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अस्थमा की समस्या से दुनिया भर में कई लोग पीड़ित हैं, जो कि एक बहुत कॉमन रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम में से एक है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं में से कम से कम एक से दो प्रतिशत महिलाओं को मैटरनल अस्थमा का अनुभव होता है, जो प्रेगनेंसी के दौरान एक आम कॉम्प्लिकेशन का कारण बनता है। साथ ही प्रेगनेंसी के दौरान एक गर्भवती महिला को इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज जो बड़ी आंत से संबंधित गंभीर समस्या पैदा करता है, का सामना भी करना पड़ सकता है। इन दोनों ही कंडीशन में या तो अक्सर स्टेरॉयड मेडिकेशन द्वारा इलाज किया जाता है या प्रेड्नीसोन दिया जाता है। अगर आपको प्रेगनेंसी के दौरान इन कॉम्प्लिकेशन का अनुभव होता है, तो इसे लेने से पहले जान लें कि क्या यह प्रेगनेंसी के दौरान आपके लिए सेफ है। इस दवा के बारे में इसके फायदे, साइड इफेक्ट्स और दूसरी जानकारियां प्राप्त करने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।
प्रेड्नीसोन एक कॉर्टिकोस्टेरॉइड है जो या तो मौखिक रूप से या एक नेबुलाइजर के जरिए दिया जाता है। यह दवा शरीर में सूजन पैदा करने वाले मॉलिक्यूल के कंसंट्रेशन को कम करती है। इस दवा का उपयोग शरीर के विभिन्न प्रभावित हिस्सों, एलर्जी, हार्मोनल इम्बैलेंस, कनेक्टिव टिश्यू प्रॉब्लम, अल्सरेटिव कोलाइटिस, हृदय संबंधी समस्या, अस्थमा, गठिया आदि मामलो के लिए किया जाता है। प्रेड्नीसोन को आमतौर पर दिन में 1-4 बार या भोजन के साथ हर अल्टरनेट दिन पर लेने की सलाह दी जाती है।
गर्भावस्था के दौरान प्रेड्नीसोन लेने से कुछ परेशानियों को ठीक करने में मदद मिलती है। आपको नीचे बताया गया है किस प्रकार की कंडीशन में आपको यह दवा फायदा पहुँचाती है:
प्रेड्नीसोन स्किन प्रॉब्लम को दूर करने के लिए बहुत प्रभावी रूप से काम करती है, जैसे एक्जिमा, कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस,सेबोरिक डर्मेटाइटिस, एलर्जी रैशेस, सोराइसिस आदि। यह ब्लड फ्लो में इलेक्ट्रोलाइट्स को रेगुलेट करने और इसे बैलेंस करने के लिए भी जानी जाती है।
जैसा कि प्रेड्नीसोन इम्यून सिस्टम को कंट्रोल करती है, यह इम्यून सेल्स को शरीर के हेल्दी सेल्स पर अटैक करने से रोकती है। ल्यूपस जैसे ऑटोइम्यून डिजीज का इलाज अक्सर प्रेड्नीसोन से किया जाता है।
विभिन्न मस्कुलोस्केलेटल बीमारियों जैसे पुरानी गठिया, ऑस्टियोआर्थराइटिस और गाउट आदि का इलाज प्रेड्नीसोन द्वारा किया जाता है।
एंडोक्राइन या हार्मोन संबंधी कंडीशन जैसे कि नॉनसुपुरेटिव थायरॉयडिटिस, हाइपरकलसीमिया और एड्रेनल हाइपरप्लासिया का इलाज प्रेड्नीसोन द्वारा किया जा सकता है।
प्रेड्नीसोन कई श्वसन संबंधी समस्याओं के लक्षणों से राहत प्रदान करती है, जिसमें निमोनिया, सारकॉइडोसिस, अस्थमा, टीबी और लोफ्लर सिंड्रोम शामिल हैं।
गर्भवस्था के दौरान प्रेड्नीसोन लेने के कुछ संभावित साइड इफेक्ट्स भी हैं, जो आपकी गर्भावस्था के दौरान समस्या पैदा कर सकते हैं। उनमे शामिल है:
पेट में दर्द, गैस, सूजन, मल में रक्त आना, मतली और पैंक्रियाटाइटिस जैसी पाचन संबंधी बीमारियां आपको गर्भावस्था के दौरान प्रेड्नीसोन लेने के कारण हो सकती हैं।
प्रेड्नीसोन लेने से बच्चों में बर्थ डिफेक्ट और लो बर्थ वेट की संभावना बढ़ सकती है। हालांकि, शुरूआती गर्भावस्था में प्रेड्नीसोन लेने से बहुत कम जोखिम होता है। कहा जाता है कि प्रेड्नीसोन से बच्चे के विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है और ओरल क्लेफ्ट होने की चार गुना संभावना बढ़ जाती है।
प्रेड्नीसोन का लगातार उपयोग करने से आपको अनिद्रा की समस्या हो सकती है। इस दवा को लेने के बाद लगभग तीन-चौथाई रोगियों को नींद न आने जैसे साइड इफेक्ट की शिकायत होती है।
प्रेड्नीसोन का सेवन करने वाले लगभग 70 फीसदी रोगियों ने लंबे समय तक इसका उपयोग किए जाने पर शरीर का वजन बढ़ने का अनुभव किया है।
क्योंकि, प्रेड्नीसोन आपकी हेल्थ के साथ साथ आपकी प्रेगनेंसी को भी प्रभावित करती है, इसलिए इस दवा को लेने से पहले आपको कुछ सावधानी बरतनी चाहिए।
स्टडीज से पता चलता है कि प्रेगनेंसी के शुरूआती चरण में फीटस प्रेड्नीसोन से प्रभावित नहीं होता है, क्योंकि प्लेसेंटा ड्रग को एम्नियोटिक फ्लूइड में प्रवेश करने से रोकता है। इसके अलावा, पहली तिमाही तक बच्चे का लिवर प्रेड्नीसोन को एक्टिवेट नहीं कर पाता है। प्रेड्नीसोन गर्भवती महिलाओं में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है, लेकिन फिर भी इसे अक्सर गर्भावस्था के दौरान लेने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इसके द्वारा इलाज की जाने वाली बीमारियों का प्रभाव आपकी प्रेगनेंसी के लिए और भी ज्यादा खराब साबित हो सकता है।
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