होती है या सोने के लिए उन्हें हमेशा सप्लीमेंट लेना पड़ता है। इस लेख में आपको गर्भावस्था के दौरान मेलाटोनिन लेना से जुड़ी सभी जानकारी दी गई है, जैसे क्या यह आपके लिए सुरक्षित है सुरक्षित है, इसके फायदे और साइड इफेक्ट्स क्या हैं।
मेलाटोनिन एक हार्मोन है जो आपकी नींद के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होता है और शरीर द्वारा नेचुरल तरीके से प्रोड्यूस होता है। हालांकि, जो लोग नींद न आने की समस्या से पीड़ित हैं, उनकी नींद में सुधार लाने के लिए उन्हें अक्सर मेलाटोनिन सप्लीमेंट लेने की सलाह दी जाती है।
प्रेगनेंसी और डिलीवरी के दौरान एक महिला का शरीर में अधिक मात्रा में मेलाटोनिन का उत्पादन करता है। मेलाटोनिन एमनियोटिक फ्लूइड में भी पाया जाता है और गर्भावस्था के शुरूआती चरणों में बच्चे को माँ से मेलाटोनिन सप्लाई की आवश्यकता होती है।
मेलाटोनिन और ऑक्सीटोसिन यह दोनों लेबर प्रक्रिया को बढ़ावा देते हैं। चूंकि मेलाटोनिन लेवल रात में अधिक होता है, इसलिए ज्यादातर महिलाओं को या तो बिलकुल सुबह लेबर पेन शुरू होता है या देर शाम को।
मेलाटोनिन एक गर्भवती महिला के ओवरी और प्लेसेंटा द्वारा पर्याप्त मात्रा में प्रोडूस होता है। इस हार्मोन का उत्पादन 24 सप्ताह में शुरू होता है और गर्भावस्था के 32 सप्ताह बाद यह और बढ़ने लगता है। इस प्रकार, प्रेगनेंसी के दौरान एक गर्भवती महिला का शरीर पहले से ही पर्याप्त मात्रा में मेलाटोनिन प्रोड्यूस कर रहा होता है, तो गर्भवती महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान मेलाटोनिन लेना चाहिए या नहीं इस बात पर अभी भी डिबेट जारी है। गर्भावस्था के दौरान मेलाटोनिन सप्लीमेंट लेना सुरक्षा है, इस बात का ठीक से कोई सबूत नहीं पाया गया है। कम मात्रा में और कुछ समय के लिए मेलाटोनिन सप्लीमेंट लेना सुरक्षित माना जाता है, लेकिन लंबे समय तक इसे जारी रखना आपके लिए परेशानी का कारण साबित हो सकता है। आपको इसे केवल तब ही लेना चाहिए, जब आपके डॉक्टर इसे लेने की सलाह देते हैं।
जैसा कि ऊपर भी कहा गया है, गर्भावस्था के दौरान मेलाटोनिन की कम डोज कम समय के लिए लेना चाहिए। प्रेगनेंसी के दौरान मेलाटोनिन की अनुशंसित डोज 1 मिलीग्राम से 3 मिलीग्राम के बीच होती है। हालांकि, आपको इसे खुद से नहीं लेना चाहिए। इस बात का खयाल रखें की बिना डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के यह दवा बिलकुल न लें। यदि आपको लो ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मिर्गी, हाई ब्लड प्रेशर या ऐसी कोई अन्य बीमारी है तो आपको गर्भावस्था के दौरान मेलाटोनिन लेने से यह परेशानी और भी बढ़ सकती है। जैसा कि पहले भी बताया गया है प्रेगनेंसी के दौरान मेलाटोनिन केवल तभी लेना चाहिए जब आपके डॉक्टर इसे लेने की सलाह दें।
मेलाटोनिन का गर्भाशय में मौजूद बच्चे पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। यहाँ आप और आपके बच्चे के लिए मेलाटोनिन के कुछ लाभ बताए गए हैं:
बच्चे के लिए:
माँ के लिए:
हालांकि, कम मात्रा में मेलाटोनिन का सेवन सुरक्षित माना जाता है और इससे आपको कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं होता है, लेकिन अगर इसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है तो आप पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है:
अधिक मात्रा में मेलाटोनिन का सेवन करने से साइड-इफेक्ट हो सकते हैं जैसे कि एब्नार्मल हार्टबीट, अग्रेशन, हार्ट रेट बढ़ना, मूड स्विंग, मतली, रैशेस, थकान, याददाश्त कमजोर पढ़ना, आदि। इसलिए आपको मेडिसिन के फायदे नुकसान के बारे में आपको अपने डॉक्टर से पूछना चाहिए।
प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोनल उतार-चढ़ाव कॉमन हैं और इसकी वजह से आपके शरीर में कई सारे बदलाव होते हैं। हालांकि, शरीर में अत्यधिक मेलाटोनिन होने से भी ऐसे ही लक्षण दिखाई देते सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन से जुड़े लक्षणों में मुँहासे, हॉट फ्लैशेस, आँखों की रौशनी में बदलाव आना आदि शामिल है, इसलिए, यदि गर्भवती महिला मेलाटोनिन ले रही है, तो डॉक्टर उनके हार्मोन पर नजर बनाए रखते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि आपके शरीर में होने वाले बदलावों का असली कारण जाना जा सके कि क्या यह मेलाटोनिन के कारण हो रहा है या हार्मोन के कारण।
