गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान स्तनों में दर्द: कारण, प्रभाव और उपचार

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में कई शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं। इनमें से कुछ परिवर्तन ऐसे हैं जिनमें अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है, जैसे स्तनों में बदलाव। गर्भावस्था के दौरान महिलाएं शिशु को स्तनपान कराने के लिए तैयार होती हैं और इस समय उनके शरीर में हॉर्मोन का स्राव होना शुरू हो जाता है जिससे स्तनों में संवेदनशीलता बढ़ती है और संभवतः यह दर्द का भी कारण बनते हैं। यह लेख आपको गर्भावस्था के दौरान स्तनों में दर्द के कारण, उनसे पड़ने वाले प्रभाव और उपचारों के बारे में विस्तार से बताता है।

क्या गर्भावस्था के दौरान स्तनों में दर्द होना आम बात है

गर्भावस्था के दौरान स्तनों में संवेदनशीलता और दर्द होना एक सामान्य स्थिति है क्योंकि इस समय एक गर्भवती महिला के स्तन, शिशु को स्तनपान कराने के लिए तैयार होते हैं। स्तनों का दर्द भी गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षणों में से एक है। यह दर्द गर्भावस्था के लगभग तीसरे या चौथे सप्ताह में होता है।

गर्भावस्था के दौरान स्तनों में दर्द के कारण

स्तनों में दर्द का मुख्य कारण ‘एस्ट्रोजन’ और ‘प्रोजेस्टेरोन’ हार्मोन के स्तर में वृद्धि है। इस दौरान स्तनों में वसा की परत मोटी हो जाती है, दूध की ग्रंथियों में नलिकाओं की संख्या बढ़ जाती हैं और इस क्षेत्र में रक्त का प्रवाह भी बढ़ जाता है। इससे स्तन भारी और बड़े हो जाते हैं और इनमें अत्यधिक दर्द व असुविधा होती है।

गर्भावस्था के दौरान स्तनों में दर्द के प्रभाव

गर्भावस्था के दौरान, स्तनों का आकार बदल जाता है। इनमें बढ़ती कोमलता के साथ, संवेदनशीलता भी कई गुना बढ़ सकती है और यहाँ तक कि आपके कपड़ों का भी हल्का सा स्पर्श आपके स्तनों में अत्यधिक दर्द का परिणाम हो सकता है। इस स्थिति में निम्नलिखित प्रभाव ध्यान देने योग्य हैं:

१. निप्पल

जैसे-जैसे आपकी त्वचा खिंचती और फैलती है, आपके निप्पल सामान्य से अधिक बड़े सकते हैं।

२. एरोला

निप्पल के आस-पास की त्वचा को एरोला कहा जाता है और इस दौरान एरोला का रंग पहले की तुलना में अधिक गहरा हो सकता है। इस दौरान एरोला के आकार में भी वृद्धि होती है और ये अधिक स्पष्ट भी हो जाते हैं। आप एरोला के आसपास जो छोटे उभार देखती हैं वे पसीने की ग्रंथियां होती हैं (जिन्हें मॉन्टगोमेरी ट्यूबरसेल्स भी कहा जाता है) जो स्तन के पूरे क्षेत्र को चिकनाहट प्रदान करती हैं।

३. नसें

गर्भवती महिलाओं में बढ़ती फैट और दूध नलिकाओं को समायोजित करने के लिए जैसे ही स्तनों के आसपास की त्वचा विस्तृत होती है, आपके शरीर की नीली नसें उभरकर दिखाई देने लगती हैं। ये नसें शिशु को आवश्यक पोषक तत्व और तरल पदार्थ प्रदान करती हैं। गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में आपके स्तन असामान्य रूप से तेजी से विकास कर सकते हैं या जैसे-जैसे आपकी गर्भावस्था अपने अंतिम चरण तक पहुँचती है, स्तनों के आकार में भी धीरे-धीरे वृद्धि हो सकती है। यदि यह आपकी पहली गर्भावस्था है, तो आपके स्तनों में अत्यधिक बदलाव की संभावना हो सकती है। यदि  इस चरण में आपके स्तनों में कोई बदलाव नहीं हुआ है तो शिशु के जन्म के साथ ही आपको इस बदलाव का भी अनुभव होगा।

