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प्रेगनेंसी के दौरान न केवल आपका पेट बढ़ता है बल्कि आपके पैरों और पंजों में भी सूजन आने लगती है। लगभग हर गर्भवती महिला को सूजन के साथ दर्द का अनुभव होता है, जो कई बार काफी तेज हो जाता है। प्रेशर पॉइंट को दबाने से आपको दर्द से कुछ राहत तो मिल सकती है, लेकिन मसाज के साथ आपको ज्यादा रिलैक्स महसूस होगा। लेकिन क्या यह मसाज आपके लिए फायदेमंद है या फिर जोखिम भरा? यह जाने के लिए लेख पढ़ें।
प्रेगनेंसी के दौरान कई महिलाएं पेडीक्योर फूट मसाज की मदद से पैरों के दर्द से राहत पाने की कोशिश करती हैं, खासकर यह जानने के बाद कि गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से मालिश की जाती हैं। हालांकि, इसे किसी मेडिकल अथॉरिटी द्वारा स्वीकृत नहीं किया गया, इसलिए इससे होने लाभ पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता है। कई स्पा में गर्भवती महिलाओं को नहीं लिया जाता है और कई डॉक्टर आपको मसाज थेरापिस्ट को रिकमेंड भी नहीं करते हैं।
लेकिन एक अनुभवी और पेशेवर व्यक्ति से प्रेगनेंसी मसाज कराना आपके लिए ज्यादा सुरक्षित होगा और साथ ही साथ यह आपको आवश्यक लाभ भी पहुँचाएगा। मसाज करने वाले पेशेवर को इसके लिए खास ट्रेनिंग दी जाती है और उन्हें इसकी सही जानकारी होती है कि कहाँ मसाज करना है और किन क्षेत्रों में मसाज करने से बचना है।
गर्भावस्था के दौरान पैरों की मालिश करने से आपको कई फायदे होते हैं। जिनमें से कुछ आपको नीचे बताए गए हैं:
अगर गर्भावस्था की तीसरे तिमाही के दौरान पैरों की मालिश ठीक से की जाए तो यह आपको बहुत फायदा पहुँचाता है। सही मसाज ऑयल और मसाज तकनीक का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है। यहाँ कुछ फूट मसाज की टिप्स दी गई है जिसका पालन आप अपनी केयरटेकर या पार्टनर से करने के लिए कहें।
पैरों की मालिश कराने से आपको बहुत ज्यादा राहत मिलती है, लेकिन पैरों की मालिश करने से जुड़े कुछ जोखिम भी है। यहाँ आपको मसाज से होने वाले कुछ जोखिम के बारे में बताया गया है, जिस पर आपको ध्यान देना की जरूरत है।
यह आमतौर पर क्लॉट बन जाने के कारण होता है। इसे ज्यादातर पैरों में देखा जाता है, यह ब्लड क्लॉट किसी एक ऐसी वेन में होता जो पैर में काफी अंदर होती है या फिर यह कई वेंस में भी हो सकता है। इसकी वजह से पैरों में काफी सूजन आ जाती है और तेज दर्द भी अनुभव होता है। कई महिलाओं को यह समस्या केवल एक ही पैर में होती है, जिससे इसका निदान करना आसान होता है।
इस तरह के मामलों में फूट मसाज जानलेवा हो सकती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि नसों पर किसी भी दबाव के कारण ब्लड क्लॉट, वेन वॉल से ढीला पड़ने लगता है और सर्कुलेटरी सिस्टम के जरिए पूरे शरीर में जाने लगता है। फेफड़ों तक पहुँचने से, यह क्लॉट ब्लड फ्लो को ब्लाक कर देता है और इसकी वजह से एम्बोलिज्म सहित कई तरह के कॉम्प्लिकेशन पैदा हो सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान होने वाली सूजन को एडिमा के रूप में भी जाना जाता है। इसके कारण गर्भाशय का आकार बढ़ जाता है और हार्मोनल चेंजेस भी होने लगते हैं। इन दोनों ही कारणों से नसें प्रभावित होने लगती है जिससे नॉर्मल ब्लड सर्कुलेशन में बांधा आती है। यही कारण है कि एक मालिश से आपको राहत मिलती है क्योंकि यह सूजन को कम करता है और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने में मदद करता है।
लेकिन अगर सूजन वाले हिस्से पर दबाव डालने से गड्ढे बनते हैं, तो यह एक पीटिंग एडिमा
के होने का संकेत हो सकता है। आपको तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए है, क्योंकि यह डीवीटी या प्री-एक्लेमप्सिया के होने का भी संकेत हो सकता है।
पैर के तीन प्रमुख क्षेत्र हैं, जहाँ मसाज करने से बचना चाहिए, खासतौर पर जब किसी गर्भवती महिला को फूट मसाज दिया जा रहा हो।
गर्भावस्था के दौरान रिलैक्सेशन के लिए फूट मसाज बेहतरीन काम करता है। गर्भावस्था के दौरान आप एक रिफ्लेक्सोलॉजी फूड मसाज भी करा सकती हैं, बस इस बात का खयाल रखें कि जिन क्षेत्रों में मसाज के लिए मना किया गया है उनसे बचें और मसाज के लिए हल्के प्रेशर का इस्तेमाल करें। रेगुलर फूट मसाज कराने से यह आपका मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है और प्रेगनेंसी में होने वाले स्ट्रेस को दूर करता जिससे आप और आपका बच्चा दोनों अच्छा महसूस करते हैं।
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