पाइल्स या बवासीर गर्भावस्था के दौरान पैदा होने वाली परेशानियों में से एक है। पाइल्स में, गुदा और उसके आसपास के जगह की नसों में सूजन होती है। ये सूजी हुई शिराएं शरीर के अंदर और बाहर दोनों तरफ हो सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान पाइल्स होने पर अत्यधिक दर्द और परेशानी हो सकती है, लेकिन अच्छी बात यह है कि इसके ज्यादातर मामलों में इसका प्राकृतिक रूप से घर पर ही इलाज किया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय बवासीर हो सकता है, लेकिन अधिकांश गर्भवती महिलाओं को यह उनकी तीसरी तिमाही के दौरान होता है। यहाँ गर्भावस्था के दौरान बवासीर के लिए कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं जो राहत प्रदान कर सकते हैं:
सेब रेशा (फाइबर) का एक अच्छा स्रोत है, सेब में मौजूद फाइबर कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में प्रभावी होते हैं । सेब को उसके छिलके के साथ खाने से पाइल्स से छुटकारा पाने में मदद मिलती है और आपको यह सलाह दी जाती है कि आप गर्भावस्था के दौरान पाइल्स को दूर रखने के लिए नियमित रूप से सेब या सेब के रस का सेवन करें।
गर्भावस्था में केला खाने से बहुत फायदा होता है। यह बेहतरीन फल न केवल फोलिक एसिड, पोटेशियम और विटामिन बी 6 का एक समृद्ध स्रोत है, बल्कि यह भ्रूण के तंत्रिका तंत्र के विकास के लिए भी बेहद फायदेमंद है। इसके अलावा केले में पेक्टिन – जो फाइबर का एक प्रकार है और आपके पाचन तंत्र को बेहतर करता है, भी बहुत अच्छी मात्रा में होता है। गर्भावस्था के दौरान बवासीर को रोकने के लिए केले का नियमित रूप से सेवन किया जाना चाहिए।
ब्रोकोली विटामिन और खनिज पदार्थ से भरपूर होती है। इसमें विटामिन ‘सी’, कैल्शियम, आयरन, फोलिक एसिड और बीटा-कैरोटीन तत्व पाए जाते हैं। ब्रोकोली में प्रचुर मात्रा में विटामिन होने के साथ-साथ फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट में भी बहुत होता है। गर्भावस्था के दौरान पाइल्स को दूर रखने के लिए आप ब्रोकोली को सूप के रूप में, तल कर या फिर भाप में पका कर इसका सेवन कर सकती हैं । ब्रोकोली आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ रखती है और यह गर्भावस्था में खाया जाने वाला एक लाभदायक आहार है।
यह खट्टा फल पोषण प्रदान करने का एक अद्भुत स्रोत है, इसमें विटामिन ‘सी’, विटामिन ‘ए’, कैल्शियम और फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इस खट्टे फल में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के कारण यह प्राकृतिक तरीके से गर्भवती महिलाओं के लिए बवासीर का इलाज करने के लिए एक आदर्श उपाय माना जाता है। संतरा रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में भी सहायक होता है, खासकर यदि आप गर्भावधि मधुमेह से पीड़ित हैं।
नारियल के तेल में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और यह उन गर्भवती महिलाओं को काफी राहत दे सकता है जो पाइल्स से पीड़ित हैं। रूई के फाहे को नारियल के तेल मे भिगो लें और इसे प्रभावित जगह पर अच्छे से लगाएं। मल त्याग के तुरंत बाद नारियल तेल लगाना सबसे अच्छा होता है। आप प्रभावित स्थान पर नारियल का तेल रोजाना दो से तीन बार लगा सकती हैं।
गुनगुने पानी के स्नान या सिट्ज स्नान से बवासीर के कारण होने वाली जलन, खुजली और दर्द से राहत मिलती है। आप दिन में दो बार 15-20 मिनट के लिए टब बाथ करें और पाइल्स से प्रभावित क्षेत्र को पानी में भिगोए रखें। फिर नर्म वॉशक्लॉथ या तौलिये से उस क्षेत्र को थपथपा कर सुखाएं, क्योंकि किसी भी प्रकार के गीलेपन या नमी के कारण जलन या खुजली बढ़ सकती है। आप बवासीर के लिए हल्की एंटीसेप्टिक क्रीम भी लगा सकती हैं जो आपको राहत प्रदान करने में मदद करेगी।
कद्दू बीटा-कैरोटीन, फोलेट, मैग्नीशियम, आयरन, विटामिन बी 6 और विटामिन ई जैसे कई आवश्यक पोषक तत्वों का बड़ा स्रोत होता है और गर्भावस्था के दौरान बवासीर को खत्म करने में मदद करता है। कद्दू एक कमाल की सब्जी है जिसे कई तरीकों से पकाया और खाया जा सकता है। आपको जो तरीका सबसे ज्यादा पसंद है कद्दू को वैसा बनाएं।