गर्भावस्था के दौरान स्तनों में दर्द से राहत के लिए उपाय

गर्भावस्था के दौरान स्तनों में दर्द या संवेदनशीलता बहुत आम बात है, खासकर इसकी पहली तिमाही में। इस समय स्तनों में बदलाव होता रहता है और आपके बच्चे के पहले भोजन, कोलोस्ट्रम के उत्पादन के साथ इसमें बदलाव होना बंद हो जाता है। गर्भावस्था के दौरान स्तनों में दर्द के उपचारों के अलावा, इसके बारे में अपने साथी को भी बताएं ताकि वह संभोग के दौरान या गले मिलते समय इस बात का पूरा खयाल रखें। दूसरी तिमाही के दौरान स्तनों में दर्द व संवेदनशीलता कम होने लगती है। तब तक, निम्नलिखित युक्तियां आपको इस स्थिति से उबरने में मदद करेंगी:

  • आपके चलने के समय या सोने के समय भी स्तनों में दर्द होना आपके लिए बहुत असहज हो सकता है। इस स्थिति में आराम के लिए स्पोर्ट्स ब्रा या मैटरनिटी ब्रा ही पहनें, सही फिटिंग की ब्रा के लिए आप विशेषज्ञ की मदद ले सकती हैं।
  • पूरी गर्भावस्था के दौरान आपको ब्रा की फिटिंग एक से अधिक बार बदलनी पड़ सकती है क्योंकि इस समय आपके स्तनों का आकार लगातार बदलता रहता है।
  • अंडरवायर/इलास्टिक ब्रा पहनने से बचें क्योंकि यह ब्रा आपके लिए असहज हो सकती है।

प्राकृतिक घरेलू उपचार

  • गर्भवती महिलाओं के स्तनों में दर्द के लिए सबसे आम घरेलू उपचारों में से एक है, भरपूर पानी पीना। पानी न पीने या कम पीने से स्तनों में दर्द व पीड़ा में वृद्धि होती है। दिन के दौरान पर्याप्त पानी पीने से शरीर में मौजूद अतिरिक्त तरल पदार्थ और हार्मोन को बाहर निकालने में मदद मिलती है। आप अपने पानी में अदरक या नींबू का रस भी मिला सकती हैं क्योंकि इससे दर्द को दूर करने में मदद मिलती है।
  • कुछ समय के लिए आहार में सोडियम का सेवन कम करने से स्तनों के दर्द को कम करने में मदद मिलती है। हालांकि, रक्त की मात्रा को बढ़ाने के लिए नमक का सेवन करना आवश्यक होता है इसलिए आहार में कोई भी महत्वपूर्ण परिवर्तन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
  • अलसी में मौजूद अत्यधिक मात्रा में फाइबर स्तनों के दर्द को कम करने में मदद करता है। एक चम्मच बारीक पिसे हुए अलसी के बीज में पानी, फलों का रस या दही मिलाकर लेने से आपको काफी राहत मिल सकती है। अपने आहार में विटामिन और खनिज-युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करने से भी इस दौरान स्तनों के दर्द से आराम प्राप्त हो सकता है।

ओ.टी.सी. दवाएं

गर्भावस्था के दौरान स्तनों में दर्द से राहत पाने के लिए आप एसिटामिनोफेन और नॉनस्टेरॉइडल एंटीइंफ्लेमेटरी दवाओं, जैसे एस्पिरिन,आइबुप्रोफेन और नेप्रोक्सन का सेवन कर सकती हैं । ये दवाइयां ओ.टी.सी. (ओवर द काउंटर) यानि बिना पर्ची के मिल जाती हैं लेकिन आप इन्हें लेने से पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य करें ।

गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में महत्वपूर्ण बदलाव होते हैं और वे आपके लिए अत्यधिक कष्टदायी भी हो सकते हैं। याद रखें, इस समय तनाव, दर्द और किसी भी प्रकार के शारीरिक श्रम से दूर रहने के लिए किसी से मदद लेने हेतु बिलकुल न हिचकिचाएं।

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