मेलाटोनिन आपके शरीर के शुगर लेवल और ब्लड प्रेशर को प्रभावित कर सकता है और इन दोनों कंडीशन के कारण गर्भावस्था के दौरान गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसलिए, यदि आप मेलाटोनिन सप्लीमेंट ले रही हैं, तो आपका डॉक्टर ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल की जाँच करने के लिए आपकी हेल्थ चेक करते रहेंगे।
जब बात हेल्थ की आती है, तो नेचुरल तरीके को अपनाना बहुत जरूरी होता है और जब आप गर्भवती होती हैं तो यह और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है। हालांकि मेलाटोनिन सप्लीमेंट से आपको निश्चित रूप से नींद आती है, लेकिन यहाँ आपकी बेहतर नींद के लिए और मेलाटोनिन लेवल बढ़ाने के लिए कुछ नेचुरल तरीके बताए गए हैं।
खुद को खुश और तनावमुक्त रखकर आप अपने स्ट्रेस को कम कर सकती हैं। ऐसा करने के लिए आप कोई अच्छा सा म्यूजिक सुनें या फिर स्ट्रेस दूर करने के लिए कोई योगा करें। स्ट्रेस न केवल आपके लिए बल्कि आपके बच्चे के लिए भी हानिकारक है।
आप बिस्तर पर जाने के लिए खुद को मेंटली और फिजिकली तौर से तैयार करें। वार्म बाथ लें, नाइट ड्रेस पहनें, और हर रात एक ही समय पर सोने के लिए बिस्तर पर जाने की कोशिश करें। देर तक जागने से बचे इससे आपकी नींद का रूटीन खराब हो सकता है।
अलार्म की तेज आवाज से उठने के बजाय आप हलकी और रिलैक्सिंग ट्यून से जागने की कोशिश करें। चूंकि प्रेगनेंसी के दौरान पहले ही सोना मुश्किल होता है और तेज अलार्म की आवाज से उठने से आपकी परेशानी और बढ़ सकती है।
सोने से पहले गुनगुने पानी से स्नान करने से आपको बेहतर नींद लेने में मदद मिलती है। यह आपके शरीर से स्ट्रेस को दूर करने और आपको रिलैक्स करने में मदद करता है। आप कुछ लाइट और सॉफ्ट म्यूजिक सुनते हुए स्नान करें, इससे आपको और अच्छा महसूस होगा।
बहुत ज्यादा तापमान होने के कारण आपकी नींद खराब हो सकती है। इसलिए, एक अच्छी नींद लेने के लिए अपने कमरे के तापमान को आरामदायक रखना जरूरी है।
हर रात बिस्तर पर जाने से पहले अपना दिमाग को पूरी तरह से रिलैक्स करें। सोने से एक घंटे पहले आपको अपने फोन, टेलीविजन या कंप्यूटर का उपयोग नहीं करना चाहिए। यह आपके दिमाग को शांत करेगा और बेहतर नींद ले सकेंगी।
हैवी मील, विशेष रूप से कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाने से आपको असहज और बेचैनी महसूस हो सकती है। सोने से कम से कम दो से तीन घंटे पहले आपको भोजन कर लेना चाहिए। इसके अलावा, कैफीन युक्त पेय का सेवन न करें क्योंकि यह आपकी नींद को खराब कर सकता है।
कुछ खाद्य पदार्थ से शरीर में मेलाटोनिन का उत्पादन होता है और गर्भवती महिलाओं के लिए हेल्दी फूड एक अच्छा ऑप्शन होता है। आपको अपने आहार में नट्स, साबुत अनाज और हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल करना चाहिए।
बॉडी मसाज से आपके शरीर को आराम देने का एक शानदार तरीका है। लेकिन ध्यान रहे कि आप मसाज किसी एक्सपर्ट से ही कराएं।
मेलाटोनिन का उपयोग नींद की परेशानी को दूर करने के लिए किया जाता है और गर्भावस्था के दौरान मेलाटोनिन की कम डोज लेना आपके लिए सुरक्षित होता है। हालांकि, आपको अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही मेलाटोनिन लेना चाहिए।
यह भी पढ़ें:
क्या प्रेगनेंसी के दौरान बायोटिन लेना चाहिए?
जैसे हिंदी भाषा में बच्चों को सबसे पहले ‘वर्णमाला’ सिखाया जाता है वैसे ही गणित…
हिंदी की वर्णमाला में उ अक्षर का महत्वपूर्ण स्थान है। यह अक्षर बच्चों के लिए…
हिंदी की वर्णमाला में 'ई' अक्षर का बहुत महत्व है, जिसे 'बड़ी ई' या 'दीर्घ…
जैसे-जैसे डिलीवरी की तारीख नजदीक आती है, गर्भवती महिला की चिंता और उत्तेजना बढ़ती जाती…
आमतौर पर जोड़ों की बीमारियां बड़ों में देखने को मिलती हैं, लेकिन ये समस्याएं बच्चों…
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…