गर्भवती महिला नाशपाती खाकर फाइबर, फोलेट, विटामिन ‘सी’ और पोटेशियम जैसे तत्वों की अच्छी खुराक प्राप्त कर सकती है। गर्भावस्था के दौरान नाशपाती खाने से न केवल पाइल्स की तकलीफ कम करने में मदद मिलती है, बल्कि यह गर्भावस्था के दौरान होने वाली अन्य परेशानियों जैसे उच्च रक्तचाप, शरीर के अंगों और चेहरे का सूजना आदि समस्या को दूर करने में भी मदद करता है।
अपने आहार में बीन्स को शामिल करके आप गर्भावस्था के दौरान पाइल्स पर नियंत्रण रख सकती हैं। बीन्स के सभी प्रकार गर्भावस्था के दौरान पाइल्स से छुटकारा दिलाने में प्रभावी रूप से मदद करते हैं। बीन्स में फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो गर्भावस्था के दौरान बवासीर के लिए सबसे अच्छा हर्बल उपचार है। बीन्स में मौजूद रेशा रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने में भी मदद करता है और गर्भावधि मधुमेह को रोकने के लिए बहुत अच्छा होता है।
शकरकंद अपने रेचक (लैक्सेटिव) गुणों के लिए जाना जाता है। यह फाइबर से समृद्ध होता है और वसा और कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। वे गर्भवती महिलाएं जोपाइल्स का घरेलू उपचार ढूंढ रही हैं, उनके लिए यह उपाय आदर्श रूप से काम करता है। यदि आप मधुमेह के रोगी नहीं है, तो विटामिन ‘सी’ और अमीनो एसिड जैसे तत्व पाने के लिए आप रोजाना शकरकंद का सेवन करें, यह आपके पाचन में सहायता करता है। हालांकि, ध्यान रखें कि इसको दिन में 100 ग्राम से अधिक खाने से शरीर में सूजन, मोटापा और शर्करा का स्तर बढ़ सकता है।
गर्भावस्था के दौरान बवासीर से राहत के लिए आप उन खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकती हैं जो बायोफ्लेवोनोइड्स से भरपूर होते हैं। नींबू, संतरा, पका पपीता, ब्रोकोली और स्ट्रॉबेरी आदि कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनमें प्रचुर मात्रा में बायोफ्लेवोनॉइड्स पाया जाता है। हालांकि दवाओं से भी बवासीर को ठीक किया जा सकता है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान प्राकृतिक तरीके से इससे छुटकारा पाना ज्यादा बेहतर विकल्प होगा, क्योंकि यह आपके और आपके शिशु के लिए सुरक्षित होता है।
पाइल्स के लिए आइस पैक का का उपयोग करना सबसे आसान और सस्ते प्राकृतिक उपचारों में से एक है। एक नर्म, साफ कपड़ा लें, इसमें कुछ बर्फ के टुकड़े रखें और धीरे से इसे प्रभावित जगह पर रखें। खुजली, दर्द और सूजन को कम करने में बर्फ बहुत प्रभावी है। बवासीर से संबंधित किसी भी असुविधा से तुरंत राहत पाने के लिए, इस सरल लेकिन प्रभावी उपाय का प्रयोग दिन में दो से तीन बार करें।
अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी सक्रिय और नियमित रूप से व्यायाम करने में है। यही बात गर्भावस्था के दौरान भी लागू होती है। गर्भावस्था के दौरान बवासीर से राहत प्रदान करने के लिए केगल व्यायाम और मांसपेशियों के बेहतर निर्माण के लिए अन्य व्यायाम बेहद प्रभावी हैं। हालांकि, किसी भी प्रकार के शारीरिक व्यायाम का अभ्यास करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
अगर आप गर्भावस्था के दौरान पाइल्स से पीड़ित हैं, तो एलोवेरा में मौजूद गुण इससे राहत दिलाने में बेहतर रूप से कार्य करेंगे । ताजा एलोवेरा का उपयोग करना सबसे अच्छा होता है, जो आपको सुपरमार्केट में आसानी से मिल जाएगा या फिर बेहतर है कि आप खुद एलोवेरा उगाएं और उसका सेवन करें। एलोवेरा के एक पत्ते को छील कर उसके अंदर के जेल को निकाले लें और इसे रोजाना दो बार प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। बाजार में मिलने वाले सुगंधित एलोवेरा जेल और क्रीम का उपयोग करने से बचें।
बवासीर के कारण होने वाली किसी जलन या सूजन को कम करने में आलू आश्चर्यजनक रूप से अच्छा काम करता है। इसे उपयोग करने के लिए एक आलू को धो लें और छील लें और इसे थोड़ा पानी या नींबू के रस के साथ पीस लें। आलू के मिश्रण से रस निचोड़ें और इसमें एक रूई का फाहा भिगोएं। इस रस को दिन में दो से तीन बार प्रभावित जगह पर लगाएं। आलू को अपने आहार में शामिल करने से कब्ज और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं भी दूर हो जाएंगी।
लहसुन में कई औषधीय और उपचारक गुण मौजूद होते हैं। लहसुन में मौजूद एलिसिन विभिन्न संक्रमण पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों से लड़ने में बहुत प्रभावी होता है। गर्भावस्था के दौरान बवासीर के लिए इसे एक प्राकृतिक उपाय के रूप में माना जाता है, लहसुन की आठ से दस कलियां छील कर पीस लें। फिर इन मसली हुई लहसुन की कलियों को 4-5 कप पानी में डालें और एक से दो मिनट तक उबालें। ठंडा हो जाने पर इसे छान लें और प्रभावित जगह पर इस तरल का उपयोग करें। हर बार लगाने के बाद इस जगह को सुखाने का ध्यान रखें ।
मूली रोगाणुओं से लड़ने में सहायक है। थोड़े से दूध के साथ पीसकर मूली का पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को दिन में दो से तीन बार प्रभावित जगह पर लगाएं। आप अपने आहार में मूली भी शामिल कर सकती हैं, क्योंकि यह आहार फाइबर का एक समृद्ध स्रोत है, और मल त्याग को नियमित करने और कब्ज से राहत देने में मदद करता है।
गर्भावस्था के दौरान बवासीर से संबंधित लक्षणों को कम करने में काला जीरा बहुत प्रभावी होता है। काले जीरे में मौजूद थाइमोक्विनोन में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। कुछ चम्मच या एक मुट्ठी काला जीरा लें और पानी डालकर एक महीन पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाएं और पंद्रह मिनट तक लगा रहने दें। फिर इसे गुनगुने पानी से धो लें और नर्म कपड़े से थपथपा कर सुखा लें। बवासीर के लक्षणों से राहत पाने के लिए पेस्ट को दिन में दो बार लगाएं।
बवासीर से राहत पाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अच्छा आहार लें जिसमें पर्याप्त ताजे फल और सब्जियां शामिल हों। ताजे फल और सब्जियां न केवल आपको और आपके बच्चे को पोषण प्रदान करते हैं, बल्कि यह आपको गर्भावस्था के समय बवासीर से निपटने में भी मदद करते हैं। बवासीर से राहत के लिए कुछ फल और सब्जियां जिन्हें आपको अपने दैनिक आहार में शामिल करना चाहिए, वे हैं अंगूर, संतरा, नींबू, करौंदे और शतावरी इत्यादि।
प्रोबायोटिक्स से भरपूर खाद्य पदार्थ गर्भावस्था के दौरान बवासीर से लड़ने का एक बेहतरीन तरीका है। ये प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ शरीर में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करते हैं । किम्ची, दही, पनीर और कोम्बुचा चाय कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनमें प्रोबायोटिक्स की अच्छी मात्रा होती है।
कब्ज बवासीर का प्रमुख कारण है और फाइबर युक्त आहार की कमी बवासीर के विकास की संभावना को बढ़ाती है। गर्भावस्था के दौरान बवासीर को पूरी तरह से रोकने के लिए आप अपनी आंत को साफ करने और अपने पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से इसबगोल या लैक्टुलोज सिरप का सेवन कर सकती हैं।
उपर्युक्त उपचार बेहद आसान घरेलू उपचारों में शामिल होते हैं, जो गर्भावस्था के दौरान बवासीर से राहत देने में मदद कर सकते हैं। पाइल्स से राहत पाने के लिए आरामदायक सूती कपड़े पहनने, ढेर सारा पानी पीने और, पर्याप्त आराम करने से इसे जल्द खत्म करने मदद मिलती है।
प्राकृतिक तरीकों से घर पर पाइल्स या बवासीर का प्रभावी रूप से इलाज किया जा सकता है। हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि जैसे ही आपको बवासीर या उससे जुड़ा कोई भी संकेत या लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर की मदद लें। समय पर इसे डॉक्टर को दिखाने से आप इसका जल्दी उपचार करा सकती हैं और स्थिति को खराब होने से रोक सकती हैं ।
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